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गर्भावस्था के लक्षण हर महिला में कुछ सामान्य और कुछ भिन्न होते हैं। उन्हीं लक्षणों में से एक है शरीर सुन्न होना या शरीर के किसी अंग में झुनझुनी महसूस होना। ऐसी महिलाएं, जो पहली बार मां बन रही हैं, उन्हें प्रेगनेंसी के ये लक्षण चिंता में डाल सकते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम मॉमजंक्शन के इस लेख में गर्भावस्था में शरीर सुन्न होना और झुनझुनी होने की समस्या के बारे में बता रहे हैं। हमारी कोशिश यही रहेगी कि हम अपने पाठकों तक इस विषय से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचाएं।
सबसे पहले जानते हैं कि गर्भावस्था में शरीर सुन्न होना आखिर क्या है।
प्रेगनेंसी में शरीर का सुन्न पड़ना क्या है? | Pregnancy Mein Sharir Sunn Hona
गर्भावस्था में शरीर सुन्न होने का मतलब है, कुछ अंगों में स्पर्श या अन्य तरह के एहसास को महसूस न कर पाना। इसी वजह से कभी-कभी प्रभावित अंगों में झनझनाहट होने लगती है। झनझनाहट के साथ ही उस हिस्से में हल्की सुई की चुभन का एहसास होता है। यह गर्भावस्था के सामान्य लक्षणों में से एक है। बताया जाता है कि यह प्रसव के कुछ वक्त बाद अपने आप ठीक हो सकता है (1)।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में झनझनाहट की समस्या कब हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान झनझनाहट कब होती है?
प्रेगनेंसी के दौरान नीचे बताई गई स्थितियों में झनझनाहट का एहसास हो सकता है :
- सोकर उठने के बाद – गर्भावस्था में शरीर सुन्न होने या कुछ अंगों में झुनझुनी की शिकायत महिला को सोकर उठने के बाद हो सकती है (1)। ऐसा एक ही मुद्रा में काफी देर तक लेटे रहने के कारण हो सकता है।
- ज्यादा देर तक एक ही पोजिशन– जैसे एक ही मुद्रा में लेटे रहने से यह समस्या हो सकती है, वैसे ही लगातार एक ही स्थिति में बैठे रहने या खड़े रहने से भी यह शिकायत हो सकती है (2)।
- ज्यादा वजन उठाना– डॉक्टर अक्सर गर्भावस्था में भारी काम करने व भारी वस्तु उठाने से मना करते हैं। दरअसल, भारी सामान या भारी काम करने की वजह से भी गर्भावस्था में कलाई व बांह सुन्न होने या हाथों में झुनझुनी होने की परेशानी हो सकती है (3)।
नोट : हर महिला की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है। ऐसे में हो सकता है कुछ महिलाओं को ऊपर बताई गई परिस्थितियों में शरीर में झुनझुनी महसूस हो और कुछ को नहीं।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था के समय शरीर के अंग सुन्न पड़ने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
गर्भावस्था में शरीर क्यों सुन्न होता है?
गर्भावस्था में शरीर सुन्न पड़ने और झुनझुनी होने के कई कारण हो सकते हैं। उनमें से कुछ सामान्य कारण इस प्रकार है :
- हार्मोनल बदलाव होना – गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन में बदलाव होना सामान्य है। इसका असर कई बार मांसपेशियों पर भी पड़ने लगता है। इससे पैरों में ऐंठन, झनझनाहट या अंग सुन्न होने की समस्या हो सकती है (1)।
- पेरीफेरल न्यूरोपैथी– यह गर्भावस्था के दौरान सामान्य है (4)। यह तंत्रिका तंत्र की समस्या होती है, जिसमें पेरीफेरल नसें ठीक तरह से काम नहीं कर पाती है। इस कारण अंगों में झनझनाहट या सुन्न पड़ने की समस्या हो सकती है (5)। इसलिए ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर के स्तर का नियंत्रण बेहद जरूरी है। यहीं कारण है कि इस तरह के लक्षणों का नियमित चेकअप कराना आवश्यक है।
- गर्भाशय के कारण नसों पर दवाब – गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होने लगता है, वैसे-वैसे गर्भाशय का आकार भी बढ़ता है। बढ़ते गर्भाशय की वजह से पैरों की नसों पर दबाव पड़ने लगता है। ऐसे में महिला को पैरों और तलवे में झुनझुनी महसूस हो सकती है या कभी-कभी पैर सुन्न महसूस हो सकते हैं (1)।
- एनीमिया (खून की कमी)– आयरन की कमी की वजह से होने वाले एनीमिया के कारण भी गर्भावस्था में शरीर के अंग सुन्न पड़ने की समस्या हो सकती है। यह सुन्नपन खासकर मुंह की झिल्ली यानी मेम्ब्रेन (Oral Mucosa) में हो सकता है (6)।
- स्ट्रोक – प्रेगनेंसी में स्ट्रोक के लक्षणों में से एक अंगों का सुन्न होना भी है। इस दौरान अचानक चेहरे, पैर या हाथ सुन्न होने या झुनझुनी होने की समस्या हो सकती है (7)। यह एक तरह की एक्यूट इमरजेंसी है अर्थात इसमें तत्काल उपचार की सुविधा प्राप्त करनी चाहिए
- कार्पल टनल सिंड्रोम होना – नर्व पर अधिक दवाब पढ़ने से कार्पल टनल सिंड्रोम हो जाता है। इसके कारण गर्भवती को हाथ और कलाई में कमजोरी, दर्द, सूजन व झुनझुनी का एहसास होता है। ऐसा खासतौर से गर्भावस्था की तीसरे तिमाही में होता है (8)। कलाई में मौजूद ऊतकों में सूजन होने के कारण भी यह हो सकता है। बताया जाता है कि यह गर्भावस्था के कुछ वक्त बाद अपने आप ठीक हो सकता है (9)।
अब जानते हैं कुछ घरेलू उपचारों के बारे में।
गर्भावस्था में कौन से अंग सुन्न होते हैं और उनके घरेलू उपचार
प्रेगनेंसी में कौन से अंग सुन्न पड़ते हैं, इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं। साथ ही उनसे बचाव के कुछ घरेलू उपचार के बारे में भी हम बताएंगे।
प्रेगनेंसी में जीभ सुन्न होना
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जीभ सुन्न पड़ने की समस्या हो सकती है। ऐसा किसी खास प्रकार के खाने या फूड एलर्जी के कारण हो सकता है। ऐसे में नीचे बताई गई बातों को ध्यान में रखकर इससे कुछ हद तक राहत मिल सकती है :
- ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची बनाएं, जिसके सेवन के बाद जीभ सुन्न होने की समस्या होती है। फिर उन्हें डाइट में शामिल करने से बचें।
- जैसे कि हमने ऊपर जानकारी दी है कि पौष्टिक तत्व जैसे – आयरन, फोलेट की कमी भी अंगों में झनझनाहट का कारण हो सकती है। ऐसे में अपनी डाइट में पौष्टिक आहार को जरूर शामिल करें।
- झटके या जोर से गर्दन न हिलाएं, ऐसा करने से नर्व डैमेज होने का डर हो सकता है, जिससे जीभ सुन्न होने की समस्या हो सकती है (10)।
गर्भावस्था में हाथ व उंगलियों का सुन्न होना
प्रेगनेंसी के दौरान न सिर्फ जीभ बल्कि हाथ और उंगलियां भी सुन्न हो सकती है। इस दौरान हो सकता है कि हाथ, कलाई या उंगलियों में कुछ महसूस न हो या किसी सुई के चुभने जैसी झनझनाहट हो। यह कार्पल टनल सिंड्रोम के कारण होता है। ऐसे में प्रेगनेंसी में हाथ और उंगलियां सुन्न होने से बचाव के घरेलू उपचार कुछ इस प्रकार हैं (8) :
- रात को सोने की मुद्रा का ध्यान रखें। हाथ या कलाई पर सोने से बचें।
- किसी भी चीज को लगातार एक ही पोजिशन में पकड़े न रहें।
- हाथ को मूव करते रहें।
- गर्म या ठंडा सेंक लें।
- रिस्ट स्प्लिंट (पट्टी) का उपयोग कर सकती हैं।
- भारी काम या भारी वजन उठाने से बचें (3)।
प्रेगनेंसी में पैर व एड़ियां सुन्न पड़ना
प्रेगनेंसी में पैर और एड़ियां भी सुन्न हो सकती हैं। ऐसा होने पर जब पैर को जमीन पर रखा जाता है, तो त्वचा में जमीन के स्पर्श का एहसास नहीं होता। इस दौरान पैर व एड़ियों में झुनझुनाहट हो सकती है (1)। ऐसा होने पर पैर व एड़ियों के लिए इन घरेलू उपचार की मदद ली जा सकती है।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- गुनगुने पानी में नमक मिक्स करके पैर डुबाएं।
- आइस पैक ले सकती हैं।
- हल्की मालिश कर सकती हैं।
गर्भावस्था में पेट सुन्न होना
गर्भावस्था में कुछ महिलाओं को पेट सुन्न होने की समस्या भी होती है, लेकिन इस बारे में कोई सटीक वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। यह गर्भावस्था और शारीरिक स्थिति के अनुसार कुछ महिलाओं को हो सकता है और कुछ को नहीं। ऐसे में इससे बचाव के इन घरेलू उपचार की मदद ले सकते हैं :
- रात को या कभी भी सोते वक्त करवट बदलते रहें।
- पेट के निचले हिस्से में दबाव न डालें।
- उठते और बैठते वक्त पेट के निचले हिस्से पर हाथ रखकर ध्यान से उठे और बैठें।
नोट : यहां बताए गए घरेलू उपायों के लिए वैज्ञानिक प्रमाण का अभाव है। कुछ जानकारी शोध के आधार पर, तो कुछ गर्भवतियों के अनुभव के आधार पर दी गई है। इसी वजह से डॉक्टर से भी इस मसले पर परामर्श जरूर करें।
अब जानते हैं कि झुनझुनी कम या उससे बचाव करने के लिए किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
प्रेगनेंसी में झुनझुनी कम करने के लिए क्या खाएं?
हमने पहले ही जानकारी दी है कि खून की कमी (एनिमिया) और आयरन के कम स्तर की वजह से अंगों का सुन्न पड़ना और झनझनाहट की समस्या होती है। साथ ही विटामिन-बी12 की कमी से भी ऐसा हो सकता है (11)। इसके अलावा, थियामिन यानी विटामिन-बी1 की कमी से भी यह परेशानी हो सकती है (12)। ऐसे में डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर आहार को शामिल करना जरूरी है। नीचे हम ऐसे ही कुछ आहार के बारे में जानकारी दे रहे हैं (13) :
- अच्छी तरह से उबला या पका हुआ अंडा।
- गर्भावस्था में डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन भी कर सकते हैं।
- हरी पत्तेदार सब्जियां ली जा सकती हैं।
- प्रेगनेंसी में चिकन खा सकते हैं।
- प्रेगनेंसी में फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे – ब्रोकली, पालक व संतरा भी शामिल कर सकते हैं।
- थियामिन की कमी से बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह पर आहार में बीन्स व नट्स शामिल करें (14)।
- धूप में बैठने से भी विटामिन डी का स्तर बेहतर होने से मदद मिलती है।
अब जानते हैं गर्भावस्था में शरीर सुन्न होने से या अंगों में झुनझुनी होने से बचाव के कुछ टिप्स।
प्रेगनेंसी में झनझनाहट से कैसे बचें?
प्रेगनेंसी में अंगों के झनझनाहट से बचाव करना मुश्किल हो सकता है। हां, इस समस्या की तीव्रता को या उसे बार-बार होने से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसमें नीचे बताए गए टिप्स से आपकी मदद कर सकते हैं :
- एक ही मुद्रा में देर तक बैठे या खड़े न रहें।
- सही पोजिशन में बैठे या खड़े हों।
- आरामदायक चप्पल या जूते पहनें।
- हाथ और पैरों को मूव करते रहें।
- रात को सोते वक्त आरामदायक तकिये को अपने पेट के नीचे सहारा देकर सोएं।
- बीच-बीच में करवट बदलते रहें।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- पौष्टिक आहार लें।
- भारी सामान न उठाएं।
- कलाई या हाथों पर वजन डालकर न सोएं।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में शरीर सुन्न होने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।
प्रेगनेंसी में शरीर के सुन्न पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
वैसे तो गर्भावस्था में शरीर सुन्न होना या अंगों में झनझनाहट होना सामान्य है, लेकिन अगर नीचे बताए गए लक्षण दिखें तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें (1):
- लगातार अंग सुन्न होना और झुनझुनी का बने रहना।
- चेहरा सुन्न होने की समस्या होना।
- अंग सुन्न होने के साथ-साथ कमजोरी होने पर।
ये थी गर्भावस्था में शरीर सुन्न होना और अंगों में झनझनाहट होने से संबंधित कुछ जरूरी जानकारियां। अब अगर कोई गर्भवती महिला अंगों में झनझनाहट या सुन्न होने की शिकायत करे, तो उन्हें यहां बताए गए घरेलू उपचार का सुझाव जरूर दें। साथ ही उन्हें यह सांत्वना भी दें कि ऐसा होना गर्भावस्था में सामान्य है। उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी। यह लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना न भूलें। खुश रहें, स्वस्थ आहार लें और खुशहाल गर्भावस्था का अनुभव करें।
References
1. Aches and pains during pregnancy By Medlineplus
2. Numbness and tingling By Medlineplus
3. A prospective study of carpal tunnel syndrome: workplace and individual risk factors By NCBI
4. Peripheral neuropathy in pregnancy By NCBI
5. Peripheral neuropathy By Medlineplus
6. Oral manifestations and blood profile in patients with iron deficiency anemia By Science Direct
7. Pregnancy and Stroke: Are You At Risk? By CDC
8. Prevalence, course and determinants of carpal tunnel syndrome symptoms during pregnancy: a prospective study By Obstetrics Gynaecology
9. Body changes and discomforts By Women’s Health
10. The neck-tongue syndrome By BMJ Journals
11. Maternal anemia with pregnancy and its adverse effects By Menoufia Medical Journal
12. Thiamine deficiency disorders: diagnosis, prevalence, and a roadmap for global control programs By NCBI
13. Anemia in Pregnancy By University of Rochester Medical Centre
14. Thiamine By Medlineplus
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