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किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था नाजुक पड़ाव होता है। यही वजह है कि इस दौरान मां के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे का भी खास ख्याल रखना पड़ता है। इसीलिए, डॉक्टर प्रसव होने तक कई तरह के टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। यह टेस्ट मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति और स्वास्थ्य पर नजर रखने में मदद करते हैं। इन्हीं में नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) का नाम भी शामिल है। हालांकि, हर गर्भवती को इस टेस्ट को कराने की जरूरत नहीं होती है। फिर भी कुछ खास स्थितियों में यह टेस्ट आवश्यक माना जाता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस टेस्ट से जुड़ी कई बातें बता रहे हैं, ताकि आपको इस टेस्ट की ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके।
आइए, सबसे पहले हम नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) क्या है, इस बारे में जान लेते हैं।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट (Nst) क्या है? | NST Test During Pregnancy In Hindi
इस टेस्ट के जरिए पता लगाया जाता है कि मां और बच्चे में से किसी को किसी तरह का तनाव या तकलीफ तो नहीं है। इस टेस्ट को बिना चीरे या कट के किया जाता है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य भ्रूण की धड़कन और उसकी सक्रियता की स्थिति का पता लगाना होता है। इस टेस्ट के जरिए यह जाना जा सकता है कि बच्चा पूरी तरह से सामान्य स्थिति में है या नहीं। टेस्ट के दौरान अगर बच्चे की धड़कन बच्चे के घूमने के साथ अथवा अपने आप ऊपर नहीं जाती है, तो डॉक्टर गर्भवती से अपने हाथ को पेट पर हल्के से सहलाने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा, बच्चे को नींद से जगाने के लिए एक डिवाइस की मदद से भ्रूण तक विशेष आवाज भी भेजी जा सकती है (1)।
लेख के अगले भाग में हम आपको नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) कराने के समय के बारे में जानकारी देंगे
नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) कब किया जाता है?
डॉक्टर को अगर गर्भावस्था के दौरान कुछ गंभीर परिस्थितियां दिखाई देती हैं, जिनसे गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है, तो डॉक्टर नॉन स्ट्रेस टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। मुख्य रूप से इस टेस्ट को गर्भावस्था के 34वें हफ्ते के बाद करने की सलाह दी जा सकती है। वहीं, कुछ मामलों में इस टेस्ट को 32वें से 34वें हफ्ते में या उससे और पहले भी कराया जा सकता है (2)।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट कराने का समय जानने के बाद, अब हम इस टेस्ट को कराने के उद्देश्य के बारे में जानेंगे
नॉन स्ट्रेस टेस्ट क्यों किया जाता है?
भ्रूण को होने वाले गंभीर जोखिमों का अनुमान डॉक्टर कुछ विशेष स्थितियों को देखकर लगा सकते हैं, जिसके बाद नॉन स्ट्रेस टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है। इस टेस्ट में बच्चे की दिल की धड़कन और गतिशीलता को चेक करके अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे की स्थिति सामान्य है या असामान्य। जिन स्थितियों में बच्चे को जोखिम होने की आशंका होती है, वो कुछ इस प्रकार हैं (2):
- सामान्य रूप से भ्रूण का विकास न होना
- भ्रूण को गंभीर जोखिम होने पर या खून में उचित मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई न होना।
- गर्भावस्था में डायबिटीज होने की स्थिति में
- पहले से हाई ब्लड प्रेशर या प्रीक्लेम्पसिया (गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर) होने पर
- भ्रूण की गति में कमी।
- 9 माह का समय पूरा होने के बाद भी प्रसव न होने की स्थिति में।
- एक से अधिक भ्रूण होने की स्थिति में।
- सिस्टेमिक ल्यूपस एरीदीमॅटोसस (Systemic Lupus erythematosus) यानी प्रतिरोधक प्रणाली से संबंधित विकार, जिसमें जोड़, त्वचा, किडनी, ब्लड सेल्स, दिमाग, हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं।
- एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम (Antiphospholipid antibody syndrome) यानी प्रतिरोधक प्रणाली से संबंधित विकार, जिसमें ब्लड प्रोटीन स्वतः कम होने लगते हैं और खून के थक्के जमने लगते हैं।
- स्वतः गर्भपात होने की समस्या।
- अलोइम्युनाइजेशन (Alloimmunization) यानी प्रतिरक्षा प्राणाली से संबंधित विकार, जिसमें रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) नष्ट होने लगते हैं।
- हाईड्रॉप्स (Hydrops) यानी प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित विकार, जिसमें भ्रूण के आरबीसी नष्ट होने लगते हैं और एक या एक से अधिक अंग में तरल भर जाने के कारण सूजन आ जाती है।
- ओलिगोहाईड्रमनियोज (Oligohydramnios) यानी बच्चेदानी में एमनियोटिक तरल का कम होना।
- कोलेसटैटिस ऑफ प्रेगनेंसी यानी लिवर से संबंधित विकार, जिसमें गर्भास्था के अंतिम चरण में हाथ-पैर में खुजली होती है।
- अन्य समस्याएं, जैसे- हृदयरोग, थायराइड, कुछ दवाओं का अधिक उपयोग व किडनी से संबंधित समस्या।
लेख के अगले भाग में हम नॉन स्ट्रेस टेस्ट से पूर्व की जाने वाली तैयारियों के बारे में बताएंगे
आपको टेस्ट के लिए क्या तैयारी करने की आवश्यकता है?
इस टेस्ट में किसी तरह के चीरे या कट की जरूरत नहीं होती है। इसका कारण यह है कि यह एक बायोफिजिकल टेस्ट है, जैसे अल्ट्रासाउंड होता है (2)। ऐसे में इस टेस्ट से पूर्व किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यह टेस्ट कुछ खाने के बाद ही कराना चाहिए (3)। हां, टेस्ट से पहले गर्भवती का ब्लड प्रेशर जरूर चेक किया जाता है।
लेख के इस भाग में आप जानेंगे कि नॉन स्ट्रेस टेस्ट की प्रक्रिया क्या है।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट कैसे किया जाता है?
निम्न बिंदुओं की सहायता से नॉन स्ट्रेस टेस्ट करने की प्रक्रिया को आसानी से समझा जा सकता है (3)
- सबसे पहले डॉक्टर गर्भवती महिला को परीक्षण टेबल पर लेटने के लिए कहेंगे
- उसके बाद डॉक्टर पेट के निचले हिस्से पर जेल लगाएंगे।
- इसके बाद पेट के निचले हिस्से पर एक विशेष बेल्ट बांधी जाएगी।
- अब इस बेल्ट से एक विशेष उपकरण को जोड़ा जाएगा, जिसे ट्रांस्ड्यूसर (transducer) कहा जाता है। ट्रांस्ड्यूसर एक प्रकार का मॉनिटर है, जिस पर बच्चे की हृदय गति को देखा जा सकता है।
- अब डॉक्टर मॉनिटर के साथ ही पेपर पर भी बच्चे की हृदय गति की गणना को रिकॉर्ड करेंगे।
- वहीं, डॉक्टर बच्चे की हर गति के साथ महिला से बेल्ट पर दिए गए बटन को दबाने के लिए कहेगा।
- इस टेस्ट को पूरा करने में 20 से 40 मिनट का समय लग सकता है।
लेख के अगले भाग में हम आपको नॉन स्ट्रेस टेस्ट के जोखिम से जुड़ी जानकारी देंगे
इस प्रक्रिया के जोखिम क्या हैं?
जैसा कि आप जान चुके हैं कि यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड टेस्ट है, जिसमें बिना किसी चीरे या कट के परीक्षण किया जाता है। ऐसे में इस टेस्ट को पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकता है (4)
आगे आप जानेंगे कि नॉन स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट के रजिल्ट का क्या मतलब है?
नॉन स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम को मुख्य रूप से एक, दो और तीन की श्रेणी में प्रदर्शित किया जाता है, जिसका मतलब कुछ इस प्रकार है (1):
- कैटेगिरी- 1 : इसका मतलब है कि टेस्ट का परिणाम नॉर्मल है और शिशु पूरी तरह से सामान्य है
- कैटेगिरी- 2 : इसका अर्थ यह है कि अभी आगे और देखभाल व जांच किए जाने की जरूरत है।
- कैटेगिरी- 3 : आमतौर पर इस स्थिति में डॉक्टर तुरंत डिलीवरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
लेख के अगले भाग में हम नॉन स्ट्रेस टेस्ट की लागत के बारे में जानकारी देंगे
नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) की लागत क्या है?
सामान्य रूप से भारत में नॉन स्ट्रेस टेस्ट 500 से 600 रुपये में हो जाता है, लेकिन शहर व हॉस्पिटल के हिसाब से इसकी कीमत में कुछ अंतर भी देखने को मिल सकता है।
गर्भावस्था में नॉन स्ट्रेस टेस्ट एक सामान्य प्रक्रिया है और ज्यादा महंगा भी नहीं है। साथ ही इसमें किसी तरह के जोखिम की गुंजाइश भी नहीं है। इसलिए, अगर आपको या आपके जान-पहचान में किसी गर्भवती महिला को डॉक्टर ने यह टेस्ट करवाने की सलाह दी है, तो बेझिझक इस टेस्ट को करवाएं। उम्मीद है कि स्वस्थ्य गर्भावस्था को बनाए रखने में यह लेख काफी हद तक उपयोगी साबित होगा। आप गर्भावस्था से जुड़ी हर तरह की जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Monitoring your baby before labor By Medlineplus
2. Prenatal Non-stress Test By Ncbi
3. Nonstress Testing By Rochester
4. Nonstress Testing and Perinatal Outcome By Ncbi
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