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प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को सभी तरह के खानपान को संतुलित रखना चाहिए। इससे शरीर को सही मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं और स्वस्थ रहने में भी मदद मिलती है। इस समय सही खाद्य के साथ ही महिलाओं को सही मात्रा में पेय पदार्थ भी लेना चाहिए। अगर ऐसा न हो, तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। जी हां, प्रेगनेंसी में शरीर में पानी की कमी होने पर क्या होता है, जानने के लिए मॉमजंक्शन के इस लेख को पढ़ें। यहां हम गर्भावस्था में पानी की कमी के कारण, लक्षण और इस कमी को दूर करने के तरीके बता रहे हैं।
आइए, जानते हैं कि प्रेगनेंसी के समय हाइड्रेट रहना कितना जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान हाइड्रेट रहना क्यों महत्वपूर्ण है?
गर्भावस्था के समय हाइड्रेट रहने से कई समस्याओं को पनपने से रोकने में मदद मिल सकती है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च में दिया है कि इस समय शरीर में पानी की कमी होने पर कॉग्निशन एबिलिटी और शारीरिक गतिविधि से जुड़ी क्षमता कम हो सकती है। साथ ही पेशाब प्रणाली से संबंधित रोग जैसे कि गुर्दे की पथरी, मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) और क्रोनिक किडनी रोग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, शरीर में पानी की कमी से हृदय रोग के जोखिम भी बढ़ सकते हैं (1)।
अब हम गर्भवती को कितना पानी पीना चाहिए, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
प्रेगनेंट महिला को कितना पानी पीना चाहिए?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च की मानें, तो गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है (2)। इस मात्रा को प्रेगनेंसी की तिमाही के अनुसार बढ़ाया जा सकता है। नीचे हम कौन-सी तिमाही में कितनी मात्रा में पानी बढ़ाना चाहिए, इसकी जानकारी नीचे दे रहे हैं।
पहली तिमाही – प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में महिलाएं रोजाना 10 गिलास तक पानी का सेवन कर सकती हैं। इसके अलावा, करीब 200 मिलीग्राम तक तरल पदार्थ भी ले सकती हैं।
दूसरी तिमाही – भोजन की खपत के अनुसार शरीर को पानी की जरूरत होती है। आम तौर पर हर व्यक्ति को प्रत्येक कैलोरी के लिए 1-1.5 मिली पानी की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, 2000-कैलोरी आहार खाने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 2000-3000 मिलीलीटर तरल पदार्थ पीना चाहिए।
वहीं, प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में अधिकांश गर्भवतियों को लगभग 300 कैलोरी की वृद्धि करने को कहा जाता है। साथ ही इस समय उन्हें कम-से-कम 300 मिलीलीटर अतिरिक्त तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में इस समय 10 गिलास पानी के अलावा 300 मिलीलीटर पानी अतिरिक्त पी सकते हैं।
तीसरी तिमाही – तीसरी तिमाही में गर्भवती की कैलोरी की मात्रा सामान्य दैनिक से 450 कैलोरी तक बढ़ सकती है। ऐसे में इस समय 700 मिलीलीटर तक पानी की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।
लेख के अगले भाग में हम प्रेगनेंसी में निर्जलीकरण का सबसे ज्यादा खतरा कब होता है, यह बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में निर्जलीकरण का अधिक खतरा कब होता है?
प्रेगनेंसी के समय जब गर्भवती अधिक शारीरिक गतिविधि करती है और प्रर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करती है, तो निर्जलीकरण का जोखिम बढ़ जाता है। इस समय शरीर को सामान्य से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है (1)। ऐसे में प्रेगनेंट महिलाओं को सही मात्रा में पानी पीकर निर्जलीकरण की समस्या को दूर रखना चाहिए।
आगे जानिए कि गर्भावस्था में नल का पानी पीना सुरक्षित है या नहीं।
क्या गर्भवती होने पर नल का पानी पीना सुरक्षित है?
जी नहीं, गर्भावस्था के समय नल का पानी पीना सुरक्षित नहीं होता है। इस समय नल का पानी पीने पर कुछ जोखिम उत्पन्न हो सकता है (3)। दरअसल, नल के पानी में लेड मौजूद होता है (4 )। लेड वाला पानी पीने से पेट में दर्द, कब्ज, थकान, सिरदर्द, भूख में कमी और कमजोरी हो सकती है (4 )। ऐसे में अगर किसी को प्रेगनेंसी के समय नल का पानी पीना पड़ रहा है, तो उस पानी को उबलकर छान लें। फिर पानी का सेवन करें।
अब हम गर्भवती के शरीर में पानी की कमी होने के कारण बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में पानी की कमी के क्या कारण होते हैं?
प्रेगनेंसी के समय शरीर में पानी की कमी होने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं।
- पानी कम पीना – प्रेगनेंसी के समय शरीर में पानी की कमी होने का सबसे मुख्य कारण है कम मात्रा में पानी पीना। कम मात्रा में पानी पीना और तरल पदार्थ का कम सेवन करने से निर्जलीकरण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है (1)।
- हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम – यह प्रेगनेंसी के समय होने वाली ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं को बहुत ज्यादा उल्टी और मतली होती है। ज्यादा उल्टी और मतली होने पर डिहाइड्रेशन के जोखिम बढ़ सकते हैं (5)।
- दस्त – गर्भावस्था के दौरान दस्त होना काफी आम होता है (6)। दस्त के कारण शरीर से अधिक तरह पदार्थ मल के जरिए बाहर निकल जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर में पानी की कमी हो सकती है (7)।
- एयर ट्रेवल – गर्भवती के शरीर में पानी की कमी होने का एक कारण प्लेन की यात्रा को भी माना जाता है। कैबिन में मौजूद हवा में कम नमी होती है। इससे शरीर में निर्जलीकरण हो सकता है (8)।
- ह्यूमिडिटी के कारण – अगर किसी गर्भवती को गर्मी के कारण अधिक पसीना आता है, तो इससे उनके शरीर में पानी की कमी हो सकती है (9)। ऐसी स्थिति में महिला को कुछ समय के अंतराल में पानी पीते रहना चाहिए।
इस लेख के अगले हिस्से में हम गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण की जानकारी दे रहे हैं।
गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण | Pregnancy mein pani ki kami ke lakshan
गर्भावस्था के समय शरीर में पानी की कमी होने पर कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान देकर जल्द से जल्द पानी पीना चाहिए। ये लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं (5) (10)।
- पेशाब का रंग गहरा होना
- त्वचा का बहुत ज्यादा रूखा नजर आना
- कमजोरी महसूस होना
- बहुत ज्यादा आलस आना
- चक्कर आना
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- मुंह सुखना
- सामान्य से कम पेशाब आना
- कम पसीना आना
चलिए, अब पढ़ते हैं कि गर्भावस्था के समय डिहाइड्रेशन का प्रभाव किस तरह से पड़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान निर्जलीकरण के प्रभाव
प्रेगनेंसी हो या सामान्य समय अगर लंबे समय तक डिहाइड्रेशन हो जाए, तो कुछ नुकसान हो सकते हैं। लोगों में डिहाइड्रेशन का प्रभाव इस तरह से नजर आ सकता है (10)।
- इससे कुछ लोगों को जान जाने का भी खतरा रहता है।
- अधिक समय तक निर्जलीकरण होने पर स्थायी रूप से ब्रेन डैमेज होने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
- शरीर में पानी की कमी से दौरे पड़ सकते हैं।
आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी के समय हाइड्रेट रहने के फायदे क्या-क्या होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान हाइड्रेटेड रहने के लाभ
प्रेगनेंसी के समय हाइड्रेट रहने पर गर्भवती को कई तरह के लाभ हो सकते हैं। हाइड्रेट रहने के फायदों में ये शामिल हैं।
- कब्ज से बचाव – गर्भावस्था के समय कब्ज होना काफी आम होता है। कब्ज से राहत पाने में पानी का सेवन मदद कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश मेडिकल रिसर्च में दिया है कि प्रेगनेंसी में अधिक तरल पदार्थ का सेवन करने पर कब्ज को कम करने में सहायता मिल सकता है (2)।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव – यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानी मूत्र प्रणाली में होने वाले संक्रमण को कम करने में शरीर का हाइड्रेशन मददगार हो सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, पानी पीने से यूटीआई की समस्या कम हो सकती है। इसके साथ ही एंटीमाइक्रोबियल युक्त अन्य दूसरे पेय पदार्थ का सेवन कर सकते हैं (11)।
- थकान कम करे – गर्भवतियों को बहुत ज्यादा थकान हो सकती है (12)। इस थकान को कम करने में हाइड्रेट रहना मददगार साबित हो सकता है। उसके लिए पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ का सेवन किया जा सकता है (13)।
- किडनी के लिए – शरीर के हाइड्रेट रहने पर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, पानी का नियमित रूप से सेवन करने पर किडनी फिल्टर स्वस्थ रह सकते हैं ( 13)।
- हृदय को स्वस्थ रखे – हृदय को रखने में हाइड्रेशन की भूमिका देखी जा सकती है। दरअसल, पानी शरीर के ब्लड वॉल्यूम और ब्लड प्रेशर को बनाए रखने में मदद करता है। इसका सीधा संबंध हृदय से होता है। अगर यह संतुलन में है, तो हृदय स्वस्थ रहता है (14)।
अगले भाग में हम गर्भावस्था के समय हाइड्रेट रहने के लिए जरूरी टिप्स दे रहे हैं।
प्रेगनेंसी में हाइड्रेटेड रहने के टिप्स | Treatment for dehydration during pregnancy in hindi
गर्भावस्था के दौरान खुद को हाइड्रेट रखने के लिए कई तरीकों को अपना सकते हैं। इन तरीकों में ये शामिल हैं।
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए नींबू, खीरा, पुदीना को पानी में डालकर ले सकते हैं।
- इस समय फलों के इस्तेमाल से बनाए गए स्मूदी और जूस का सेवन करने पर भी शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिल सकती है (15)।
- सुबह उठाते ही एक से डेढ़ गिलास पानी का सेवन करें।
- घर से बाहर निकलते समय पानी की बोतल साथ रखें।
- कुछ खाद्य पदार्थ में पानी की अच्छी मात्रा होती है, जिसके सेवन से शरीर हाइड्रेट रह सकता है।
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए नारियल पानी पी सकते हैं।
अब हम बताएंगे कि प्रेगनेंसी के समय किस तरह के पेय पदार्थ को लेने से बचना चाहिए।
प्रेगनेंसी में किस तरह के पेय पदार्थ से खुद को दूर रखना चाहिए?
प्रेगनेंसी के समय कुछ ऐसे भी पेय पदार्थ होते हैं, जिन्हें लेने से बचना चाहिए। इन पेय पदार्थों में ये शामिल हैं।
- अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।
- कॉफी के सेवन को कम या बंद करना चाहिए, क्योंकि इसमें कैफीन होता है, जो गर्भवावस्था हानिकारक प्रभाव डाल सकता है (15)।
- बहुत ज्यादा ठंडे या गर्म पेय पदार्थ को न पिएं।
- बाजार में मिलने वाले एनर्जी ड्रिंक्स को न लें।
- सोडा युक्त पेय पदार्थ का ज्यादा सेवन न करें।
प्रेगनेंसी में पानी की कमी को रोकने के लिए नियमति रूप से समय-समय पर पानी पीते रहना चाहिए। इससे शरीर में पानी की मात्रा बनी रहती है और परेशानी को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है। अगर किसी के शरीर में पानी की कमी हो रही है, तो ऊपर बताए गए लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत पानी पीकर खुद को हाइड्रेट कर सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई सभी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
References
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7006388/ - Nutrition Column An Update on Water Needs during Pregnancy and Beyond
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1595116/ - Exposure to tap water during pregnancy
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/11477520/ - Lead in Drinking Water
https://www.cdc.gov/nceh/lead/prevention/sources/water.htm - Hyperemesis gravidarum
https://medlineplus.gov/ency/article/001499.htm - Constipation and diarrhea in pregnancy
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/9546090/ - Dehydration and diarrhea
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2791660/ - Air travel during pregnancy
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5997026/ - Influence of Air Temperature and Humidity on Dehydration Equilibria and Kinetics of Theophylline
https://www.hindawi.com/journals/jphar/2013/892632/ - Dehydration
https://medlineplus.gov/dehydration.html - PURLs: Can drinking more water prevent urinary tract infections?
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7271893/ - Common symptoms during pregnancy
https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000583.htm - Effects of Changes in Water Intake on Mood of High and Low Drinkers
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3984246/ - Water, Hydration and Health
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2908954/ - Proper Nutrition during Pregnancy
https://www.health.gov.il/English/Topics/Pregnancy/during/Pages/proper_nutrition_during_pregnancy.aspx
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