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मलेरिया का संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह गर्भावस्था के दौरान भी हो सकता है और समय पर उपचार के अभाव में गंभीर परिणाम भी प्रदर्शित कर सकता है। गर्भावस्ता में यह बीमारी विशेष रूप से माँ और विकसित हो रहे शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है (1)। ऐसे में प्रेगनेंसी में मलेरिया के विषय में जानना एक गर्भवती के लिए जरूरी हो जाता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में मलेरिया के लक्षण, उसके कारण और उसके उपचार संबंधी जानकारी साझा कर रहे हैं। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

तो आइए, सबसे पहले मलेरिया क्या है, इस बारे में जान लेते हैं।

मलेरिया क्या है?

मलेरिया एक संक्रामक बीमारी है, जो परजीवी के कारण होती है। यह बीमारी तब होती है जब प्लास्मोडियम परजीवी से संक्रमित मच्छर व्यक्ति को काटता है। इसे विश्व भर में मौत का एक मुख्य कारण माना गया है (2)। गर्भवती महिलाओं में मलेरिया और उसके जटिलताओं की चपेट में आने का विशेष खतरा होता है, क्योंकि गर्भावस्था में महिला की मलेरिया प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है (1) (3)। इसलिए, इससे बचने और इसके उपचार में देरी नहीं करनी चाहिए। यह बीमारी सामान्य से लेकर गर्भवती महिला किसी को भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान खान-पान में अधिक सावधानी और स्वच्छता का खास ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। आगे प्रेगनेंसी में मलेरिया से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की गई हैं।

आइए, अब गर्भावस्था में मलेरिया के लक्षणों के बारे में जानते हैं।

गर्भावस्था में मलेरिया के लक्षण

निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से गर्भावस्था में मलेरिया के लक्षणों को समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (1)

गर्भावस्था में मलेरिया के कारण जानने के लिए स्क्रॉल करें।

गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने के कारण

जैसा कि हमने बताया कि मलेरिया एक संक्रामक बीमारी है, जो प्लास्मोडियम परजीवी से संक्रमित मच्छर के काटने से होती है। गर्भावस्था के दौरान अगर यह संक्रमित मच्छर गर्भवती को काट लेता है, तो इससे गर्भवती को मलेरिया की बीमारी हो सकती है (2)। यहां ध्यान में रखें कि केवल मादा एनोफिलीज मच्छर ही मलेरिया परजीवी के वाहक का काम करते हैं (4)। इसके अलावा, निम्नलिखित स्थितियों में एक गर्भवती इस बीमारी की चपेट में आ सकती है (5)

  • जैसे कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल न करना।
  • कम उम्र में गर्भधारण।
  • घर के आसपास गंदगी और गंदे पानी का जमाव।
  • बरसात का मौसम।
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति में मलेरिया का प्रभाव और गंभीर रूप में सामने आ सकता है।

स्क्रॉल करके पढ़ें कि प्रेगनेंसी में मलेरिया का निदान किस प्रकार किया जा सकता है।

गर्भावस्था में मलेरिया का निदान

प्रेगनेंसी में मलेरिया का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है (6)

  1. माइक्रोस्कोपी – इसमें गर्भवती के ब्लड का सैंपल लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के जरिए रक्त में मलेरिया परजीवी की मौजदूगी का पता लगाया जाता है।
  1. रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट : (RDT): रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट में मलेरिया एंटीजेन का पता लगाया जाता है। इसमें भी मरीज के रक्त का सैंपल लिया जाता है।
  1. हीमोजोइन का पता लगाना : परजीवी द्वारा हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के पाचन के बाद हीमोजोइन उत्पन्न होता है। इस टेस्ट में हीमोजोइन का पता लगाया जाता है। इसके लिए पोलराइज्ड लाइट (polarized light, एक प्रकार की प्रकाश तरंगे) और लेजर डेसोरप्शन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (लेजर का प्रयोग) का इस्तेमाल किया जाता है।
  1. हिस्टोलॉजिकल टेस्ट : इसमें माइक्रोस्कोप के जरिए टिशू की जांच कर मलेरिया परजीवी का पता लगाया जाता है।
  1. पोलीमरेज चेन रिएक्शन – (PCR)– इसे पीसीआर टेस्ट भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल करके भी मलेरिया का पता लगाया जाता है।
  1. मेडिकल हिस्ट्री – इसके अलावा, डॉक्टर मरीज से मलेरिया के लक्षण और अन्य चीजों के बारे में पूछ सकता है।

आइए, अब बात करते हैं गर्भावस्था के दौरान मलेरिया के उपचार के बारे में।

गर्भावस्था में मलेरिया का उपचार

गर्भावस्था में मलेरिया का उपचार निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है (7)

  1. पहली तिमाही : इस दौरान मलेरिया का उपचार करने के लिए कुनैन (एंटी मलेरियल) और क्लिंडामाइसिन (एंटीबायोटिक) का प्रयोग किया जा सकता है।
  1. दूसरी और तीसरी तिमाही : इस दौरान आर्टीमिसिनिन कॉम्बिनेशन थेरेपी (ACT) का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें आर्टेमेडर-ल्यूमफैंट्रिन (artemether-lumefantrine), एमोडियाक्वाइन-आर्टिसुनेट (amodiaquine-artesunate), मेफ्लोक्वाइन-आर्टिसुनेट (mefloquine-artesunate) या डायहाइड्रोकार्टेमिसिन पिपेराक्वीन (dihydroartemisinin piperaquine) दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

नोट – किसी भी दवा को अपनी मर्जी से न लें। दवाओं का उपयोग कब, कैसे और किस मात्रा में लेना है यह पूरी तरह से डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।

गर्भावस्था में मलेरिया के घरेलू उपचार

गर्भावस्था के दौरान नीचे बताए गए कुछ घरेलू नुस्खों के जरिए भी मलेरिया का उपचार किया जा सकता है –

  1. अदरक – प्रेगनेंसी में मलेरिया के लक्षणों को दूर करने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रेगनेंसी में अदरक एंटी-इमेटिक प्रभाव यानी मतली और उल्टी को कम करने में मदद कर सकता है (8)
  1. लहसुन – गर्भावस्था में मलेरिया के उपचार के लिए लहसुन का उपाय भी किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध में जिक्र मिलता है कि लहसुन में मौजूद एलिसिन नामक तत्व में एंटी-मलेरियल प्रभाव पाया जाता है, जो मलेरिया संक्रमण के दौरान राहत पहुंचाने का काम कर सकता है (9)। वहीं, प्रेगनेंसी में लहसुन का उपयोग सुरक्षित माना जाता है (10)
  1. चकोतरागर्भावस्था के दौरान चकोतरा का सेवन मलेरिया संक्रमण से बचाव का काम कर सकता है। इस बात की पुष्टि इससे जुड़े एक शोध में होती है (11। वहीं, गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन की सलाह विशेषज्ञ भी देते हैं (12)
  1. दालचीनीदालचीनी का उपयोग भी प्रेगनेंसी में मलेरिया संक्रमण से बचाव का काम कर सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में दालचीनी के एंटी प्लास्मोडियम प्रभाव के बारे में पता चलता है, यानी दालचीनी का प्रयोग मलेरिया परजीवी से लड़ने का काम कर सकता है (13)। वहीं, दालचीनी का उपयोग प्रेगनेंसी में सुरक्षित माना गया है (14)
  1. ग्रीन टी – गर्भावस्था में ग्रीन टी का सेवन भी मलेरिया से बचाव का काम कर सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में ग्रीन टी के एंटी-मलेरियल प्रभाव के बारे में पता चलता है यानी यह मलेरिया संक्रमण के दौरान राहत पहुंचाने में मदद कर सकती है (15)। वहीं, प्रेगनेंसी में इसका सेवन सुरक्षित माना गया है (14)

स्क्रॉल करके पढ़ें प्रेगनेंसी में मलेरिया से जुड़ी जटिलताएं।

गर्भावस्था में मलेरिया के कारण जटिलताएं

गर्भवती महिला को मलेरिया होने पर निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है (16)

आगे पढ़ें प्रेगनेंसी में मलेरिया से बचने के उपाय।

गर्भावस्था में मलेरिया से बचाव

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि मलेरिया परजीवी से संक्रमित मादा मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान कुछ उपाय के जरिए मलेरिया संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है (17)

  • मच्छरों से बचने के लिए मॉस्किटो रिपेलेंट या मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • नियमित पेस्ट कंट्रोल करवाएं।
  • मच्छर मारने वाले रैकेट का इस्तेमाल करें।
  • दरवाजे व खिड़कियों पर जाली लगवाएं।
  • कोशिश करें कि ऐसे कपड़े पहनें, जिससे हाथ व पैर पूरी तरह कवर हो जाएं।
  • साफ पानी पिएं।
  • घर में और आसपास साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  • आस पास पानी का जमाव न होने दे।
  • मलेरिया स्थानिक क्षेत्र (जैसे ट्रॉपिकल क्षेत्र) की यात्रा से बचें
  • इसके अलावा, संतुलित आहार का सेवन करें।
  • मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर से मिलने कब जाएं

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, इसलिए गर्भावस्था में मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस दौरान थोड़ी-सी भी लापरवाही गर्भवती के साथ-साथ होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर मुझे पहले मलेरिया हो चुका हो, तो क्या यह दोबारा भी हो सकता है?

हां, एक शोध के अनुसार, मलेरिया दोबारा भी हो सकता है (18)

क्या मलेरिया से गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?

हां, इसकी जानकारी हमने ऊपर लेख में विस्तार से दी है।

मलेरिया होने का सर्वाधिक खतरा कब होता है?

डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मलेरिया का सबसे ज्यादा खतरा होता है (19)

उम्मीद करते हैं कि अब आप समझ गई होंगी कि प्रेगनेंसी में मलेरिया से बचाव और इसका सही समय पर उपचार करवाना कितना जरूरी है। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि मलेरिया की स्थिति में थोड़ी-सी भी लापरवाही गर्भवती और होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है। इसलिए, इस दौरान लेख में बताए गए मलेरिया से बचने के तरीकों का पालन जरूर करें और मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आपकी जागरूकता ही आपके और होने वाले शिशु के बेहतर स्वास्थ्य की नींव है।

References

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