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सिंघाड़ा एक स्वादिष्ट फल है, जो केवल जाड़ों में देखने को मिलता है। सूखे सिंघाड़े और सिंघाड़े के आटे के रूप में इसे पूरे साल इस्तेमाल में लाया जाता है। सिंघाड़े के अलग स्वाद के कारण लोग बड़े चाव से इसका सेवन करते हैं, लेकिन गर्भावस्था में इसे खाने को लेकर कई लोगों में संशय की स्थिति रहती है। इस संशय को दूर करने के उद्देश्य से ही मॉमजंक्शन के इस लेख में इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। यहां हम जानने का प्रयास करेंगे कि गर्भावस्था में सिंघाड़ा कितना सुरक्षित है और अगर है, तो इसके फायदे क्या हैं

आइए, सबसे पहले हम गर्भावस्था में सिंघाड़ा सुरक्षित है या नहीं यह जान लेते हैं।

क्या गर्भावस्था में सिंघाड़ा खाना सुरक्षित है? | Singada In Pregnancy In Hindi

सिंघाड़े से संबंधित एक शोध में गुनगुने दूध और घी के साथ एक चम्मच सिंघाड़ा पाउडर लेना गर्भावस्था में फायदेमंद माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि सिंघाड़ा यौन संक्रमित रोग से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (1) साथ ही यह पहली तिमाही में गर्भधारण की क्षमता को बढ़ाने और प्लेसेंटा के निर्माण में मददगार हो सकता है (2)। इसके अलावा, सिंघाड़े को गर्भावस्था में तंत्रिका तंत्र संबंधी कमजोरी, सामान्य कमजोरी, सीमन (योनि से निकलने वाला चिकना तरल) की कमजोरी, ल्यूकोरिया (योनि से गाढ़ा बदबूदार तरल आने की समस्या) में लेने की सलाह दी जाती है (1)। इतना ही नहीं सिंघाड़े में आयरन, कैल्शियम व फोलिक एसिड के साथ-साथ विटामिन-सी और ई भी पाया जाता है (3), जिसे गर्भावस्था के लिए आवश्यक माना गया है (4)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि गर्भावस्था में सिंघाड़े का सेवन सुरक्षित है।

लेख के अगले भाग में अब हम सिंघाड़े की एक दिन में ली जाने वाली मात्रा के बारे में जानेंगे।

गर्भावस्था के दौरान एक दिन में कितना सिंघाड़ा खाया जा सकता है?

गर्भावस्था में सामान्य तौर पर एक दिन में करीब 10 से 15 ग्राम सिंघाड़े का सेवन किया जा सकता है, लेकिन इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इसलिए, बेहतर होगा कि सिंघाड़े के सेवन से पूर्व डॉक्टरी परामर्श जरूर लिया जाए।

लेख में आगे हम गर्भावस्था में सिंघाड़ा खाने के उपयुक्त समय को जानने का प्रयास करेंगे।

गर्भावस्था में कौन-सी तिमाही में सिंघाड़ा खाना चाहिए? | Pregnancy Mein Singada Kha Sakte Hai Kya

जैसा कि हमने आपको लेख में पहले ही बताया कि गर्भावस्था से जुड़ी कुछ खास समस्याओं में सिंघाड़े को उपयोग में लाया जा सकता है (1)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सिंघाड़े को संपूर्ण गर्भावस्था के दौरान कभी भी खाया जा सकता है। फिर भी पहली तिमाही में गर्भधारण की क्षमता को बढ़ाने और प्लेसेंटा के निर्माण में इसे मददगार माना गया है (2) इसलिए, सिंघाड़े को गर्भावस्था की पहली तिमाही में लेना अधिक फायदेमंद माना गया है। बावजूद इसके सिंघाड़े को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।

अब हम सिंघाड़े में मौजूद पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी हासिल करेंगे।

सिंघाड़ा के पोषक तत्व

100 ग्राम सिंघाड़े में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा कुछ इस प्रकार है (3):

  • 100 ग्राम सिंघाड़े में करीब 78.8 ग्राम पानी, 78 किलो कैलोरी ऊर्जा, 1.38 ग्राम प्रोटीन, 19.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3.9 ग्राम फाइबर पाया जाता है।
  • वहीं, मिनरल्स की बात करें, तो सिंघाड़े में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, कॉपर, जिंक, मैंगनीज, सोडियम और सेलेनियम पाया जाता है। इनमें सबसे अधिक मात्रा में पोटेशियम (करीब 184 मिलीग्राम) उपस्थित रहता है।
  • 100 ग्राम सिंघाड़े में पाए जाने वाले विटामिन में मुख्य रूप से विटामिन-सी, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन-बी6, फोलेट, कोलिन, विटामिन-ई और विटामिन-के शामिल हैं। इनमें से कोलिन (करीब 28 मिलीग्राम) सिंघाड़े में सबसे अधिक मात्रा में उपस्थित रहता है।
  • इसके अलावा 100 ग्राम सिंघाड़े में लिपिड के रूप में सैचुरेटेड, पॉलीअनसैचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं, जिनमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा सबसे अधिक होती है।

लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में सिंघाड़े के फायदे जानने का प्रयास करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान सिंघाड़ा खाने के स्वास्थ्य लाभ  | Water Chestnut Benefits In Pregnancy In Hindi

यहां हम सिंघाड़े के फायदे क्रमवार बता रहे हैं, जिससे गर्भावस्था में सिघाड़े की उपयोगिता को समझने में मदद मिल सकती है।

  1. गर्भपात के जोखिम को कम करे: ऐसी महिलाएं जिन्हें गर्भाधारण करने में समस्या आ रही हो या गर्भधारण के बाद गर्भापात का जोखिम बना रहता हो, उनके लिए सिंघाड़ा उपयोगी हो सकता है। इस बात की पुष्टि गर्भावस्था से संबंधित एक शोध से होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि यह भ्रूण को स्थिर करने में मदद करता है। साथ ही प्लेसेंटा के निर्माण में भी सहायक है (2)। एक अन्य शोध में सिंघाड़े को सीधे तौर पर गर्भपात से बचाव के लिए उपयोगी बताया गया है (5)। इस आधार यह माना जा सकता है कि सिंघाड़ा प्राकृतिक गर्भपात के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है।
  1. कमजोरी को दूर करे: सामान्य तौर पर कई महिलाओं को गर्भावस्था में कमजोरी की शिकायत रहती है। ऐसी स्थिति में सिंघाड़े को ऊर्जा के अच्छे स्रोत के रूप में लिया जा सकता है। सिंघाड़े में भरपूर मात्रा में ऊर्जा मौजूद होती है, जो गर्भवती को इस समस्या से निपटने में मदद कर सकती है (5)। वहीं, सिंघाड़े से संबंधित एक अन्य शोध में इसे गर्भावस्था में होने वाली तंत्रिका तंत्र से संबंधित कमजोरी में भी सहायक माना गया है (1)
  1. यौन संक्रमित रोगों से करे बचाव: लेख में शुरुआत में बताया गया है कि यौन संक्रमित रोगों से बचाव के लिए सिंघाड़े के पाउडर को दूध के साथ लेना लाभदायक हो सकता है। इस बात को सिंघाड़े के फायदे से संबंधित एक शोध में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है (1)
  1. ल्यूकोरिया से करे बचाव: गर्भावस्था में ल्यूकोरिया (योनि से बदबूदार तरल का आना) की समस्या से पीड़ित महिलाओं के लिए भी सिंघाड़ा उपयोगी माना जा सकता है। सिंघाड़े के फायदे से जुड़े एक शोध में इस बात का प्रमाण मिलता है। शोध में माना गया है कि गर्भावस्था में ल्यूकोरिया से राहत पाने के लिए सिंघाड़े को दूध के साथ लिया जा सकता है (1)
  1. एनीमिया में सहायक: एनीमिया यानी की खून की कमी की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए भी सिंघाड़े का उपयोग फायदेमंद माना जा सकता है। दरअसल, सिंघाड़े में आयरन पाया जाता है (3)। वहीं, एनीमिया का एक मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी भी मानी जाती है (6)। सिंघाड़े के फायदे से संबंधित एक अन्य शोध में सीधे तौर पर इसे एनीमिया में उपयोगी बताया गया है (7)इस आधार पर गर्भावस्था में एनीमिया से जूझ रही महिलाओं के लिए भी इसे लाभकारी समझा जा सकता है।
  1. गले की खराश में फायदेमंद: गले की खराश में भी सिंघाड़े का सेवन फायदेमंद माना गया है। गर्भावस्था में अधिक दवा का उपयोग करने की मनाही होती है। ऐसे में घरेलू उपाय के तौर पर सिंघाड़े का उपयोग करके गर्भावस्था में गले की खराश को दूर करने में मदद मिल सकती है (7)
  1. दर्द से राहत दिलाए: अगर गर्भावस्था में किसी चोट या फिर थकान के कारण दर्द का अनुभव होता है, तो एक प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में भी सिंघाड़े का सेवन किया जा सकता है। सिंघाड़े से संबंधित एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक शोध के मुताबिक सिंघाड़े में एनल्जेसिक (दर्दनिवारक) गुण पाया जाता है (7)। सिंघाड़े का यह गुण गर्भावस्था के दौरान होने वाले सामान्य दर्द को कम करने में कुछ हद तक कारगर हो सकता है।
  1. हाई बीपी को नियंत्रित करे: सिंघाड़े का उपयोग कर गर्भावस्था के दौरान होने वाली हाई बीपी की समस्या से भी राहत पाई जा सकती है। दरअसल, सिंघाड़े में पोटेशियम अधिक पाया जाता है, जबकि सोडियम की मात्रा कम होती है। ऐसे में यह बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार हो सकता है (8)
  1. डायबिटीज में सहायक: डायबिटीज की समस्या से पीड़ित गर्भवती महिलाएं भी इसे एक बेहतर विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैं। इस बात को चूहों पर आधारित एक शोध से साबित किया गया है। एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध इस शोध में माना गया है कि सिंघाड़े के अर्क में मौजूद पॉलीफेनोल खून में मौजूद शुगर को कम करने का काम कर सकता है (9)
  1. भ्रूण के विकास में सहायक: सिंघाड़े में आयरन, कैल्शियम व फोलिक एसिड के साथ-साथ विटामिन-सी और ई भी पाया जाता है (3), जो गर्भावस्था के साथ ही भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक माने जाते हैं (4)वहीं, सिंघाड़े से संबंधित एक शोध में इसे सीधे तौर पर भ्रूण के विकास के लिए मददगार माना गया है (5) इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि भ्रूण के विकास में भी सिंघाड़ा कुछ हद तक मददगार हो सकता है।

लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में सिंघाड़े के दुष्प्रभाव के बारे में जानेंगे।

क्या गर्भावस्था के दौरान सिंघाड़ा का सेवन करने के कोई दुष्प्रभाव हैं?

वैसे तो गर्भावस्था में सिंघाड़ा खाने के कोई भी ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से पेट में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है (5)

अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में सिंघाड़ा खाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां बताएंगे।

सिंघाड़ा खाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

सिंघाड़ा खाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं :

  • कब्ज की शिकायत होने पर सिंघाड़ा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह एस्ट्रिंजेंट (संकुचन पैदा करने वाला) प्रभाव के कारण स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है (5)
  • सिंघाड़ा खाने के बाद पानी न पीने की सलाह दी जाती है (5)
  • सिंघाड़े को हमेशा साफ पानी से धोकर खाएं।
  • यह ब्लड प्रेशर को कम करने का काम कर सकता है, इसलिए ब्लड प्रेशर की दवा लेने वाले लोगों को इसके सेवन से पूर्व डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए (8)
  • इसमें ब्लड शुगर को कम करने का गुण पाया जाता है, इसलिए डायबिटीज की दवा लेने वाले लोगों को इसका इस्तेमाल करने में सावधानी बरतनी चाहिए (9)

लेख में आगे हम गर्भावस्था में सिंघाड़े का सेवन करने के कुछ आसान तरीके बताएंगे।

गर्भावस्था में सिंघाड़ा का आनंद लेने के सर्वोत्तम तरीके

गर्भावस्था में सिंघाड़े को निम्न तरीकों से इस्तेमाल में लाया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं :

  • सिंघाड़े को सीधा छीलकर खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • सिंघाड़े की सब्जी बनाकर भी इसे खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आप चाहें तो सिंघाड़े के आटे की रोटी बनाकर भी खा सकते हैं।
  • सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर भी खाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • सिंघाड़े की खीर बनाकर भी इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  • सिंघाड़े की मिठाई बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।

सिंघाड़ा गर्भावस्था में कितना उपयुक्त और फायदेमंद है, यह तो आप अब अच्छे से समझ ही गए होंगे। साथ ही आपको लेख के माध्यम से इसे उपयोग करने के आसान तरीके भी ज्ञात हो गए हैं। ऐसे में अधिक क्या सोचना! बस जरूरत है तो सिंघाड़े को संतुलित मात्रा में अपने आहार में जगह देने की। तो आज से ही इसे अपने दैनिक आहार में जगह दें और स्वस्थ गर्भावस्था को बनाए रखने की दिशा में एक उचित कदम बढ़ाएं। उम्मीद है कि गर्भावस्था में सिंघाड़े से जुड़ा यह लेख आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य स्वास्थ्यवर्धक और गर्भावस्था के लिए उपयोगी खाद्यों की जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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