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प्रेगनेंसी एक ऐसा दौर है, जिसमें सभी विटामिन की जरूरत होती है। इसी वजह से महिला को संतुलित आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी भी पोषक तत्व की कमी हो जाए, तो इसका सीधा असर गर्भावस्था पर पड़ सकता है। कुछ ऐसा ही विटामिन ई के साथ भी है। इस विटामिन का स्तर कम होना और ज्यादा होना दोनों ही परेशानी की सबब बन सकते हैं। ऐसे में आप मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं कि प्रेगनेंसी में विटामिन ई के फायदे और इसकी कमी के लक्षण क्या हैं। साथ ही यहां हमने विटामिन ई का लेवल बढ़ने से होने वाले नुकसान की भी जानकारी दी है।
आर्टिकल के शुरुआत में जानते हैं कि प्रेगनेंसी में विटामिन ई क्यों जरूरी है?
प्रेगनेंसी में विटामिन ई क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था में अन्य पोषक तत्वों की तरह ही विटामिन ई का भी विशेष महत्व है। विटामिन ई शरीर के चयापचय को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। यह एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है, जो फ्री रेडिकल्स को दूर करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसे शिशु के विकास में मददगार माना जाता है। आगे हम विस्तार से प्रेगनेंसी में विटामिन ई के फायदों के बारे में बताएंगे (1)।
गर्भावस्था में विटामिन ई के फायदे से पहले जानिए कि इस विटामिन को कब और कितना लिया जा सकता है।
प्रेगनेंसी में कब और कितनी मात्रा में विटामिन ई लेना चाहिए
प्रेगनेंसी में शुरुआत से ही शरीर के लिए रोजाना 22 से 30 मिलीग्राम तक विटामिन ई जरूरी होता है (2)। यह मात्रा उम्र और गर्भवती की शारीरिक अवस्था के हिसाब से ऊपर-नीचे हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर ही गर्भवती के लिए सटीक दैनिक खुराक निर्धारित कर सकते हैं।
मात्रा की जानकारी के बाद आगे हम विटामिन ई की कमी के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में विटामिन ई की कमी के संकेत | Pregnancy Mein Vitamin E Ki Kami
विटामिन ई की कमी होने पर प्रेगनेंसी में वही लक्षण दिखाई देते हैं, जो अन्य लोगों में नजर आते हैं। इन लक्षणों को हमने सामान्य और गंभीर दो हिस्सों में बांटा है। सबसे पहले कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में जानते हैं (3)।
- अटैक्सिया (Ataxia) यानी शरीर के ऊपर नियंत्रण नहीं होना
- ऊपर की ओर देखने में कठिनाई होना
- रात को थोड़ा कम दिखना
- कंपकंपी होना
- आंखों की समस्याएं जैसे पिगमेंटेड रेटिनोपैथी
- हाइपोर्फ्लेक्सिया यानी मांसपेशियां का संवेदनशील और कमजोर होना
इनके अलावा, विटामिन ई की कमी के कारण दिखने वाले गंभीर लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
- अंधापन या फिर कम दिखाई देना
- मनोभ्रंश (Dementia) मस्तिष्क रोग
- हृदय संबंधी परेशानी
विटामिन ई की कमी के लक्षण के बाद जानते हैं गर्भावस्था में विटामिन ई के फायदे क्या हैं।
प्रेगनेंसी में विटामिन ई के फायदे | Pregnancy Mein Vitamin E Ke Fayde
प्रेगनेंसी में विटामिन ई के कई फायदे हो सकते हैं। यहां हम आपको विस्तार से इनके बारे में बता रहे हैं।
1. प्री-एक्लेम्पसिया से बचाव में
प्री-एक्लेम्पसिया (Preeclampsia) उच्च रक्तचाप संबंधी गंभीर विकार है। इसमें मां के उच्च रक्तचाप के कारण भ्रूण को ब्लड कम सप्लाई होता है, जिससे उसे ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है (4)। इससे बचने में विटामिन ई मददगार साबित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य पदार्थ से मिलने वाला विटामिन ई प्री-एक्लेम्पसिया से बचाव कर सकता है (5)।
2. इम्यून सिस्टम में सुधार
खराब प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण संक्रमण और बीमारियों का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली का सही तरह से काम करना जरूरी होता है। इसमें भी विटामिन ई अहम भूमिका निभाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा कम हो सकता है (6)।
3. रक्त के थक्के बनने से रोकने में सहायक
विटामिन ई रक्त के थक्कों को बनने से रोक सकता है। शरीर में जब रक्त के थक्के बनने लगते हैं, तो उससे दिल का दौरा पड़ने और रक्तचाप की समस्या हो सकती है। ऐसे में इससे बचाव के लिए विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है (7)।
4. स्ट्रैच मार्क्स के लिए
गर्भावस्था में स्टैच मार्क्स होना आम बात है। महिलाएं इन्हें दूर करने के लिए कई उपाय करती हैं। इसमें आपकी मदद विटामिन ई कर सकता है। शोध में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेच मार्क्स के लिए विटामिन ई युक्त क्रीम को लगाना फायदेमंद हो सकता है (8)। इसी आधार पर विटामिन-ई को स्ट्रैच मार्क्स कम करने के लिए उपयोगी माना जा सकता है।
5. गर्भपात के जोखिम को दूर करे
गर्भावस्था में विटामिन ई की कमी होने से महिलाओं में गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है (1)। ऐसे में माना जाता है कि अगर गर्भवती विटामिन ई युक्त आहार का सेवन करे, तो इस जोखिम से बचाव हो सकता है।
6. आंखों की समस्या के लिए
विटामिन ई आंखों की समस्या को दूर करने में भी मददगार हो सकता है। शोध के अनुसार, विटामिन ई आंखों की बीमारियों, जैसे नजरों का कमजोर होना और मोतियाबिंद में फायदेमंद हो सकता है (7)। इस फायदे के लिए गर्भवती को विटामिन ई से भरपूर आहार को अपनी डाइट में शामिल करना होगा।
फायदों के बाद जानते हैं कि यदि विटामिन ई की मात्रा ज्यादा हो जाए, तो क्या दुष्प्रभाव होते हैं।
प्रेगनेंसी में अधिक मात्रा में विटामिन ‘ई’ लेने के नुकसान
सही मात्रा में विटामिन ई लेने से फायदे तो होते ही हैं, लेकिन इसकी खुराक ज्यादा होने पर कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। विटामिन ई की खुराक का अधिक सेवन करने से जन्म दोष की संभावना बढ़ सकती है (9)। इसके अलावा, अन्य नुकसान कुछ इस प्रकार हैं (2) (5) (10)।
- बच्चे का वजन कम होना
- थकान
- कमजोरी
- रक्त जमने के समय में बदलाव
- प्रतिरक्षा का कम होना
- डर्मेटाइटिस (त्वचा पर लाल चकत्ते)
- थायराइड का प्रभावित होना
- मतली
- दस्त
- पेट में ऐंठन (पेट में दर्द और बाद में प्रसव पीड़ा)
- सिरदर्द
- आंखों का धुंधलापन
- नील पड़ना
- रक्तस्राव
विटामिन ई के नुकसान के बाद जानते हैं कि इसकी कमी होने पर बच्चे पर क्या असर हो सकता है।
प्रेगनेंसी में विटामिन ‘ई’ की कमी का बच्चे पर क्या प्रभाव होता है
प्रेगनेंसी में विटामिन ई की कमी से बच्चे और मां दोनों को ही दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं कि विटामिन ई की कमी से बच्चे पर क्या असर हो सकता है (11) (12)।
- विटामिन ई की कमी के कारण बच्चे में एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- बच्चे के शरीर में विटामिन ई की कमी से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- विटामिन ई की कमी से भ्रूण का विकास बाधित हो सकता है।
- विटामिन ई की कमी से बच्चों में रक्त का संक्रमण होने का खतरा हो सकता है, जिसे सेप्सिस की समस्या कहा जाता है।
- अगर बच्चों में विटामिन ई की कमी होती है, तो यह रेटिना से रक्तस्राव का कारण भी बन सकता है जिसे रेटिनल हेमरेज (Retinal hemorrhage) कहा जाता है।
- मां के द्वारा कम मात्रा में विटामिन ई का सेवन करने से बच्चा का बर्थवेट कम हो सकता है।
विटामिन ई की कमी का बच्चे पर होने वाले प्रभाव के बाद जानते हैं विटामिन के स्रोत क्या-क्या हैं।
विटामिन ‘ई’ से भरपूर खाद्य पदार्थ कौन-कौन से हैं? | Vitamin E Kisme Paya Jata Hai
गर्भावस्था में विटामिन ई के सही स्तर को बनाए रखने के कई प्राकृतिक स्रोत मौजूद हैं। नीचे हम आपको विटामिन ई से भरपूर इन्हीं खाद्य पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं (11) (13)।
- गेहूं, चावल की भूसी (राइस ब्रेन), जौ, ओट्स और नारियल में विटामिन ई होता है।
- विटामिन ई के स्रोतों में राई, पारिजात, मकई, अखरोट, खसखस भी शामिल हैं।
- पाम ऑयल, वनस्पति तेल यानी वेजिटेबल ऑयल, कॉर्न ऑयल और सोयाबीन के तेल में भी विटामिन ई पाया जाता है।
- गेहूं के बीज, खजूर, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली, हेजलनट्स और बादाम भी विटामिन ई से भरपूर होते हैं।
- अंगूर और कद्दू के बीज भी विटामिन के स्रोतों में शामिल हैं।
- पालक और ब्रोकोली जैसी हरी सब्जियां में भी विटामिन ई पाया जाता है।
आर्टिकल में आगे हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था में विटामिन ई सप्लीमेंट ले सकते हैं या नहीं।
क्या प्रेगनेंसी में विटामिन ई के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं
गर्भावस्था में विटामिन ई के सप्लीमेंट लेने की सलाह नहीं दी जाती है। खाद्य पदार्थों से ही महिला को पर्याप्त विटामिन ई मिल सकता है। हां, अगर किसी महिला के शरीर में विटामिन ई का लेवल काफी कम है, तो डॉक्टर की सलाह पर गर्भवती इसका सप्लीमेंट ले सकती है (4)।
लेख को पढ़ने के बाद आप जान ही गए होंगे कि विटामिन ई गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए कितना जरूरी पोषक तत्व है। इसी वजह से गर्भावस्था में संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी न्यूट्रिएंट की महिला को कमी न हो। बस विटामिन ई के फायदे जानकर इसका सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। इस पोषक तत्व की पूर्ति करने का सबसे बेहतर तरीका खाद्य पदार्थ ही है।
References
2. Pregnancy outcome following high doses of Vitamin E supplementation By PubMed
3. Vitamin E Deficiency By NCBI
4. Preeclampsia and Eclampsia By NIH
5. Vitamin E supplementation in pregnancy By WHO
6. The Role of Vitamin E in Immunity By NCBI
7. Vitamin E By NIH
8. Use of a specific anti-stretch mark cream for preventing or reducing the severity of striae gravidarum. Randomized, double-blind, controlled trial By PubMed
9. Maternal intake of vitamin E and birth defects, National Birth Defects Prevention Study, 1997–2005 By NCBI
10. Vitamin E in dermatology By NCBI
11. Vitamin E as an Antioxidant in Female Reproductive Health By NCBI
12. Effects of Vitamin E in Neonates and Young Infants By IJP
13. Vitamin E By NIH
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