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न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को हिंदी में तंत्रिका नली दोष कहा जाता है। यह एक प्रकार का जन्म दोष है, जो भ्रूण के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसके कारण शिशु मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 3 लाख बच्चे तंत्रिका नली दोष के साथ जन्म लेते हैं (1)। इस विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस बारे में आपको विस्तार से जानकारी देंगे। इस लेख में आपको न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का मतलब, उसके कारण, निदान और उससे जुड़ी अन्य जानकारी भी मिल जाएगी।
सबसे पहले समझिए कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट क्या होता है।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (तंत्रिका नली दोष) क्या है?
भ्रूण के मस्तिष्क, रीढ़ या रीढ़ की हड्डी से जुड़े जन्म दोषों को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। इसमें भ्रूण का कोई एक अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता और जन्म के समय भी अविकसित ही रहता है। दरअसल, भ्रूण के विकास के शुरुआती दिनों में कुछ सेल्स मिलकर एक ट्यूब का निर्माण करते हैं, जिसे न्यूरल ट्यूब कहा जाता है। इस ट्यूब का आगे का भाग धीरे-धीरे मस्तिष्क का रूप लेता है और बाकी का भाग रीढ़ की हड्डी का निर्माण करता है। जब न्यूरल ट्यूब पूरी तरह से बंद नहीं होती या पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती, तो स्पाइनल कॉलम में छेद रह जाता है। इस समस्या को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। ऐसा अक्सर गर्भावस्था के पहले महीने में होता है, जब महिला को अपने गर्भवती होने का एहसास तक नहीं होता (2)।
आगे जानिए न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के प्रकार के बारे में।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के प्रकार
न्यूरल ट्यूब डेफिसिट को चार प्रकार में बांटा जा सकता है, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है (2) :
- स्पाइना बिफिडा : यह तंत्रिका नली दोष का सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है जब न्यूरल ट्यूब पूरी तरह बंद नहीं हो पाता। इसमें अक्सर शिशु रीढ़ की हड्डी के प्रभावित क्षेत्र की नसों में लकवा हो सकता है। साथ ही इसमें नसे मूत्राशय और आंत्र को भी प्रभावित कर सकती हैं, क्योंकि रीढ़ की सबसे नीचे की नसें इन दोनों को नियंत्रित करती हैं। इससे पैर भी लकवा ग्रस्त हो सकते हैं। हालांकि, स्पाइना बिफिडा से पीड़ित बच्चे की मस्तिष्क कार्यप्रणाली सामान्य होती है, लेकिन उनके सीखने की और बौद्धिक क्षमता कुछ कम होती है।
- एन्सेफैलोसील (Encephalocele) : यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का दुर्लभ प्रकार है। इसमें न्यूरल ट्यूब मस्तिष्क की तरफ से बंद नहीं हो पाती, जिस कारण स्कैल्प में मस्तिष्क और झिल्लियों का एक थैली जैसा फलाव हो जाता है। इस कारण मेम्ब्रेन और दिमाग का वह भाग जो उसे बंद करता है, एक असामान्य रूप ले लेता है और स्कैल्प के बाहर एक बड़ी थैली की तरह दिखने लगता है। इस तरह के न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से पीड़ित शिशुओं में हाइड्रोसेफालस (दिमाग के आसपास द्रव का इकट्ठा हो जाना), लिम्ब पैरालिसिस, विकास की दर में कमी, बौद्धिक अक्षमता, दृष्टि से जुड़ी समस्याएं, छोटा सिर, चेहरे और शारीरिक गतिविधियों में असामान्यताएं जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- एनेनसेफ्ली (Anencephaly) : यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का गंभीर, लेकिन दुर्लभ प्रकार है। इस स्थिति में न्यूरल ट्यूब ऊपर से बंद नहीं हो पाती, जिस कारण मस्तिष्क का कुछ भाग या पूरा मस्तिष्क ही विकसित नहीं हो पाता। इस तरह से तंत्रिका नली दोष के साथ जन्मे शिशु अक्सर बच नहीं पाते हैं। इस प्रकार के जन्मदोष के साथ जन्मे शिशु की जन्म के समय या जन्म के तुरंत बाद ही मृत्यु हो जाती है।
- इनिएनसेफ्ली (Iniencephaly) : इनिएनसेफ्ली भी तंत्रिका नली दोष का एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर प्रकार है। इसमें ओसिपुट हड्डी दोष व स्पाइन बिफिडा दोनों होते हैं, जिस कारण सिर पूरी तरह पीछे की ओर झुका होता है। इनका सिर इनके धड़ से और खोपड़ी पीठ से जुड़ी होती है। इस विकार के साथ जन्मे शिशु को क्लेफ्ट लिप (कटे-फटें होठ), हृदय से जुड़ी समस्याएं व अविकसित आंत जैसी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इस जन्म दोष से पीड़ित बच्चे भी जन्म के बाद ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते।
इस लेख के अगले भाग में जानिए न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के कारणों के बारे में।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के कारण
तंत्रिका नली दोष होने के कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3) :
- शरीर में फोलेट विटामिन की कमी।
- मधुमेह की समस्या होना।
- परिवार में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का इतिहास।
- मिर्गी मेडिसीन व मनोरोग दवा आदि लेने से भी यह समस्या हो सकती है।
आगे जानिए कि तंत्रिका नली दोष का अधिक जोखिम किस तरह की गर्भावस्था में होता है।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के लिए जोखिम कारक क्या हैं?
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार नीचे बताई गई बातों के कारण न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने का खतरा बढ़ सकता है, जैसे (4) :
- शराब का सेवन।
- धूम्रपान करना।
- शरीर में मल्टीविटामिन की कमी।
लेख के आने वाले भाग में आप जानेंगे कि गर्भावस्था के दौरान न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का पता कैसे लगाया जा सकता है।
प्रेगनेंसी में तंत्रिका नली दोष होने का पता कैसे चलेगा?
प्रेगनेंसी के दौरान न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का निदान नीचे बताए गए तरीके से किया जा सकता है (5):
अल्फा फीटोप्रोटीन : यह परीक्षण गर्भावस्था की दूसरे तिमाही में किया जाता है। यह ट्रिपल स्क्रीन ब्लड टेस्ट के भागों में से एक है। यह एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जो भ्रूण के लिवर में बनता है। भ्रूण के विकास के दौरान यह प्रोटीन मां के खून में मिलने लगता है। इस टेस्ट के जरिए गर्भवती के खून में इसकी मात्रा को मापा जाता है। अल्फा फीटोप्रोटीन का बढ़ा हुआ रक्त स्तर न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की ओर इशारा करता है (6)। ट्रिपल मार्कर टेस्ट के अन्य दो भाग ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन और एस्ट्रियल नामक हॉर्मोन के स्तर को मापते हैं, जो डाउन सिंड्रोम (एक तरह का जन्म दोष) के बारे में बताता है (7)।
एमनियोटिक फ्लूइड टेस्ट : अगर ट्रिपल मार्कर टेस्ट में अल्फा फीटोप्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ आता है, तो उसकी पुष्टि करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। अल्फा फीटोप्रोटीन के साथ ही यह टेस्ट एमनियोटिक द्रव में एसिटाइलकोलिनेस्टरेज (acetylcholinesterase – एक तरह का एंजाइम) का स्तर भी बताता है। अल्फा फीटोप्रोटीन और एसिटाइलकोलिनेस्टरेज का एमनियोटिक फ्लूड में बढ़ा हुआ स्तर न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के बारे में पुष्टि करता है।
तंत्रिका नली दोष का निदान करने के तरीकों के बाद जानिए कि इसका निदान करवाने के फायदे क्या होते हैं।
जन्म से पहले न्यूरल ट्यूब दोष का पता लगने से क्या फायदे हो सकते हैं?
शिशु के जन्म से पहले न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के बारे में पता लगने के नीचे बताए गए फायदे हो सकते हैं :
- डॉक्टर यह बता सकते हैं कि जोखिम कितना गंभीर है और महिला व होने वाले शिशु को किस तरह का नुकसान हो सकता है।
- समय रहते जन्म दोष का गंभीर खतरा टालने के लिए जरूरी उपचार किए जा सकते हैं।
- न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का प्रकार और उसके कारण का पता लगा कर उचित सलाह दी जा सकती है, जैसे बच्चे के बचने और रोग का निदान होने की कितनी संभावना है।
- गर्भावस्था के शुरुआत में ही भ्रूण में जन्म दोष होने का पता लगने के बाद माता-पिता के लिए स्वयं को मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार करने में मदद मिल सकती है।
- जन्म दोष का पहले से पता लग जाने से डॉक्टर की सलाह पर पति-पत्नी गर्भावस्था को जारी रखने या न रखने का निर्णय ले सकते हैं।
आगे जानिए कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के उपचार क्या-क्या हैं।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का इलाज
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का अब तक कोई इलाज नहीं है। जन्म के समय हुआ न्यूरल डैमेज और शारीरिक व मानसिक कार्यप्रणाली की असक्षमता को ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ तरह के ट्रीटमेंट की मदद से भविष्य में होने वाले नुकसान के खतरे और जटिलताओं को कम किया जा सकता है (8)। नीचे कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट बताए गए हैं जो न्यूरल ट्यूब की जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकते हैं (9) :
सर्जरी : ओपन स्पाइना बिफिडा के मामले में सर्जरी की मदद से रीढ़ की हड्डी पर मौजूद होल को बंद किया जाता है। इसके अलावा, एन्सेफैलोसील न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट में शिशु के स्कैल्प में कुछ टिश्यू लगाए जाते हैं। इसमें सर्जरी की मदद से चेहरे और स्कैल्प की असामान्यताओं को भी ठीक किया जा सकता है।
हाइड्रोसेफेलस : अगर स्पाइन बिफिडा से ग्रस्त शिशु को हाइड्रोसेफेलस (मस्तिष्क के आसपास जमा ज्यादा द्रव) है, तो यह शंट प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया में भ्रूण के मस्तिष्क के आसपास एकत्र हुए द्रव को निकाला जाता है। ऐसा करने के लिए डॉक्टर एक शंट (द्रव निकालने के लिए एक प्रकार का ट्यूब) इम्प्लांट करते हैं, जिससे दिमाग में बना दबाव कम होता है। इस ट्रीटमेंट की मदद से शिशु में अंधापन होने का जोखिम कम किया जा सकता है।
लेख के अगले भाग में जानिए कि तंत्रिका नली दोष के कारण शिशु को भविष्य में किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने के कारण नीचे बताई गई समस्याएं हो सकती हैं (10) :
- मानसिक रूप से विकलांग।
- कमजोर मांसपेशियां।
- लकवा।
- मूत्राशय पर अनियंत्रण।
लेख के आखिरी भाग में जानिए न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचने के उपाय के बारे में।
प्रेगनेंसी में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से कैसे बचें?
गर्भावस्था के दौरान आहार में फोलिक एसिड की पर्याप्त मात्रा (4mg/दिन) शामिल करने से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का खतरा 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है (11)। इसके अलावा, न्यूरल ट्यूब के अन्य जोखिम कारकों जैसे – मोटापा व मधुमेह से बचकर और शराब व धूम्रपान का सेवन न करने से भी तंत्रिका नली दोष के खतरे को कम किया जा सकता है। अगर गर्भवती महिला मिर्गी-रोधी दवाओं या एंटी-साइकोटिक दवाओं का सेवन कर रही है, तो गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। फिर दवाओं या उनकी खुराक को बदलने के बारे में चर्चा करें। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गर्भवती होने से तीन महीने पहले से ही फोलिक एसिड की गोलियां लेनी शुरू करें। वहीं, अगर आपके पिछले बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट था, तब इस गर्भावस्था में फोलिक एसिड की उच्च खुराक और प्रारंभिक निगरानी की आवश्यकता होती है ।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट ऐसी समस्या है, जिसके कारणों पर शुरुआत से ध्यान न देने के परिणाम बुरे हो सकते हैं। हम आशा करते हैं कि उन परिणामों के बारे में आप लेख के माध्यम से अच्छी तरह समझ गए होंगे। इसलिए, सिर्फ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर इस समस्या से बचा जा सकता है। गर्भवती महिला की थोड़ी-सी सावधानी होने वाले शिशु को स्वस्थ और खुशहाल जीवन दे सकती है।
References
1. Prevention of neural tube defects by the fortification of flour with folic acid: a population-based retrospective study in Brazil by WHO
2. About Neural Tube Defects (NTDs) by NIH
3. 5 Ways to Lower the Risk of Having a Pregnancy Affected by a Neural Tube Defect by CDC
4. Risk factors associated with neural tube defects in infants referred to western Iranian obstetrical centers; 2013–2014 by NCBI
5. How do health care providers diagnose neural tube defects (NTDs) by NIH
6. Alpha-Fetoprotein (AFP) Test by MedlinePlus
7. Maternal Serum Marker Screening by NCBI
8. Neural Tube Defects by MedlinePlus
9. What are the treatments for neural tube defects (NTDs) by NIH
10. Neural Tube Defects by Florida Birth Defect Registry
11. Prevention of Neural Tube Defects and proper folate periconceptional supplementation by NCBI
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