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गर्भावस्था में कई बार छोटी-मोटी शारीरिक परेशानियों से दो-चार होना ही पड़ता है। इनमें से कुछ समस्याएं गर्भावस्था में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने के कारण हो सकती हैं। एक्जिमा होना भी इसी में शामिल है। एक्जिमा त्वचा से जुड़ी एक समस्या है, जिसके बारे में आप इस लेख में विस्तार से पढ़ सकेंगे। साथ ही गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के कारण और इसके इलाज की जानकारी भी आप मॉमजंक्शन के इस लेख में पढ़ेंगे। गर्भावस्था में एक्जिमा से होने वाला शिशु प्रभावित होता है या नहीं, जानने के लिए लेख के अंत तक बने रहें हमारे साथ।

सबसे पहले हम बता रहे हैं गर्भवती महिलाओं में एक्जिमा क्या है।

एक्जिमा क्या है?

एक्जिमा एक तरह का त्वचा संबंधी चर्म रोग है। इसे डर्मेटाइटिस यानी त्वचा की सूजन भी कहा जाता है। इसकी समस्या होने पर त्वचा में रूखापन व सूजन के साथ ही खुजली की समस्या हो सकती है। आमतौर पर एक्जिमा का असर चेहरे, कोहनी के अंदर, घुटनों के पीछे, हाथों व पैरों पर होता है। इसमें त्वचा पर लाल चकत्ते जैसे निशान दिखाई देते हैं, जो किसी खरोंच के निशान जैसे हो सकते हैं। यह समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है। अगर उचित समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति बिगड़ भी सकती है (1)

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के कारण जानने से पहले पढ़ें एक्जिमा के प्रकार।

एक्जिमा के प्रकार

एक्जिमा के प्रकारों को उसके प्रभाव के अनुसार बांटा गया है, जिनकी पहचान हम नीचे बता रहे हैं।

1. एटोपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) : यह एक्जिमा का सबसे आम प्रकार है। इससे बड़े और बच्चे दोनों प्रभावित हो सकते हैं। आमतौर पर यह समय के साथ अपने आप ठीक हो सकती है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसकी समस्या बढ़ सकती है। इसके कारण त्वचा में रूखापन और जलन हो सकती है (1)। इस समस्या के चलते मरीज को अस्थमा भी हो सकता है (2)

2. कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Contact Dermatitis) : यह भी एक प्रकार का एक्जिमा है, जिसकी समस्या डिटर्जेंट और एसिड के प्रभाव में आने से हो सकती है। इसे इरिटेंट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस और एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस में बांटा गया है, जिनकी पहचान निम्न है (3)

  • इरिटेंट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Irritant Contact Dermatitis) : कुछ तरह के केमिकल त्वचा की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो सूजन की समस्या को बढ़ा सकते हैं। इस वजह से एक्जिमा के इस प्रकार का जोखिम बढ़ सकता है।
  • एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Allergic Contact Dermatitis) : एक्जिमा का यह प्रकार रासायनिक चीजों से एलर्जी होने के कारण होता है। यह त्वचा में सूजन की समस्या बढ़ा सकता है (4)

3. स्टैसिस डर्मेटाइटिस (Stasis Dermatitis) : शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से न होने के कारण इस तरह का एक्जिमा हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या पैरों के निचले हिस्से में होती है। इसके कारण पैरों में दर्द और सूजन हो सकती है। साथ ही प्रभावित त्वचा का रंग भी भूरा हो सकता है (5)

4. डिशिड्रोटिक या डिहाइड्रोसिस एक्जिमा (Dyshidrotic Eczema) : इस प्रकार के एक्जिमा में आमतौर पर हाथ व पैरों की त्वचा प्रभावित होती है और धीरे-धीरे यह चेहरे तक भी फैल सकता है (6)

5. नुम्मूलर एक्जिमा (Nummular Eczema) : नुम्मूलर एक्जिमा अक्सर गले के आस-पास हो सकता है, जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। इस तरह के एक्जिमा के प्रकार में त्वचा में खुजली और घाव हो सकते हैं (7)

6. सेबोरिक डर्मेटाइटिस (Seborrheic Dermatitis) : सेबोरिक डर्मेटाइटिस सिर की त्वचा यानी स्कैल्प के साथ ही चेहरे, आंखों की पलकों, कान, छाती और पीठ पर भी हो सकता है। इसका मुख्य कारण बालों से झड़ने वाली रूसी को माना जा सकता है (8)

7. एस्टीटोटिक एक्जिमा (Asteatotic Eczema) : यह समस्या त्वचा की नमी प्रभावित होने के कारण होती है। आमतौर पर सर्दियों में उम्रदराज लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसे जेरोसिस (Xerosis) भी कहा जाता है। इसके कारण त्वचा में सूजन के साथ ही रूखी, सूखी और फटी होने की भी समस्या हो सकती है। जैसे-जैसे यह गंभीर होती जाती है, त्वचा में दरारें बढ़ने लग सकती हैं (9)

8. चर्मरोग या स्केबीज (Scabies) : बहुत ज्यादा खुजली करने से त्वचा में संक्रमण हो सकता है, जो पूरे शरीर में फैल सकता है (10)। कुछ स्थितियों में लगातार खुजली करने से दाद की समस्या भी हो सकती है (11)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि दाद एक्जिमा का प्रकार नहीं है, इसलिए दाद और एक्जिमा को एक न समझें।

9. हाथ में एक्जिमा (Hand Eczema) : एक्जिमा का यह प्रकार मुख्य रूप से हाथों में होता है। ऐसे लोग जो साफ-सफाई, सैलून या केमिकल से जुड़े कामकाज करते हैं, उनमें इसका जोखिम अधिक हो सकता है (12)

10. न्यूरोडर्माेटाइटिस (Neurodermatitis) : इसकी समस्या होने पर त्वचा मोटी और पैचदार हो सकती है (13)

अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी में एक्जिमा होने का खतरा कब और किसे हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने का खतरा किसे अधिक होता है?

अगर किसी महिला को पहले कभी एक्जिमा की समस्या रही हो, तो प्रेगनेंसी के दौरान उसे फिर से एक्जिमा होने का खतरा हो सकता है। इसकी पुष्टि एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर जारी आंकड़ों से की जा सकती है। इस रिसर्च पेपर में बताया गया है कि गर्भधारण करने के बाद शुरुआती दो तिमाही में एक्जिमा होने का खतरा अधिक हो सकता है। लगभग एक तिहाई महिलाओं में गर्भवती होने के बाद पहली बार एक्जिमा के लक्षण देखे गए। वहीं, 20-40 फीसदी ऐसी गर्भवती महिलाएं भी थीं, जिनमें गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान भी एक्जिमा की समस्या हुई थी (14)

क्या गर्भावस्था में एक्जिमा का असर बच्चे पर पड़ सकता है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

क्या गर्भावस्था में एक्जिमा से बच्चे पर कोई प्रभाव पड़ता है?

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा आमतौर पर मां या बच्चे के लिए खतरनाक नहीं होता है। दरअसल, एक्जिमा की समस्या गर्भ में पल रहे शिशु तक नहीं पहुंच सकती है, इसलिए एक्जिमा सीधे तौर पर बच्चे को प्रभावित नहीं कर सकता है। हां, अगर मां को लंबे समय तक एक्जिमा रहता है, तो यह समस्या अधिक बढ़ सकती है।

आंकड़ों के अनुसार, लगभग 25 से 50 फीसदी मामलों में गर्भवास्था में एक्जिमा की समस्या कम हो सकती है। सिर्फ 10 फीसदी मामलों में ही इसकी समस्या गंभीर हो सकती है, जो गर्भावस्था के आखिरी चरण और प्रसव बाद भी बनी रह सकती है। इसके अलावा, कुछ मामलों में एक्जिमा की समस्या प्रेगनेंसी में अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा सकती है (14)

आइए, अब गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के कारण भी जान लेते हैं।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के कारण

गर्भावस्था के दौरान एक्जिना होने के कारण कई हो सकते हैं, जिनके बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं (15):

  • सूजन से : शरीर में सूजन के कारण त्वचा की बाहरी परत को नुकसान हो सकता है, जो एक्जिमा का कारण बन सकता है।
  • जीन में परिवर्तन से : जीन में परिवर्तन होने से भी एक्जिमा होने का खतरा बढ़ा सकता है।
  • त्वचा की नमी कम होने से : त्वचा की नमी कम होने से त्वचा पर संक्रमण होने का जोखिम बढ़ सकता है।
  • मौसम बदलने से : तापमान बढ़ने से त्वचा रूखी हो सकती है। इसलिए, मौसम में बदलाव होने से भी एक्जिमा का जोखिम हो सकता है।
  • त्वचा में जलन : गंदे कपड़े, साबुन या अन्य केमिकल युक्त वस्तुओं का इस्तेमाल करने से त्वचा में जलन हो सकती है, जो एक्जिमा का कारण बन सकता है।
  • एलर्जी होने से : पशुओं, धूल या कई तरह के खाद्य पदार्थों से भी एलर्जी हो सकती है, जो एक्जिमा का कारण बन सकते हैं।
  • कमजोर इम्युनिटी : गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं की इम्यूनिटी प्रभावित हो सकती है, जिससे सूजन जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है (16)। यही वजह है कि गर्भावस्था के दौरान कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी एक्जिमा का कारण हो सकता है।
  • आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक : इन दो कारकों के चलते भी एक्जिमा की समस्या हो सकती हैं (1)

आगे पढ़ें गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के लक्षण क्या-क्या हैं।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने के लक्षण

गर्भवती महिलाओं में एक्जिमा के लक्षण और संकेत निम्नलिखित हो सकते हैं (15) (17) :

  • त्वचा या शरीर में तेज खुजली होना।
  • त्वचा में खरोंच जैसे लाल निशान दिखाई देना।
  • चकत्ते होना।
  • फफोले होना, जिनके फूटने पर तरल पदार्थ बहना।
  • त्वचा का शुष्क होना।
  • कोहनी और घुटनों के पीछे की त्वचा का लाल और पपड़ीदार होना।
  • त्वचा पर घाव होना।

गर्भवती महिलाओं में एक्जिमा का पता कैसे लगाया जाता है, जानने के लिए स्क्रॉल करें।

प्रेगनेंसी के दौरान एक्जिमा का निदान

प्रेगनेंसी में एक्जिना की जांच के लिए स्वास्थ्य विषेशज्ञ निम्नलिखित प्रक्रियाएं अपना सकते हैं (15) :

  • शारीरिक परीक्षण : एक्जिमा की जांच शारीरिक परीक्षण के जरिए की जा सकती है। इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ त्वचा की स्थिति और लक्षणों की जांच कर सकते हैं। साथ ही एक्जिमा की समस्या कब से है और इसके कारण शरीर में हो रही स्थितियों के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।
  • एलर्जिक टेस्ट : एक्जिमा की जांच करने के लिए एलर्जिक टेस्ट भी किया जा सकता है। इसके लिए ब्लड टेस्ट या स्किन प्रिक टेस्ट यानी स्किन बायोप्सी की जा सकती है। इससे शरीर में एलर्जी के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
  • खानपान की आदत : कुछ मामलों में स्वास्थ्य विशेषज्ञ आहार संबंधी आदतों और खाद्य पदार्थों की भी जानकारी ले सकते हैं, क्योंकि कुछ तरह के खाद्य भी एलर्जी का जोखिम बढ़ा सकते हैं, जो एक्जिमा का कारण बन सकते हैं।

प्रेगनेंसी में एक्जिमा उससे जुड़े उपचार के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा का ट्रीटमेंट

इसका उपचार लक्षणों व स्थिति पर निर्भर करता है। इस दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ दवाओं के साथ ही थेरेपी की मदद ले सकते हैं, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

1. त्वचा की देखभाल करना : सही तरीके से त्वचा की देखभाल करके एक्जिमा का उपचार किया जा सकता है। अगर एक्जिमा की स्थिति सामान्य से मध्यम है, तो त्वचा को शुष्क होने से बचाकर एक्जिमा का उपचार किया जा सकता है।

2. एक्जिमा के लिए दवाइयां : गर्भवती महिलाओं में एक्जिमा का उपचार करने के लिए डॉक्टर कुछ क्रीम के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है। ध्यान रहे कि इन क्रीम का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर से पूछकर ही किया जाना चाहिए (18) :

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स क्रीम (Corticosteroids) : इस क्रीम के इस्तेमास से त्वचा में आई सूजन को कम किया जा सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में एक्जिमा का उपचार करने के लिए त्वचा पर इस क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। एनसीबीआई के अनुसार गर्भावती महिलाओं के लिए यह क्रीम प्रभावकारी और सुरक्षित दोंनों ही हो सकती है (19)। ध्यान रखें कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स क्रीम के किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को अधिक मात्रा में इस क्रीम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए (20)

टैक्रोलीमस क्रीम (Tacrolimus) : ये नॉम-स्टेरॉयड क्रीम होते हैं, जिनके इस्तेमाल से एक्जिमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान इस क्रीम का इस्तेमाल करना भी सुरक्षित पाया गया है। इसलिए, डॉक्टरी सलाह पर गर्भवती महिलाएं एक्जिमा के उपचार के लिए प्रभावित त्वचा पर यह क्रीम लगा सकती हैं (21)

डुपीलुमब दवाएं (Dupilumab) : इस तरह की दवाएं भी एक्जिमा के उपचार में मदद कर सकती हैं।

नोट : एक्जिमा की स्थिति गंभीर होने पर ही डॉक्टर इन स्टेरॉयड युक्त लोशन या क्रीम की सिफारिश कर सकते हैं। इसलिए, गर्भावस्था में स्टेरॉयड का उपयोग करना कितना सुरक्षित हो सकता है, इस बारे में डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

3. वेट रैप ट्रीटमेंट (Wet Wrap Therapy) : यह एक तरह की ड्रेसिंग थेरेपी है। इसमें प्रभावित त्वचा पर मलहम और पट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। यह त्वचा के रिहाइड्रेशन यानी उसकी नमी को बनाए रखने और संक्रमण को फैलने से रोकने में प्रभावकारी हो सकती है (20) (22)

4. तनाव कम करना : मानसिक तनाव भी एक्जिमा का जोखिम बढ़ा सकता है, इसलिए तनाव कम करके भी इसके उपचार में मदद मिल सकती है (18)

5. साफ-सफाई रखना : शरीर की उचित साफ-सफाई का ध्यान रखकर भी त्वचा के संक्रमण को फैलने और पनपने से रोका जा सकता है। साथ ही कॉटन के हवादार कपड़े पहनें, ताकि शरीर का पसीना सूखता रहे (18)। ऐसा करने से भी एक्जिमा के जोखिम को कम किया जा सकता है, जिससे इसके उपचार में भी मदद मिल सकती है।

अब पढ़ें गर्भवती महिलाओं में एक्जिमा के लिए घरेलू उपाय की जानकारी।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा के घरेलू उपचार

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा का उपचार घरेलू तरीके से भी कर सकते हैं। ये घरेलू उपाय त्वचा की नमी को बनाए रखने के साथ ही, खुजली, लालिमा और सूजन कम करने में प्रभावकारी हो सकते हैं। ध्यान रखें कि यहां बताए गए घरेलू उपाय एक्जिमा के लक्षणों को कुछ तक कम करने और रोकने में मदद कर सकते हैं। इन्हें इसका पूर्ण इलाज न समझें।

1. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें : एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध रिसर्च के अनुसार, प्रोबायोटिक बैक्टीरिया यानी गुड बैक्टीरिया युक्त आहार खाने से एक्जिमा के रोकथाम में मदद मिल सकती है (15)। वहीं, गर्भावस्था में प्रोबायोटिक्स के रूप में दही खाना सुरक्षित माना गया है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं एक्जिमा से बचाव करने और गुड बैक्टीरिया को बढ़ाने के लिए अपने आहर में प्रोबायोटिक्स शामिल कर सकती हैं। ध्यान रखें कि इस दौरान आहार में दिनभर में 300 ग्राम तक की मात्रा में ही दही को शामिल करें (23)

2. गुनगुने पानी से नहाना : नहाने से त्वचा की नमी बनी रह सकती है। हालांकि, गर्म पानी में नहाने से त्वचा में खुजली और जलन की समस्या बढ़ सकती है। इसके बजाय गुनगुने पानी से स्नान करें। साथ ही नहाने में 5 या 10 मिनट से अधिक समय न लगाएं (22)। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में गुनगुने पानी से ही नहाना चाहिए। इस संबंध में एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, 40 डिग्री सेल्सियस तापमान तक के गर्म पानी में नहाना गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जा सकता है (24)

3. मॉइश्चराइजर लगाएं : नहाने के बाद त्वचा की नीम बनी रहे, इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाला मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें। यह त्वचा की नमी को लॉक करने में मदद कर सकता है (22)। बता दें कि गर्भवती महिलाएं के लिए मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना सुरक्षित हो सकता है। हालांकि, इस दौरान अच्छी गुणवत्ता और बिना किसी सुंगध वाले साधारण मॉइश्चराइजर का ही इस्तेमाल करना चाहिए (25)। अगर किसी कोई गर्भवती महिला किसी खास तरह के मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो वो इसके लिए डॉक्टरी सलाह ले सकती हैं।

4. लो पीएच प्रोड्क्ट : हमेशा कम पीएच वाले और बिना किसी सुंगध वाले नहाने के साबुन या फेसवॉश का इस्तेमाल करें, क्योंकि अधिक पीएच वाले साबुन का इस्तेमाल करने से त्वचा रूखी हो सकती है, जो एक्जिमा की समस्या बढ़ा सकती है (22)। दरअसल, लो पीएच युक्त स्किन कॉस्मेटिक प्रोड्क्ट, जैसे – साबुन, क्लींजर या जेल कम एलर्जी वाले हो सकते हैं। साथ ही इनमें किसी भी तरह की सुगंध कम होती है। वहीं, अधिक पीएच उत्पाद में स्किन एलर्जी बढ़ाने वाले कुछ तत्व (Surfactant) मौजूद हो सकते हैं, जिससे त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है (20)। इस आधार पर गर्भावस्था की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए महिलाएओं का लो पीएच प्रोड्क्ट का चयन करना अधिक सुरक्षित और लाभकारी माना जा सकता है।

5. स्टेरॉयड क्रीम लगाएं : एक्जिमा से प्रभावित क्षेत्र को नहाने या पानी से धोने के बाद तौलिये से सुखा लें। इसके बाद प्रभावित स्थान पर स्टेरॉयड और एंटीथिस्टेमाइंस क्रीम व लोशन लगाएं। दिन में दो से तीन बार इनका इस्तेमाल किया जा सकता है (22)। गर्भावस्था के दौरान स्टेरॉयड क्रीम का इस्तेनाल करना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए (19)। इसलिए, दिनभर में कितनी बार और कितनी माना में इस तरह की क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए, इस बारे में गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की उचित सलाह ले सकती हैं।

6. विटामिन-डी : विटामिन-डी की कमी से एक्जिमा का जोखिम बढ़ा सकता है (18)। इसलिए, विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों, जैसे – वसा युक्त मछली, चीज़, दूध, मशरूम, अंडा, दही, संतरे का रस और सोया उत्पाद आदि का सेवन करें (26)

7. विटामिन-सी : विटामिन-सी त्वचा की कोशिकाओं के विकास में मदद कर सकता है, जो एक्जिमा जैसे त्वचा संबंधी परेशानियां दूर कर सकता है (27)। इसलिए, घरेलू तौर पर एक्जिमा का उपचार करने के लिए गर्भवती अपने आहार में विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ शामिल कर सकती हैं। इसके लिए आहार में संतरा, चकोतरा, कीवी, ब्रोकली, टमाटर, पालक और मटर जैसे खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं (28)

8. विटामिन-ई : विटामिन-ई त्वचा की नमी को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे एक्जिमा की समस्या का उपचार करने में मदद मिल सकती है (29)विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ के तौर पर बादाम, पालक, ब्रोकली, कीवी, आम, टमाटर व हेजलनट आदि का सेवन किया जा सकता है (30)

9. ओमेगा-3 : एक्जिमा का घरेलू उपचार करने के लिए गर्भवती महिलाएं अपने आहार में ओमेगा-3 युक्त आहार जैसे मछली और मछली का तेल भी शामिल कर सकती हैं। दरअसल, ओमेगा-3 का सेवन करने से शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित बनाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही, इनमें सूजन कम करने वाले इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी होता है, जो एक्जिमा के उपचार में मदद कर सकता है (31)

वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए आहार में ओमेगी-3 युक्त खाद्य पदार्थ या मछली शामिल करना सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है (32)

10. एलोवेरा : एलोवेरा जेल एटोपिक डर्मेटाइटिस के उपचार में मदद कर सकता है। यह त्वचा को न सिर्फ ठंडक प्रदान करता है, बल्कि खुजली से राहत दिलाने और त्वचा की क्षति को ठीक करने में भी मदद कर सकता है (33)। एक शोध के मुताबिक, गर्भावस्था में एलोवेरो जेल लगाना न सिर्फ सुरक्षित हो सकता है, बल्कि यह प्रभावकारी भी हो सकता है। एलोवेरो जेल त्वचा से जुड़ी समस्या मेलाजमा के उपचार में भी मदद कर सकता है (34)

11. नारियल का तेल : गर्भावस्था में नारियल के तेल के इस्तेमाल से भी एक्जिमा के उपचार में मदद मिल सकती है। प्राकृतिक रूप से इस तेल में एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा संबंधी बीमारियां दूर करने और बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं (35)। वहीं, एक शोध में इसका जिक्र मिलता है कि गर्भावस्था में नारियल तेल का इस्तेमाल करना सुरक्षित और किफायती भी हो सकता है। इसके इस्तेमाल से गर्भावस्था में एक्जिमा के घरेलू उपचार में मदद मिल सकती है (36)

13. ह्यूमिडी फायर लगाएं : एनसीबीआई की साइट पर मौजूद एक अध्ययन के अनुसार, सर्दियों के मौसम में एक्जिमा की समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए ह्यूमिडी फायर का इस्तेमाल किया जा सकता है (37)। ह्यूमिडी फायर कमरे की नमी को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे एक्जिमा के उपचार में भी मदद मिल सकती है।

एनसीबीआई की साइट पर कोरियन गर्भवती महिलाओं के संबंध में एक रिसर्च प्रकाशित है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान ह्यूमिडी फायर के इस्तेमाल का जिक्र मिलता है। इस रिसर्च से यह पता चलता है कि गर्भावस्था में कमरे में ह्यूमिडी फायर का इस्तेमाल करना सुरक्षित हो सकता है। यह काफी हद तक ह्यूमिडी फायर की गुणवत्ता, तापमान और इसके संपर्क में रहने जैसी कई स्थितियों पर निर्भर कर सकता है (38)। इसलिए, अगर गर्भावस्था में एक्जिमा के लिए ह्यूमिडी फायर का इस्तेमाल करना भी है, तो इसका तापमान कम रखें और कम से कम समय के लिए लिए ही इसे चालू करें।

14. सूरजमुखी के बीज का तेल : सूरजमुखी के बीज के तेल में लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी और त्वचा की क्षति को ठीक करने वाले प्रभाव होते हैं। यही वजह है कि यह सूजन को कम करने और त्वचा को स्वस्थ्य बनाने में मदद कर सकता है, जिससे एक्जिमा के उपचार में भी मदद मिल सकती है (35)। इस आधार पर एक्जिमा के घरेलू उपाय के तौर पर गर्भवती महिलाए सूरजमुखी के बीज के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं।

गर्भावस्था एक्जिमा को ट्रिगर कर सकती है या नहीं, इसका जवाब नीचे पढ़ें।

क्या गर्भावस्था एक्जिमा की समस्या बढ़ा सकती है?

हां, एनसीबीआई की साइट पर पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार, अगर गर्भवास्था से पहले महिला को एक्जिमा हुआ था, तो गर्भावस्था के दौरान उस महिला में एक्जिमा होने का जोखिम अधिक हो सकता है। साथ ही, गर्भावस्था भी एक्जिमा की समस्या को बढ़ा भी सकती है।

इसकी वजह गर्भावस्था में होने वाला हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। दरअसल, “हेल्पर” टी लिम्फोसाइट्स नामक कोशिकाएं सफदे रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करती हैं, जो स्वस्थ गर्भावस्था में सहायक होती हैं। हालांकि, कुछ स्थितियों में यही कोशिकाएं एलर्जी होने का जोखिम (Atopy) भी बढ़ा सकती हैं, जिस वजह से गर्भावस्था में एक्जिमा या त्वचा से जुड़े अन्य जोखिम होने का खतरा भी बढ़ सकता है (14)

स्क्रॉल करें और पढ़ें गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा से बचाव करने के टिप्स।

गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा से बचाव

ऐसी कई बातें हैं जिनका ध्यान रखकर गर्भावस्था के दौरान एक्जिाम से बचाव किया जा सकता है, जानने के लिए नीचे पढ़ें (17) (22) (18)

  • सूती कपड़े पहनें : बहुत चुस्त, मोटे फैब्रिक या खुरदुरे कपड़े त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं। इसलिए, सूती या रेशम से बने बारीक फैब्रिक के ढीले-ढाले कपड़े पहनें। साथ ही नए कपड़े हमेशा धोकर ही पहनें, ताकि उनमें छिपे बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सके।
  • एलर्जी उत्पाद : त्वचा पर ऐसे किसी उत्पाद का इस्तेमाल न करें, जिससे एलर्जी की समस्या हो।
  • तापमान का ध्यान : बहुत अधिक गर्म या बहुत अधिक उमस वाले तापमान में रहने से बचें।
  • सनस्क्रीन लगाएं : धूप में जाने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इससे सनबर्न की समस्या से बचाव हो सकता है। वहीं, गर्भावस्था में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना भी गर्भवतियों के लिए सुरक्षित माना गया है (39)। इसलिए, धूप में जाने से पहले गर्भवती महिलाएं सनप्रोटेक्श के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।
  • दस्ताने पहनें : किसी भी प्रकार के केमिकल या डिटर्जेंट का इस्तेमाल करते हुए हाथों में दस्ताने पहनें।
  • पूल में जानें से बचें : एक्जिमा होने पर स्विमिंगपूल या क्लोरीन युक्त पूल में तैरने या नहाने बचें।
  • पानी पिएं : साथ ही डिहाइड्रेशन से बचने के लिए उचित मात्रा में पानी पिएं।
  • मॉइस्चराइजर लगाएं : त्वचा की नमी को बरकरार रखकर एक्जिमा की रोकथाम में मदद मिल सकती है। इसलिए, अच्छी गुणवत्ता वाला मॉइस्चराइजर लगाएं।
  • नाखूनों को छोटा रखें : त्वचा पर खुजली करने जैसी आदत, एक्जिमा की समस्या को बढ़ा सकती है, इसलिए नाखून को छोटा और साफ रखें। कई बार खरोंच से नाखून में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा में प्रवेश कर सकते हैं, जो एक्जिमा का कारण बन सकते हैं। साथ ही अगर त्वचा को खरोंचने या अनायास खुजली करने की आदत है, तो इस तरह की आदतों में भी बदलाव लाएं।
  • केमिकल से बचें : केमिकल युक्त साबुन या बॉडीवॉश का इस्तेमाल न करें। यह त्वता को रूखा करने के साथ ही एलर्जी का जोखिम भी बढ़ा सकते हैं, जिससे एक्जिमा का भी खतरा हो सकता है। साथ ही हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले चीजों का ही उपयोग करें।
  • खुजली न करें : अगर त्वचा पर खुजली की समस्या होती है, तो नाखूनों की बजाय उंगलियों से खुजली वाले स्थान को सहलाएं। साथ ही कॉटन के कपड़े में बर्फ लपेट कर उसे खुजली वाले स्थान पर रखें, इससे खुजली बंद हो सकती है।

लेख के आखिरी में पढ़ें कब जाएं डॉक्टर पास।

डॉक्टर से कब संपर्क करें

अगर गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा होने पर निम्नलिखित स्थितियां होती हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (17)

  • नींद में परेशानी होना
  • संक्रमण का अधिक फैलना।
  • एक्जिमा के लक्षणों का अधिक गंभीर होना।
  • लेख में बताए गए घरेलू उपायों और बचाव के तरीकों के बाद भी इसकी स्थिति में सुधार न होना, आदि।

एक्जिमा किसी भी उम्र और अवस्था में हो सकती है। इसके उपचार के कई सुरक्षित और आसान विकल्प भी आपको आसानी से मिल जाएंगे। फिर भी गर्भवती महिलाएं एक्जिमा होने पर घरेलू उपचार करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही अपने शरीर व घर की साफ-सफाई का जरूर ध्यान रखें। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी जरूर आपके काम आएगी। ऐसी ही और जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।

संदर्भ (References):

  1. Eczema By Medlineplus
    https://medlineplus.gov/eczema.html
  2. Atopic Dermatitis: Natural History Diagnosis and Treatment By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4004110/
  3. Contact Dermatitis By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK459230/
  4. Allergic Contact Dermatitis By Researchgate
    https://www.researchgate.net/publication/8354799_Allergic_Contact_Dermatitis
  5. Stasis dermatitis and ulcers By Medlineplus
    https://medlineplus.gov/ency/article/000834.htm
  6. Dyshidrotic eczema: relevance to the immune response in situ By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3364640/
  7. Nummular Eczema: An Updated Review By Pubmed
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/32778043/
  8. Seborrheic Dermatitis By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK551707/
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