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प्रेगनेंसी में कई तरह की चीजों को खाने की क्रेविंग होती है (1)। इस क्रेविंग में मसालेदार खाना भी शामिल है। कई बार मसालेदार खाने की इस इच्छा को शांत करते समय गर्भवतियां ये भूल जाती हैं कि इसका असर गर्भस्थ शिशु पर कैसा होगा। इस विषय में गर्भवतियों को जागरूक करने के लिए मॉमजंक्शन यह लेख लेकर आया है। यहां बताया गया है कि गर्भावस्था में मसालेदार खाना सुरक्षित है या नहीं और इससे गर्भवती व शिशु को कितना नुकसान पहुंच सकता है।

लेख के पहले भाग में समझिए कि प्रेगनेंसी में मसालेदार खाना कितना सुरक्षित है।

क्या गर्भावस्था में मसालेदार खाना सुरक्षित है?

गर्भावस्था में मसालेदार खाना सुरक्षित है या नहीं, इसका जवाब मिलाजुला है। दरअसल, गर्भावस्था में सीमित मात्रा में स्पाइसी फूड का सेवन किया जा सकता है। अगर इस समय अधिक मात्रा में मसालेदार आहार का सेवन किया जाए, तो मॉर्निंग सिकनेस और हार्टबर्न जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है (2)। इसी वजह से गर्भवतियों को स्पाइसी फूड से दूर रहने की सलाह दी जाती है (2)।

इसके अलावा, एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश रिसर्च में दिया है कि गर्भवतियों को बहुत गर्म और मसालेदार आहार खाने की मनाही होती है (3)।  इस आधार पर कहा जा सकता है कि गर्भवतियों को संभलकर मसालेदार खाने का सेवन करना चाहिए। इसकी अधिकता से स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है। ऐसे में इससे दूर रहना ही बेहतर होगा।

चलिए, अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी में तीखा या मसालेदार खाने की क्रेविंग क्यों होती है।

गर्भावस्था में मसालेदार या तीखा खाना खाने की चाहत क्यों होती है?

गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं को कई तरह के खाद्य पदार्थ के सेवन की चाहत होती है, उनमें से एक मसालेदार खाना भी है। ऐसा होने के पीछे का मुख्य कारण उनमें होने वाले हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। साथ ही स्पाइसी खाने की तीव्र इच्छा महिला को आस-पास बनाने वाले खाद्य पदार्थों और उनकी खुशबू के कारण भी हो सकती है (4)।

आगे जानिए कि गर्भावस्था में मसालेदार खाद्य पदार्थ से दूर रहने के पीछे की वजह क्या होती है।

प्रेगनेंसी में स्पाइसी खाने से दूर रहने के क्या कारण है ?

प्रेगनेंसी के समय मसालेदार खाने से दूर रहने की सलाह कई कारणों के चलते दी जाती है, इन कारणों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

  • हार्टबर्न के कारण – प्रेगनेंसी के दौरान स्पाइसी फूड से दूर रहने का सबसे मुख्य कारण हार्टबर्न यानी पेट में जलन की शिकायत है। दरअसल, प्रेगनेंसी के दौरान मसालेदार खाद्य पदार्थ अधिक समय तक पेट और आंतों में रहता है। इससे पेट का एसिड वापस अन्नप्रणाली में चला जाता है, जिससे हार्टबर्न की समस्या हो सकती है (5)।
  • अपच के वजह से – गर्भावस्था के समय पाचन की समस्या होना काफी आम होता है। दरअसल, इस समय पाचन तंत्र बहुत धीमा काम करता है, जिससे आहार ठीक से पच नहीं पाता (5)। वहीं, मसालेदार खाद्य पदार्थ से अपच की समस्या हो सकती है, जिस कारण प्रेगनेंसी के समय ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहने की सलाह दी जाती है ( 6)।
  • उल्टी और मतली – प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक उल्टी और मतली भी है। स्पाइसी फूड इन परेशानियों को बढ़ा सकते हैं। इसी वजह से इस दौरान महिलाओं को स्पाइसी फूड के सेवन से बचने के लिए सलाह दी जाती है (2)।
  • गैस और पेट फूलना – प्रेगनेंसी में मसालेदार खाने से गैस और पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। एक रिसर्च पेपर से जानकारी मिलती है कि मसालेदार खाना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण बनता है (7)। इस समस्या के लक्षण में गैस बनना और पेट फूलने की शिकायत भी शामिल है (8)। अन्य शोध में बताया गया है कि चावल युक्त मसालेदार खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जिससे आंत में गैस बन सकती है। इससे पेट फूला हुआ और भारी महसूस होता है (9)।
  • पेट में दर्द – मसालेदार खाने में मिर्च का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन कंपाउंड की वजह से पेट में दर्द और जलन हो सकती है (9)। साथ ही हम ऊपर बता ही चुके हैं कि मसालेदार खाना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का जोखिम पैदा करता है (7)। इस परेशानी के होते ही पेट में दर्द होने लगता है (8)। इसी वजह से गर्भावस्था में मसालेदार खाने का सेवन न करने या सीमित करने की सलाह दी जाती है।

आइए, अब जानते हैं कि गर्भावस्था में स्पाइसी फूड खाने से बच्चे को नुकसान हो सकता है या नहीं।

क्या प्रेगनेंसी में मसालेदार खाना खाने से बच्चे को कोई नुकसान हो सकता है ?

गर्भावस्था के समय मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करने से होने वाले शिशु को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचती है। ऐसा माना जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले आहार से होने वाले शिशु के टेस्‍ट बड्स यानी स्वाद कलिकाएं विकसित होने लगती हैं (10)। ऐसे में हो सकता है कि मसालेदार खाना खाने की वजह से बच्चे के खाने की पसंद प्रभावित हो जाए। हालांकि, इस बात को प्रमाणित करने के लिए सटीक अध्ययन मौजूद नहीं हैं और न ही यह किसी तरह का नुकसान है।

लेख के अगले हिस्से में हम गर्भावस्था में मसालेदार खाना खाने से जुड़े टिप्स और सावधानियां बता रहे हैं।

प्रेगनेंसी में सही तरीके से मसालेदार खाना खाने के टिप्स और सावधानियां

प्रेगनेंसी के दौरान मसालेदार खाने के लिए क्रेव कर रही हैं, तो इसे सीमित मात्रा में खाने के सही टिप्स अपना सकती हैं। आगे हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से प्रेगनेंसी में स्पाइसी फूड लेने के सही तरीके बता रहे हैं।

  • प्रेगनेंसी में सही तरीके से मसालेदार खाना खाने से पहले सही मसाले का चयन जरूरी है। हमेशा फूड सर्टिफिकेशन अथॉरिटी से प्रमाणित अच्छे ब्रांड के मसाले ही खरीदें। ऐसा करने से हानिकारक कंपाउंड से बचने में मदद मिल सकती है।
  • सही मसाले खरीदने के बाद आहार में कम मात्रा में मसालों का इस्तेमाल करें।
  • कुछ चटपटा और मसालेदार खाने का मन कर रहा है, तो नींबू और काले नमक की मदद लें।
  • अलग-अलग तरह के ज्यादा मसाले इस्तेमाल करने की जगह हल्की मात्रा में ऑरेगेनो यानी अज्वाइन और सूखे प्याज के चूरे का इस्तेमाल कर लें।
  • मसालेदार खाने को हमेशा कम मात्रा में ही खाएं।
  • आहार में उपयोग करने वाले मसालों को हमेशा एयरटाइट डिब्बों में ही रखें।
  • मसाले लेते समय एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें।
  • संभव हो, तो साबुत मसाले खरीदकर इन्हें घर में ही ग्राइंड करें।
  • खुले मसाले खरीदने से बचें, क्योंकि इसमें खराब तत्व मिले हो सकते हैं।
  • अगर मसालेदार खाने के सेवन से पेट में जलन महसूस होती है, तो इसका सेवन बंद कर दें।
  • बाहर स्पाइसी फूड खाने की जगह घर में ही कम मसालों से बने आहार को प्राथमिकता दें।

अब हम गर्भावस्था में मसालेदार खाने से जुड़े कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने के लिए मसालेदार खाना खाना चाहिए?

यूं तो खुद से प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हां, अगर जरूरत पड़े, तो मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने के लिए किया जा सकता है। एनसीबीआई की रिसर्च में दिया है कि यह प्रसव की प्रक्रिया को तेज कर सकता है (11)।

क्या गर्भ में पल रहा शिशु मसालेदार भोजन का स्वाद चख सकता है?

जी हां, गर्भ में पल रहा शिशु गर्भवती द्वारा खाए जाने वाले मसालेदार खाने का स्वाद ले सकता है। दरअसल, भ्रूण के 30 हफ्ते पूरे होने पर उसके टेस्ट बड्स विकसित होने लगते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गर्भवती द्वारा लिए जाने वाले खाद्य पदार्थ का स्वाद शिशु भी चख सकता है (10)।

गर्भावस्था में सही आहार का सेवन जरूरी होता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान पोषक तत्वों से भरपूर आहार का ही सेवन करें। मसालेदार खाने की तलब के चलते पौष्टिक आहार को दरकिनार नहीं करना चाहिए। हां, कभी-कभी स्वाद के लिए स्पाइसी फूड भी ले सकते हैं, लेकिन ध्यान दें कि ये न ज्यादा मसालेदार हों और न ही इसे ज्यादा खाया जाए। एहतियातन मसालेदार खाना खाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

References

  1. Is there a relationship between children’s behaviour and food cravings during pregnancy
    https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S1658361218301070
  2. HEALTHY EATING TIP OF THE MONTH
    https://www.med.umich.edu/pfans/_pdf/hetm-2017/0417-prenatalnutrition.pdf
  3. Food taboos in pregnancy and early lactation among women living in a rural area of West Bengal
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6396620/
  4. Pickles and ice cream! Food cravings in pregnancy: hypotheses, preliminary evidence, and directions for future research
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4172095/
  5. Common symptoms during pregnancy
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000583.htm
  6. Indigestion
    https://medlineplus.gov/ency/article/003260.htm
  7. Consumption of spicy foods and the prevalence of irritable bowel syndrome
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3801318/
  8. Irritable bowel syndrome
    https://medlineplus.gov/ency/article/000246.htm
  9. Are Rice and Spicy Diet Good for Functional Gastrointestinal Disorders
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2879848/
  10. Taste development and prenatal prevention
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31850766/
  11. Triggers of spontaneous preterm delivery – Why today
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4106670/
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