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गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती महिला को विभिन्न जांच प्रक्रियाओं और टेस्ट से गुजरना पड़ता है। वहीं, कभी-कभी कुछ जांच प्रक्रियाएं गर्भवती के साथ-साथ होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती हैं। ऐसा ही एक टेस्ट एक्स-रे है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान एक्स-रे कराना कितना सुरक्षित है, एक गंभीर विषय हो सकता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम प्रेगनेंसी में एक्स-रे कराना सुरक्षित है या नहीं, यह बताने की कोशिश कर रहे हैं। इस लेख में जानिए गर्भावस्था में एक्स-रे से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारियां।

सबसे पहले जानिए कि गर्भावस्था में एक्स-रे सुरक्षित है या नहीं।

गर्भावस्था में एक्स-रे कितना सुरक्षित है?

एक्स-रे एक प्रकार का रेडिएशन है, जिसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स कहा जाता है। डॉक्टर शरीर की अंदरूनी जांच के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं (1)वैज्ञानिकों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान इसके इस्तेमाल को कुछ हद तक सुरक्षित माना गया है। दरअसल, आमतौर पर एक्स-रे हाथ, पैर, छाती और मुंह का किया जाता है। इसलिए, ऐसा माना जाता है कि प्रेगनेंसी में इसके प्रयोग से गर्भवती और भ्रूण को नुकसान होने की आशंका कम ही रहती है। वहीं, शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि अगर पेट का एक्स-रे किया जाए, तो इस स्थिति में भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है (2)। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनों में बच्चे के सारे अंग (organs) बनाते हैं। इसे ओर्गनोजेनेसिस (örganogensis) स्टेज कहा जाता है। इसलिए इस समय कोई भी दवा या रेडिएशन हानिकारक हो सकता है। ऐसे में सिर्फ डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयां लेनी चाहिए और किसी भी तरह के रेडिएशन एक्सपोजर से दूरी बनाए रखनी चाहिए। ऐसे में, सावधानी के लिए गर्भावस्था में एक्स-रे कराने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह सलाह-मशविरा जरूर कर लें।

अगले भाग में जानिए प्रेगनेंसी में एक्स-रे की जरूरत से जुड़े सवाल का जवाब।

गर्भावस्था में आपको एक्स-रे की जरूरत कब होगी?

गर्भावस्था के दौरान हाथ, पैर या छाती की हड्डी में किसी तरह का दर्द होने या फ्रैक्चर की स्थिति में एक्स-रे की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा, दांत से जुड़ी समस्या के लिए एक्स-रे की सलाह दी जा सकती है। वहीं, पेट की जांच के लिए डॉक्टर एक्स-रे की जगह अल्ट्रासाउंड करते हैं (3)

प्रेगनेंसी पर एक्स-रे के पड़ने वाले प्रभाव नीचे बताए गए हैं।

क्या गर्भावस्था में एक्स-रे के कुछ प्रभाव हैं?

गर्भावस्था में एक्स-रे के प्रभाव जानने से पहले इस बात का पता होना जरूरी है कि एक्स-रे की स्ट्रैंथ को मापने के लिए रैड्स का इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक प्रमाण कहते हैं कि गर्भावस्था में 5 रैड्स से कम एक्स-रे कुछ हद तक सुरक्षित हो सकते हैं। वहीं, आमतौर पर किए जाने वाले एक्स-रे की स्ट्रैंथ 5 रैड्स से कम ही होती है, इसलिए भ्रूण को इससे नुकसान होने का जोखिम कम हो सकता है। वहीं, 10 या उससे अधिक रैड्स के भ्रूण तक पहुंचने पर गंभीर नुकसान हो सकता है (4)

गर्भवती महिला पर एक्स-रे के प्रभाव

  • जेनेटिक डैमेज – एक्स-रे के कारण एक गर्भवती महिला जेटेनिक डैमेज यानी आनुवंशिक क्षति का सामना कर सकती है (5)। इसे डीएनए (DNA) डैमेज के रूप में देखा जा सकता है (6)
  • घातक ट्यूमर – यह गर्भवती महिला में कैंसर युक्त घातक ट्यूमर का जोखिम बढ़ा सकता है (5)
  • गर्भपात – रेडिएशन का प्रभाव गर्भवती महिला में गर्भपात का कारण भी बन सकता है (7)
  • एक्यूट रेडिएशन सिंड्रोम : यह तब होता है, जब रेडिएशन का अत्यधिक प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है। इसके लक्षण मतली, उल्टी, बुखार, दस्त, कमजोरी, नाक-मुंह से ब्लीडिंग व अल्सर के रूप में सामने आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (8)

भ्रूण पर एक्स-रे के प्रभाव (5) (7) (9)

  • बच्चे के विकास को बाधित कर सकता है।
  • भ्रूण की मृत्यु तक हो सकती है।
  • मानसिक विकलांगता हो सकती है।
  • कैंसर का जोखिम पैदा हो सकता है।
  • शरीर का असामान्य रूप से निर्मित होना।

स्क्रॉल करके जानिए एक्स-रे के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी के समय एक्स-रे के खतरे को कैसे कम करें?

प्रेगनेंसी में एक्स-रे के जोखिम को कम करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जा सकता है –

  • किसी कारणवश अगर महिला को किसी के साथ एक्स-रे रूम में जाना पड़े, तो एक्स-रे मशीन के सामने बिल्कुल न आएं और खुद को सुरक्षित रखने के लिए लीड एप्रन पहनें।
  • अगर लग रहा है कि मां बनने वाली हैं और किसी शारीरिक समस्या की वजह से डॉक्टर ने एक्स-रे की सलाह दी है, तो उससे पहले अपना प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करवाएं और डॉक्टर को इस संबंध में जरूर बताएं।
  • नॉन-रेडिएशन तरीकों का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे अल्ट्रासाउंड, जिसका जिक्र हमने ऊपर भी किया है।
  • एक्स-रे के दौरान लीड एप्रन जरूर पहनें, यह जेनेटिक डैमेज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
  • अगर आपने डॉक्टर द्वारा कराए जाने वाले एक्स-रे को कुछ समय पहले ही कराया है, तो अपने डॉक्टर से बात करें, ताकि दोबारा से एक्स-रे कराने की जरूरत न हो।
  • अगर रेडिएशन थेरेपी ले रही हैं, तो अपने डॉक्टर से ली जाने वाली रेडिएशन की मात्रा के बारे में जरूर बताएं, ताकि इससे होने वाले जोखिम से बचा जा सके।

आगे जानें प्रेगनेंसी में एक्स-रे से जुड़े एक गंभीर सवाल का जवाब।

क्या हो अगर आपने एक्स-रे करवाया हो और तब आपको गर्भवती होने का पता न हो?

ऐसा अनजाने में हो सकता है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि आमतौर पर एक्स-रे हाथ, पैर व छाती का किया जाता है और इस प्रकार के एक्स-रे की स्ट्रैंथ कम होती है। फिर भी एक्स-रे के बाद प्रेगनेंसी के बारे में पता चलने पर बिना देरी किए डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए।

प्रेगनेंसी में एक्स-रे से जुड़ी तमाम जानकारी के बाद अब हम उम्मीद कर सकते हैं कि आप इस विषय में बहुत कुछ जान गई होंगी। इसके अलावा, प्रेगनेंसी में एक्स-रे किस हद तक सुरक्षित और असुरक्षित है, इसकी भी जानकारी हो गई होगी। इसलिए, अगर प्रेगनेंसी में एक्स-रे करवाने की जरूरत पड़ती है, तो पहले एक बार डॉक्टर से बात जरूर करें। वहीं, किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए लेख में बताई गईं सावधानियों का पूरा ध्यान रखें और जागरूक रहें। आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। आप चाहें, तो इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी शेयर कर सकती हैं।

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