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गर्भावस्था के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? इस बात की सही जानकारी न होने के कारण अक्सर महिलाएं ऐसे नाजुक समय में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों से भी मुंह मोड़ लेती हैं, जो उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं। ऐसी ही जरूरी चीज है मछली। गर्भावस्था के दौरान कुछ खास मछलियों का सेवन फायदेमंद हो सकता है, लेकिन जानकारी की कमी और आम धारणा के चलते गर्भवती महिलाएं मछली खाना उचित नहीं समझती हैं। इसी विषय को ध्यान में रखते हुए हम मॉमजंक्शन के इस लेख में आपको गर्भावस्था में मछली खाने के फायदों के साथ किन-किन मछलियों का सेवन आपके लिए सुरक्षित है, इस बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
मछली खाने के फायदों के संबंध में बात करने से पहले आइए हम यह जान लेते हैं कि गर्भावस्था में मछली खाना सुरक्षित है या नहीं।
क्या गर्भावस्था में मछली खाना सुरक्षित है? | Pregnancy Me Fish Kha Sakte Hai?
विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान आहार में मछली को शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है, बशर्ते सिर्फ कम मर्करी युक्त मछलियों को ही उपयोग में लाएं। दरअसल, मछली में आयरन, सेलेनियम, जिंक, आयोडीन और प्रोटीन के साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन-डी व विटामिन बी-12 भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये सभी तत्व गर्भवती के लिए तो उपयोगी होते हैं, साथ ही भ्रूण के विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस कारण हम यह कह सकते हैं कि अगर मछलियों में उपलब्ध मर्करी की मात्रा का ध्यान रखकर इसका संतुलित मात्रा में सेवन किया जाए, तो गर्भावस्था में मछली खाना पूरी तरह से सुरक्षित है (1)।
संतुलित मात्रा में मछली खाना सुरक्षित है, यह तो आपने जान ही लिया है। अब हम आपको मछली खाने की संतुलित मात्रा के बारे में बताएंगे।
गर्भवती होने पर आपको कितनी मछली खानी चाहिए?
सामान्य तौर पर एक बार में करीब 113 ग्राम मछली का सेवन कर सकती हैं। वहीं, हफ्ते में करीब दो से तीन बार इसे खाना लाभकारी साबित हो सकता है (1)।
लेख के अगले भाग में हम आपको मछली खाने के फायदों के बारे में बताएंगे।
गर्भावस्था के दौरान मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ | Pregnancy Me Fish Khane Ke Fayde
मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ कई हैं, जिनमें से मुख्य लाभ के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
- हृदय स्वास्थ्य के लिए : मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह हृदय संबंधी कई जोखिमों जैसे – हाई ब्लड प्रेशर, नसों में सूजन को कम करने के साथ-साथ ट्राइग्लीसिराइड और कोलेस्ट्रोल की मात्रा को भी नियंत्रित करने में सहायक माना जाता है (2)। इस कारण हम कह सकते हैं कि अगर गर्भावस्था के दौरान कोई महिला हाई ब्लड प्रेशर या अन्य हृदय संबंधी परेशानियों से जूझ रही है, तो मछली का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है।
- तनाव और डिप्रेशन को रखे दूर : गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के कारण कई महिलाएं तनाव में रहती हैं। इस कारण उनके डिप्रेशन का शिकार होने का भी खतरा रहता है। वहीं, मछली में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड इस जोखिम को भी दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है (3)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि गर्भवती महिलाएं मछली का सेवन कर तनाव और डिप्रेशन को खुद से दूर रख सकती हैं।
- मस्तिष्क विकास में सहायक : दिमागी स्वास्थ्य के लिए भी ओमेगा-3 फैटी एसिड को लाभदायक माना गया है। यह मछली में अधिक मात्रा में मौजूद रहता है। इस कारण गर्भावस्था के दौरान मछली खाने से गर्भवती को तो मानसिक रूप से मजबूती मिलती ही है (3), साथ ही यह भ्रूण के मस्तिष्क विकास में भी सहायक माना जाता है (4)।
- भ्रूण विकास में सहायक : गर्भावस्था के दौरान मछली सेवन को लेकर किए गए एक शोध में पाया गया है कि मछली में पाए जाने वाले कई महत्वपूर्ण तत्व भ्रूण के विकास में सहायक साबित होते हैं। इस दौरान सीमित मात्रा में मछली का सेवन समय पूर्व प्रसव के जोखिमों को भी काफी हद तक कम कर सकता है और शिशु के वजन को भी सामान्य रख सकता है (5)।
- जोड़ों में दर्द की समस्या को करे दूर : जैसा कि लेख में पहले भी बताया गया है कि मछली को ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत माना गया है। वहीं, ओमेगा-3 फैटी एसिड में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर करने में सहायक साबित होता है (4)।
मछली सेवन के फायदे जानने के बाद अब हम गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली मछली के सुरक्षित प्रकार और उनकी ली जाने वाली मात्रा के बारे में बात करेंगे।
गर्भावस्था के दौरान किस प्रकार की मछली खाना सुरक्षित हैं व कितनी मात्रा में?
गर्भवती महिलाओं के लिए मछली सेवन की मात्रा मछलियों की प्रजातियों के हिसाब से निर्धारित की गई है। आइए, अलग-अलग प्रजातियों के आधार पर इनकी ली जाने वाली मात्रा के बारे में जानने की कोशिश करते हैं (1)।
1. हफ्ते में दो से तीन सर्विंग (एक बार में करीब 113 ग्राम) सेवन की जाने वाली मछलियां
- एन्कोवी
- अटलांटिक क्रॉकर
- अटलांटिक मैकेरेल
- ब्लैक सी बास
- बटर फिश
- कैट फिश
- क्लैम
- क्रा फिश
- फ्लाउंडर
- हैडॉक
नोट– हफ्ते में दो से तीन सर्विंग में ली जाने वाली मछलियों में दिए गए नामों के अलावा अन्य प्रजातियां भी शामिल हैं, जिनके बारे में आप अपने डॉक्टर से पता कर सकती हैं।
2. हफ्ते में एक सर्विंग (करीब 113 ग्राम) खाई जाने वाली मछलियां
- ब्लू फिश
- बफैलो फिश
- कार्प फिश
- ग्राउपर
- हैलीबट
- माही फिश
- मोंक फिश
- रॉक फिश
- सेबल फिश
- शीप्सहेड
- स्नैपर
नोट– हफ्ते में एक सर्विंग में ली जाने वाली मछलियों में दिए गए नामों के अलावा अन्य प्रजातियां भी शामिल हैं, जिनके बारे में आप अपने डॉक्टर से पता कर सकती हैं। साथ ही आपको कौन सी मछली खानी चाहिए, इस बारे में आपको डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।
लेख के अगले भाग में हम आपको उन मछलियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान न खाने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान किन मछलियों को खाने से बचें | Pregnancy Me Konsi Fish Khana Chahiye
आइए, अब हम उन मछलियों पर नजर डालते हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान न खाने की सलाह दी जाती है (1)।
- किंग मैकेरल
- मार्लिन
- ऑरेंज रफी
- शार्क
- सार्ड फिश
- टाइल फिश
- ट्यूना फिश
- बिगेये फिश
गर्भावस्था में किन मछलियों के सेवन से बचें, यह तो आपने जान लिया। अब हम आते हैं मछली खाने के दौरान ध्यान रखने वाली कुछ अहम बातों पर।
प्रेगनेंसी के दौरान मछली खाने में बरती जाने वाली सावधानियां
गर्भावस्था में सुरक्षित मछलियों का सेवन करने के लिए भी कुछ विशेष बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आइए, अब उनके बारे में भी हम जान लेते हैं (6) (7)।
- सेवन के लिए हमेशा स्वच्छ पानी से पकड़ी गई मछलियों का इस्तेमाल करें, जिन्हें व्यावसायिक रूप से आहार में शामिल करने के लिए ही तैयार किया गया हो।
- मछली को अच्छे से साफ करके ही सेवन के लिए इस्तेमाल में लाएं। साथ ही उन्हें खरीदने के समय सिर, आंत, किडनी और लिवर को निकलवा दें, क्योंकि इन अंगों में कई हानिकारक रसायन मौजूद हो सकते हैं।
- मछली को अच्छे से पकाने के बाद ही इस्तेमाल में लाएं, क्योंकि पकाने से मछली में मौजूद हानिकारक रसायन नष्ट हो जाते हैं।
- कुछ लोगों में मछली के सेवन से एलर्जी हो सकती है। ऐसे लोगों को मछली के सेवन से बचना चाहिए।
लेख के अगले भाग में हम गर्भास्था के दौरान मछली सेवन के तरीकों के बारे में जानेंगे।
गर्भवती होने पर मछली को सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका
यहां हम कुछ तरीके बताने जा रहे हैं, जिनके माध्यम से मछली का सेवन गर्भावस्था में लाभकारी माना जाता है।
1. ग्रिल्ड फिश
- मछली को ग्रिल करने के लिए ग्रिल प्लेट पर ब्रश की सहायता से पहले हल्का तेल लगा लें।
- अब ग्रिल प्लेट पर मछली के टुकड़े को रखें।
- उसे तब तक पकाएं, जब तक उसका रंग भूरा न हो जाए।
- एक तरफ अच्छे से पक जाने के बाद उसे दूसरी ओर पलटें।
- बाद में स्वाद के लिए हल्का नमक और काली मिर्च डालकर उसे अन्य खाद्य सामग्रियों के साथ या अकेले ही अपने भोजन में शामिल करें।
2. स्टीम्ड फिश
- फिश को स्टीम्ड करने के लिए उस पर हल्के मसालों का एक लेप लगा लें।
- बाद में उसे स्टीमर बास्केट में रख दें और धीमी आंच में पकाएं।
- करीब 15 से 20 मिनट में फिश पाक जाएगी।
- एक बार सुनिश्चित कर लें कि मछली पक गई है। उसके बाद उसे चटनी या सॉस के साथ सर्व कर लें।
3. पोच्ड मछली
- एक पैन में थोड़ा पानी डालें और गैस पर चढ़ा दें।
- जब पानी गर्म होकर उबलने लगे, तो उसमें मछली के कटे हुए टुकड़े डालें।
- उन्हें करीब 10 से 15 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
- समय पूरा होने पर चेक करें कि मछली पक गई है या नहीं।
- जब सुनिश्चित हो जाए कि मछली पक गई है, तो चटनी या सॉस के साथ खाने के लिए सर्व कर लें।
लेख के अगले भाग में हम जानेंगे कि गर्भावस्था में अधिक मर्करी वाली मछली खाने से क्यों मना किया जाता है।
गर्भावस्था में उच्च पारा मछली खाना क्यों खतरनाक है?
मर्करी एक विषैला पदार्थ है, जो कुछ मछलियों में अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को बाधित करता है। साथ ही भ्रूण के दिमागी विकास की प्रक्रिया में भी अवरोध पैदा कर नुकसान पहुंचाता है (4)। इस कारण गर्भावस्था में अधिक मर्करी युक्त मछलियों का सेवन करने से मना किया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मैं गर्भावस्था में रोहू मछली खा सकती हूं? | Pregnancy Me Rohu Fish Khana Chahiye
लेख में ऊपर बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मर्करी वाली मछली नहीं खानी चाहिए। वहीं, रोहू ऐसी मछली है, जिसमें अधिक मात्रा में मर्करी पाई जाती है। इसलिए, इसे गर्भावस्था के दौरान न खाने की सलाह दी जाती है (8)। यह कार्प फिश की एक प्रजाती है (9), इसलिए अगर हफ्ते में इसका एक बार सेवन किया जाता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है (1)। फिर भी इसे खाने से पहले डॉक्टर से पूछना बेहतर होगा।
नोट– ध्यान रहे, इसका नियमित सेवन बिल्कुल भी न करें, क्योंकि इसमें मर्करी की अधिक मात्रा पाई जाती है।
क्या मैं स्थानीय जल में पकड़ी गई मछली खा सकती हूं?
गर्भावस्था के दौरान स्थानीय जल में मकडी गई मछली नहीं खानी चाहिए, क्योंकि उसमें विषैले रसायन होने की आशंका रहती है (6)। अगर आप मछली खाने की शौकीन हैं, तो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध और गर्भावस्था में सुरक्षित मछलियों को ही इस्तेमाल में लाएं।
क्या प्रेगनेंसी में ज्यादा मछली खाना खतरनाक है?
मछली ही क्या आहार में शामिल की जाने वाली किसी भी खाद्य सामग्री का अधिक सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए, हमारी आपको सलाह है कि लेख में बताई गई मछली की संतुलित मात्रा को ध्यान में रखते हुए इसे आहार में शामिल करें।
क्या सभी मछलियों से बचना और ओमेगा-3 की खुराक लेना ठीक है?
अगर आप शाकाहारी हैं और ओमेगा-3 फैटी एसिड की खुराक के लिए मछली नहीं खाना चाहतीं, तो आप इसके अन्य वैकल्पिक स्रोत (जैसे:- नट्स, सीड्स, प्लांट ऑयल) इस्तेमाल में ला सकती हैं (10)। ओमेगा-3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट लेने से पहले आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
क्या मैं मछली के साथ दूध पी सकती हूं या दूध के साथ मछली के व्यंजनों को तैयार कर सकती हूं? क्या यह स्किन पिगमेंटेशन या अन्य समस्याओं को जन्म देगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर मछली अच्छी तरह से पकाई नहीं गई है या फिर व्यक्ति लैक्टोज को पचाने में असमर्थ हैं या मछली / समुद्री भोजन से एलर्जी है, तो दूध और मछली का संयोजन त्वचा पर चकत्ते और त्वचा की अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। वहीं, आयुर्वेद के अनुसार दूध ठंडा और मछली गर्म प्रभाव प्रदर्शित करती है, इस कारण इन्हें साथ लेने से पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी समस्या हो सकती है। इसलिए, दूध और मछली को साथ में नहीं लिया जान चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान मछली का सेवन आपके लिए कितना सुरक्षित है, इस बारे में तो आप अच्छे से जान ही गईं होंगी। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि आहार में मछली को शामिल करने से क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं। वहीं, हमने लेख के माध्यम से आपको मछली की कुछ सुरक्षित प्रजातियों के बारे में भी बताया है। साथ ही नुकसान पहुंचाने वाली अधिक मर्करी युक्त विशेष मछलियों की भी विस्तृत जानकारी आपको दी है। मुमकिन है कि आपके कई सवालों के जवाब आपको यह लेख पढ़कर मिल गए होंगे। ऐसी ही अन्य जानकारी पाने के लिए मॉमजंक्शन से जुड़े रहें।
References
1. Advice about Eating Fish By Fda
2. A fish a day, keeps the cardiologist away! – A review of the effect of omega-3 fatty acids in the cardiovascular system By Ncbi
3. Health Benefits of Fish By Doh
4. Omega-3 Fatty Acids and Pregnancy By Ncbi
5. Fish intake during pregnancy, fetal growth, and gestational length in 19 European birth cohort studies. By Ncbi
6. Should I Eat the Fish I Catch? By Edu
7. Dietary Restrictions, Food Allergies and Religious Restrictions By Webster
8. Acute toxicity of mercury to the fingerlings of Indian major carps (catla, rohu and mrigal) in relation to water hardness and temperature. By Ncbi
9. Impact of exotic carps in the polyculture with indigenous carps: competition for food. By Ncbi
10. Omega-3 Fatty Acids By Ods
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