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हर मां और शिशु का संबंध गर्भ से ही शुरू हो जाता है। यह तो सभी जानते हैं कि हर शिशु का जन्म नौ महीने बाद ही होता है, लेकिन कुछ शिशु मेडिकल अवस्था के कारण नौ महीने पूरे होने से पहले ही जन्म ले लेते हैं। ऐसे बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी या समय पूर्व जन्मे शिशु कहा जाता है। प्रीमैच्योर बेबी मां के गर्भ में पर्याप्त समय तक नहीं रह पता है, इसलिए जन्म के बाद ऐसे शिशुओं को अन्य शिशुओं के मुकाबले अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम समय से पहले जन्मे बच्चे के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे।

चलिए पहले प्रीमैच्योर बेबी क्या होता है, इसके बारे में जानते हैं।

प्रीमैच्योर (अपरिपक्व जन्म) बेबी क्या होता है? | Premature Baby In Hindi

जब कोई बच्चा निर्धारित 40 हफ्ते से पहले यानी 37वें हफ्ते या उससे भी पहले जन्म लेता है, तो उस बच्चे को समय से पहले जन्मा यानी प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। निर्धारित समय से जन्मे बच्चे अन्य बच्चों से भिन्न हो सकते हैं। इस तरह के बच्चों की शारीरिक संरचना भी कमजोर हो सकती है और वजन भी कम होता है। बच्चों के समय से पहले जन्म लेने का एक कारण गर्भवती महिला को कोई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय या गुर्दे की समस्याएं और यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन शामिल हैं (1), (2)

प्रीमैच्योर बेबी के लक्षण कैसा होता है, इसके बारे में जानते हैं।

प्रीमैच्योर बेबी के लक्षण

क्या आप जानना चाहते हैं कि आपके प्रीमैच्योर बेबी के लक्षण किस तरह के हो सकते हैं। नीचे हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से प्रीमैच्योर बेबी के लक्षण के बारे में बता रहे हैं (2):

  • कमजोर और कम वजन का दिखाई देना।
  • प्रीमैच्योर बेबी की त्वचा पूर्ण विकसित बच्चे की तुलना में पतली होती है।
  • समय से पहले जन्मे नवजात शिशु अन्य बच्चों के मुकाबले कम शारीरिक गतिविधी करते हैं।

समय से पूर्व जन्म लेने वाला शिशु कैसा दिखता है, इसके बारे में आगे पढ़ेंगे।

समय पूर्व जन्मा बच्चा कैसा दिखता है?

समय से पहले पैदा हुआ शिशु सामान्य शिशु से काफी अलग दिख सकता है।

  • समय से पहले जन्मे बच्चे का शरीर छोटा और कम वजन का हो सकता है (2)
  • शरीर की तुलना में सिर सामान्य आकार से बड़ा हो सकता है।
  • प्रीमैच्योर बेबी के शरीर में फैट भी कम हो सकता है।
  • शरीर में कम फैट होने के कारण त्वचा पतली और अधिक पारदर्शी प्रतीत हो सकती है।
  • शिशु के शरीर की रक्त वाहिकाएं आपको स्पष्ट नजर आ सकती हैं।
  • शिशु के पीठ और कंधों पर बाल भी हो सकते हैं, जिन्हें लानुगो कहा जाता है।

आपका समय पूर्व जन्मा शिशु किस तरह की प्रतिक्रिया कर सकता है, आइए इस बारे में जानते हैं।

समय पूर्व जन्मा बच्चा कैसे प्रतिक्रिया करता है?

प्रीमैच्योर बेबी की शारीरिक गतिविधियां कुछ अलग तरह की हो सकती हैं, जिनमें से कुछ खास गतिविधियों के बारे में हम यहां बता रहे हैं :

  • ऐसे शिशु बहुत ही धीमी आवाज में रोते हैं।
  • सांस लेते समय जोर से सांस खींच सकते हैं।
  • सामान्य तापमान पर अधिक ठंड महसूस हो सकती है।
  • शिशु अपने हाथ-पैर हिला कर प्रतिक्रिया कर सकता है।

आइए, अब जानते हैं कि समय से पहले जन्मे बच्चे को किस तरह की समस्या हो सकती है।

समय से पहले जन्मे बच्चे को होने वाली आम समस्याएं

समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार हैं (1)

  • एनीमिया– कई बार समय से पहले जन्म लेने पर बच्चों में लाल रक्त कोशिकाएं की कमी हो सकती है। ऐसे में उन बच्चों को एनीमिया हो सकता है।
  • एप्निया– यह समस्या मुख्य रूप से शिशु का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित न होने के कारण होती है। इसका शिकार ज्यादातर 34 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले शिशु होते हैं। इस अवस्था से ग्रस्त शिशु अचानक सांस लेना बंद कर देता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक रहती है, तो यह शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
  • पीलियाजब शिशुओं में बिलीरुबिन (पीले रंग का द्रव्य) का स्तर बढ़ जाता है, तो इससे पीलिया का जोखिम उत्पन्न हो जाता है। इससे शिशु की त्वचा का रंग और आंखें पीली हो जाती हैं।
  • नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलाइटिस– प्रीमैच्योर बेबी को आंत से जुड़ी बीमारी हो सकती है। इसे मेडिकल भाषा में नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलाइटिस कहा जाता है। इसमें शिशु के लिए दूध पचाना मुश्किल हो सकता है।
  • पेटेंट डक्टस आर्टेरीओसस– यह हृदय से संबंधित एक समस्या है, जो समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु को हो सकती है।
  • प्रीमेच्योरिटी रेटिनोपैथी– यह आंखों के रेटिना से जुड़ा एक विकार है। इस कारण अंधेपन का जोखिम बढ़ सकता है।
  • संक्रमण– कई बार गर्भावस्था में महिलाओं को संक्रमण हो सकता है, जो जन्म के समय शिशु को भी हो सकता है।
  • रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (RDS): यह समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए एक बहुत गंभीर समस्या है, जो सर्फेक्टेंट की कमी के कारण होती है। इसमें शिशु के फेफड़े बंद हो जाते हैं, जिस कारण वो ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं। इससे शिशु को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। इस वजह से शिशु को जन्म के तुरंत बाद वेंटिलेटरी सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।
  • हाइपोथर्मिया:  इस स्थिति में सामान्य शिशु की तुलना में समय से पहले जन्म लिए बच्चे के शरीर का तापमान काफी कम होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में कम ग्लूकोज और सायनोसिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

चलिए, लेख में आगे जानते हैं कि प्रीमैच्योर बेबी को किस तरह के देखभाल की जरूरत है।

प्रीमैच्योर बेबी होने के बाद क्या होता है?

प्रीमैच्योर बेबी को शिशु को ज्यादा केयर की आवश्यकता होती है। ऐसे में उन्हें कुछ दिन नवजात गहन चिकित्सा यूनिट (एनआईसीयू) में रखा जा सकता है।

  • NICU बेबी केर | Neonatal Intensive Care Unit In Hindi

जब शिशु निर्धारित समय से पहले जन्म लेता है, तब उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस कारण उन्हें अस्पताल के एनआईसीयू में रखा जाता है। एनआईसीयू को नवजात गहन देखभाल इकाई कहा जाता है। यहां शिशु को विशेषज्ञों की देखरेख में रखा जाता है। कई शिशु ऐसे होते हैं, जिन्हें कुछ हफ्तों तक लगातार एनआईसीयू में रखा जाता है। यह बच्चे के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है (3)

  • समय पूर्व जन्मे बच्चे को कब घर लाया जा सकता है?

शिशु को अस्पताल से डिस्चार्ज करने की डॉक्टर एक अनुमानित डेट ही बता सकते हैं। इस संबंध में स्पष्ट तौर पर कहना मुश्किल होता है। समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु का वजन सामान्य से कम होता है। इस कारण उन्हें कुछ दिन अस्पताल में ही रखा जाता है। जब डॉक्टर को लगता है कि शिशु का वजन सामान्य स्तर पर आ गया है, तब डॉक्टर उसे घर ले जाने की अनुमति देते हैं। घर जाने से पहले शिशु का वजन कितना होना चाहिए, यह शिशु की अवस्था और डॉक्टर पर निर्भर करता है  (4)

लेख के अगले भाग में हम बता रहे हैं कि प्रीमैच्योर बेबी की घर में किस प्रकार देखभाल की जानी चाहिए।

प्रीमैच्योर बेबी की घर में कैसे देखभाल करें | Premature Baby Ki Care Kaise Kare

शिशु को अस्पताल से घर लाने के बाद उसके देखभाल में किसी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए। उसे घर में भी अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। यहां हम ऐसे ही कुछ काम के टिप्स दे रहे हैं (5) :

  • कमरे के तापमान का ध्यान

नवजात शिशु के कमरे के तापमान को ऐसे रखें जो आरामदायक और सुरक्षित हो। शिशु के लिए अधिक ठंडा या गर्म तापमान नुकसानदायक हो सकता है। साथ ही प्रीमैच्योर बेबी को सीधा पंखे के नीचे या कूलर के आगे न लेटाएं।

  • शिशु को सोने में मदद

समय से पहले जन्मे शिशु के नींद का ध्यान रखना जरूरी है। उन्हें सुविधाजनक बिस्तर में सुलाएं जिससे उनके नींद में किसी तरह का खलल उत्पन्न न हो।

  • शारीरिक स्वच्छाता

शिशु के शरीर की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए समय समय पर पानी और सॉफ्ट कॉटन से शिशु के शरीर को साफ करना चाहिए। साथ ही विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित तेल या बॉडी लोशन का भी इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रीमैच्योर बेबी का वजन कितना होना चाहिए। इसके बारे में लेख के अगले भाग में जानिए।

प्रीमैच्योर बेबी का वजन कितना होना चाहिए?

समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु का वजन निर्धारित समय में जन्मे शिशु के मुकाबले कम होता है। ज्यादातर समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु का वजन 2 से किलो से कम हो सकता है  (6)

चलिए, अब प्रीमैच्योर शिशु से जुड़ी कुछ और जानकारी पता करते हैं।

प्रीमैच्योर बेबी का वजन कैसे बढ़ाएं? Premature Baby Ka Weight Kaise Badhaye

जैसा कि आप जान चुके हैं कि प्रीमैच्योर शिशु का वजन कम होता है। ऐसे शिशु का वजन निम्न प्रकार से बढ़ाया जा सकता है :

पर्याप्त पोषण से– ऐसे शिशु को प्रत्येक समयांतराल पर स्तनपान कराते रहना चाहिए। मां के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु के विकास में मदद करते हैं। साथ ही उसका वजन बढ़ने में भी मदद मिलती है।

साथ ही यहां हम टेबल के जरिए बता रहे हैं कि समय से पहले जन्मे शिशुओं का विकास प्रतिदिन कितना होता है (7):

आयु (महीने)वजन (ग्राम / दिन)लंबाई (सेमी / महीना)सिर परिधि (सेमी / माह)
126-403-4.51.6-2.5
415-252.3-3.60.8-1.4
812-171-20.3-0.8
129-120.8-1.50.2-04
184-100.7-1.30.1-04

प्रीमैच्योर बेबी से जुड़ी अन्य जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।

प्रीमैच्योर बेबी को लेकर माता-पिता को तनाव का सामना कैसे करना चाहिए?

समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे की देखभाल और शिशु के बारे में चिंता करते-करते कई बार माता-पिता को तनाव होने लगता है। इस तनाव से निकलने के लिए आप निम्न तरीकों को आजमा सकते हैं (1)

  • स्वस्थ आहार का सेवन कर आप अपने तनाव को कम कर सकते हैं।
  • जब भी मौका मिले पर्याप्त आराम जरूर करें।
  • समय मिलने पर व्यायाम के जरिए भी आप अपना तनाव कम कर सकते हैं।
  • आप कोई भी पसंदीदा संगीत सुन सकते हैं।
  • आप समय निकालकर पसंदीदा किताबें पढ़कर भी तनाव से मुक्ति पा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कंगारू देखभाल क्या है?

नवजात बच्चे को त्वचा से त्वचा के संपर्क के द्वारा केयर किया जाता है, इसे कंगारू केयर के नाम से जाना जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि शिशु की त्वचा को पकड़ना आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छी देखभाल है (8)

प्रीमैच्योर बेबी के जीवित रहने की कितनी संभावना होती है?

प्रीमैच्योर बेबी के जीवित रहने कि संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि शिशु का जन्म निर्धारित समय से कितने हफ्ते पहले हुआ है। एक शोध के अनुसार, 24वें सप्ताह में पैदा होने वालों में जीवित रहने की दर लगभग 40% है, 25वें सप्ताह में जन्म लेने वालों में 50%, 26वें सप्ताह में जन्म लेने वाले शिशुओं में 60%, 27वें सप्ताह में जन्म लेने वालों में 70% और 28वें सप्ताह में जन्म लेने वालों बच्चों में 80% तक जीवित रहने की संभावना होती है (9)

बेशक, समय से पूर्व पैदा हुए शिशु कमजोर होते हैं, लेकिन बेहतर देखभाल की मदद से वह सामान्य शिशु के समान हो सकते हैं। बस उन्हें प्रतिदिन अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर आपके परिचय में किसी का बेबी प्रीमैच्योर है, तो यह आर्टिकल उसके साथ जरूर शेयर करें, ताकि उन्हें अपने बेबी को स्वस्थ करने के लिए जरूरी टिप्स मिल सकें।

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