Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

एक महिला की जिंदगी में प्रेगनेंसी को सबसे संवेदनशील समय माना गया है। इस दौरान कई शारीरिक समस्याओं का जोखिम बना रहता है, जिसमें एक नाम थायराइड की समस्या भी है। ऐसे में, गर्भावस्था में थायराइड से बचने के लिए इससे जुड़ी जानकारी का होना जरूरी है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम गर्भावस्था में थायराइड के कारण, लक्षण और इससे जुड़ी कई जरूरी जानकारी साझा कर रहे हैं, ताकि महिलाओं को गर्भावस्था में थायराइड प्रभाव से बचने में मदद मिल सके। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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सबसे पहले थायराइड के विषय में जान लेते हैं।

गर्भावस्था में थायराइड क्या है – Thyroid During Pregnancy in Hindi

थायराइड कुछ और नहीं, बल्कि एक ग्रंथि है। यह दिखने में तितली जैसी होती है और गले में मौजूद होती है। थायराइड ग्रंथि का काम थायराइड हार्मोन बनाना होता है। यह हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों की गति को नियंत्रित करने का काम करता है, जिसमें शरीर में कैलोरी बर्न और दिल धड़कने की प्रक्रिया आदि शामिल हैं। वहीं, थायराइड की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा (हाइपरथायरायडिज्म) या जरूरत से कम हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) का निर्माण करने लगती है । वहीं, यह समस्या प्रेगनेंसी में भी हो सकती है । लेख में आगे प्रेगनेंसी में थायराइड के कारण, लक्षण और इलाज संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है।

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आइये, अब जानते हैं प्रेगनेंसी में थायराइड होने के कारण।

प्रेगनेंसी में थायराइड के कारण – Causes of Thyroid During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी में थायराइड के कारण को इसके प्रकार के आधार पर अलग-अलग किया जा सकता है,  जो कुछ इस प्रकार हैं :

प्रेगनेंसी में हाइपरथायराइडिज्म के कारण :

नीचे जानिए प्रेगनेंसी में हाइपरथायराइडिज्म यानी जरूरत से अधिक थायराइड के उत्पादन के कारण (1) :

  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे ग्रेव्स डिजीज। ग्रेव्स डिजीज में इम्यून सिस्टम थायराइड ग्रंथि पर अटैक करता है और अधिक थायराइड हार्मोन का कारण बनता है।
  • प्रेगनेंसी में गंभीर उल्टी और मतली के कारण एचसीजी (hCG – एक प्रकार का हार्मोन) स्तर में वृद्धि, जिससे अधिक थायराइड हार्मोन का निर्माण हो सकता है।
  • आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • थायराइड से जुड़ी सूजन की समस्या। यह किसी संक्रमण या दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण हो सकती है।
  • अंडाशय से जुड़े ट्यूमर की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

प्रेगनेंसी में हाइपोथायरायडिज्म के कारण :

नीचे जानिए प्रेगनेंसी में हाइपोथायरायडिज्म यानी जरूरत से कम थायराइड के उत्पादन के कारण  :

  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे हाशिमोटो की बीमारी। इस बीमारी में इम्यून सिस्टम थायराइड ग्रंथि पर अटैक करता है, जिससे उसमें सूजन आ जाती है और हार्मोन उत्पादन की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।
  • थायराइड से जुड़ी सर्जरी, जिसमें थायराइड या उसके किसी अंग को निकाल दिया जाता है।
  • जन्म से जुड़ी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या।
  • थायराइड से जुड़ी रेडिएशन थेरेपी।
  • दवाइयों का दुष्प्रभाव।
  • आयोडीन की कमी।

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प्रेगनेंसी में थायराइड के कारण के बाद अब पढ़ते हैं गर्भावस्था में थायराइड के लक्षण।

प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण – Symptoms of Thyroid During Pregnancy in Hindi

सामान्य समय की तरह ही गर्भावस्था में थायराइड होने पर कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। क्या हैं प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण, आगे जानिए।

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण :

नीचे क्रमवार जानिए हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण  :

  • धड़कन तेज होना
  • थकान महसूस होना
  • गर्मी बर्दाश्त न होना
  • हाथों का कांपना
  • शरीर का वजन घटना 

कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जैसे (1) :

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण :

नीचे क्रमवार जानिए हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण :

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प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण के बाद अब जानेंगे कि प्रेगनेंसी में थायराइड कब हो सकता है।

प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या कब होती है?

थायराइड की बीमारी को मधुमेह की समस्या के बाद दूसरा सबसे बड़ा विकार कहा गया है। वहीं, गर्भावस्था में थायराइड की समस्या इसके विभिन्न कारणों की वजह से कभी भी हो सकती है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रेगनेंसी के दौरान यह हार्मोन तकरीबन 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है । वहीं, प्रेगनेंसी की किस तिमाही में इससे होने का जोखिम ज्यादा होता है, इससे जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध का अभाव है। इससे जुड़ी जानकारी संबंधित डॉक्टर से ली जा सकती है।

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आगे पढ़िए गर्भावस्था में थायराइड होने पर चिकित्सक से संपर्क कब करना चाहिए।

प्रेगनेंसी में थायराइड होने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या कई जटिलताओं का कारण बन सकती है, जैसे गर्भपात और जन्म के समय बच्चे का कम वजन । इसलिए, प्रेगनेंसी में थायराइड के साथ निम्नलिखित स्थितियां दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे (1) :

  • नींद की समस्या का लगातार बने रहना।
  • किसी चीज को समझने में परेशानी।
  • आंखों के सामने धुंधला छा जाना।
  • दिल की धड़कन का अनियमित होना।
  • अवसाद या चिंता की स्थिति।
  • ज्यादा पसीना आना या पसीना न बनना।
  • थकान का लंबे समय तक बने रहना।
  • चेहरे पर सूजन और हाथों का हिलना लगातार बने रहना।

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लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए प्रेगनेंसी डाइट इन थाइरोइड।

गर्भावस्था में थायराइड आहार – Food for Thyroid During Pregnancy in Hindi

थायरायड ग्रंथि आयोडीन का उपयोग करके थायराइड हार्मोन बनाती है। ऐसे में गर्भवती के लिए आयोडीन की जरूरत है। गर्भावस्था के दौरान, भ्रूण को भी गर्भवती के आहार से ही आयोडीन मिलता है। इसी वजह से गर्भवती को एक दिन में लगभग 250 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। चलिए, पढ़ते हैं प्रेगनेंसी डाइट इन थाइरोइड

हाइपोथायरायडिज्म के लिए आहार :

  • डेयरी खाद्य पदार्थ
  • सी-फूड्स
  • अंडा
  • मांस
  • मुर्गी
  • आयोडीन युक्त नमक

हाइपरथायरायडिज्म के लिए आहार :

हाइपरथायरायडिज्म यानी जरूरत से अधिक थायराइड हार्मोन के निर्माण की स्थिति में ऐसे खाद्य पदार्थों की सलाह दी जाती है, जो आयोडीन रहित हों या जिनमें आयोडीन की मात्रा बहुत कम हो। हालांकि, इससे जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध का अभाव है, फिर भी डॉक्टरी परामर्श पर नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है :

  • आयोडीन रहित नमक
  • बिना दूध की कॉफी या चाय
  • अंडे का सफेद भाग
  • ताजे फल
  • बिना नमक वाले नट्स आदि
  • ओट्स

नोट : थायराइड की समस्या में किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

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गर्भावस्था में थायराइड के इलाज से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है।

प्रेगनेंसी में थायराइड का इलाज – Treatment for Thyroid During Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में थायराइड का इलाज इसके प्रकारों के आधार पर किया जा सकता है, जैसे :

हाइपरथायरायडिज्म  के लिए इलाज :

  • एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेगनेंसी में हल्के हाइपरथायरायडिज्म के लिए इलाज की जरूरत नहीं होती है। वहीं, हाइपरथायरायडिज्म के साथ अगर हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (मतली, उल्टी की समस्या, डिहाइड्रेशन की समस्या व वजन का कम होना) की समस्या होती है, तो डॉक्टर उल्टी और डिहाइड्रेशन के लिए दवा या अन्य उपचार कर सकते हैं।
  • अगर हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति गंभीर है, तो डॉक्टर एंटी-थायराइड दवा दे सकते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म के लिए इलाज :

  • इसमें हार्मोन को रिप्लेस किया जा सकता है, जिनका निर्माण थायराइड ग्रंथि नहीं कर पा रही है। इसके लिए डॉक्टर थायराइड हार्मोन की दवा दे सकते हैं।
  • वहीं, हल्के हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में, जिसमें साफ लक्षण नहीं दिखते हैं, ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है।

नोट :  बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी भी थायराइड दवा का सेवन न करें।

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अब जान लेते हैं गर्भावस्था में थायराइड से बचने के तरीकों के बारे में।

प्रेगनेंसी में थायराइड से बचाव – Prevention Tips for Thyroid During Pregnancy in Hindi

आगे प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या से किस तरह बचाव किया जा सकता है, इस बारे में बताया गया है :

  • संतुलित आहार का सेवन करें।
  • डॉक्टरी सलाह पर हल्के व्यायाम करें।
  • सुबह-शाम खुली हवा में टहलें।
  • डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप करवाते रहें।
  • परिवार में किसी को भी थायराइड है, तो डॉक्टर को प्रेगनेंसी से पहले ही बताएं।
  • अपने स्वास्थ्य अनुसार डॉक्टर और डाइटिशियन की मदद से डाइट चार्ट का पालन कर सकते हैं।
  • इस दौरान किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

दोस्तों, जैसा कि हमने बताया कि गर्भावस्था में महिलाओं को थायराइड की समस्या हो सकती है, लेकिन  इसका मतलब यह नहीं कि इससे बचा नहीं जा सकता है। यहां बताए गए बचाव के तरीकों से इससे बचा जा सकता है। साथ ही इससे संबंधित जानकारी को हासिल करके हर गर्भवती सतर्क रह सकती है। इसलिए, लेख में प्रेगनेंसी में थायराइड से संबंधित दी गई सभी जानकारियों पर गौर फरमाएं। ऐसा करने से इस समस्या के लक्षण दिखने पर आप समझ सकती हैं कि डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इसी तरह जरूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए जुड़े रहें स्टाइलक्रेज के साथ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :

प्रेगनेंसी में थाइरोइड कितना होना चाहिए?

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH) का  स्तर 2.5 mIU/L, दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में 3.0 mIU/L से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं, पहली तिमाही में यह स्तर 0.1 mIU/L, दूसरी तिमाही में 0.2 mIU/L और तीसरी तिमाही में 0.3 mIU/L से कम नहीं होना चाहिए (2)।

अगर गर्भावस्था में थायराइड अधिक है, तो क्या करें?

प्रेगनेंसी में थायराइड अधिक होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और ऊपर बताए गए जरूरी इलाज करवाने चाहिए।

क्या गर्भावस्था के दौरान थायराइड बच्चे को प्रभावित करता है?

हां, गर्भावस्था के दौरान थायराइड बच्चे को प्रभावित कर सकता है। प्रेगनेंसी में थायराइड हार्मोन की अधिकता समय से पहले बच्चे का जन्म और जन्म के समय बच्चे के कम वजन का कारण बन सकती है। वहीं, प्रेगनेंसी में थायराइड की कमी जन्म के समय बच्चे के कम वजन के साथ भ्रूण की मृत्यु का कारण बन सकती है ।

क्या थायराइड में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?

डॉक्टर द्वारा थाइरोइड में प्रेग्नेंट होने का तरीका अपनाकर आप थाइरोइड में प्रेग्नेंट हो सकते हैं, लेकिन गर्भपात का खतरा बना रहता है। इसलिए, अनुपचारित थायराइड को इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का कारण भी माना जाता है (3)। इस विषय में सही जानकारी डॉक्टर से ली जा सकती है।

प्रेगनेंसी में थायराइड का बढ़ना सामान्य है?

हां, प्रेगनेंसी में थायराइड का बढ़ना सामान्य है। इसकी जानकारी हम ऊपर लेख में दे चुके हैं।

References

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  1. Thyroid Disease And Pregnancy
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK538485/
  2. Thyroid physiology and common diseases in pregnancy: review of literature
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3530964/
  3. Prevalence of hypothyroidism in infertile women and evaluation of response of treatment for hypothyroidism on infertility,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3657979/
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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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