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गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। वजह यह है कि इस दौरान गर्भ में पलने वाले भ्रूण को विकास के लिए कई जरूरी पोषक तत्वों की जरूरत होती है। उन सभी पोषक तत्वों की पूर्ति भ्रूण मां द्वारा लिए जाने वाले आहार के माध्यम से ही करता है। ऐसे में महिलाओं को ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन्स, पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फोलिक एसिड के साथ कैल्शियम, आयरन जैसे पोषक तत्वों से युक्त खाद्य लेने की सलाह दी जाती है। इन्हीं जरूरी पोषक तत्वों में जिंक का नाम भी शामिल है, जिसे गर्भावस्था में अहम माना गया है (1)। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में जिंक के फायदे और उपयोग के संबंध में कुछ अहम बातें बता रहे हैं।
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि गर्भावस्था में जिंक लेने का महत्व क्या है।
गर्भावस्था के दौरान जिंक क्यों जरूरी है? इसकी कमी से क्या होता है ?
सामान्य व्यक्ति से लेकर गर्भवती महिला तक सभी को जिंक की जरूरत होती है। गर्भावस्था में इसकी जरूरत सबसे ज्यादा इसलिए होती है, क्योंकि यह गर्भवती महिला और होने वाले शिशु के विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। कुछ खाद्य पदार्थों में जिंक प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और जरूर पड़ने पर डॉक्टर गर्भवती महिला को जिंक युक्त सप्लीमेंट्स लेने के लिए कह सकते हैं। जिंक युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में आगे लेख में विस्तार से बताया गया है। नीचे दिए गए बिन्दुओं के माध्यम से आप बेहतर तरीके से समझ पाएंगे कि गर्भावस्था में इसकी कमी से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं (2) (3)।
- भ्रूण में सेल्स के निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।
- होने वाले शिशु के विकास में रुकावट आ सकती है।
- शिशु में डीएनए का विकास ठीक तरह से नहीं होता।
- जिंक की कमी से गर्भवती महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
- समय पूर्व प्रसव की आशंका बनी रहती है।
- भ्रूण में न्यूरल ट्यूब दोष (दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी एक जन्मजात समस्या) का जोखिम रहता है।
- गर्भपात की आशंका बढ़ सकती है।
यही वजह है कि गर्भावस्था के दौरान जिंक को जरूरी माना गया है।
लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में जरूरी जिंक की आवश्यक मात्रा के बारे में जानेंगे।
प्रेगनेंसी के दौरान आपको कितना जिंक लेना चाहिए?
गर्भावस्था में सामान्य तौर पर प्रतिदिन जिंक की ली जाने वाली आवश्यकता मात्रा की बात करें तो 19 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को करीब 11 मिलीग्राम प्रतिदिन जिंक की आवश्यकता होती। वहीं 14 से 18 साल के बीच की गर्भवती को करीब 12 मिलीग्राम जिंक की प्रतिदिन आवश्यकता होती है (4) (5)। हालांकि टीनेज प्रेगनेंसी में काफी जोखिम होते हैं। कम उम्र में प्रेगनेंट होने से मां के साथ बच्चे को भी कई बीमारियां ही सकती हैं। बच्चा प्रीमेच्योर पैदा हो सकता है। बच्चे को ऑटिज्म जैसी बीमारी भी हो सकती है। साथ ही, मां भी हाई ब्लप्रेशर का शिकार हो सकती है। कई बार देखा गया है कम उम्र में मां बनने से बच्चे का वजन बहुत कम होता है, जिसकी वजह से उसकी मौत भी हो जाती है।
लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में जिंक की कमी के लक्षणों के बारे में बात करेंगे।
प्रेगनेंसी में जिंक की कमी के लक्षण | Pregnancy Me Zinc Ki Kami
सामन्य तौर पर जिंक की कमी के लक्षण गर्भवती या सामान्य महिला के लिए एक जैसे ही हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (5):
- बार-बार इंफेक्शन होना।
- बालों का झड़ना।
- भूख में कमी।
- स्वाद का अनुभव होने में कमी।
- सूंघने की क्षमता में कमी।
- त्वचा पर छाले।
- अंधेरे में देखने में परेशानी।
- घाव भरने में सामान्य से अधिक समय लगना।
जिंक की कमी के लक्षण के बाद अब हम गर्भवती महिलाओं के लिए जिंक के स्वास्थ्य लाभ जानेंगे।
गर्भवती महिलाओं के लिए जिंक के स्वास्थ्य लाभ
गर्भावस्था में जिंक के स्वास्थ्य लाभ कुछ इस प्रकार हैं (2):
- समय पूर्व प्रसव के जोखिम को कम कर सकता है।
- भ्रूण के विकास में सहायक साबित हो सकता है।
- न्यूरल ट्यूब दोष (रीढ़ और दिमाग से संबंधित एक जन्मजात विकार) के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- जिंक की कमी के कारण होने वाले गर्भपात के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- भ्रूण निर्माण में मदद कर सकता है।
- प्लेसेंटा (भ्रूण और माता के मध्य संबंध स्थापित करने वाला अंग) के निर्माण में मदद करता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर कर सकता है।
- दुग्ध उत्पादन में मदद करता है।
लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में जिंक युक्त लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं।
गर्भावस्था में जिंक युक्त खाद्य पदार्थ | Pregnancy Me Zinc Ke Liye Kya Khana Chahiye
ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्राकृतिक रूप से जिंक पाया जाता है और उन्हें गर्भावस्था के दौरान उनका सेवन सुरक्षित माना गया है (6)। कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थों का जिक्र हम यहां कर रहे हैं। साथ ही ध्यान रहे कि सभी की गर्भावस्था एक दूसरे से भिन्न होती है। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें (7)।
- डार्क मीट : इसमें जिंक के साथ-साथ डार्क यानी रेड मीट में प्रोटीन और विटामिन-डी की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इस कारण इसे गर्भावस्था में उपयुक्त माना गया है। ऐसे में इसे जिंक के स्रोत के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है (8)। साथ ही कुछ अध्ययन में यह भी कहा गया है कि रेड मीट का सेवन कुछ मामलों में हानिकारक भी हो सकता है (9)। इसलिए, गर्भावस्था में रेड मीट का सेवन डॉक्टर से पूछकर ही करना चाहिए।
- चिकन ब्रेस्ट : अगर आप मांसाहारी हैं, तो गर्भावस्था के दौरान खाद्य विशेषज्ञ कम वसा युक्त मांस जैसे- भुना चिकन लेने की सलाह देते हैं। यह शरीर को प्रोटीन प्रदान करता है, जो मां और बच्चे दोनों के विकास के लिए आवश्यक है (10)। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि जिंक की पूर्ती के लिए गर्भावस्था में चिकन ब्रेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कदू के बीज : एनसीबीआई के एक शोध में स्पष्ट जिक्र मिलता है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन और जिंक की कमी की पूर्ती के लिए कद्दू के बीज दिए जा सकते हैं (6)।
- बीन्स : सामान्य तौर पर गर्भावस्था में प्रोटीन की पूर्ती के लिए बीन्स लेने की सलाह दी जाती है (10)। वहीं, ये जिंक के अच्छे स्रोत में भी शामिल हैं। ऐसे में अगर आप बीन्स के प्रति एलर्जिक नहीं हैं, तो प्रोटीन के साथ-साथ जिंक की पूर्ती के लिए आप बीन्स को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं।
- दही : एनसीबीआई के एक शोध में माना गया है कि औसत वजन महिलाओं के लिए दही का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। यह समय पूर्व बच्चे के जन्म के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (11)। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान जिंक की कमी के लिए भी इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
- काजू : काजू फैटी एसिड का समृद्ध स्रोत है, जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के दिमागी स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद कर सकता है। साथ ही यह भ्रूण के दिमागी विकास में भी योगदान कर सकता है (12)। ऐसे में जिंक के स्रोत के रूप में इसे लेना गलत नहीं होगा, बशर्ते इसका सेवन संतुलित मात्र में किया जाए।
- काबुली चना : काबुली चने में फोलेट की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो भ्रूण के विकास के लिए अहम माना जाता है। इसलिए, खाद्य विशेषज्ञ इसे अपने आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं (13)। इसके अलावा, यह जिंक का भी अच्छा स्रोत है। इसलिए, इसे गर्भावस्था में लिया जा सकता है।
- चीज़ : विटामिन-ए और विटामिन-बी12 भी कुछ ऐसे जरूरी पोषक तत्व हैं, जिन्हें गर्भावस्था में जरूरी माना गया है। इनकी पूर्ती के लिए विशेषज्ञ खाद्य में चीज को शामिल करने की सलाह देते हैं (13)। यही वजह है कि जिंक की पूर्ती के लिए इसे गर्भावस्था में इस्तेमाल करने में कोई हर्ज नहीं है।
- ओटमील : फाइबर और बी विटामिन्स की पूर्ती के लिए गर्भवती को नाश्ते में ओटमील शामिल करने की सलाह दी जाती है (10)। ऐसे में जिंक की पूर्ती के लिए भी इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
- कम वसायुक्त दूध : दूध में राइबोफ्लेविन, नियासिन के साथ विटामिन-डी, ए, बी6 और बी12 जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो गर्भावस्था के लिए जरूरे हैं। इसलिए, इसे गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त माना गया है (13)। ऐसे में जिंक की पूर्ती के लिए इसे भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
- बादाम : कैल्शियम और विटामिन-डी की पूर्ती के लिए खाद्य विशेषज्ञ जिन चीजों को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं, उनमें बादाम भी शामिल है (10)। ऐसे में जिंक की पूर्ती के लिए भी इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
- राजमा : राजमा प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ में शामिल है, जिसे गर्भावस्था में लेने की सलाह दी जाती है (14)। वहीं, यह जिंक का भी अच्छा स्रोत है। इसलिए, इसे जिंक की पूर्ती के लिए भी गर्भावस्था में लिया जा सकता है।
- मटर : मटर भी प्रोटीन से भरपूर खाद्य माना जाता है, जिसे गर्भावस्था में लेने की सलाह दी जाती है (10)। ऐसे में जिंक की पूर्ती के लिए भी इसे गर्भावस्था में इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
गर्भावस्था में जिंक की टेबलेट लेनी चाहिए या नहीं? आइए, जानते हैं।
क्या गर्भावस्था के दौरान जिंक की टेबलेट ले सकते हैं?
जिंक की कमी होने की स्थिति में डॉक्टर गर्भवती महिला को जिंक की टेबलेट सप्लीमेंट के तौर पर लेने की सलाह दे सकते हैं। वहीं, कुछ वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि सप्लीमेंट्स से पूरी तरह जिंक की पूर्ति नहीं होती है। इसलिए, किसे जिंक सप्लीमेंट की जरूरत है और कितनी मात्रा लेना सही है, उस बारे में डॉक्टर से बेहतर कोई नहीं बता सकता (2)।
लेख के अंतिम भाग में जिंक से संभावित नुकसान के बारे में बताया गया है।
गर्भावस्था के दौरान जिंक का अधिक सेवन करने से क्या नुकसान हो सकता है?
गर्भवती हो या फिर कोई सामान्य महिला जिंक का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी, मतली, पेटदर्द और डायरिया की स्थिति पैदा हो सकती है (5)।
गर्भावस्था में जिंक के महत्त्व को समझने में यह लेख काफी हद तक मददगार साबित हुआ होगा। साथ ही आपको यह भी पता चला कि किन खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल कर शरीर में इस खास तत्व के स्तर बेहतर बनाया जा सकता है। ऐसे में आप अपने आहार में सुधार कर जिंक की कमी को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं। इसके बावजूद, अगर आपको लेख में बताए गए जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। गर्भावस्था से जुड़े अन्य विषयों को जानने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
2. Maternal Zinc Intakes and Homeostatic Adjustments during Pregnancy and Lactation By Ncbi
3. Maternal zinc deficiency during pregnancy elevates the risks of fetal growth restriction: a population-based birth cohort study By Ncbi
4. Nutrition During Pregnancy: Part I Weight Gain: Part II Nutrient Supplements. By Ncbi
5. Zinc in diet By Medlineplus
6. Dietary Intake and Food Habits of Pregnant Women Residing in Urban and Rural Areas of Deyang City, Sichuan Province, China By Ncbi
7. Zinc Fact Sheet for Health Professionals By Nih
8. Consciousness level determination of red meat consumption of pregnant women, Giresun/Turkey province By Edu
9. Diet in pregnancy—more than food By Ncbi
10. Health Tips for Pregnant Women By Nih
11. Yogurt consumption during pregnancy and preterm delivery in Mexican women: A prospective analysis of interaction with maternal overweight status By Ncbi
12. Maternal intake of cashew nuts accelerates reflex maturation and facilitates memory in the offspring By Ncbi
13. Nutrition in pregnancy By Researchgate
14. Moms making healthy food choices By Choosemyplate
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