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प्रेगनेंसी में गर्भवती को अपने खान-पान पर खास ध्यान देना पड़ता है। इस दौरान खाने-पीने की कई चीजों को लाभदायक माना जाता है, तो कई चीजों से परहेज करने को भी कहा जाता है। ऐसे में गर्भावस्था में झींगा मछली के सेवन को लेकर सवाल खड़ा हो सकता है कि क्या प्रेगनेंसी में झींगा मछली का सेवन किया जा सकता है? मॉमजंक्शन के इस लेख में इस सवाल के जवाब के साथ इससे जुड़ी कई जरूरी बातों को साझा किया गया है, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
सबसे पहले जानते हैं कि प्रेगनेंसी में झींगा मछली सुरक्षित है या नहीं।
क्या गर्भावस्था में झींगा मछली खाना सुरक्षित है?
प्रेगनेंसी में झींगा मछली का सेवन करना चाहिए या नहीं, एक गर्भवती के लिए गंभीर विषय हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें, तो गर्भावस्था में सीमित मात्रा में शेलफिश (जिसमें झींगा भी शामिल है) का सेवन एसजीए (SGA) न्यूबॉर्न (जन्म के समय बच्चे का कम आकार) के जोखिम को कम कर सकता है (1)। वहीं, एक अन्य शोध की मानें, तो प्रेगनेंसी में इसका अधिक मात्रा में किया गया सेवन एसजीए न्यूबॉर्न के जोखिम का कारण बन सकता है (2)। हालांकि, हर मछली में कुछ मात्रा में मरकरी पायी जाती है और उन मछलियों का सेवन जिनमे मरकरी की मात्रा अधिक होती है, गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में, हमारी सलाह यही है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरी सलाह के अनुसार ही गर्भावस्था में झींगा मछली का सेवन करें।
आइये जानते हैं कि प्रेगनेंसी में किस प्रकार की झींगा मछली का सेवन किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान किस प्रकार की झींगा मछली खाना सुरक्षित है व कितनी मात्रा में?
डॉक्टरी सलाह पर झींगा मछली का सेवन गर्भावस्था में किया जा सकता है, लेकिन किस प्रकार की झींगा मछली इस दौरान सुरक्षित है, इससे जुड़ा कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, साफ पानी में पकड़ी गई और कम मरकरी युक्त मछली का सेवन सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, अच्छा होगा इस विषय में डॉक्टरी सलाह ली जाए।
वहीं, मात्रा की बात करें, तो प्रेगनेंसी में हफ्ते में एक से दो बार लगभग 29 ग्राम झींगा मछली का सेवन सुरक्षित हो सकता है (1)। फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से इस विषय में भी डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
आगे जानिए झींगा मछली में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।
झींगा मछली के पोषक तत्व
झींगा मछली में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं (3) :
- झींगा मछली में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है।
- इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, मैग्रिशियम, फास्फोरस और मैगनीज जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।
- वहीं, इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी के साथ विटामिन-डी भी पाया जाता है।
- इसके अलावा, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो डोकोसाहेक्सैनीक एसिड (DHA) का महत्वपूर्ण स्त्रोत है (4)।
स्क्रॉल करके पढ़ें प्रेगनेंसी में झींगा मछली खाने के फायदे।
गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ
डॉक्टरी परामर्श पर प्रेगनेंसी के दौरान झींगा मछली का सेवन निम्नलिखित लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है –
- एसजीए न्यूबॉर्न : जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि गर्भवस्था में सीमित मात्रा में किया गया झींगा मछली का सेवन एसजीए न्यूबॉर्न (जन्म के समय बच्चे का कम आकार) जैसे प्रेगनेंसी से जुड़े जोखिम को कम कर सकता है (1)।
- प्रोटीन का स्रोत : गर्भावस्था में झींगा मछली का किया गया सेवन शरीर में प्रोटीन की पूर्ति का काम कर सकता है (3)। वहीं, प्रेगनेंसी में प्रोटीन का सेवन भ्रूण के विकास के लिए जरूरी माना जाता है (5)। इसके अलावा, यह गर्भवती के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी जरूरी होता है (6)।
- ऊर्जा बनाए रखने के लिए : झींगा मछली में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी पाई जाती है और कार्बोहाइड्रेट शरीर को उर्जा देने का काम करता है (3) (7)।
- ओमेगा-3 का स्रोत : इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पाया जाता है (4)। प्रेगनेंसी में ओमेगा-3 का सेवन भ्रूण के मस्तिष्क और आंखों के लिए आवश्यक होता है (8)।
- प्रेगनेंसी से जुड़े अन्य जोखिम : जैसा कि हमने ऊपर बताया कि झींगा में कैल्शियम भी पाया जाता है और कैल्शियम प्री-एक्लेम्पसिया (प्रेगनेंसी में उच्च रक्तचाप विकार) और समय से पहले बच्चे के जन्म के जोखिम को कम कर सकता है (9)।
- विटामिन-डी की पूर्ति : इसमें विटामिन-डी की मात्रा भी पाई जाती है और गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी का सही स्तर समय से पहले बच्चे का जन्म, जन्म के दौरान बच्चे का कम वजन और प्री-एक्लेम्पसिया जैसी जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (10)।
- विटामिन-सी की पूर्ति : जैसा कि हमने ऊपर बताया कि झींगा में विटामिन-सी भी पाया जाता है और गर्भावस्था के दौरान विटामिन-सी जरूरी माना जाता है। दरअसल, यह एक एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो शरीर को फ्री-रेडिकल डैमेज से बचाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, विटामिन-सी त्वचा, हड्डी और टिशू के लिए भी जरूरी माना जाता है। साथ ही यह शरीर में आयरन के सही अवशोषण को बढ़ावा देने का काम भी कर सकता है (11)।
आगे जानिए गर्भावस्था में कब नहीं करना चाहिए झींगा मछली का सेवन।
प्रेगनेंसी में झींगा का सेवन कब नहीं करना चाहिए?
निम्नलिखित स्थितियों में गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली का सेवन नहीं करना चाहिए :
- अगर डॉक्टर झींगा मछली खाने की इजाजत न दे।
- शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता की स्थिति में इसका सेवन न करें, क्योंकि इसमें कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, जो शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल से होने वाले जोखिम का कारण बन सकता है (4)।
- अगर किसी गर्भवती को सी-फूड्स से एलर्जी है, तो वो झींगा को अपने आहार में शामिल न करे, क्योंकि यह एलर्जी का कारण बन सकता है (12)।
- प्रेगनेंसी में किसी भी जटिलता की स्थिति में बिना डॉक्टरी परामर्श के इसका सेवन न करें।
गर्भावस्था में झींगा मछली का सेवन करने से पहले नीचे बताई गई बातों का जरूर ध्यान रखें।
प्रेगनेंसी के दौरान झींगा मछली खाने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां
डॉक्टर की इजाजत के साथ -साथ गर्भावस्था में झींगा मछली को आहार में शामिल करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है :
- झींगा मछली को बनाने से पहले उसे अच्छी तरह साफ जरूर कर लें।
- हमेशा फ्रेश झींगा मछली को ही इस्तेमाल में लाएं।
- इसे साफ करने के बाद कुछ देर गुनगुने नमक के पानी में इसे रख सकती हैं।
- कच्ची और अधपकी झींगा मछली का सेवन न करें।
- हमेशा घर में बनी झींगा मछली का ही सेवन करें।
- इसकी अधिक मात्रा का सेवन न करें।
- इसके खाने की सही मात्रा से जुड़ी जानकारी डॉक्टर से जरूर लें।
- इसे किसी भरोसेमंद दुकान या स्टोर से ही खरीदा जाए।
- डिब्बाबंद झींगा मछली को उपयोग में न लाएं।
आगे जानिए झींगा मछली के सेवन से जुड़े कुछ सुरक्षित तरीके।
प्रेगनेंसी के दौरान झींगा मछली का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका
निन्मलिखित तरीकों से इसे गर्भावस्था में शामिल किया जा सकता है :
- इसे अच्छी तरह स्टीम करके अपनी पसंद के सॉस के साथ खाया जा सकता है।
- चाहें, तो इसे ओवन में रोस्ट करके भी खा सकते हैं।
- हल्के मसालों के साथ इसे फिश करी के रूप में भी खा सकते हैं।
अब हम उम्मीद कर सकते हैं कि प्रेगनेंसी में झींगा मछली का सेवन करना चाहिए या नहीं, इसकी जानकारी आपको हो गई होगी। इसके अलावा, इसे कितनी मात्रा में लिया जा सकता है, यह भी आपको पता लग गया होगा। ऐसे में डॉक्टरी परामर्श पर इसका सेवन कर झींगा मछली के लाभ उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, इससे सेवन से पहले ऊपर बताई गई सावधानियों का भी पालन जरूर करें। आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। आप चाहें, तो इसे अन्य लोगों के साथ भी साझा कर सकती हैं।
References
2. Maternal fish and shellfish intake and pregnancy outcomes: A prospective cohort study in Brittany, France by ncbi
3. Proximate composition of the fresh water prawn Macrobrachium rosenbergii in cultured and frozen stage from Nellore Coast, India by ifrj
4. Cholesterol by betterhealth
5. Impacts of maternal dietary protein intake on fetal survival, growth, and development by ncbi
6. Protein in diet by medlineplus
7. Carbohydrates by medlineplus
8. Omega-3 Fatty Acids and Pregnancy by ncbi
9. Calcium: A Nutrient in Pregnancy by ncbi
10. Vitamin D supplementation during pregnancy by who
11. Vitamin C by medlineplus
12. Shellfish allergy–an Asia-Pacific perspective by pubmed
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