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अक्सर छोटे बच्चों को आपने रोते हुए देखा होगा, लेकिन कई बार बच्चे नकली रोना भी रोते हैं। शायद आप इससे वाकिफ न हों, लेकिन ये सच्चाई है। बच्चे नकली रोना का सहारा लेकर माता-पिता व रिश्तेदारों से अपनी बातें मनवा लेते हैं। यह रोना ऐसा होता है कि असली और नकली में फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है। अगर आप समझना चाह रहे हैं कि शिशु किस कारण से नकली रोना शुरू करते हैं और उन्हें कैसे रोका जाए, तो इस लेख को पढ़ें। यहां हम छोटे बच्चों के नकली रोने से जुड़ी पूरी जानकारी दे रहे हैं।

लेख के पहले भाग में जानिए कि छोटे बच्चों का नकली रोना क्या है।

शिशु में नकली रोना क्या है?

शिशु का नकली रोना मतलब बिना किसी ठोस कारण जैसे कि दर्द, तकलीफ, व परेशानी के रोना। रिसर्च बताती हैं कि छोटे बच्चे असल रोना तब शुरू करते हैं, जब उन्हें किसी-न-किसी तरह की परेशानी जैसे भूख लगना, नींद आना व न आना और डायपर गिला होने लगे। लेकिन, आजकल के छोटे बच्चे अपनी जरूरत को पूरी करने के लिए फेक क्राइंग यानी नकली रोना शुरू करने लगे हैं (1)। इसमें कई बच्चों के आंखों में आंसू तक आ जाते हैं, तो कई बिना आंसू के ही आवाज निकालते हुए और आंखों को मलते हुए रोते हैं।

आगे स्क्रॉल करते हुए पढ़िए कि छोटे बच्चे किस उम्र से नकली रोना शुरू करते हैं।

छोटे बच्चे किस उम्र से नकली रोना शुरू करते हैं?

बच्चों का नकली रोना किसी निर्धारित समय में शुरू नहीं होता। हां, वो 6 से 12 महीने के होने के बाद संचार कौशल सीखते हैं (2)। इस समय वे समझने लगते हैं कि माता पिता को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए नकली रोना रोया जा सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि शिशु 6 से 12 महीने की उम्र के बीच नकली रोना शुरू कर सकते हैं।

अब हम शिशुओं का नकली रोना बुरा है या नहीं, इस बारे में बताएंगे।

क्या छोटे बच्चे में नकली रोना बुरा है?

छोटे बच्चों के नकली रोने को आमतौर पर बुरा नहीं माना जाता। वे ध्यान आकर्षित करने और माता-पिता को अपने पास रखने के लिए ऐसा करते हैं। हां, अगर बड़े होने के बाद भी बच्चे कुछ चीजों को पाने व अपनी बातों को मनवाने के लिए नकली रोने का सहारा लेते हैं, तो यह बुरा है।

आगे जानिए, छोटे बच्चे नकली रोना किस कारण से शुरू कर सकते हैं।

छोटे बच्चे नकली में क्यों रोते हैं ?

छोटे बच्चों के नकली रोने के पीछे कई कारण होते हैं। उनमें से कुछ मुख्य प्रकार ये हैं।

1. ध्यान आकर्षित करने के लिए

कई बार माता-पिता अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे अपने बच्चों पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते। ऐसी स्थिति में बच्चे खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं। इस कारण वे अपने पेरेंट्स को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए नकली रोना रो सकते हैं (1)।

2. कुछ मांगने या बातें मनवाने के लिए

कभी-कभी ऐसा होता है कि छोटे बच्चों को कुछ चाहिए होता है या फिर अपनी किसी बात को माता-पिता से मनवाना होता है। ऐसे में बच्चे नकली रोना रोकर उन्हें उस बारे में बताते व उस ओर इशारा करते हैं।

3. नाराजगी व्यक्त करने के लिए

बच्चे अपनी नाराजगी को माता-पिता के सामने शब्दों में जाहिर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें नाराजगी के बारे में बताने के लिए शिशु रोने का बहाना कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे नकली क्यों रोते हैं, इसकी लिस्ट में उनकी नाराजगी को भी शामिल कर सकते हैं।

4. दिनचर्या में बदलाव के लिए

बच्चे अपनी एक ही तरह की दिनचर्या से बोर हो जाते हैं और वे खेलने के लिए अधिक समय चाहते हैं। हालांकि, उन्हें ज्यादा समय पढ़ाई में व्यस्त रखा जाता है। ऐसे में वे अपनी दिनचर्या में बदलाव करवाने के लिए माता पिता के सामने नकली रोना रो सकते हैं।

5. नकल उतारना

घर में कई बार काफी भावनात्मक परिस्थितियां बन जाती है। ऐसे में अगर घर के किसी इंसान को शिशु या छोटे बच्चे रोते हुए देख लेते हैं, तो उनकी नकल उतारने व उनके जैसी ही चीजें करने के लिए वो भी रोने की कोशिश करने लगते हैं।

अब समझते हैं कि छोटे बच्चों का नकली रोना किस तरह से रोका जा सकता है।

छोटे बच्चे को नकली रोने से कैसे रोकें ? | Shishu ke nakli rone ko kaise roke

अगर छोटे बच्चे नकली रोना रोते हैं, तो उन्हें नकली रोने से रोकने के लिए कई तरीकों को अपना सकते हैं। इसके लिए इन उपायों की मदद लें।

  1. ध्यान हटाएं – जो बच्चे नाराजगी व्यक्त करने के लिए नकली रोते हैं, उन बच्चों का ध्यान हटाया जाए, तो बेहतर होगा। ​उदाहरण के लिए, यदि किसी खेल या गतिविधि के खत्म होने के कारण बच्चा नकली रोना रो रहा है, तो उसे खिलौने, किसी अन्य ध्वनि या अलग-अलग इशारे करके उसका ध्यान उस नाराजगी से जुड़ी बात से हटाने की कोशिश करें।
  1. रोने पर प्रतिक्रिया बदलें – जब बच्चा बार-बार नकली रोता है, तो उसके प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदलना दें। यदि उसके नकली रोने पर उसे प्यार से गले लगाते हैं, तो वो ऐसा बार-बार कर सकता है। बच्चे को प्यार करने की जगह हल्का डांटना, नाराजगी जाहिर करना, ये सब किया जा सकता है।
  1. बच्चे से बात करें – बच्चे का नकली रोना रोकने के लिए उससे बात कर सकते हैं। उसे चुप करते हुए पूछ सकते हैं कि उसे क्या चाहिए और वे क्यों इस तरह से बिना किसी बात के रोने लगता है। अगर उसकी बात जायज है, तो उसे समझें और जरूरी कदम उठाएं। मगर उसकी बातों से लगे कि वो अपनी मनमानी करने के लिए ऐसा करता है, तो उसे कठोर शब्दों में समझा दें।
  1. बच्चे के लिए नियम बनाएं – बच्चे के नकली रोना को कम करने के लिए कुछ नियम बनाकर को उन नियमों को मानने के लिए कह सकते हैं। जैसे कि उसे साफ तौर पर कह दें कि अगर वो बार-बार रोएगा या रोएगी, तो उनके खेलने का समय कम कर दिया जाएगा। इसके अलावा, ज्यादा रोने पर घर के काम करने पड़ेंगे।
  1. अनदेखा करना – बच्चों को रोते समय अनदेखा करना मुश्किल लग सकता है, पर उनका नकली रोना रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। आप जितना बच्चे को अटेंशन देते हैं, वे उतने ही छोटी- छोटी बातों को मनवाने के लिए नकली रोना शुरू कर देते हैं।

बच्चों को खुश रखने के लिए उनकी जरूरतों को पूरा करना जरूरी है, पर वे अगर गलत तरीकों से अपनी मांगें व बातें मनवाने की कोशिश करते हैं, तो यह सरासर गलत है। ऐसे में आपको सावधान होकर जरूरी और कभी-कभी सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं। बस तो नकली रोना रोने की आदत बच्चे को पड़ गई है, तो उसे प्यार से समझाने के साथ ही लेख में बताए गए अन्य टिप्स को अपनाएं।

संदर्भ (Sources):

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