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मां-बाप अपने बच्चे को जन्म से ही पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहते हैं। इसमें से एक मछली भी है, लेकिन कुछ लोगों के मन में इसे लेकर संशय बना रहता है कि मछली शिशुओं के लिए सुरक्षित है भी या नहीं। मॉमजंक्शन का हमारा यह लेख इसी संशय को दूर करेगा। यहां हम बताएंगे कि मछली छोटे बच्चों को खिलाई जा सकती है या नहीं। साथ ही हम शिशु को मछली खिलाने के फायदे और नुकसान क्या होते हैं, इसपर भी चर्चा करेंगे।
सबसे पहले जान लेते हैं कि शिशुओं को मछली खिलाना सेफ है या नहीं।
क्या मछली खिलाना शिशु के लिए सुरक्षित है ?
हां, शिशुओं को मछली खिलाना सुरक्षित माना जा सकता है। इस बात की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट से मिलती है, जिसमें बताया गया है कि शिशुओं को मछली का सेवन कराया जा सकता है (1)। इसके अलावा, एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अन्य शोध के में जिक्र मिलता है कि शिशु को मछली खिलाना सुरक्षित है (2)।
अब समझिए कि शिशुओं को कौन-सी उम्र में मछली का सेवन कराया जा सकता है।
छोटे बच्चे को मछली किस उम्र से दे सकते हैं?
आमतौर पर 6 महीने के बाद शिशुओं को सेमी सॉलिड या सॉलिड फूड का सेवन कराया जाने लगता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक वर्ष की आयु तक शिशुओं को मछली का सेवन करा दिया जाना चाहिए (1)।
स्क्रॉल कर जानें छोटे बच्चों के लिए मछली के फायदे।
शिशु के लिए मछली खाने के फायदे | Shishu ko fish khilane ke fayde
मछली के अंदर ऐसे कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो शिशु के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। यहां हम उन्हीं लाभों के बारे में क्रमवार तरीके से बता रहे हैं :
- आयरन से भरपूर – मछली के सेवन से शिशुओं में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। दरअसल, मछली की गिनती आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थों में होती है। ऐसे में कॉम्पलीमेंट्री फूड के तौर पर शिशुओं को मछली का सेवन कराया जा सकता है (1)। इससे उनके शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोका जा सकता है।
- एलर्जी से बचाव – एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें, तो बच्चों को शुरुआती जीवन में मछली का सेवन कराने से उन्हें एक्जिमा, एलर्जी राइनाइटिस जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है (2)।
- अस्थमा से बचाव – मछली का सेवन शिशुओं को अस्थमा जैसी समस्या से भी बचा सकता है। इस बात की भी पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर से होती है। इस पेपर में साफ तौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि शिशुओं को शुरुआती जीवन में मछली खिलाई जाए, तो अस्थमा से बचाया जा सकता है (2)।
- दिमागी विकास के लिए – बच्चों के दिमागी विकास के लिए उन्हें मछली खिलाना फायदेमंद साबित हो सकता है। मछली में ओमेगा-3 लॉन्ग चेन पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यही वजह है कि शिशु के बेहतर तंत्रिका विकास के लिए मछली को लाभकारी माना गया है (2)।
- प्रोटीन से समृद्ध – शरीर के उचित विकास के लिए प्रोटीन का सेवन जरूरी है (3)। यही नहीं, हड्डियों व मांसपेशियों के साथ-साथ त्वचा के निर्माण में प्रोटीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है (4)। वहीं, मछली को प्रोटीन का समृद्ध माना जाता है (1)। इस आधार पर देखा जाए तो शिशु के विकास के लिए उन्हें मछली खिलाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
- एनर्जी से भरपूर – मछली का सेवन शरीर में ऊर्जा को भी बढ़ा सकता है। दरअसल, मछली को एनर्जी का भी मुख्य स्रोत माना गया है (1)। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बच्चों को ऊर्जावान बनाने के लिए उन्हें मछली खिलाना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
- पोषण में सुधार – मछली का सेवन शिशु के पोषण में भी सुधार कर सकता है, क्योंकि मछली कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से समृद्ध होती है। एक रिसर्च पेपर में भी बताया गया है कि मछली का सेवन करने से शिशुओं और छोटे बच्चों के पोषण में सुधार हो सकता है (5)।
यहां हम मछली खाने से होने वाले नुकसानों की चर्चा करेंगे।
शिशु को मछली खिलाने के नुकसान
शिशु को मछली खिलाने के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं (2) (6):
- कुछ मछलियां मिथाइल मरकरी का स्रोत मानी जाती हैं, जो शिशु के तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- बच्चों को सुशी जैसी रेसिपी के रूप में कच्ची मछली का सेवन कराने से फूड प्वाइजनिंग का खतरा हो सकता है।
- कुछ एक मछलियां छोटे बच्चों में विषाक्तता का कारण बन सकती हैं।
- संवेदनशील बच्चों को मछली से एलर्जी की समस्या हो सकती है।
लेख के इस हिस्से में जानिए शिशु को मछली खिलाने से पहले किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
शिशु को मछली खिलने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें | Shishu ko machli kaise khilaye
शिशुओं को मछली खिलाते समय थोड़ी सावधानी बरतनी जरूरी है। यहां हम उन्हीं खास बातों के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
- शिशु को मछली खिलाने से पहले उसे अच्छी तरह से पका लें।
- हमेशा ताजी मछली ही शिशुओं को पका कर खिलाएं।
- शिशु के लिए केवल वैसी ही मछली का चयन करें, जिसमें मरकरी की मात्रा कम हो।
- मछली पकाने से पहले उसके कांटों को अच्छी तरह से निकाल लें।
- अगर शिशु को पहली बार मछली खिला रहीं हैं, तो उसे एक बार में ही सारी मछली न खिलाएं।
- जैसा कि हमने लेख में बताया है कि कुछ शिशुओं को मछली से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में एलर्जी का पता लगाने के लिए उन्हें पहले थोड़ी मात्रा में मछली खिलाएं और फिर कुछ देर इंतजार करें। अगर मछली खाने के बाद शिशु के शरीर में कोई अजीब लक्षण नजर नहीं आते, तो ही उसे आगे मछली खिलाएं।
आगे जानें मछली खाने से होने वाली एलर्जी के लक्षण।
शिशु को फिश खाने से एलर्जी होने के लक्षण
शिशु को मछली खाने से अगर एलर्जी होती है, तो निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं (7) :
- अर्टिकारिया यानी त्वचा पर लाल खुजलीदार धब्बे
- सूजन होना
- राइनाइटिस की समस्या
- अस्थमा की शिकायत
- मतली की समस्या
- उल्टी होना
- एनाफिलेक्सिस एक प्रकार की गंभीर एलर्जी
नीचे पढ़ें शिशुओं के लिए कौन-सी मछलियां अच्छी होती हैं।
छोटे बच्चों को खिलाने के लिए सुरक्षित मछली कौन सी हैं?
शिशुओं के लिए निम्नलिखित मछली सुरक्षित मानी गई हैं (8) (1):
- सार्डिन
- टूना
- पिलचार्ड्स
- सैल्मन
- हेरिंग
- मैकेरल
- श्रिंप
अब जानें छोटे बच्चों को किन मछलियों का सेवन कराने से बचना चाहिए।
शिशु को खिलाने के लिए कौन सी मछली सुरक्षित नहीं है ?
एक साल तर शिशुओं को नीचे बताई गई मछलियों का सेवन कराने से बचना चाहिए, क्योंकि इन मछलियों में मरकरी उच्च स्तर में मौजूद होता है, जो शिशु के बढ़ते तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है (8):
- शार्क
- स्वोर्डफिश
- मार्लिन
लेख के अंत में जानें मछलियों से बनने वाली बेहतरीन रेसिपी।
शिशु के लिए मछली की रेसिपी | Fish recipe for baby in hindi
यहां हम मछली से बनने वाले लाजवाब रेसिपी बता रहे हैं, जो शिशुओं के लिए न केवल लाभकारी साबित होंगे, बल्कि इन्हें घर में भी आसानी से बनाया जा सकता है।
1.बेक्ड फिश फिंगर
सामग्री :
- मछली दो से तीन टुकड़ा (लंबा कटा हुआ)
- आधा कप मैदा
- एक अंडा, फेंटा हुआ
- आधा कप सूखा ब्रेडक्रंब
बनाने की विधि :
- सबसे पहले मछली के टुकड़े को अच्छे से धो लें।
- अब उसे मैदा में लपेटें।
- इसके बाद उसे अंडे के घोल में डुबोएं।
- फिर सूखे ब्रेडक्रंब में लपेटें और ओवन में 5 से 8 मिनट तक बेक करें।
- फिर उसे थोड़ा ठंडा कर शिशु को सर्व करें।
- एक साल से ऊपर के शिशु को ही ये रेसिपी खिलाएं।
2 .मछली की प्यूरी
सामग्री :
- मछली (कांटे निकालकर)
- आवश्यकतानुसार जीरा पाउडर
बनाने की विधि :
- सबसे पहले मछली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर अच्छे से धो लें ।
- अब एक पैन में मछली के टुकड़ों को डालें, फिर उसमें पानी मिलाएं और उसे स्टीम करें।
- जब मछली अच्छी तरह से स्टीम हो जाए, तो उसे पैन से निकाल कर उसमें जीरा पाउडर मिलाएं।
- इसके बाद इसे ब्लेंडर में डालकर अच्छे से ब्लेंड करें।
- अब इसे एक बाउल में निकाल कर सर्व करें।
3. मछली कद्दू और पालक की प्यूरी
सामग्री:
- आधा कप मछली (कांटे निकालकर)
- आधा कप कद्दू
- आधा कप पालक
- स्वाद के लिए जीरा पाउडर
बनाने की विधि :
- सबसे पहले मछली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसे अच्छे से धो लें।
- अब इसमें बारीक कटे कद्दू और पालक मिलाकर उसे स्टीम करें।
- जब यह अच्छी तरह से स्टीम हो जाए, तो उसे एक ब्लेंडर में प्यूरी बनाने के लिए ब्लेंड करें।
- अब इस प्यूरी को एक बर्तन में निकालें और उसमें जीरा पाउडर डालकर सर्व करें।
बच्चों के लिए मछली तभी फायदेमंद है, जब इसका सेवन उन्हें सावधानीपूर्वक कराया जाए। इसके लिए हमने लेख में कुछ टिप्स बताए हैं, जिन्हें जरूर फॉलो करें। साथ ही यहां मछली की कुछ रेसिपी भी दी गई है, जिसे घर बैठे आसानी से बनाया जा सकता है। अगर मछली खिलाने से बाद शिशु में किसी प्रकार की एलर्जिक प्रतिक्रिया दिखती है, तो बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाएं।
References
- Feeding and Nutrition of Infants and Young Children
https://www.euro.who.int/__data/assets/pdf_file/0004/98302/WS_115_2000FE.pdf - Fish, Shellfish, and Children’s Health: An Assessment of Benefits, Risks, and Sustainability
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6864235/ - Childhood Nutrition Facts
https://www.cdc.gov/healthyschools/nutrition/facts.htm - Dietary Proteins
https://medlineplus.gov/dietaryproteins.html - Fish and Meat Are Often Withheld From the Diets of Infants 6 to 12 Months in Fish-Farming Households in Rural Bangladesh
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28618837/ - IgE-Mediated Fish Allergy in Children
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7830012/ - Fish allergy in childhood
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/18950323/ - Complementary Feeding for Infants 6 to 12 months
https://www.researchgate.net/publication/43180222_Complementary_Feeding_for_Infants_6_to_12_months
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