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किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था संवेदनशील समय होता है। इस दौरान प्रत्येक गर्भवती कई तरह के शारीरिक समस्याओं और जटिलताओं का सामना करती है। यही वजह है कि डॉक्टर प्रेगनेंसी में खासतौर पर संतुलित और पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं। वहीं, कभी-कभी प्रेगनेंसी से जुड़ी विषम परिस्थितियों में डॉक्टर कुछ खास दवाओं या इंजेक्शन को लेने की सलाह दे सकते हैं। इन्हीं दवाओं में बेटनेसोल का नाम भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल डॉक्टर प्रेगनेंसी से जुड़ी जटिलताओं के दौरान करते हैं। मुमकिन है, बहुत कम ही लोग इस दवा के नाम और इसके उपयोग से परिचित होंगे। ऐसे में मॉमजंक्शन का यह लेख बेटनेसोल क्या है और इसे क्यों उपयोग किया जाता है? यह समझाने में मदद करेगा।
आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर यह बेटनेसोल क्या है।
बेटनेसोल क्या है?
बेटनेसोल एक कृत्रिम ग्लूकोकॉर्टिकॉइड (glucocorticoid) यानी कोर्टिकोस्टेरॉयड (corticosteroid) है। इसे बीटामेथासोन सोडियम फास्फेट के नाम से भी जाना जाता है। इसे आमतौर पर उपापचय, सूजन और प्रतिरोधक क्षमता की सक्रियता के कारण होने वाली समस्या के लिए उपयोग में लाया जाता है (1)। वहीं, गर्भावस्था में डॉक्टर इसे समय पूर्व प्रसव की स्थिति का अनुमान लगने या फिर रिस्क होने पर लगाते हैं, जैसे ट्विन प्रेगनेंसी, शार्ट सर्विक्स, मेम्ब्रेन रप्चर( PROM) (2)। अब इसके उपयोग का सही समय क्या है और इसे क्यों उपयोग में लाया जाता है? इस बारे में हम लेख में आगे बता रहे हैं। वहीं, इस बात का पूरा ध्यान रखें कि इसे अपनी मर्जी से बिल्कुल न लें। इसका उपयोग सिर्फ डॉक्टर के द्वारा ही किया जा सकता है।
बेटनेसोल इंजेक्शन गर्भावस्था के दौरान कितना सुरक्षित है? जानिए नीचे।
क्या प्रेगनेंसी में बेटनेसोल/बीटामेथासोन इंजेक्शन लगवाना सुरक्षित है?
विशेषज्ञों के मुताबिक समय पूर्व जन्म की आशंका होने की स्थिति में बीटामेथासोन के इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। इसके लिए 24 घंटे के अंतराल पर इस दवा के दो इंजेक्शन इस्तेमाल में लाए जाते हैं, ताकि होने वाले बच्चे को संभावित जोखिमों से बचाने में मदद मिल सके (2)। वहीं, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बीटामेथासोन एक कोर्टिकोस्टेरॉयड है और एनसीबीआई के एक शोध में इस बात को माना गया है कि कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन की एक डोज गर्भावस्था में महिला या होने वाले बच्चे पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती है (3)। इस आधार पर इसे गर्भावस्था में सुरक्षित माना जा सकता है, बशर्ते इसे डॉक्टर की सलाह पर और डॉक्टर की निगरानी में ही लिया जाए।
बेटनेसोल इंजेक्शन की सही खुराक जानने के लिए स्क्रॉल करें।
गर्भवती होने पर बेटनेसोल इंजेक्शन की सही खुराक
समय पूर्व प्रसव की स्थिति में होने वाले बच्चे में जोखिमों की आशंका को कम करने के उद्देश्य से डॉक्टर करीब 12 मिलीग्राम बेटनेसोल के दो इंजेक्शन एक आदर्श खुराक के रूप में इस्तेमाल में ला सकते हैं (2)। हालांकि, गर्भवती की शारीरिक स्थिति के आधार पर इस खुराक में डॉक्टर अपने हिसाब से परिवर्तन भी कर सकते हैं।
लेख के अगले भाग में अब हम जानेंगे कि बेटनेसोल को कैसे दिया जाता है?
बेटनेसोल कैसे दिया जाता है?
लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि समय पूर्व प्रसव की स्थिति में डॉक्टर बेटनेसोल के इंजेक्शन दे सकते हैं (2)। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि गर्भावस्था में इसे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जा सकता है। वहीं, सामान्य उपयोग की बात करें, तो त्वचा से संबंधित लाली, जलन, चुभन, सूजन और खुजली की स्थिति में इसे क्रीम, लोशन, स्प्रे या जेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है (4)।
लेख में आगे गर्भावस्था में बेटनेसोल इंजेक्शन के उपयोग से जुड़ी जानकारी दी गई है।
प्रेगनेंसी में बेटनेसोल इंजेक्शन कब लगाया जाता है? | Betnesol Injection Uses In Pregnancy In Hindi
विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान 24वें सप्ताह से 34वें सप्ताह के मध्य बेटनेसोल इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है, ताकि समय पूर्व प्रसव के कारण बच्चे में होने वाले जोखिम को कम किया जा सके (2)।
लेख के अगले भाग में अब हम जानने का प्रयास करेंगे कि गर्भावस्था में बेटनेसोल का सुझाव क्यों दिया जाता है।
गर्भावस्था में बेटनेसोल का सुझाव क्यों दिया जाता है?
लेख में हम पहले ही बता चुके हैं कि समय पूर्व प्रसव के कारण होने वाले संभावित नुकसानों से बच्चे को बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल यानी कोर्टिकोस्टेरॉयड का सुझाव दिया जा सकता है। गर्भावस्था में कोर्टिकोस्टेरॉयड लेने के फायदे कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3) :
- समय पूर्व प्रसव के कारण बच्चे के जन्म के बाद उसकी मृत्यु होने की आशंका को कम करने में यह मदद कर सकता है।
- समय पूर्व जन्म के कारण कुछ बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है (रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम)। यह दवा इस समस्या को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकती है।
- समय पूर्व प्रसव के कारण कुछ बच्चों को दिमाग में रक्त स्त्राव की समस्या हो सकती है। ऐसे में बेटनेसोल का उपयोग इस समस्या के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- समय पूर्व प्रसव के कारण कुछ बच्चों में नेक्रोटाइजिंग इंटरकोलाइटिस (necrotizing enterocolitis) जैसी आंत से संबंधित समस्या हो सकती है। इस समस्या में छोटी और बड़ी आंत की अंदरूनी परत अपने आप ही नष्ट होने लगती है। गर्भावस्था में बेटनेसोल का उपयोग इस समस्या के होने की आशंका को भी कुछ हद तक कम कर सकता है।
अंत में जानिए गर्भावस्था में बेटनेसोल इंजेक्शन से जुड़े दुष्प्रभाव।
गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं? | Side Effects Of Betnesol Injection In Pregnancy In Hindi
जैसा कि लेख में ऊपर बताया जा चुका है कि गर्भावस्था में इस इंजेक्शन की एक डोज महिला या होने वाले बच्चे पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती है (3)। वहीं, समय पूर्व प्रसव की स्थिति में 24 घंटे के अंतराल पर इसकी केवल दो ही डोज दी जाती हैं (2)। इसलिए, सामान्य रूप से गर्भावस्था में इसके इस्तेमाल के कोई भी ज्ञात दुष्परिणाम नहीं हैं। हां, कुछ विशेष स्थितियों या अधिक डोज का इस्तेमाल करने पर निम्न दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं :
- डायबिटिक गर्भवती महिलाओं में स्टेरॉयड से ब्लड शुगर बढ़ सकता है (5)। इसलिए, अगर कोई गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित है, तो उसे डॉक्टर से इस बारे में जरूर बताना चाहिए, ताकि डॉक्टर समस्या का उपचार ठीक तरह से कर पाएं।
- यह दवा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकती है (1)। इसलिए, इसके अधिक मात्रा में उपयोग से गर्भवती महिला में इन्फेक्शन होने की आशंका अधिक हो सकती है।
- इसकी अधिक डोज महिला की मानसिक और व्यावहारिक स्थिति को बिगाड़ने का काम कर सकती है। इस कारण साइकोसिस (वास्तविकता से नाता टूटना) की स्थिति पनप सकती है (6)।
- इसकी अधिक मात्रा के कारण बच्चे के विकास, प्रतिक्रिया और हृदय गति में कमी देखने को मिल सकती है (7)।
अब तो आपको यह अच्छी तरह समझ में आ गया होगा कि बेटनेसोल कोई ऐसी दवा नहीं है, जिसे कभी भी लिया जा सकता हो। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह एक प्रकार का स्टेरॉयड है, जिसे डॉक्टर केवल समय पूर्व प्रसव जैसी विषम परिस्थिति में ही देने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। इसलिए, बिना डॉक्टर की सलाह के इस इंजेक्शन का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी गलत मात्रा कई दुष्परिणाम प्रदर्शित कर सकती है, जो मां के साथ-साथ होने वाले बच्चे को भी प्रभावित कर सकती है। उम्मीद है कि स्वस्थ गर्भावस्था को बनाए रखने में यह लेख काफी हद तक उपयोगी साबित होगा। गर्भावस्था से जुड़ी ऐसे ही और जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Betamethasone sodium phosphate By Ncbi
2. Betamethasone Dosing Interval – 12 or 24 Hours? By Clinicaltrials
3. Pregnancy and birth: Before preterm birth: What do steroids do? By Ncbi
4. Betamethasone Topical By Medlineplus
5. Impact of Antenatal Betamethasone on Plasma Glucose Levels By Clinicaltrials
6. Basic and Clinical Pharmacology of Glucocorticosteroids By Ncbi
7. Full-term-pregnancy effects of antenatal betamethasone administration on short-term variation as assessed by computerized cardiotocography By Ncbi
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