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गर्भावस्था के दौरान महिला को कभी उल्टी, तो कभी सिरदर्द जैसी परेशानियां होती रहती हैं। इन परेशानियों के अलावा गर्भवती को कुछ समस्याएं पौष्टिक तत्वों की कमी की वजह से भी हो सकती हैं। इसी वजह से गर्भवतियों को हमेशा पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन सभी पोषक खाद्य पदार्थ प्रेगनेंसी के लिए सुरक्षित नहीं होते। ऐसे में कई पौष्टिक सब्जियों को लेकर मन में संशय पैदा होता है। अगर आपके मन में शतावरी को लेकर कोई दुविधा है, तो उसे आप मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल से दूर कर सकते हैं। हम यहां गर्भावस्था में शतावरी से जुड़ी जानकारी रिसर्च के आधार पर दे रहे हैं। बस, तो गर्भावस्था में शतावरी से जुड़ी बातें जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
लेख में आगे बढ़ते हुए जानते हैं कि शतावरी आखिर क्या है।
शतावरी क्या है? | What Is Shatavari in Hindi
शतावरी एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ और अन्य भागों को जड़ी-बूटी की तरह उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों से बचाव के लिए किया जाता रहा है (1)। शतावरी को बंगाली में शतमूली और अंग्रेजी में एस्पेरेगस (Asparagus) कहा जाता है। यह विटामिन-ए, सी, फोलेट, फाइबर, मैग्नीशियम और आयरन जैसे कई पोषक तत्वों से समृद्ध होती है (2)।
सबसे अहम सवाल कि क्या शतावरी का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित है। चलिए, इस सवाल का जवाब जानते हैं।
क्या गर्भावस्था के दौरान शतावरी खाना सुरक्षित है?
गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में शतावरी का सेवन सुरक्षित हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में गर्भावस्था में शतावरी को सुरक्षित पाया गया है। साथ ही यह गर्भपात के खतरे को कम कर सकता है (3)। गर्भावस्था में फोलेट की कमी को पूरा करने में भी शतावरी अहम भूमिका निभा सकती है, इसलिए गर्भवतियों को शतावरी को डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है (4)।
लेख के अगले भाग में जानते हैं कि गर्भावस्था में कितनी मात्रा में शतावरी का सेवन किया जा सकता है।
गर्भावस्था में कितनी मात्रा में शतावरी खाना सुरक्षित है?
शतावरी का सेवन अगर सब्जी के रूप में किया जा रहा है, तो दिनभर में एक कप शतावरी का सेवन किया जा सकता है (5)। शतावरी का सेवन चूर्ण या टेबलेट के रूप में भी किया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा स्पष्ट नहीं है। इसी वजह से डॉक्टरी सलाह पर ही इसका सेवन करें। इसकी मात्रा का अगर ध्यान न रखा जाए, तो गर्भावस्था में इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं और भ्रूण पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है (6)।
प्रेगनेंसी में कब से शतावरी का सेवन किया जाना चाहिए इस पर एक नजर डाल लेते हैं।
गर्भावस्था में शतावरी खाने का सबसे अच्छा समय कब है?
कुछ रिसर्च बताती हैं कि गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में शतावरी का सेवन किया जा सकता है (7)। साथ ही इस बात का भी प्रमाण मौजूद है कि शतावरी को भूलकर भी पहली तिमाही में नहीं खाना चाहिए (6)। वैसे गर्भवती को शतावरी का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि हर महिला की गर्भावस्था अलग होती है।
अब जानते हैं शतावरी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।
शतावरी के पोषक तत्व
शतावरी में कई तरह के पौष्टिक तत्व हैं, जिन्हें गर्भावस्था के लिए फायदेमंद माना गया है। 100 ग्राम शतावरी में 93.22 ग्राम पानी और 20 केसीएल एनर्जी होती है। साथ ही शतावरी में कुछ अन्य पौष्टिक तत्व भी होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (8):
- प्रोटीन की बात की जाए, तो इसमें 2.2 ग्राम प्रोटीन होता है। वहीं, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 3.88 ग्राम और 2.1 ग्राम फाइबर होता है।
- शतावरी में कई तरह के मिनरल जैसे – आयरन, फास्फोरस, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम होते हैं।
- इसमें पोटैशियम की मात्रा 202 मिलीग्राम होती है।
- शतावरी में 52 µg फोलेट भी होता है, जिसे गर्भावस्था के लिए बेहद जरूरी माना गया है।
- शतावरी में विटामिन-ए, सी और के भी होते हैं।
शतावरी के पोषक मूल्य के बाद हम बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में शतावरी खाने के फायदे | Pregnancy Mein Shatavari Khaane Ke Fayde
अब हम आपको प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे की जानकारी देंगे। यहां बताए जाने वाले सभी फायदे पाने के लिए शतावरी का सेवन सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। अन्यथा इससे नुकसान भी हो सकता है, जिसके बारे में हमने ऊपर जानकारी दी है। चलिए, अब प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे जानते हैं :
- भ्रूण के लिए लाभकारी – शतावरी का संतुलित मात्रा में सेवन गर्भवती और भ्रूण दोनों के लिए उपयोगी हो सकता है। प्रेगनेंसी में शतावरी से संबंधित एक रिसर्च के मुताबिक, शतावरी भ्रूण में जन्मदोष के जोखिम को कम कर सकती है। असल में शतावरी में मौजूद फोलेट भ्रूण के लिए लाभकारी होता है, जो कई तरह के जन्मजात विकृतियों (Congenital malformations) से बचाव कर सकता है (9)।
- दूध के लिए – शतावरी गर्भावस्था के साथ-साथ स्तनपान के दौरान भी उपयोगी हो सकती है। यह दूध के स्राव को बढ़ाने में मदद कर सकती है (10)। इसका सेवन न सिर्फ मां के दूध की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, बल्कि दूध का उत्पादन भी बढ़ा सकता है। दरअसल, शतावरी शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin hormone) बनाती है, जो दूध के उत्पादन में सहायक हो सकता है (11)।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए – शतावरी इम्यून सिस्टम बेहतर करने में लाभदायक हो सकती है। आयुर्वेद में इसे गर्भवती और भ्रूण दोनों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सुधारने के लिए उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह इम्युनोमॉड्यूलेटर एजेंट की तरह काम कर सकती है। मतलब यह शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को बढ़ा सकती है। इस प्रभाव से गर्भवती और भ्रूण दोनों का बीमारियों से बचाव हो सकता है (7)।
- कैल्शियम के लिए – गर्भावस्था के दौरान महिला के लिए कैल्शियम भी एक जरूरी पोषक तत्व है। कैल्शियम गर्भावस्था में प्री-एक्लेम्पसिया के जोखिम को कम कर सकता है। यह अचानक उच्च रक्तचाप होने वाली समस्या है। इसके अलावा, भ्रूण के दांत और हड्डियों के लिए भी कैल्शियम जरूरी है (12)। ऐसे में कैल्शियम युक्त शतावरी गर्भवती के लिए उपयोगी हो सकती है (11)।
- विटामिन-ए के लिए – गर्भावस्था में विटामिन-ए के स्तर को बेहतर करने के लिए भी शतावरी का सेवन किया जा सकता है (8)। यह प्रेगनेंसी के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्वों में से एक है। इसे भ्रूण के विकास और कोशिकाओं के लिए उपयोगी बताया जाता है। साथ ही यह गर्भवती के चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म को बेहतर रख सकता है (13)।
चलिए, अब गर्भावस्था में शतावरी से जुड़े नुकसान पर एक नजर डाल लेते हैं।
गर्भावस्था के दौरान शतावरी खाने के साइड इफेक्ट्स
हमने लेख में पहले भी बताया है कि गर्भावस्था में शतावरी का अधिक सेवन करने से कुछ नुकसान हो सकते हैं। इसी वजह से आगे हम शतावरी खाने के नुकसान से जुड़ी जानकारियां विस्तार में दे रहे हैं:
- भ्रूण के विकास में बाधा – शतावरी का अधिक सेवन करने से भ्रूण का विकास बाधित हो सकती है। दरअसल, इसका अधिक सेवन करने से भ्रूण व पर टेराटोजेनिक (Teratogenic) प्रभाव पड़ सकता है (1)। इससे भ्रूण के शारीरिक विकास में बाधा, उसके पैरों में सूजन और भ्रूण में जन्म दोष जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है (14)।
- हाइपरकलेमिया – शतावरी में पोटैशियम भरपूर होता है (8)। ऐसे में इसके अधिक सेवन से हाइपरकलेमिया यानी पोटैशियम की अधिकता हो सकती है। दुर्लभ स्थितियों में हाइपरकलेमिया के कारण गर्भ में पल रहे शिशु को जान का जोखिम हो सकता है। यहां तक कि यह स्टिल बर्थ (गर्भ में भ्रूण की मृत्य) का कारण भी बन सकता है (15)।
अब जानते हैं शतावरी का सेवन करते समय बरती जाने वाली कुछ सावधानियों के बारे में।
शतावरी का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
हमने ऊपर शतावरी के नुकसान की जानकारी दी है। इससे बचाव के लिए शतावरी का सेवन करते वक्त कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना जरूरी है। क्या है ये सावधानियां पढ़ें यहां :
- मात्रा का ध्यान रखें – शतावरी का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करें। एक बार इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ली जाए तो बेहतर होगा।
- तिमाही का ध्यान रखें – हम ऊपर बता ही चुके हैं कि इसका सेवन आखिरी तिमाही में किया जा सकता है। हां, अगर किसी की गर्भावस्था में कोई जटिलता है, तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। खासतौर पर इसका सेवन चूर्ण या टैबलेट के रूप में बिना परामर्श के न करें।
- एलर्जी का ध्यान रखें – अगर किसी महिला को कुछ खास तरह के खाद्य पदार्थों से एलर्जी की समस्या होती है, तो शतावरी के सेवन से परहेज करना ही बेहतर हो सकता है।
- साफ करके उपयोग करें – सब्जी के रूप में शतावरी को उपयोग में लाने से पहले अच्छी तरह से धो लें। इसका सेवन इसे पूरी तरह से साफ करने के बाद ही करें।
लेख के अंत में हम गर्भावस्था में शतावरी खाने के तरीकों पर गौर करेंगे।
गर्भावस्था के दौरान शतावरी खाने के तरीके
ऊपर प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे और नुकसान जानने के बाद अब अंत में गर्भावस्था में शतावरी का सेवन कैसे किया जाए, इस जानकारी से अवगत कराना तो बनता है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम इसी विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं :
- शतावरी का जूस पी सकती हैं।
- फ्राई करके शतावरी का सेवन कर सकते हैं।
- सलाद के साथ शतावरी को खा सकते हैं।
- शतावरी का उपयोग सब्जी बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
- चूर्ण, टैबलेट या टॉनिक के रूप में भी शतावरी का सेवन कर सकते हैं। लेकिन, ऐसा डॉक्टरी सलाह पर ही करें।
इस लेख में हमने शतावरी के फायदे के साथ ही इसके कुछ नुकसान के बारे में भी बताया है। इसी वजह से गर्भावस्था में शतावरी का सेवन करते वक्त इन दोनों पहलुओं पर ध्यान दें। जी हां, शतावरी के बारे में सब कुछ जानने के बाद सावधानी बरतने की जिम्मेदारी आप पर है, क्योंकि अपनी सेहत का ख्याल आपसे बेहतर और कोई नहीं रख सकता है। उम्मीद करते हैं कि गर्भावस्था में शतावरी के सेवन से जुड़ी सारी जानकारियां आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगी। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करके उन्हें भी गर्भावस्था में शतावरी से जुड़े तथ्यों से अवगत कराएं।
References
1. SHATAVARI (ASPARAGUS RACEMOSUS WILD): A REVIEW ON ITS CULTIVATION, MORPHOLOGY, PHYTOCHEMISTRY AND PHARMACOLOGICAL IMPORTANCE By INTERNATIONAL JOURNAL OF PHARMACEUTICAL SCIENCES AND RESEARCH
2. Asparagus By Better Health Channel
3. Plant profile, phytochemistry and pharmacology of Asparagus racemosus (Shatavari): A review By NCBI
4. Folate for pregnant women By Better Health Channel
5. Nutrition in Teenage Pregnancy By ERIC Institution of Education Sciences
6. Adverse effects of herbs as galactogogues By NCBI
7. Influence of Asparagus racemosus (Shatavari) supplementation during different stage of lactation on estrus behavior and reproductive performance in Karan Fries crossbred cows By Research Journal
8. Asparagus, raw By USDA
9. Effects of aqueous extract from Asparagus officinalis L. roots on hypothalamic-pituitary-gonadal axis hormone levels and the number of ovarian follicles in adult rats By NCBI
10. Traditional plants used for the treatment of gynaecological disorders in Vedaranyam taluk, South India – An ethnomedicinal survey By NCBI
11. SHATAVARI (Asparagus Racemosus Willd.)- A BOON TO FEMALE HEALTH By IAMJ
12. Pregnancy and Nutrition By Medlineplus
13. Vitamin A By NIH
14. Teratogenicity of Asparagus racemosus Willd. root, a herbal medicine By NCBI
15. An unusual case of acute hyperkalemia during pregnancy By NCBI
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