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भारतीय परंपरा में ज्योतिष के अनुसार, आंख फड़कना बैड और गुड लक के साथ जुड़ा हुआ है। वहीं, अगर यही गर्भावस्था के दौरान हो तो चिंता और बढ़ सकती है। ऐसे में प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग को लेकर कब चिंता करनी चाहिए, इसी विषय से जुड़ी जरूरी बातें आप मॉमजंक्शन के इस लेख में पढ़ सकते हैं। यहां प्रेगनेंसी में आंखों के फड़कने के लक्षण, कारण और उपचार की जानकारी दी गई है। साथ ही प्रेगनेंसी में आंखों का फड़कना घरेलू तौर पर कैसे कम कर सकते हैं, यह भी पढ़ सकते हैं।

सबसे पहले यह जानें कि प्रेगनेंसी में पलकें फड़कना कितना सामान्य है।

क्या गर्भावस्था के दौरान आंख फड़कना आम समस्या है?

हां, गर्भावस्था के दौरान आंख का फड़कना सामान्य हो सकता है। दरअसल, आंखों का फड़कना या आईलिड मायोकिमिया (Eyelid Myokymia) पलकों की मांसपेशियों में आ रही तनाव के कारण हो सकता है, जो अक्सर अधिक तनाव लेने या चिंता करने के कारण हो सकती है। इसी वजह से कभी-कभी आंखें फड़क सकती हैं, जो आमतौर पर कुछ ही देर में, कुछ ही दिनों या लगभग एक सप्ताह में आपने आप ठीक भी हो सकती है (1) । वहीं, गर्भावस्था का दौरान महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक तनाव व थकान हो सकती है (2)। ऐसे में माना जा सकता है कि यह भी प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग का एक कारण हो सकता है।

वहीं, अगर आंखों का फड़कना या आई ट्विन्चिंग की समस्या बार-बार होने लगे या यह गंभीर हो जाए, तो मेडिकल टर्म में इसे ब्लेफेरोस्पाज्म (Blepharospasm) कहते हैं (1)गर्भावस्था के छठे महीने के दौरान बढ़े हुए एस्ट्रोजन के कारण इसकी समस्या हो सकती है (3)। ज्यादातर मामलों में इसके कारण स्पष्ट नहीं हो पाते हैं। इसकी समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकती है, लेकिन मध्यम और अधिक उम्रदराज महिलाएं इस समस्या के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं (4)। इतना ही नहीं, ऊपरी पलकों की तुलना में निचली  पलकों का फड़कना अधिक बार देखा जा सकता है (5)

अब हम गर्भावस्था में आंख फड़फड़ाने के कारण बता रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान आंख फड़कने का कारण

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेश (NCBI) के अनुसार, आंखों के फड़कने के पीछे स्पष्ट कारण क्या हो सकते हैं, इसकी सटीक जानकारी नहीं हुई है। हालांकि, गर्भावस्था में बढ़ा हुआ एस्ट्रोजन हार्मोन इसका एक कारण बन सकता है (3)। इसके अलावा, ऐसे कई अन्य कारण भी हैं, जो सामान्य स्थिति में या प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग के कारण हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (4) (6):

  • बेसल गैन्ग्लिया विकार (Basal Ganglia Disorder) होना। मोटर फंक्शन्स को प्रभावित करने वाली एक तरह का विकार है 7
  • न्यूरो फिजियोलॉजिकल (Neurophysiological) से जुड़ी समस्याएं, यह तंत्रिका कोशिका या नर्व सेल्स से जुड़ी समस्याएं होती हैं।
  • न्यूरोइमेजिंग (Neuroimaging) यानी मस्तिष्क की संरचना से जुड़ी स्थितियां।
  • आनुवंशिक कारक। अगर गर्भवती के परिवार में माता-पिता या अन्य सदस्यों को पलके फड़कने की समस्या रही हो तो उसे भी इसकी परेशानी हो सकती है।

इसके अलावा, मांसपेशियों में तनाव के कारण भी आई ट्विन्चिंग हो सकती है, इस वजह से कुछ अन्य स्थितियां भी इसके कारणों में शामिल हो सकती हैं, जैसे (1) (5) (8):

  • अत्यधिक शराब का सेवन करना।
  • थकान होना।
  • तेज रोशनी के संपर्क में जाना।
  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होना।
  • आहार में पोषक तत्वों की कमी होना।
  • धूम्रपान करना।
  • मांसेपशियों में तनाव होने के कारण भी आंखे फड़क सकती हैं (10)
  • शरीर में पोटेशियम की कमी होने से भी मांसपेशियों में खिंचाव और तनाव हो सकता है (10)
  • गर्भावस्था में आंखों में सूखापन या ऐंठन हो सकती है (11)। इसलिए, इसे भी प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग का एक कारण माना जा सकता है।
  • बहुत ज्यादा लेपटॉप, फोन या कंप्यूटर का इस्तेमाल करने से आंखों पर दबाव पड़ सकता है, जिस वजह से आंखें थक सकती हैं। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहा जाता है (12)। थकान भी बार-बार पलकों के फड़कने की समस्या को बढ़ा सकता है। यही वजह है कि आई स्ट्रेन से भी प्रेगनेंसी में आंखों का फड़कना बढ़ा सकता है।

आगे पढ़ें प्रेगनेंसी में आंखों के फड़कने के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं।

गर्भावस्था में आंख फड़कने के लक्षण

गर्भावस्था में आंख फड़कने के लक्षण सामान्य दिनों जैसे ही हो सकते हैं, जो कुछ ही दिनों में अपने आप दूर भी हो सकते हैं। यहां हम आंख फड़कने के निम्नलिखित लक्षण बता रहे हैं, जिनके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं (1) (4)

  • पलकों का बार-बार अनियंत्रित रूप से फड़कना।
  • तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
  • दिन के दौरान पलकों का झपकना अधिक होना।
  • आंखों में थकान होना।
  • आंखें खुली रखने में परेशानी होना या मजबूरन पलकें नीचे की ओर झपकती हो।

गर्भावस्था के दौरान आईलिड ट्विचिंग के घरेलू उपचार कैसे करें, जानने के लिए स्क्रॉल करें।

गर्भावस्था में आंख फड़कने के घरेलू उपचार

घरेलू तौर पर गर्भावस्था में आंखों का फड़कना कम करने या इसका उपचार करने के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं। ध्यान रखें, ये उपाय आंखों के फड़कने के कारण के आधार पर कारगर हो सकते हैं। इसलिए, आंखों के फकड़ने के कारणों को ध्यान में रखते हुए ही यहां बताए गए घरेलू उपाय करें। साथ ही अगर समस्या अधिक हो तो घरेलू उपायों पर न निर्भर करते हुए डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता दें:

  1. कैफीन का कम सेवन : एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, कैफीन का अधिक सेवन आंखों के फड़कने का जोखिम बढ़ा सकता है। इसलिए, इस समस्या का उपाय करने के लिए आहार में कैफीन का कम सेवन करें (5)। ध्यान रहे गर्भावस्था में ऐसे भी सीमित मात्रा में ही कैफीन युक्त पेय का सेवन करें (13)। अधिक सेवन गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है (14)
  1. तनाव और चिंता से दूर रहने की कोशिश करें: किसी भी तरह का भावनात्मक तनाव लेना या चिंता करना आंखों के फड़कने के लक्षण गंभीर कर सकते हैं (4) (5)। इसलिए, तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान देना चाहिए। इस आधार पर तनाव व चिंता कम करने से गर्भावस्था के दौरान आईलिड ट्विचिंग के जोखिम काफी कम किए जा सकते हैं और इससे बचाव करने में भी मदद मिल सकती है।
  1. धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी : धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करना भी आईलिड ट्विचिंग के कारण हो सकते हैं। इसलिए, आईलिड ट्विचिंग के घरेलू उपाय में स्मोकिंग और ड्रिंकिंग की आदत से दूर रहना भी शामिल किया जा सकता है (5)। साथ ही ये नशीले पदार्थ शिशु के लिए भी जोखिमभरा हो सकता है (15)। ऐसे में बेहतर है इनसे दूरी बनाना।
  1. आराम करें : जैसे कि हमने जानकारी दी है कि एनसीबीआई के एक रिपोर्ट के अनुसार, थकान के कारण भी पलकों के फड़कने का जोखिम बढ़ सकता है (5)। ऐसे में उचित रूप से आराम करने से भी कुछ ही घंटों या दिनों में आंखों के फड़कने की समस्या से निजात पाया जा सकता है (16)। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को उचित रूप से शारीरिक आराम करना चाहिए। आराम करने से थकी हुई मांसपेशियों को हुई क्षति को कम किया जा सकता है, जिस वजह से यह पलकों का फड़कना कम कर सकता है।
  1. आंखों पर खीरे की स्लाइस रखें : आंखों का तनाव कम करने के लिए अक्सर लोग खीरे की स्लाइस का इस्तेमाल करते हैं। यही स्लाइस प्रेगनेंसी में पलकें फड़कना को भी कम कर सकता है। दरअसल, खीरे में त्वचा को नमी देने का प्रभाव होता है। इसके अलावा, खीरे की स्लाइस में हाइड्रेटिंग गुण होते हैं, जो आंखों और आसपास के ऊतकों को नमी प्रदान करने में मदद कर सकता है (17)। ऐसे में माना जा सकता है कि खीरे का टुकड़ा प्रेगनेंसी में आंखों का फड़कना भी कम कर सकता है।
  1. पोटेशियम युक्त आहार : पोटेशियम का कम स्तर मांसपेशियों में खिंचाव व तनाव बढ़ा सकता है, जो पलकों के फड़ने का एक कारण हो सकता है (10)। पोटेशियम एक मिनरल होता है, जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की तरह होता है। यह शरीर को बेहतर तरीके से कार्य करने और मांसेपशियों को बनाने जैसे कार्यों में मदद कर सकता है। ऐसे में आहार में उचित मात्रा में निम्नलिखित पोटेशियम युक्त खाद्य शामिल करके गर्भवती महिलाएं आंखों के फड़कने का घरेलू उपचार कर सकती है। साथ ही बता दें कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था में प्रतिदिन 2600 से 2900 मिलीग्राम तक की मात्रा तक पोटेशियम का सेवन करना सुरक्षित माना जा सकता है (18)
  • पोटेशियम युक्त शाकाहारी खाद्य – सोया प्रॉडक्ट, ब्रोकली, मटर, टमाटर, आलू, शकरकंद।
  • पोटेशियम युक्त मांसाहारी खाद्य – चिकन, मछली।
  • पोटेशियम युक्त फल – खट्टे फल, खरबूज, केला, कीवी, अंजीर।
  • पोटेशियम युक्त डेयरी उत्पाद खाद्य – दूध, दही और नट्स।

नोट : अगर मन में कुछ दुविधा हो तो गर्भावस्था में इनके सेवन से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह भी जरूर लें।

  1. पोषक तत्वों का सेवन करना : पोटेशियम के साथ ही कैल्शियम, फोलिक एसिड, फास्फोरस और मल्टीविटामिन का उचित सेवन करने से आंखों का फकड़ना कम किया जा सकता है। हालांकि, इस विषय की पुष्टि करने के लिए अभी भी उचित शोध किए जा रहे हैं (5)। इसलिए, प्रेगनेंसी में आंखों के फड़कने से बचाव या उनके लक्षण कम करने के लिए महिलाएं डॉक्टरी सलाह पर विभिन्न पोषक तत्वों का सेवन कर सकती हैं।
  1. टॉनिक वॉटर (Tonic Water) : टॉनिक वॉटर, सिनकोना (Cinchona-एक प्रकार का पौधा) की छाल से पाए जाने वाले कंपाउंड क्यूनाइन (Quinine) से बनाया जाता है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, माना जाता है कि क्यूनाइन टॉनिक वॉटर लगातार पलक फड़कने वाले रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। क्यूनाइन नसों और मांसपेशियों में होने वाले सिकुड़न व ऐंठन को कम करके इससे राहत दिला सकता है (16)। ध्यान रखें कि, इस टॉनिक वॉटर का उपयोग गर्भावस्था की पहली तिमाही में किया जा सकता है, क्योंकि इस दौरान क्यूनाइन के उपयोग को सुरक्षित बताया गया है (19)। हालांकि, बेहतर है इसके उपयोग से पहले गर्भवती डॉक्टरी सलाह लें।
  1. आई स्ट्रेन कम करना : आंखों पर पड़ने वाला किसी भी तरह का जोर आई स्ट्रेन या आंखों पर दबाव बढ़ा सकता है। इससे आंखें थकी हुई महसूस कर सकती हैं (12)। वहीं हमने पहले ही जानकारी दी है कि थकान भी आंख फड़कने का एक कारण हो सकता है (1)। ऐसे में कंप्यूटर, लैपटॉप, फोन या टीवी कम से कम देखें। अगर स्क्रीन के सामने समय गुजारना है, तो हर 20 से 30 मिनट के बीच ब्रेक लें। ऐसा करने से ड्राई आंखों से भी बचाव किया जा सकता है। साथ ही, स्क्रीन प्रोटेक्शन चश्में का इस्तेमाल करें, इससे भी स्क्रीन टाइम के दौरान आंखों पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सकता है।
  1. भरपूर नींद लें : कोशिश करें हर दिन अच्छी नींद लें। कम से कम आठ घंटे की नींद पूरी करें (1)। इससे आंखों के साथ-साथ शरीर को भी आराम मिलेगा।
  1. ठंडी सिकाई करें : आंखे आने पर भी पलके फड़कने की समस्या हो सकती है (1)। वहीं, इसके इन लक्षणों को कम करने में कोल्ड कंप्रेस या ठंडी सिकाई करना लाभकारी साबित हो सकता है (20)। दरअसल, इससे आंखों को आराम मिल सकता है और इससे लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इस आधार पर मान सकते हैं कि पलकों के फड़कने की समस्या से भी कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
  2. आंखों की एक्सरसाइज : आंखों की मांसपेशियों को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए नियमित व्यायाम की आवश्यकता हो सकती है। आंखों की एक्सरसाइज करने से आंखों के मूवमेंट और दृष्टि के साथ-साथ आंखों की थकान, मांसपेशियों की ऐंठन और लालिमा में भी सुधार हो सकता है। यहां हम कुछ आसान से आंखों की एक्सरसाइज बता रहे हैं, जिन्हें बिना किसी उपकरण के मिनटों में किया जा सकता है (21)

i) फोकस एक्सरसाइज

आंखों की यह एक्सरसाइज आंखों के लचीलेपन को बढ़ाने और आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं, साथ ही देखने की क्षमता में भी सुधार हो सकता है।

कैसे करें :

  • किसी शांत कमरे में दीवार से लगभग 6 मीटर की दूरी पर बैठें।
  • अब एक पेंसिल की नोक को अपनी नाक के सेंटर से लगभग छह इंच की दूरी पर रखें।
  • सबसे पहले पेंसिल की नोंक को देखें, फिर कमरे में दूर पड़ी किसी दूसरी वस्तु की तरफ देखें। कुछ सेकंड के लिए ऐसा करें और फिर से कुछ सेकंड के लिए पेंसिल की नोक को देखें।
  • इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं और नियमित इसका अभ्यास करें।

ii) पलकें झपकाना

इस तरह का अभ्यास करने से आंखों पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सकता है। इससे आंखों की थकान दूर करके उन्हें तरोताजा रखा जा सकता है।

कैसे करें :

  • 3 से 4 सेकंड के लिए अपनी आंखों को बंद करें।
  • फिर 3 से 4 सेकंड तक आंखों को खुला रखें।
  • इसी तरह 7 से 8 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

iii) हथेलियों से आंखों को ढकना

यह व्यायाम आंखों के तनाव को दूर करने और पलकों की मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकता है। साथ ही यह आंखों को ऊर्जा भी दे सकता है।

कैसे करें :

  • टेबल के सामने कुर्सी पर बैठें।
  • फिर टेबल पर झुकते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को टिकाएं।
  • अब दोनों हाथेलियों से अपनी आंखों को ढंक लें।
  • हथेलियों को इस तरह रखें कि उंगलियां माथे पर हों और हथेलियों का निचला हिस्सा चीकबोन पर हो।
  • इस दौरान हथेलियों से आंखों पर किसी तरह का दबाव न बनाएं।
  • लगभग 5 मिनट तक हथेलियों को ऐसे ही रखें।
  • दिनभर में दो से तीन बार इस तरह इसका अभ्यास कर सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान आईलिड ट्विचिंग दूर करने के घरेलू तरीके जानने के बाद, अब पढ़ें कुछ डॉक्टरी इलाज।

प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग के उपचार

आंखों का फड़कना आमतौर पर बिना उपचार के ही ठीक हो सकता है। हालांकि, इस दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ उपचार के साथ ही कुछ बातों के लिए जरूरी दिशानिर्देश भी दे सकते हैं, जैसे (1) (4) (8) :

  • भरपून नींद लेना।
  • कैफीन का कम सेवन करना।
  • अल्कोहल से परहेज करना।
  • आंखों में आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना।
  • तनाव कम करना।
  • डॉक्टर महिला की स्थिति को देखते हुए दवा दे सकते हैं।
  • बोटुलिनम थेरेपी देना। इस थेरेपी में बोटुलिनम टॉक्सिन टाइप ए (Botulinum Toxin Type A) इंजेक्शन दिया जाता है। अगर आंखों का फड़कना गंभीर हो गया है, यानी ब्लेफेरोस्पाज्म की समस्या हो गई है, तो नेत्र विशेषज्ञ बोटुलिनम टाइप ए टॉक्सिन इंजेक्शन की खुराक दे सकते हैं। इस इंजेक्शन को आंखों के ऊपर और नीचे लगाया जा सकता है।

नोट: एनसीबीआई में इसका जिक्र मिलता है कि प्रेगनेंसी में आखों के फड़कने के लक्षण कम करने के लिए बोटुलिनम टॉक्सिन टाइप ए इंजेक्शन का इस्तेमाल करना मां और भ्रूण दोनों के लिए सुरक्षित हो सकता है (22)। हालांकि, गर्भवती के अन्य स्वास्थ्य स्थितियों और गर्भावस्था के चरण के आधार पर नेत्र विशेषज्ञ इस इंजेक्शन के लगाने या न लगाने की सलाह दे सकते हैं।

लेख के आखिरी में पढ़ें आंख फड़कने की समस्या में डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।

डॉक्टर से कब संपर्क करें

देखा जाए, तो प्रेगनेंसी में पलकें फड़कना सामान्य है, इसे लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए, लेकिन अगर इसकी समस्या गंभीर होती है, तो उचित समय पर डॉक्टरी इलाज करवाएं। यहां हम इससे जुड़ी कुछ स्थितियां बता रहे हैं, अगर इनमें से कोई भी लक्षण या समस्या होती है, तो तुरंत इस बारे में अपने डॉक्टर या नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें (1) (5)

  • 1 सप्ताह या इसके बाद भी आंखों का फड़कना जारी रहना।
  • पलकों के फड़कने के दौरान आंखों का पूरी तरह से बंद होना।
  • जब आंखें फड़कती हैं, तो इस दौरान चेहरे के अन्य हिस्से में भी किसी तरह की कोई हरकत होना।
  • आंखों में लालिमा होना।
  • आंखों में सूजन होना।
  • आंखों से किसी तरह का तरल पदार्थ बहना या डिस्चार्ज होना।
  • ऊपरी पलक का झुकी हुई नजर आना।
  • आंखें खोलने में परेशानी होना।
  • पलकों का झड़ना।

गर्भावस्था में किसी भी तरह की शारीरिक समस्या होने पर हर कोई चिंतित हो जाता है, जो काफी हद तक सही भी है। हालांकि, परेशान होना किसी भी समस्या का हल नहीं होता है। इसलिए, गर्भावस्था से जुड़ी किसी भी स्थिति के होने पर उसकी उचित जानकारी इक्ठ्ठा करें। उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में आपको प्रेगनेंसी में पलकें फड़कना, इसके कारण व लक्षण समझने में मदद मिली होगी। साथ ही यहां पर प्रेगनेंसी मे आई ट्विन्चिंग के घरेलू उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत और समझ के अनुसार कर सकते हैं। गर्भावस्था से जुड़ी इसी तरह की अन्य जानकारियों के लिए बनें रहें हमारे साथ और पढ़ते रहें मॉमजंक्शन के लेख।

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