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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें अपनी डाइट के साथ-साथ फिजिकल एक्टिविटी को भी दुरुस्त रखना जरूरी है। एक गर्भवती महिला के लिए रेगुलर वॉकिंग बहुत जरूरी मानी जाती है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बताने वाले हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग कितनी सुरक्षित हो सकती है। इस आर्टिकल में हम आपको तिमाही के आधार पर वॉक करने की सही तकनीक के बारे में बताएंगे। साथ ही ये भी बताएंगे कि शरीर में कौन से लक्षण दिखने पर आपको वॉकिंग बंद कर देना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
तो चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग सुरक्षित है भी या नहीं।
क्या गर्भावस्था के दौरान टहलना या वॉकिंग सुरक्षित है?
हां, गर्भावस्था के दौरान टहलना या वॉकिंग करना सुरक्षित माना जा सकता है। इस बारे में एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से जानकारी मिलती है कि गर्भावस्था के दौरान टहलना खासकर तेजी से टहलना गर्भवती महिला के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है (1)। हालांकि, हर महिला की प्रेगनेंसी अलग-अलग हो सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि वो गर्भावस्था के दौरान टहलहने को अपने रूटीन में शामिल करने से पहले इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
अब बारी है प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग के फायदे जानने की।
गर्भावस्था के दौरान टहलने के क्या फायदे हैं?
वॉकिंग, प्रेगनेंसी के दौरान सबसे अधिक चुनी जाने वाली शारीरिक गतिविधि मानी जाती है। इससे मां और बच्चे दोनों को निम्नलिखित प्रकार से लाभ मिल सकते हैं :
- गर्भावधि मधुमेह के लिए – प्रेगनेंसी के दौरान तेजी से टहलने से जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समस्या का जोखिम कम हो सकता है (1)। बता दें कि गर्भावधि मधुमेह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भवती महिलाओं में बल्ड शुगर का स्तर बढ़ जाता है (2)।
- प्री-एक्लेम्पसिया के लिए – प्रीक्लेम्पसिया, उच्च रक्तचाप से संबंधित समस्या है, जिसमें गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद महिलाओं का बल्ड प्रेशर बढ़ जाता है (3)। ऐसे में टहलने से इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। शोध में इस बात का जिक्र है कि प्रेगनेंसी के दौरान तेज गति से टहलने से महिलाओं में प्री-एक्लेम्पसिया यानी गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की भी समस्या कम हो सकती है (1)।
- वजन नियंत्रण में सहायक – गर्भावस्था के दौरन महिलाओं का वजन बढ़ना आम माना जा सकता है। ऐसे में वॉकिंग इस समस्या को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में इस बात की पुष्टि मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान टहलने से महिलाओं के वजन बढ़ने के जोखिम को भी कम किया जा सकता है (1)।
- भ्रूण के लिए लाभकारी – एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो प्रेगनेंसी के दौरान टहलना भ्रूण के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है। वॉकिंग से जन्म के समय बच्चे का वजन स्वस्थ बनाए रखने में मदद हो सकती है (1)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग भ्रूण को भी फायदे पहुंचा सकती है।
- प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना कम करे – डब्ल्यूएचओ की मानें तो 10 में से 1 बच्चा हर साल लगभग प्रीटर्म बर्थ यानी समय से पूर्व जन्म लेता है। वहीं, हर साल लगभग 1 मिलियन के आसपास शिशुओं की मृत्यु समय से पहले जन्म लेने के कारण होने वाली जटिलताओं के कारण होती है (4)। ऐसे में टहलने से प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम करने में भी मदद मिल सकती है। दरअसल, इससे जुड़े रिसर्च बताते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान टहलने से प्रीटर्म बर्थ यानी समय से पूर्व जन्म का खतरा कम हो सकता है(1)।
- अनिद्रा के लिए – गर्भावस्था के शुरुआती दौर में लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं को अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ता है। जबकि तीसरी तिमाही तक बढ़कर 60 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। ऐसे में वॉकिंग के जरिए इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। इस पर हुए शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान टहलने से अनिद्रा की समस्या में कमी आ सकती है और गर्भवती महिलाओं की नींद में सुधार हो सकता है (5)।
- सामान्य प्रसव के लिए – गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करने के फायदों पर हुए एक रिसर्च में जानकारी मिलती है कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज के रूप में वॉकिंग करने से सिजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery) का खतरा कम हो सकता है। साथ ही, इससे सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिल सकता है (6)।
लेख के इस हिस्से में जानिए प्रेगनेंसी में टहलने की शुरुआत कब करनी चाहिए।
गर्भावस्था में टहलना कब शुरू करना चाहिए?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में जिक्र मिलता है कि प्रगेनेंसी के दौरान वॉकिंग की शुरुआत पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में कभी भी की जा सकती है (7)। ऐसे में गर्भवती महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार गर्भावस्था के किसी भी महीने में टहलना शुरू कर सकती हैं।
टहलने की शुरुआत के समय को जानने के बाद जानें गर्भवती महिलाओं को कितनी देर टहलना चाहिए।
प्रेगनेंट महिलाओं को कितनी देर टहलना चाहिए?
सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट यानी दिन में 30 मिनट और एक सप्ताह में पांच दिन एरोबिक एक्सरसाइज करना चाहिए, जिसमें तेजी से टहलना भी शामिल है (8)।
लेख के इस भाग में हम तिमाही के अनुसार वॉकिंग टिप्स बताएंगे।
गर्भावस्था के चरण के अनुसार टहलने के तरीके कैसे बदलने होंगे?
इसमें कोई दोराय नहीं कि प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग सुरक्षित है, लेकिन गर्भवस्था के चरणों के अनुसार इसमें बदलाव करना जरूरी है। इसलिए नीचे प्रेगनेंसी की तिमाही के अनुसार वॉकिंग के तरीकों में किए जाने वाले बदलाव की जानकारी दे रहे हैं:
- पहली तिमाही – यह गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीने होते हैं। इस चरण में महिलाएं सामान्य आदतों के हिसाब से ही टहल सकती हैं। इस दौरान उन्हें बस ध्यान रखना है कि टहलने के लिए वह केवल आरामदाय जूतों का ही प्रयोग करें। इससे उन्हें असहजता महसूस नहीं होगी। साथ ही पैरों को भी आराम मिलेगा। वहीं, अगर अधिक गर्मी पड़ रही हो तो ऐसे में तेजी से टहलने से बचने की सलाह दी जाती है।
- दूसरी तिमाही – यह गर्भावस्था के बीच के तीन महीनों का समय होता है, जिसमें गर्भ में पल रहे शिशु का विकास कुछ हद तक हो चुका होता है। इस वजह से महिलाओं का पेट थोड़ा बहुत बाहर की ओर दिखने लगता है। इसलिए, इस दौरान महिलाओं अपनी पीठ सीधी रखकर ही टहलने की सलाह दी जाती है। साथ ही अगर महिलाएं स्वस्थ महसूस कर रही हों तो टहलने के दौरान वे अपनी बाजुओं को गोल-गोल घुमाकर वॉर्म अप कर सकती हैं।
- तिसरी तिमाही – यह गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने होते हैं, जिसमें महिलाओं का पेट बाहर की ओर दिखने लगता है। ऐसे में महिलाओं को केवल समतल भूमि पर ही टहलने की सलाह दी जाती है ताकि उनका संतुलन न बिगड़े। साथ ही, इस समय गर्भवती महिलाओं को अपनी क्षमता से अधिक टहने की सलाह नहीं दी जाती है। वहीं, अगर टहलने के दौरान, महिलाओं को श्रोणि या कमर में दर्द की शिकायत हो रही हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अब जरा उन टिप्स को भी जान लीजिए जिन्हें टहलते समय ध्यान में रखना जरूरी है।
गर्भावस्था में सुरक्षित रूप से टहलने के लिए उपयोगी टिप्स
प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित रूप से टहलने के लिए महिलाओं को कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए, जिसकी चर्चा हम नीचे क्रमवार तरीके से कर रहे हैं –
- वॉकिंग के लिए सही जगह का चुनाव करें – टहलने के लिए गर्भवती महिलाओं को हमेशा एक सुरक्षित जगह का चुनाव करना चाहिए। अगर महिलाएं घर के अंदर टहल रही हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वॉकिंग प्लेस के बीच में किसी प्रकार की अर्चन न हो। वहीं, अगर महिलाएं घर के बाहर टहल रही हैं, तो ध्यान रखें कि वह जगह समतल हो। साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि अधिक गर्मी या ठंड का मौसम न हो।
- आरामदायक जूते पहनें – वॉकिंग के समय गर्भवती महिलाओं को इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि उनके जूते आरामदायक हो ताकि उन्हें टहलने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। वहीं, महिलाएं चाहें तो पैर के पसीनों को सोखने के लिए कॉटन मोजे भी पहन सकती हैं।
- खुद को हाइड्रेटेड रखें – प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक गतिवधि के समय महिलाओं को अच्छी तरह से हाइड्रेट रहने की सलाह दी जाती है (6)। इसलिए गर्भवती महिलाओं वॉकिंग के समय भी खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए।अगर संभव हो तो अपने साथ पानी की बोतल को साथ में रखें। इससे डिहाइड्रेशन के खतरे को कम किया जा सकता है।
- ढ़ीले-ढाले कपड़े पहनें – गर्भवती महिलाओं को व्यायाम के दौरान ढीले-ढाले कपड़े पहनने की भी सलाह दी जाती है (6)। तो ऐसे में प्रेगनेंट महिलाएं वॉकिंग के समय भी इस टिप को अपना सकती हैं। इससे उन्हें असहजता महसूस नहीं होगी और वो आसानी से वॉक कर सकेंगी।
- अधिक गर्मी से बचें – वॉकिंग के समय, गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से पहली तिमाही के दौरान अधिक गर्मी वाली जगह में टहलने से बचना चाहिए (6)। साथ ही, अगर कोई महिला हल्की धूप में भी टहलने के लिए निकल रही है, तो उन्हें सनस्क्रीन लगाकर ही बाहर निकलना चाहिए ताकि त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
- वॉकिंग से पहले हल्की मात्रा में कुछ खा लें – प्रेगनेंट महिलाओं को टहलने से पहले हल्की मात्रा में कुछ खा लेना चाहिए, जैसे – फल या स्मूदी आदि। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी। वहीं, गर्भवति महिलाओं को अधिक खाने से बचना चाहिए (9)।
चलिए, अब बारी है उन संकेतों को जानने की, जिनके सामने आने पर वॉकिंग स्पीड धीमी कर लेनी चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान चलने की गति धीमी करने के संकेत
यहां हम उन समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिनके होने पर प्रेगनेंट महिलाओं को न केवल धीमी गति से टहलने की सलाह दी जाती है। बल्कि, उन्हें किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधियों को विशेषज्ञ की देख रेख में ही करने की सलाह दी जाती है (10) –
- दिल या फेफड़ों की समस्या
- ग्रीवा संबंधी अपर्याप्तता
- लेबर से जुड़ा जोखिम
- झिल्ली का समय से पहले टूटना
- प्री-एक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप संबंधी समस्या)
- गंभीर एनीमिया की समस्या
यहां हम बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान कब टहलने से बचना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान टहलने या वॉकिंग से कब बचें
यहां हम उन बातों को बता रहे हैं, जिसमें टहलने या वॉकिंग करने से बचना चाहिए (11) –
- सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगे
- घबराहट महसूस हो रही हो
- चलने में कठिनाई महसूस हो रही हो
- चलने के दौरान संतुलन बिगड़ रहा हो
लेख के अंत में जानें कि किन परिस्थितियों में मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।
डॉक्टर से कब संपर्क करें
गर्भवती महिलाओं के लिए यह भी जानना जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान किन लक्षणों के दिखने पर उन्हें बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए (12) (9) (13) –
- अगर अधिक दबाव महसूस हो रहा हो, जो दर्दनाक भी हो।
- योनि से खून बह रहा हो।
- थकावट महसूस होना या सांस लेने में तकलीफ हो रही हो।
- चक्कर आना।
- सिर दर्द की समस्या हो रही हो।
- छाती में दर्द महसूस हो रहा हो।
- पिंडली में दर्द हो रहा हो।
- पेट में दर्द की शिकायत हो रही हो।
- मांसपेशियों का कमजोर होना।
- एमनियोटिक द्रव का रिसाव (तरल पदार्थ जो भ्रूण को चारों ओर से घेरे रहता है) हो रहा हो।
- दृष्टि का कमजोर होना।
- पहले के मुकाबले शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट) का कम होना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक चलना बुरा है?
जैसा कि हमने लेख में बताया है कि गर्भवती महिलाओं को दिन में 30 मिनट तक शारीरीक गतिवीधि करने की सलाह दी जाती है, जिसमें वॉकिंग भी शामिल है (2)। ऐसे में अगर कोई महिला इससे अधिक टहलती है तो इससे उन्हें थकान महसूस हो सकती है।
क्या गर्भावस्था के दौरान टहलना प्रसव पीड़ा को प्रेरित कर सकता है?
हां, गर्भावस्था के दौरान टहलना प्रसव पीड़ा को प्रेरित कर सकता है। इस बात की पुष्टी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से होती है (14)।
प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग कितनी फायदेमंद हो सकती है, यह तो अब आप समझ ही चुके होंगे। साथ ही यहां हमने यह भी बताया है कि गर्भवती महिलाओं को कितनी देर तक टहलना चाहिए और तिमाही के अनुसार अपने वॉकिंग पैटर्न में किस प्रकार का बदलाव लाना चाहिए। ऐसे में अब आप आसानी से वॉकिंग को अपनी एक्सरसाइज रूटीन में शामिल कर सकती हैं। वहीं, अगर टहलने के दौरान लेख में बताई गई परेशानियों में से एक भी लक्षण दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।
References
2. Gestational diabetes By MedlinePlus
3. Preeclampsia By MedlinePlus
4. Preterm birth
5. Walking in pregnancy and prevention of insomnia in third trimester using pedometers: study protocol of Walking_Preg project (WPP). A randomized controlled trial By NCBI
6. Physical Activity and Exercise During Pregnancy and the Postpartum Period By Acog
7. Physical Activity and Pregnancy: Past and Present Evidence and Future Recommendations By NCBI
8. Healthy Pregnant or Postpartum Women BY CDC
9. The effect of walking on pregnancy blood pressure disorders in women susceptible to pregnancy hypertension: A randomized clinical trial By NCB
10. Physical Activity Programs during Pregnancy Are Effective for the Control of Gestational Diabetes Mellitus By NCB
11. The effect of walking on pregnancy blood pressure disorders in women susceptible to pregnancy hypertension: A randomized clinical trial By NCB
12. Pregnancy And Exercise By NCB
13. Staying healthy and safe By Womenshealth
14. Physical exercise at term for enhancing the spontaneous onset of labor: a randomized clinical trial By NCB
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