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गर्भावस्था के समय कई तरह की बीमारियों की चपेट में आने का जोखिम बना रहता है, जिसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) यानी तपेदिक रोग हो जाए, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। इससे बचने के लिए टीबी से जुड़ी जानकारी का होना जरूरी है। गर्भावस्था में टीबी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी हमने मॉमजंक्शन के इस लेख में दी है। यहां दी गई प्रेगनेंसी में टीबी से जुड़ी सारी बातें विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध पर आधारित है। इस लेख को पढ़कर गर्भवतियां सतर्क और सजग रह सकती हैं।
इस लेख की शुरुआत ट्यूबरकुलोसिस क्या है, यह बताते हुए करते हैं।
ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) क्या है?
ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) एक तरह की बीमारी है, जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से होती है, जो आमतौर पर लंग्स यानी फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इस रोग का असर धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों पर भी नजर आ सकता है (1)।
आगे जानिए कि टीबी संक्रामक है या नहीं और यह किस तरह से फैलता है।
क्या टी.बी. (तपेदिक) संक्रामक है व कैसे फैलता है?
टीबी नामक बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होती है। यह बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक हवा के माध्यम से भी फैलता है। इसी वजह से टीबी को संक्रामक रोग कहा जाता है (1)। संक्रमित व्यक्ति के खांसते, छींकते या बातचीत करते समय मुंह व नाक से टीबी के जीवाणु निकलकर हवा में फैलते हैं। फिर ये संपर्क में आने वाले व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंचकर उसे संक्रमित करते हैं (2)।
- अगर किसी क्षेत्र में टीबी की ज्यादा मामले हैं, तो उस क्षेत्र में रहने वाले दूसरे व्यक्ति को भी टीबी होने का जोखिम बना रहता है।
- परिवार के किसी सदस्य को टीबी है, तो उसके आसपास रहने से भी टीबी हो सकता है।
- एचआईवी की स्थिति में टीबी होने या दूसरे व्यक्ति से फैलने का ज्यादा जोखिम होता है (3)।
- भीड़ वाली जगह में रहने वालों में टीबी फैलने का खतरा रहता है।
- यह समस्या ज्यादातर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को होती है (1)।
इस लेख के अगले भाग में हम प्रेगनेंसी में टीबी के प्रभाव की जानकारी देंगे।
प्रेगनेंसी पर टी.बी. (तपेदिक) का प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान टीबी होने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए। ऐसा न करने से टीबी का असर गर्भवती के साथ ही होने वाले शिशु पर भी पड़ सकता है, जिसके बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं (4)।
गर्भवती और गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव
- गर्भपात का जोखिम बढ़ना
- समय से पहले प्रसव होना
- शिशु कम वजन यानी लो बर्थ वेट वाला हो सकता है
- नवजात को जान का जोखिम पैदा हो सकता है
नवजात पर होने वाला प्रभाव
- गर्भनाल से टीबी इंफेक्शन होना
- हेपेटोसप्लेनोमेगाली यानी लिवर और स्प्लीन संबंधी समस्या
- श्वसन से जुड़ी परेशानी होना
- टीबी के कारण नवजात शिशु को बुखार होना
- लिम्फैडेनोपैथी यानी लिम्फ नोड्स में सूजन
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना
चलिए, आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी में टीबी होने के लक्षण क्या-क्या होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान टीबी होने के लक्षण
अगर किसी गर्भवती को टीबी की समस्या है, तो उसमें टीबी के लक्षण साफ नजर आ सकते हैं। गर्भवती में टीबी के लक्षण कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं (3):
- दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना
- रात में पसीना आना
- वजन कम होना
- प्रेगनेंसी में सीने में दर्द या सांस की तकलीफ
- गर्भावस्था में बुखार आना
- बहुत थकान या बेचैनी होना
अब पढ़िए कि प्रेगनेंसी के दौरान टीबी किन कारणों से होता है।
प्रेगनेंसी में टीबी होने के कारण
गर्भावस्था के दौरान टीबी होने के कारण का सिर्फ एक ही कारण है और वो है इससे संबंधित बैक्टीरिया। जी हां, टीबी सिर्फ माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की वजह से ही होता है। यह बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकता है (1)। टीबी का यह बैक्टीरिया किसी तरह से फैलता है, यह हम लेख में ऊपर बता ही चुके हैं।
लेख में आगे बढ़ते हुए जानिए कि प्रेगनेंसी में टीबी का पता लगाने के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान ट्यूबरकुलोसिस के लिए होने वाले टेस्ट
गर्भावस्था में ट्यूबरकुलोसिस की जांच करने के लिए कई तरह के टेस्ट करने की सलाह दी जाती है। इन टेस्ट की मदद से टीबी से जुड़ी स्पष्ट जानकारी मिल सकती है। टीबी के लिए किए जाने वाले टेस्ट में ये शामिल हैं :
- एसिड फास्ट बेसिलस टेस्ट (Acid-Fast Bacillus Test) – इस टेस्ट में टीबी के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले बलगम की जांच कराने की सलाह देते हैं। यह जांच टीबी के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर किया जाता है (5)। इससे बलगम में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया का पता चलता है।
- ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट- टीबी की जांच करने के लिए दो तरह के स्किन टेस्ट कर सकते हैं। पहला टाइन टेस्ट (Tine Test) और दूसरा मैनटॉक्स टेस्ट (Mantoux Test) है। इन दोनों टेस्ट को बलगल की जांच के बाद किया जा सकता है।
(i) टाइन टेस्ट – इस परीक्षण को सुइयों और एक मशीन की मदद से किया जाता है। इस टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान त्वचा पर पहले कुछ सुई चुभोई जाती हैं। फिर 48 से 72 घंटे बाद त्वचा पर होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर टेस्ट के परिणाम का पता लगाया जाता है (4)।
(ii) मैनटॉक्स टेस्ट – इस दौरान इंट्राडर्मल इंजेक्शन देकर 48 से लेकर 72 घंटे तक परिणाम का इंतजार किया जाता है। उसके बाद स्किन में होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर टीबी हैं या नहीं, यह स्पष्ट होता है (4)।
- ब्लड टेस्ट – गर्भावस्था में टीबी के बारे में जानने के लिए डॉक्टर रक्त की जांच कराने की भी सलाह दे सकते हैं (6)। इस रक्त परीक्षण को इंटरफेरॉन-गामा रिलीज एसेस (आईजीआरए) के नाम से भी जाना जाता है (7)।
अब प्रेगनेंसी के समय टीबी का इलाज किस तरह किया जा सकता है, इसपर एक नजर डाल लेते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान टी.बी. का इलाज
द ब्रिटिश थोरैसिक सोसाइटी इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा गर्भावस्था के समय टीबी के इलाज के लिए कुछ एंटीट्यूबरक्युलॉस ड्रग्स का उपयोग सुरक्षित माना गया है। इन दवाइयों में यह शामिल हैं (4):
- लेटेंट टीबी इंफेक्शन – गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिला की स्थिति को देखते हुए टीबी के इलाज को 2 से 3 महीने तक रोकने की सलाह दे सकते हैं। अगर स्थिति थोड़ी भी गंभीर हो, तो गर्भावस्था में टीबी के लिए तीसरे महीने आइसोनियाजिड। चौथे महीने प्रतिदिन रिफैम्पिन और छठवें महीने से आखिरी महीने तक पाइरिडोक्सीन (विटामिन बी 6) लेने की डॉक्टर सलाह दे सकते हैं (8)।
- इथाम्बुटोल – इस दवाई का उपयोग करने पर टीबी के कारण बनाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद मिल सकती है, जिससे कि इस बीमारी से कुछ हद तक राहत मिल सकता है (9)। यह दवाई गर्भावस्था में सही डोज में लेने पर सुरक्षित मानी गई है (4)।
- पायराजीनामाइड – यह दवाई टीबी के जोखिम को पनपने में सहायता करने वाले कुछ बैक्टीरिया को रोकने में मदद कर सकती है। इससे टीबी को फैलने और गंभीर होने से रोका जा सकता है (10)। गर्भावस्था के दौरान इस दवाई को विशेषज्ञ की सलाह पर ही लें (4)।
चलिए, आगे जान लेते हैं कि टीबी के कारण शिशु को नुकसान पहुंचता है या नहीं।
क्या टीबी से शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?
गर्भावस्था के दौरान टीबी होने पर इससे शिशु को भी नुकसान हो सकता है, जो जन्म के बाद शिशु में दिखाई दे सकता है। नीचे हम इन्हीं नुकसान के बारे में बता रहे हैं (4) :
- जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
- टीबी के कारण शिशु का समय से पहले जन्म
- शिशु को जन्म के समय टीबी इंफेक्शन से संक्रमित होना
- जन्मजात लिवर और श्वसन की समस्या
गर्भवास्था में टीबी के जोखिम से बचने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें। अगर किसी को प्रेगनेंसी के समय टीबी हो गया है, तो ज्यादा परेशान न हों। बिना स्ट्रेस लिए तुरंत डॉक्टर की मदद से इसका इलाज कराएं। गर्भावस्था में टीबी का समय रहते पता चलने से इसे फैलने से रोका जा सकता है। इस दौरान इलाज के साथ ही सतर्कता भी जरूरी है। टीबी फैलने के सभी तरीकों के बारे में पढ़कर उन चीजें से बचें। ऐसा करने और डॉक्टर की सलाह लेकर टीबी को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
References
2. How TB Spreads By CDC
3. Tuberculosis Disease during Pregnancy and Treatment Outcomes in HIV-Infected and Uninfected Women at a Referral Hospital in Cape Town By PLOS
4. Tuberculosis in Pregnancy: A Review By NCBI
5. Acid-Fast Bacillus (AFB) Tests By Medlineplus
6. Testing During Pregnancy By CDC
7. Testing for TB Infection By CDC
8. Treatment for TB Disease & Pregnancy By CDC
9. Ethambutol By Medlineplus
10. Pyrazinamide By Medlineplus
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