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अक्सर देखा गया है कि शिशु के जन्म लेते ही नर्स नवजात को कपड़े में अच्छी तरह लपेट देती है। शिशु को कपड़े से इस तरह कवर किया जाता है कि सिर्फ उसका चेहरा ही नजर आता है। इस प्रक्रिया को इंग्लिश में स्वैडलिंग कहा जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करने का कारण क्या है? इस तरह कवर कर देने से कहीं शिशु को परेशानी तो नहीं होती? ऐसे तमाम सवालों के जवाब हम मॉमजंक्शन के इस लेख में लेकर आए हैं। इस लेख को पढ़ते हुए आप यह भी जान पाएंगे कि शिशु को कपड़े में किस प्रकार लपेटना चाहिए।
आइए, सबसे पहले स्वैडलिंग की परिभाषा को समझ लेते हैं।
स्वैडलिंग क्या है?
स्वैडलिंग का मतलब है शिशु को कपड़े में लपेटना। यह प्रक्रिया पारंपरिक है, लेकिन इसका चलन आज भी विश्व भर में है। जब नवजात को सूती या मलमल के कपड़े में लपेटा जाता है, तो उसे मां के गर्भाशय में होने का एहसास होता है। उसे मां के गर्भाशय की जैसी ही गर्माहट मिलती है, जिस कारण वह बिना हिले-डुले आराम से सो सकता है (1)।
शिशु को कपड़े में दो प्रकार से लपेटा जाता है। पहले में तो उसे अच्छी तरह कपड़े में लपेटा जाता है, ताकि वो आराम से सो सके। दूसरे तरीके में उसे थोड़ा ढीला लपेटा जाता है, ताकि वो अपने हाथ-पांव आराम से हिला सके।
आंकड़ों की बात करें, तो विश्व भर में सिर्फ 20 प्रतिशत बच्चों को ही कपड़े में लपेटा जाता है। यह प्रचलन खासकर मध्य एशिया और दक्षिण अमेरिका में ज्यादा है (2)।
अब हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि शिशु को कपड़े में लपेटना कितना सेफ है।
क्या स्वैडलिंग शिशु के लिए सुरक्षित है?
हां, अगर कुछ सावधानियां बरतते हुए शिशु की स्वैडलिंग की जाए, तो इसे सुरक्षित माना गया है। सेंट एंसलम कॉलेज, मैनचेस्टर में नर्सिंग के एसोसिएट प्रोफेसर एंटोनिया एम. नेल्सन ने अपने शोध में कुछ ऐसी ही सावधानियों के बारे में बताया है। उनके अनुसार, शिशु को कपड़े में लपेटते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि उसे जरूरत से ज्यादा गर्माहट महसूस न हो। साथ ही स्वैडलिंग के बाद उसे कमर के बल लेटाया जाए, जब लगे कि शिशु ने खुद से पलटी मारना शुरू कर दिया है, तो उसे कपड़े में लपेटना बंद कर दें। यह रिसर्च पेपर एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध है (3)।
स्वैडलिंग किस प्रकार शिशु के लिए फायदेमंद है, यह जानने के लिए लेख का अगला भाग पढ़ें।
छोटे बच्चे को कपड़े में लपेटने के लाभ
स्वैडलिंग करने पर नवजात को निम्न लाभ मिल सकते हैं (1):-
- आरामदायक नींद- शिशु की नींद खराब नहीं होती और वो लंबे समय तक आराम से सोता रहता है। कपड़े में लिपटे शिशु को ऐसा एहसास होता है कि वो मां के गर्भ में है और आरामदायक गर्माहट मिल रही है। अक्सर देखा गया कि है सोते समय शिशु अचानक से चौंक जाते हैं और उनकी नींद खुल जाती है। इसे स्टार्टल रिफ्लेक्स या फिर मोनाे रिफ्लेक्स कहा जाता है, जो पूरी तरह से सामान्य है (4)। मगर कपड़े में लिपटे शिशु की नींद खुलने की आशंका कम ही रहती है।
- प्री मैच्याेर बेबी- जिस शिशु का जन्म समय से पूर्व होता है, उसे कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में स्वैडलिंग उसके लिए कुछ हद तक लाभकारी साबित हो सकती है। इससे उसके न्यूरोमस्कुलर विकास बेहतर तरीके से हो सकता है। साथ ही उसे कम शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- एसआईडीएस से सुरक्षा- शिशु को कपड़े में लपेटकर पीठ के बल सुलाया जाता है। इस कारण वो किसी भी तरह से हिल-डुल नहीं सकता। ऐसे में शिशु की अकस्मात मृत्यु यानी सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) की आशंका कुछ कम हो जाती है (5)।
- कम रोना- आमतौर पर यह भी देखा गया है कि कपड़े में लिपटे शिशु आराम महसूस करते हैं, इसलिए कम रोते हैं। वहीं, जब शिशु की मालिश की जाती है, तो अक्सर वो रोने लगते हैं।
- दर्द में कमी- वैज्ञानिक शोध के अनुसार, स्वैडलिंग के चलते शिशुओं को किसी भी तरह के शारीरिक दर्द का सामना कम ही करना पड़ता है।
- संतुलित तापमान- अगर शिशु को अच्छी तरह से कपड़े में लपेटा जाए, तो उनके शरीर का तापमान सामान्य रहता है।
स्वैडलिंग से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
नवजात शिशु को कपड़े में कब लपेटना चाहिए?
इस सवाल के दो जवाब हैं, जो इस प्रकार हैं (1):-
- शिशु को जन्म से ही कपड़े में लपेटा जाना शुरू किया जा सकता है। ऐसा तब तक करना चाहिए, जब तक कि शिशु खुद से करवट लेना न शुरू कर दे।
- साथ ही यह माता-पिता पर भी निर्भर करता है कि वो शिशु को स्वैडल करते हैं या नहीं। कुछ माता-पिता शिशु के परेशान करने पर दिन में ही उसे कपड़े में लपेटकर सुला देते हैं, तो कुछ रात में यह प्रक्रिया करते हैं।
लेख के अगले भाग में हम स्वैडल की प्रक्रिया बता रहे हैं।
शिशु को कपड़े में लपेटने (swaddle) के तरीके | How to swaddle baby in hindi
यकीन मानिए, शिशु को कपड़े में लपेटना इतना भी मुश्किल नहीं है, जितना आप अंदाजा लगा रहे हैं। यहां हम स्टेप-बाय-स्टेप इसे करने का तरीका बता रहे हैं।
- समतल जगह- सबसे पहले ऐसी जगह का चयन करें, जो पूरी तरह से समतल हो। उस पर सूती कपड़ा या पतला-सा कंबल बिछा दें। अब कपड़े को डायमंड आकार दें यानी कपड़े का एक कोना मोड़कर बिल्कुल बीच वाले कोने में ले आएं।
- शिशु को लेटाएं- अब शिशु को कपड़े या कंबल पर लेटा दें। ध्यान रहे कि शिशु का सिर ऊपर की तरफ होना चाहिए, जहां से कपड़े को मोड़ा गया है।
- बाईं ओर लपेटें- इसके बाद कपड़े को शिशु के बाईं ओर से पकड़ें और उसके बाएं हाथ व छाती को कवर कर लें। फिर उसके दाएं हाथ के नीचे से लेते हुए पीछे दबा दें। इस अवस्था में शिशु का बायां हाथ कवर हो जाएगा, जबकि दायां हाथ फ्री रहेगा।
- निचला हिस्सा- अब कपड़े या कंबल के निचले भाग को उठाएं और शिशु के पूरे शरीर को कवर करते हुए पहले से लपटे हुए कपड़े में छाती के पास फंसा दें। फिर कपड़े के दाएं भाग को पकड़कर बाईं ओर करके फंसा दें। इस तरह से शिशु पूरी तरह से कवर हो जाएगा और सिर्फ उसका सिर व गर्दन ही बाहर दिखेंगे।
आइए, अब स्वैडल से जुड़ी कुछ सावधानियों के बारे में भी जान लेते हैं।
शिशु को स्वैडल करते समय किन बातों का ध्यान रखें | Shishu ko swaddle karne ke tips
जब भी शिशु को कपड़े में लपेटें, तो निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें :-
- कपड़े को अच्छी तरह से लपेटें, लेकिन ध्यान रहे कि ये ज्यादा टाइट नहीं होना चाहिए। बेहतर होगा कि कपड़ा लपेटते समय शिशु की छाती और कपड़े के बीच अपनी एक-दो उंगलियां फंसा लें। साथ ही कुल्हे के चारों तरफ कपड़े को थोड़ा ढीला ही रखें, ताकि शिशु अपने पैरों को थोड़ा हिला-डुला सके।
- अगर शिशु अपना एक या दोनों हाथ कपड़े से बाहर रहने देना चाहता है, तो उसे बाहर ही रखें।
- अगर शिशु शरारतें कर रहा है या खेल रहा है और कपड़े में लिपटना नहीं चाहता, तो उसे थोड़ी देर खुल कर खेलने दें। उसके बाद ही उसे कपड़े में लपेटें। अगर फिर भी वो स्वैडल के लिए तैयार न हो, तो समझ जाइए कि उसे स्वैडलिंग पसंद नहीं है।
अगले भाग में आप स्वैडलिंग को बंद करने के उचित समय के बारे में जानेंगे।
शिशु को कपड़े से कब नहीं लपेटना चाहिए?
इसका जवाब स्पष्ट है। जैसे ही शिशु खुद से करवट लेना शुरू कर दे, तभी से उसे कपड़े में लपेटना बंद कर देना चाहिए, वरना इससे एसआईडीएस (सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम) होने की आशंका कई गुना बढ़ सकती है (3)। आमतौर पर शिशु 4 माह के होती ही करवट लेना शुरू कर देते हैं।
लेख के अंतिम भाग में हम स्वैडलिंग से जुड़े कुछ दुष्प्रभावों की बात करेंगे।
शिशु को स्वैडलिंग करने के क्या कोई जोखिम हो सकते हैं?
हां, कुछ मामलों में स्वैडलिंग शिशु के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है। इसके बारे में प्रत्येक माता-पिता को पता होना जरूरी है। कुछ ऐसी ही समस्याओं के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (3):-
- सांस लेने में परेशानी- अगर शिशु की छाती पर कपड़े को कसकर बांधा जाए, तो उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इससे उसका दम घुट सकता है।
- एसआईडीएस- एक बार शिशु ने करवट लेना शुरू कर दिया, तो उस अवस्था में स्वैडल जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में शिशु सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम का शिकार हो सकता है।
- कपड़े का ढीला होना- अगर कपड़े या कंबल को ठीक तरह से नहीं लपेटा गया और थोड़ा ढीला रह गया, तो इससे भी शिशु को नुकसान हो सकता है। ऐसे में शिशु के बार-बार हिलने से कपड़ा उसके मुंह पर आ सकता है, जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
- ज्यादा गर्मी- कपड़े या कंबल को कसकर बांधने से शिशु के लिए सुविधाजनक रूप से हिलना-डुलना मुश्किल हो सकता है। इससे संभव है कि शरीर का तापमान बढ़ जाए और शिशु को परेशानी हो।
- हिप डिस्प्लेसिया – कुल्हे व पैरों पर कपड़े को अधिक कसकर बांधने से शिशु के लिए पैरों को हिलाना बिल्कुल असंभव हो जाता है। ऐसे में शिशु हिप डिस्प्लेसिया का शिकार हो सकता है।
इस आर्टिकल को पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि स्वैडलिंग एक सीमा तक ही ठीक है। बशर्ते, उसे सही तरह से किया जाए, वरना शिशु को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि शिशु की इच्छा के बिना उसे कपड़े में लपेटना किसी भी तरह से सही नहीं है। अगली बार जब शिशु को कपड़े में लपेटने के बारे में सोचें, तो इन बातों को जरूर अपने जहन में रखें।
References
- Swaddling: a systematic review
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17908730/ - A perspective from the practice of swaddling by Turkish mothers
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3738414/ - Risks and Benefits of Swaddling Healthy Infants: An Integrative Review
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28394766/ - Moro Reflex
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK542173/ - Does Swaddling Decrease or Increase the Risk for Sudden Infant Death Syndrome?
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2768591/
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