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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कुछ शारीरिक गतिविधि या एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। इन्हीं में कीगल एक्सरसाइज का नाम भी शामिल है। तो मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी खास एक्सरसाइज के बारे में जानकारी लेकर आए हैं। यहां हम कीगल एक्सरसाइज करने के तरीके बताने के अलावा, इसके फायदे भी बताएंगे। साथ ही गर्भावस्था में इस एक्सरसाइज को कब और कितनी बार करना चाहिए, इस बारे में भी जानकारी देंगे।
चलिए, सबसे पहले समझ लीजिए कि कीगल एक्सरसाइज क्या है।
कीगल एक्सरसाइज क्या है?
यह पेल्विक मांसपेशियों, गर्भाशय और मूत्राशय को मजबूत करने के लिए किया जाने वाला एक व्यायाम है। यह एक्सरसाइज खासकर उन महिलाओं और पुरुषों को करने की सलाह दी जाती है, जिनका पेशाब और मल त्याग पर नियंत्रण नहीं रहता है (1)।
यही नहीं, कीगल व्यायाम मांसपेशियों को टोन करने में मदद कर सकता है, जिससे प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद जल्दी ठीक होने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, कीगल एक्सरसाइज गर्भावस्था में बवासीर के जोखिम को भी काम कर सकता है (2)।
यहां जानें प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज क्यों जरूरी है।
प्रेगनेंसी में कीगल एक्सरसाइज क्यों करनी चाहिए?
अगर बात करें, गर्भावस्था के दौरान कीगल एक्सरसाइज के महत्व की, तो बता दें कि प्रेगनेंसी के दौरान 10 में से लगभग 4 महिलाओं को पेशाब असंयमितता की समस्या झेलनी पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे गर्भ में पल रहा बच्चा बढ़ता है, वैसे-वैसे मूत्राशय, मूत्रमार्ग और श्रोणि तल की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने लगता है। इस वजह से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और यूरिन लीकेज की समस्या होने लगती है। यही वजह है कि गर्भावस्था के दौरान यूरिन लीकेज की समस्या को कम करने और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है (2)।
नीचे जानिए, कीगल एक्सरसाइज करने के समय के बारे में।
कीगल एक्सरसाइज कब और कितनी बार कर सकते हैं?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, गर्भावस्था की दूसरी और तीसरे तिमाही के दौरान लगभग एक तिहाई महिलाओं को पेशाब असंयमितता का अनुभव होता है। ऐसे में उन्हें इस दौरान कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है (3)। वहीं, अगर बात करें कि कीगल एक्सरसाइज को कितनी बार किया जा सकता है, तो बता दें कि इसे एक दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और रात) में किया जा सकता है (1)।
वहीं, गर्भावस्था में भी इसे तीन बार किया जा सकता है (2)। हालांकि, यह गर्भवती महिला की क्षमता और स्थिति पर निर्भर करता है कि वह इसे कितनी बार कर सकती है। ऐसे में बेहतर है गर्भावस्था में कीगल एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टरी सलाह लें और इसे कितनी बार और कितने देर तक करना है उसकी भी जानकारी लें।
नोट : गर्भवती महिलाओं को कीगल एक्सरसाइज हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करनी चाहिए। वहीं, अगर इसे करने में या करने के बाद हल्की-सी भी परेशानी हो या फिर असहजता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
स्क्रॉल कर पढ़ें पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का पता कैसे लगा सकते हैं।
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का पता कैसे लगाएं?
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का पता लगाना आसान है। इसके बारे में नीचे क्रमवार तरीके से बताया गया है (1) :
- पेशाब आते समय उसे रोकें और यूरिन फ्लो से जुड़ी मांसपेशियों को टाइट करें।
- इस दौरान योनि, मूत्राशय व गुदा की मांसपेशियां टाइट होकर ऊपर उठेंगी। इन्हें महसूस करें, यही पेल्विक फ्लोर मांसपेशियां होती हैं।
- इस प्रक्रिया के दौरान जांघ व नितंब की मांसपेशियां और पेट आरामदायक अवस्था में रहना चाहिए।
चलिए अब जरा कीगल एक्सरसाइज के फायदों पर नजर डाल लीजिए।
प्रेगनेंसी में कीगल एक्सरसाइज करने के फायदे
प्रेगनेंसी के दौरान कीगल एक्सरसाइज करने के कई सारे फायदे हैं, जो निम्न प्रकार से हैं :
- लेबर की अवधि कम करे – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को लेबर पेन से गुजरना पड़ता है। ऐसे में कीगल एक्सरसाइज करना फायदेमंद हो सकता है। बताया जाता है कि गर्भावस्था के तीसरी तिमाही के दौरान कीगल व्यायाम करने से लेबर की अवधि को कम किया जा सकता है (4)।
- नॉर्मल डिलीवरी को बढ़ावा – एक रिसर्च की मानें तो गर्भावस्था के दौरान कीगल व्यायाम का अभ्यास करने से नॉर्मल प्रसव को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही इस एक्सरसाइज के माध्यम से सिजेरियन डिलीवरी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है (4)।
- पेरिनियल दर्द से राहत – कीगल एक्सरसाइज गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, पेरिनियल दर्द, पेरिनेल टियरिंग के दौरान होता है, जो नॉर्मल डिलीवरी के कारण हो सकता है (5)। यह उन महिलाओं को होता है, जो पहली बार मां बनती हैं या फिर अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म देती है। इस दौरान उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है।
वहीं, कीगल व्यायाम के अभ्यास से इस दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इससे जुड़े शोध से जानकारी मिलती है कि अगर प्रेगनेंसी के समय नियमित रूप से इस व्यायाम को किया जाए, तो इस दौरान होने वाले पेरिनियल दर्द से राहत मिल सकती है (4)। बता दें कि गुदा और योनि के बीच के हिस्से को पेरिनियम कहा जाता है।
- सिस्टोसील की समस्या से बचाव – सिस्टोसील महिलाओं को होने वाला एक रोग है। इसमें मूत्राशय और योनि की दीवार के आसपास की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है और उसमें खिंचाव भी आने लगता है। इस कारण मूत्राशय अपनी सामान्य जगह से हट सकता है (6)। ऐसे में सिस्टोसील की समस्या से बचाव के लिए भी इस एक्सरसाइज का अभ्यास करना लाभकारी साबित हो सकती है (7)।
- रेक्टोसील से बचाव – कीगल एक्सरसाइज रेक्टोसील की समस्या से बचाव के लिए भी फायदेमंद मानी जा सकता है (7)। बता दें कि रेक्टोसील महिलाओं को होने वाली एक समस्या है। इसमें पेल्विस के अंदर का भाग योनि के माध्यम से या फिर मलाशय के द्वारा बाहर की ओर निकलने लगता है (8)।
- पेशाब असंयमितता से रोकथाम – गर्भावस्था के दौरान या बाद में कई महिलाओं को पेशाब असंयमितता की समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल, यह ऐसी स्थिति है जिसमें पेशाब नियंत्रित नहीं हो पाता और वह मूत्रमार्ग से बाहर निकलने लगता है (9)। ऐसे में कीगल एक्सरसाइज इस समस्या को कम करने में प्रभावी साबित हो सकता है (7)।
- प्रीमैच्योर डिलीवरी का जोखिम कम – एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें, तो कमजोर पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां समय से पहले प्रसव का कारण बन सकती हैं। ऐसे में नियमित रूप से पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने से प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे को कम किया जा सकता है (10)। वहीं, हम बता दें कि कीगल एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज का ही प्रकार है (1)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि कीगल एक्सरसाइज का अभ्यास करने से प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम किया जा सकता है।
आइए, अब यह जान लेते हैं कि इस व्यायाम को कैसे करना चाहिए।
गर्भावस्था में कीगल एक्सरसाइज को करने का तरीका
यहां हम क्रमवार तरीके से कीगल एक्सरसाइज को करने का तरीका बता रहे हैं, जो इस प्रकार है (1):
- कीगल एक्सरसाइज को करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि मूत्राशय खाली हो।
- इसके बाद एक जगह बैठ जाएं। चाहें तो लेट भी सकते हैं।
- अब अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को टाइट कर लें और 3 से 5 सेकंड तक इसी अवस्था में बने रहें।
- इसके बाद मांसपेशियों को 3 से 5 सेकंड के लिए आराम दें।
- इस एक्सरसाइज को अपनी सहूलियत के हिसाब से फिर से दोहराएं।
लेख के इस हिस्से में हम कीगल एक्सरसाइज करने से जुड़ी कुछ काम की बातों के बारे में जानेंगे।
कीगल एक्सरसाइज करने के लिए टिप्स
गर्भावस्था के दौरान कीगल व्यायाम करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, यहां हम पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं (1):
- ध्यान रहे कीगल एक्सरसाइज करते समय मूत्राशय भरा नहीं होना चाहिए। इसलिए, इस व्यायाम को करने से पहले एक बार बाथरूम जरूर जाएं।
- इस एक्सरसाइज को करते समय गहरी सांस लें और शरीर को आराम दें।
- इसके अलावा, इस एक्सरसाइज को करते समय पेट, नितंब और जांघ की मांसपेशियों को आराम दें।
- कीगल एक्सरसाइज को हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। वहीं, अगर इसे करने के बाद श्रोणि क्षेत्र में दर्द महसूस हो रहा हो, तो इसे करना बंद कर दें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- अगर, किसी महिला को कीगल एक्सरसाइज करने का सही तरीका मालूम नहीं हो, तो इसे करने के लिए किसी प्रशिक्षक की मदद जरूर लें और उसकी देखरेख में ही इस व्यायाम को करें।
आखिर में जानिए कि कीगल एक्सरसाइज को किस प्रकार रोचक बनाया जा सकता है।
कीगल एक्सरसाइज को मजेदार कैसे बनाएं?
कीगल एक्सरसाइज को अगर मजेदार तरीके से किया जाए, तो इसमें महिलाओं की रुचि और बढ़ सकती है। यहां हम कुछ ऐसी ही काम की बातें बता रहे हैं।
- कीगल एक्सरसाइज को मजेदार बनाने के लिए सबसे पहले अपनी पसंद की जगह का चुनाव करें।
- इसके अलावा, इस व्यायाम को करने के लिए अपने पसंद के म्यूजिक का सहारा लें।
- इसके लिए क्लास जॉइन कर सकते हैं और अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ इसका अभ्यास कर सकते हैं।
- यहां तक कि टीवी देखते वक्त भी इस एक्सरसाइज को करने का मजा उठा सकते हैं।
कीगल एक्सरसाइज को करना बहुत आसान है। इसकी सबसे अच्छी खासियत यह है कि इसे कहीं भी किया जा सकता है। इसका नियमित अभ्यास गर्भावस्था के दौरान और बाद, दोनों समय के लिए लाभकारी हो सकता है। वहीं, अगर किसी महिला को इस एक्सरसाइज की जानकारी नहीं है, तो डॉक्टरी की सलाह और प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। इसे अन्य महिलाओं व पुरुषों के साथ भी साझा करें। बता दें कि इस एक्सरसाइज को पुरुष भी कर सकते हैं।
References
2. Staying healthy and safe– By Women’s Health
3. Pelvic floor muscle training for prevention and treatment of urinary and faecal incontinence in antenatal and postnatal women– By NCBI
4. Effect of Kegel’s Exercises during Third Trimester of Pregnancy on Maternal Outcome– By IOSR Journal of Nursing and Health Science
5. Episiotomy– aftercare- By Medlineplus
6. Cystocele– By NIH
7. Kegel Exercises– By NCBI
8. Rectocele– By NCBI
9. Urinary incontinence– By Medlineplus
10. Association between preterm labour and pelvic floor muscle function– By NCBI
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