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संयुक्त परिवार को समाज का अहम स्तंभ माना गया है, जहां लोग एकसाथ रहकर आपस में समय व्यतित करते हैं। वो बात और है कि बीतते समय के साथ ज्वॉइंट फैमिली टूटने लगे हैं। हर कोई अपनी जीवन शैली में इतना वयस्त है कि संयुक्त परिवार की परिभाषा तक भूलने लगा है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम संयुक्त परिवार की विशेषताएं लेकर आए हैं। साथ ही यहां हम ज्वॉइंट फैमली में रहने के फायदे और नुकसान के बारे में भी चर्चा करेंगे।
लेख के शुरुआत में हम ज्वॉइंट फैमिली की परिभाषा को समझने का प्रयास करते हैं।
संयुक्त परिवार किसे कहते हैं?
संयुक्त परिवार का मतलब ऐसे सुखी परिवार से है, जहां एक ही घर में दो-तीन पीढ़ी के लोग आपसी प्रेम के साथ रहते हों (1)। जहां एक ही रसोई में सभी के लिए खाना बनाता हो और सभी साथ में भोजन करते हो। संयुक्त परिवार में संपत्ति का कोई बंटवारा नहीं होता। सभी के पास एक-दूसरे के लिए समय होता है। यहां तक कि किसी में मन अपनों के लिए कोई द्वेष तक नहीं होता। सभी आपसी प्रेम और सौहार्द के साथ अपना जीवन व्यतित करते हैं। लेख में आगे हमने संयुक्त परिवार में रहने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में विस्तार से चर्चा की है।
आइए, अब जानते हैं कि ज्वॉइंट फैमिली की क्या-क्या खूबियां होती हैं।
संयुक्त परिवार की विशेषताएं
संयुक्त परिवार में रहने के कई लाभ हैं, जिनका जिक्र हम नीचे क्रमवार तरीके से कर रहे हैं:
- संयुक्त परिवार में घर और वहां रह रहे लोगों की देखभाल के लिए एक मुखिया होता है, जो परिवार का सबसे बड़ा सदस्य होता है।
- परिवार के किसी भी फैसले में सभी लोगों की राय ली जाती है। हालांकि, अंतिम निर्णय परिवार का मुखिया ही करता है।
- संयुक्त परिवार में सभी का खाना एक साथ ही बनता है और लोग एक साथ ही खाना खाते हैं, जिससे प्यार बढ़ता है।
- ज्वॉइंट फैमिली में परिवार के बड़े लोग मिलकर घर का खर्च चलाते हैं।
- घर के कामों में सभी लोग हाथ बंटाते हैं। इससे किसी एक पर काम का बोझ नहीं होता।
- अगर कोई एक मुसीबत में है, तो उसकी सहायता के लिए सभी उपस्थित रहते हैं, जिस कारण उसे अकेलेपन का सामना नहीं करना पड़ता।
लेख के अगले भाग में हम संयुक्त परिवार फायदे और नुकसान विस्तार से बता रहे हैं।
20 संयुक्त परिवार में रहने के फायदे और नुकसान
ज्वॉइंट फैमली की परिभाषा समझने के बाद अब बारी आती है, इसके फायदे और नुकसान के बार में जानने की।
संयुक्त परिवार में रहने के फायदे
- एकजुटता : सयुंक्त परिवार में रहने का सबसे पहला फायदा यह है कि लोगों के बीच एकजुटता होती है, जो आज के समय में कम ही देखने को मिलती है। संयुक्त परिवार में जहां बच्चों को दादा-दादी का प्यार मिलता है, वहीं बूढ़े मां-बाप को बच्चों का सहारा। सभी लोग एकजुट होकर एक ही छत के नीचे खुशी से रहते हैं। ऐसा एकल परिवार में संभव नहीं है।
- आदर भावना : लोगों के बीच, खासकर बच्चों में आदर भावना का विकास होता है। बच्चे घर के बड़ों का सम्मान करना व अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना जैसी कई अच्छी आदतें सीखते हैं। इस सीख व आदत को जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
- क्वालिटी टाइम : संयुक्त परिवार में रहने से आपस में समय बिताने का मौका मिलता है। आमतौर पर लोग अपने कामों में दिन भर व्यस्त रहते हैं। वहीं, शाम को काम खत्म करने बाद सभी परिवार वाले आपस में इकठ्ठा होते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। ऐसा न्यूक्लियर फैमिली में संभाव नहीं हो सकता है।
- बच्चों का संपूर्ण पालन पोषण : संयुक्त परिवार में बच्चों का पालन-पोषण अच्छी तरह से हो सकता है। बच्चों को प्यार व दुलार के साथ-साथ सही मार्ग दर्शन भी मिलता है। अगर माता-पिता अपने काम में व्यस्त भी रहते हैं, तो परिवार के बड़े-बुजुर्ग उनका पालन पोषण करने के लिए मौजूद होते हैं। यही नहीं, इससे जुड़े शोध में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि ज्वाइंट फैमली में रहने वालों का कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर होता है (2)।
- काम का बोझ नहीं : संयुक्त परिवार में किसी एक सदस्य के कंधों पर काम का बोझ नहीं होता। यहां भले ही लोगों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन सभी के बीच घर का काम बराबर बांटा जाता है। जैसे रसोई का काम महिलाओं के जिम्मे आता है, तो घर के पुरुष बाहर के काम आपस में मिलकर करते हैं।
- सुख-दुख में एक दूसरे का साथ : ज्वॉइंट फैमली में लोग हर पल एक दूसरे के सुख और दुख में साथ होते हैं। परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर किसी भी समस्या का हल निकाल लेते हैं। यही नहीं, संयुक्त परिवार में एकल परिवार के मुकाबले हंसी-खुशी का वातावरण भी अधिक रहता है। समय-समय पर किसी न किसी कार्यक्रम, जैसे – विवाह, पूजा या फिर नामकरण आदि का आयोजन होते रहता है। इससे परिवार में खुशियां बनी रहती है।
- बड़ों का साथ और आशीर्वाद : संयुक्त परिवार में घर के बड़े-बुजुर्ग ही मुखिया होते हैं। अगर फैमली में किसी को किसी तरह की परेशानी या उलझन होती है, तो बड़े-बुजुर्ग उन्हें सही रास्ता दिखाते हैं। यही नहीं, वे अपने जीवन के अनुभव भी अपने बच्चों के साथ शेयर करते हैं। वैसे कहा भी जाता है कि संयुक्त परिवार में बड़े-बुजुर्गों से जो शिक्षा मिलती है, वह किताबों से मिली शिक्षा से बढ़कर होती है।
- घर की सुरक्षा : एकल परिवार के मुकाबले संयुक्त परिवार में रहने से घर की सुरक्षा की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है। कई बार ऐसा होता है कि एकल परिवार के लोग इसी चिंता में घुमने या फिर किसी जरूरी काम से बाहर नहीं जा पाते हैं कि उनके नहीं रहने पर घर की देखभाल कौन करेगा, लेकिन ज्वॉइंट फैमली में ऐसा डर नहीं होता।
- आर्थिक सहायता : संयुक्त परिवार में अन्य कामों की तरह घर चलाने का आर्थिक बोझ भी किसी एक के कंधे पर नहीं होता। यहां परिवार चलाने के लिए कई लोग मौजूद होते हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाना जानते हैं। इससे घर में आर्थिक समस्या भी कम होती है। वहीं, एकल परिवार में एक के कंधे पर ही आर्थिक बोझ होता है।
- सामाजिक विकास : संयुक्त परिवार में हर तरह के लोग मिलते हैं। यहां सभी के व्यक्तित्व, स्वभाव व पसंद-नापसंद अगल हो सकते हैं। ऐसे वातावरण में रहने से सामाजिक विकास होता है। दरअसल, ज्वॉइंट फैमली में रहने से आपस में मिलजुलकर रहने की कला को आसानी से सीखा जा सकता है, जो जीवन में आगे चलकर बहुत मदद कर सकता है।
अब जरा संयुक्त परिवार के नुकसान के बारे में भी जान लीजिए।
सयुंक्त परिवार में रहने के नुकसान
संयुक्त परिवार के फायदे बताने के बाद यहां इससे जुड़ी कुछ खामियां भी बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:
- प्राइवेसी की कमी : आज के समय हर कोई अपने जीवन में कुछ टाइम के लिए प्राइवेसी चाहता है, लेकिन संयुक्त परिवार में रहने पर ऐसा संभव नहीं हो पाता। बड़ा परिवार होने के कारण हर समय आसपास कोई न कोई मौजूद होता है। ऐसे में अगर किसी को एकांत चाहिए होता है, तो वह नहीं मिल पाता है।
- खुद की आजादी नहीं : संयुक्त परिवार में किसी भी बात का निर्णय घर का मुखिया लेता है। ऐसे में व्यक्ति की खुद की आजादी छिन जाती है और वह अपने फैसले नहीं ले पाता। उदाहरण के लिए, अगर किसी को अपनी पसंद की लड़की या लड़के से विवाह करना हो या फिर कोई कोर्स करनी हो, तो इसके लिए उसे बड़ों से आज्ञा लेनी होती है। वहीं, अगर घर का मुखिया पुराने ख्याल का हो, तो संभव है कि वह इस बात की आज्ञा न दें। ऐसे में कई बार पारिवारिक कलह होने की आशंका रहती हैं।
- बच्चों की परवरिश में दखल : संयुक्त परिवार में बच्चों की परवरिश कई लोगों के हाथों में होती है। ऐसे में हो सकता है कि अगर माता -पिता अपने बच्चे को किसी चीज के लिए मना कर रहे हों, लेकिन वही चीज घर के दूसरे सदस्य की नजर में गलत न हो। इससे बच्चे के लिए सही-गलत की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। वहीं, माता-पिता का अपने बच्चों पर कंट्रोल नहीं रह पाता है।
- आर्थिक मतभेद का डर : ऐसा जरूरी नहीं कि परिवार के सभी सदस्यों की कमाई एक बराबर हो। ऐसे में परिवार का खर्च चलाने के लिए अधिक कमाई वाले को कम कमाई वाले से अधिक आर्थिक मदद करनी पड़ रही हो। इस वजह से उनके मन में इस बात को लेकर मतभेद उत्पन्न हो सकता है।
- विचारों में मतभेद : संयुक्त परिवार के सदस्यों में आपसी वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर घर की लड़की आज के समय के हिसाब से बाहर निकलकर नौकरी करना चाहती है, तो संभव है कि घर के पुराने ख्याल के लोग इस चीज के लिए मना कर दें। उनके हिसाब से ये चीजें गलत हो सकती हैं। इस तरह की कई अन्य बातें होती हैं।
- घरेलू हिंसा : ज्वॉइंट फैमली और न्यूक्लियर फैमली पर हुए एक शोध की मानें, तो संयुक्त परिवार में महिलाओं को अधिक घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। आंकड़ों की बात करें, तो एकल परिवार में जहां 3.33 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, वहीं संयुक्त परिवार में यह प्रतिशत 19.09 है। कुल मिलाकर संयुक्त परिवारों में 95 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना करती हैं (3)।
- प्रसव पूर्व जागरूकता की कमी : इसके पीछे का कारण रीति-रिवाज, मान्यताएं और अंधविश्वास को माना जा सकता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि संयुक्त परिवारों की 27.4 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में एकल परिवारों की 31.6 प्रतिशत महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल हुई। इस आधार पर माना जा सकता है कि संयुक्त परिवार में प्रसव पूर्व जागरूकता की कमी होती है।
- अवसाद की समस्या : एक अध्ययन में संयुक्त परिवार को अवसाद का भी कारण माना गया है (3)। कई बार यह देखा गया है कि संयुक्त परिवार में छोटी-छोटी बातों पर बहस हो जाती है, जिसे घर का वातावरण प्रभावित हो जाता है।
- खुद की प्राथिमकता पर रोक : यहां परिवार का कोई भी सदस्य अपनी पसंद का कुछ नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए अगर किसी को घर में कुछ बदलाव करना हो या फिर पसंद की कोई चीज लेनी हो, तो उसे पहले घर के दूसरे सदस्यों से पूछना पड़ता है। अगर वो मना कर दें, तो अपना मन मारना पड़ता है।
बेशक, ज्वॉइंट फैमिली में कुछ खामियों हों, लेकिन इससे बाहर निकल कर हम अपनी जड़ों और संस्कारों से अलग हो जाते हैं। सभी सदस्यों के साथ रहते हुए जो अनुभव और सीख मिलती है, वो किताबी ज्ञान से कहीं ज्यादा अनमोल होती है। वहीं, एकल परिवार आज की जरूरत बन गया है। इसके अपने फायदे हैं। अब यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो किस तरह के परिवार का हिस्सा बनकर रहना चाहता है। हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा।
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