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आंखें शरीर का सबसे नाजुक अंग है। इससे जुड़ी परेशानी किसी को भी हो सकती है। अगर आंखों से संबंधी कोई परेशानी शिशु को हो जाए, तो इसके प्रति बेहद सजग होना पड़ता है। ऐसे में शिशुओं में सूजी हुई आंख की समस्या होने पर पेरेंट्स क्या करें और क्या न करें, इसकी जानकारी मॉमजंक्शन के इस लेख में हम दे रहे हैं। यहां छोटे बच्चों में फूली हुई आंख के कारण से लेकर, इसकी गंभीरता, इलाज और घरेलू उपाय के बारे में बताया गया है।
सबसे पहले पढ़ें कि छोटे बच्चों में फूली हुई आंख के कारण क्या हैं।
शिशु की आंखों में सूजन के क्या कारण हैं?
शिशु में फूली और सूजी हुई आंख होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ कारण सिर्फ एक आंख में सूजन के होते हैं, तो कुछ दोनों आंखों की सूजन के। नीचे हम इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
एक आंख में सूजन के कारण
इस भाग में हम सबसे पहले एक आंख में सूजन के कारण बताएंगे। इन सभी कारणों से जुड़ी जानकारी विस्तार से वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर आगे दी गई है।
- आंखों को मलना (Rubbing) — अगर किसी कारण बच्चा अपनी एक आंख को ज्यादा रगड़ता है, तो उसकी आंख में सूजन हो सकती है। अधिकतर मामलों में आंखों में कुछ चले जाने पर बच्चा ऐसा करता है। कुछ परिस्थितियों में इसे मेडिकल टर्म में कीमोसिस (Chemosis) भी कहा जाता है (1)।
- एलर्जी होने पर (Allergic Contact Dermatitis) — अगर आंख किसी ऐसी चीज के संपर्क में आ गई है, जिससे एलर्जी होने का जोखिम हो, तो भी एक आंख में सूजन हो सकती है (1)। इसके अलावा, बिल्ली जैसे जानवरों के बालों के कण आंखों में चले जाएं, तो आंखों की नीचे के उतक सूज जाते हैं और आंख में सूजन का कारण बन सकते हैं (2)।
- कीड़े का काटना (Insect Bites) — आंखों की त्वचा के आस-पास चींटी जैसे कीड़ों के काटने पर भी एक आंख में सूजन की समस्या हो सकती है (3)।
- बिलनी या स्टाई (Stye) — पलक की रोम में अगर बैक्टीरिया प्रवेश कर जाएं, तो पलकों के किनारे इससे फुंसी जैसी एक गांठ बन सकती है, जिससे बिलनी हो सकती है। इसे अंग्रेजी में स्टाई कहते हैं (4)। इसके अलावा, इसे होर्डियोलम (Hordeolum) भी कहा जाता है। इस संक्रमण के कारण आंख की पलक में सूजन व तेज दर्द होने लगता है (5)।
- डैरयॉयस्टाइटिस (Dacryocystitis) — यह एक प्रकार का बैक्टीरियल संक्रमण है, जो आंख के भीतरी कोने में नाक की ओर मौजूद आंसू की थैली में होता है। इसकी समस्या 3 माह के शिशुओं से लेकर 1 वर्ष की उम्र तक के शिशुओं में अधिकतर देखी जा सकती है (6)।
- डेक्रिओस्टेनोसिस (Dacryostenosis) — इसे नासोलैक्रिमल डक्ट अब्सट्रक्सन (Nasolacrimal Duct Obstruction) या ब्लॉक्ड टीयर डक्ट्स (Blocked Tear Ducts) भी कहते हैं। छोटे बच्चों की आंसू की नलियों में रूकावट का यह सबसे आम कारण माना जाता है। लगभग 6 से 20 प्रतिशित नवजात शिशुओं में इसके लक्षण नजर आते हैं। ये लक्षण शिशु के जन्म के पहले हफ्ते या पहले महीने में दिख सकते हैं (7)।
- साइनसाइटिस (Sinusitis) — अगर बच्चे को साइनसाइटिस की समस्या है, तो यह भी उसकी एक आंख में सूजन का कारण बन सकता है। यह बढ़ती हुई नाक की हड्डी का एक रोग है, जो साइनस को प्रभावित करता है। साइनस नाक व गले से जुड़ा खाली भाग व गुहा होता है। इसी वजह से साइनसाइटिस के चलते एक तरफ की आंख में सूजन की समस्या हो सकती है (8)।
- पेरिऑरबिटल सेल्युलाइटिस (Periorbital Cellulitis) — इसे प्रीसेप्टल सेल्युलाइटिस (Preseptal Cellulitis) भी कहा जाता है। यह आंख के चारों ओर की कोमल त्वचा व ऊतकों से जुड़ा संक्रमण है। यह समस्या बच्चों में आम मानी जाती है। इसकी वजह से पलकों के एक तरफ सूजन हो जाती है। बताया जाता है कि प्रीसेप्टल सेल्युलाइटिस चोट लगने या साइनसिसिस के कारण हो सकता है (9)।
दोनों आंखों में सूजन के कारण
अब हम उन कारणों की बात कर रहे हैं, जिनसे बच्चे की दोनों आंखों में सूजन हो सकती है।
- कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई (Conjunctivitis Or Pink Eye) — यह आंखों से जुड़ा एक संक्रमण है, जिसे आंख आना भी कहते हैं। यह बच्चों में अक्सर देखा जाता है और गंभीर भी माना जाता है (4)। इससे एक या दोनों ही आंखों में सूजन हो सकती है। अक्सर बैक्टीरिया के साथ ही वायरल संक्रमण व आंखों में किसी तरह के पदार्थ के जाने पर ऐसा होता है (10)।
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome) — यह बीमारी किडनी के खराब फिल्टरिंग स्वास्थ्य से जुड़ी है, लेकिन इसके लक्षणों में आंखों के चारों तरफ सूजन होना भी शामिल है। दरअसल, इसके होने पर शरीर की रक्त वाहिकाओं और आसपास के ऊतकों में एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन का स्तर बढ़ सकता है, जिसकी वजह से आंखों के आस-पास की त्वचा में सूजन हो सकती है (11)।
- एनाफिलेक्सिस (Anaphylaxis) — यह एक गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया है, जिसके लिए तुरंत डॉक्टरी उपचार की आवश्यकता होती है। एलर्जी ट्रिगर करने वाले किसी भी तत्व के संपर्क में आने से कुछ ही मिनटों में इसकी स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके कारण आंखों समेत शरीर के अलग-अलग अंगों जैसे कि होंठ व त्वचा में भी सूजन हो सकती है (12)।
- आंखों में चोट लगना (Eye Injuries) — अगर किसी कारण बच्चे की आंख में चोट लग जाए या किसी तरह का केमिकल चला जाए, तो बच्चे की दोनों आंखों में सूजन की समस्या हो सकती है (13)। ऐसी स्थिति में तत्काल प्रभाव से बच्चे का मेडिकल ट्रीटमेंट करवाएं।
शिशु की आंखों में स्वेलिंग का स्तर कितना गंभीर या सामान्य है, यह जानने के लिए स्क्रॉल करें।
छोटे बच्चे की आंखों की सूजन का स्तर
जैसा लेख में बताए गए कारणों से पता चलता है कि बच्चे की आंख में सूजन के कुछ कारण सामान्य व जोखिम रहित भी हो सकते हैं। मगर इसकी पुष्टि कैसे होगी, यह समझने के लिए नीचे की बातों को ध्यान में रखें।
- हल्की सूजन — बच्चे की आंख की सूजन जब सिर्फ पलकों तक ही सीमित रहती है, तब उसे हल्की सूजन कहा जाता है। साथ ही इससे बच्चे को पूरी आंख खोलने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है, तो भी इसे हल्की सूजन माना जाता है।
- मध्यम सूजन — शिशु की आंखों के साथ ही पलकों के आस-पास भी थोड़ी सूजन है, लेकिन पूरी आंखें खुल रही हैं, तो यह आंखों की मध्यम स्तर की सूजन है।
- गंभीर सूजन — अगर पलकों की सूजन के कारण बच्चे की आंखें पूरी तरह से बंद हो गई हैं और उसे आंखें खोलने में परेशानी हो रही है, तो इसे गंभीर सूजन मानेंगे। ऐसी स्थिति में डॉक्टरी उपचार जरूरी है।
अब पढ़ें शिशु में फूली और सूजी हुई आंख का इलाज कैसे किया जाता है।
शिशुओं में फूली आंखों का इलाज
छोटे बच्चों में फूली हुई आंख का इलाज उसके कारण और गंभीरता के प्रकार के आधार पर किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में स्वास्थ्य चिकित्सक जरूरी देखभाल के लिए भी कुछ विधियां अपना सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।
- एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या दवा — अगर बच्चे की आंखों में सूजन का कारण बैक्टीरिया है, तो डॉक्टरी सलाह पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में मौजूद शोध के अनुसार, छोटे बच्चों के लिए एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल सुरक्षित हो सकता है। हालांकि, एक वर्ष से छोटे शिशुओं के लिए इसका उपयोग न करें (14)। साथ ही डॉक्टर बच्चे को एंटीबायोटिक की मौखिक दवा या नसोंं के जरिए भी इसकी खुराक दे सकते हैं (15)।
- एंटीवायरल ड्रॉप या दवा — एंटीवायरल ड्रॉप या दवा का इस्तेमाल भी बच्चों के लिए सुरक्षित माना जा सकता है। इसका इस्तेमाल हर्पीज या जोस्टर वायरस के कारण होने वाले संक्रमण से आंखों में सूजन के लिए किया जाता है (16)।
- एंटीहिस्टामाइन ड्रॉप या दवा — अगर शिशु में फूली और सूजी हुई आंख की स्थिति एलर्जी से संबंधित है, तो इसके लिए डॉक्टरी सलाह पर एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स या दवा का सेवन करना बच्चे के लिए सुरक्षित हो सकता है (17)। इसके मौखिक खुराक के बाद कुछ हद तक बच्चे में नींद से संबंधित गड़बड़ी भी देखी जा सकती है (18)।
- बीमारी का इलाज — बच्चे की आंखों में सूजन का कारण किडनी से जुड़ी कोई बीमारी या कोई अन्य समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह पर उसका उपचार करके भी आंखों की सूजन को कम किया जा सकता है।
लेख के आखिरी भाग में पढ़ें शिशु की आंखों में स्वेलिंग कम करने के लिए कारगर घरेलू टिप्स।
शिशु की आंखों में स्वेलिंग को दूर करने के घरेलू उपचार
शिशु की आंखों की सूजन को दूर करने के लिए कुछ सुरक्षित और आसान घरेलू उपाए अपनाए जा सकते हैं। ये उपचार बच्चे की आंखों में आई सूजन को कुछ हद तक कम करने में मदद करेंगे। ध्यान रखें कि यहां बताए गए घरेलू उपाय के प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। साथ ही बच्चे की उम्र व सूजन की स्थिति के अनुसार ही इन घरेलू उपायों को अपनाएं।
- गुनगुनी सेक — बच्चे की आंख में सूजन को कम करने के लिए गुनगुनी सेक लाभकारी हो सकती है। यह छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित भी है। इससे आंखों का दर्द भी कम होगा (15)। इसके लिए पानी की सेक भी ले सकते हैं (19)Iऐसा करने के लिए एक कटोरी में गुनगुना पानी भरें। फिर उसमें सूती का साफ कपड़ा भिगोकर निचोड़ लें और उससे बच्चे की आंखों व पलकों को हल्के हाथों से साफ करें। ऐसा दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं (7)।
- ठंडी सिकाई — ठंडी सिकाई बच्चे में आंख के सूजन को कम कर सकती है। खासतौर पर तब, जब आंख की सूजन की समस्या एलर्जी सी जुड़ी हो (19)। एनसीबीआई के अनुसार, ठंडी सिकाई करने से वायरल कंजंक्टिवाइटिस के बढ़ते लक्षणों को रोका जा सकता है और आंखों को आराम भी मिलता है (20)।
- आंखों को साफ रखें — शिशु की आंखों में सूजन को रोकने व कम करने के लिए आंखों की सफाई का ध्यान रखें। रोजाना बच्चे के चेहरे को अच्छे से पानी से साफ करें। साथ ही उसके आंखों के किनारों, कान के किनारों और नाक के किनारों को भी सही से साफ करें।
- बिस्तर को साफ रखें — बच्चे के सोने का बिस्तार भी साफ रखें। सप्ताह में कम-से-कम दो बार बच्चे का बिस्तर साफ करें। ऐसा करने से बच्चा विभिन्न बैक्टीरिया व एलर्जी के संपर्क में आने से सुरक्षित बचेगा। साथ ही बैक्टीरिया और एलर्जी की वजह से उसकी आंखों में सूजन है, तो उससे बचाव और उसे कम करने में मदद मिल सकती है।
- मां का दूध — अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं कि मां के दूध में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है, जो आंखों की त्वचा में आई सूजन को कम कर सकता है (21)। ऐसे में मां शिशु को स्तनपान कराने पर अधिक ध्यान दे सकती हैं।साथ ही उसकी सूजी हुई आंखों में दूध का एक बूंद भी डाल सकती हैं। एनसीबीआई पर मौजूद रिसर्च इसकी पुष्टि करते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क आई ड्रॉप शिशु के आंखों में सूजन की समस्या को कम कर सकते हैं (22)। हालांकि, मां के दूध का ड्रॉप डालने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
- ग्रीन टी — अगर बच्चा 6 साल की उम्र का है, तो उसकी आंख की सूजन कम करने में ग्रीन टी भी प्रभावकारी हो सकती है। ग्रीन टी के अर्क में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होता है, जो आंखों में सूजन को काफी हद तक कम कर सकता है (23)।
वहीं, एक रिसर्च में इसकी पुष्टि की गई है कि 6 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के लिए ग्रीन टी का सेवन सुरक्षित हो सकता है (24)। ऐसे में बच्चे को सीमित मात्रा में ग्रीन टी से बनी चाय या काढ़ा दे सकते हैं।
नोट: लेख में बताए गए घरेलू उपाय हल्की से मध्यम स्तर की सूजन के लिए हैं। इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही शिशु की आंख में सूजन की स्थिति गंभीर हो, तो मेडिकल ट्रीटमेंट जरूर करवाएं।
शिशुओं में सूजी हुई आंख की स्थिति के प्रति पेरेंट्स को काफी सतर्क रहना चाहिए। माना इसकी कुछ सामान्य वजह भी होती हैं, लेकिन जल्द-से-जल्द उनपर गौर करके शिशु की आंखों की सूजन को बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही इससे सही समय पर उपचार कराने में भी सहायता मिलती है। एहतियातन बच्चे की स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। उसके सोने से लेकर खेलने और खाने वाली जगहों को साफ रखें।
References
- Chemosis
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