विषय सूची
उबासी आना दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। खासकर, छोटे बच्चों को दिन में कई बार जम्हाई आती है। कभी-कभी बच्चे को अधिक जम्हाई लेता देख माता-पिता को चिंता होने लगती है। इसी वजह से मॉमजंक्शन के इस लेख में हम छोटे बच्चे को ज्यादा जम्हाई आने से संबंधित जानकारी लेकर आए हैं। यहां हम बताएंगे कि शिशु जम्हाई क्यों लेते हैं। साथ ही यह भी समझाएंगे कि शिशुओं का जम्हाई लेना कितना सामान्य है और इससे जुड़े जोखिम कौन-कौन से हैं।
सबसे पहले समझते हैं कि शिशुओं का जम्हाई लेना आम है या नहीं।
क्या शिशुओं में जम्हाई (Yawning) आना आम है?
हां, शिशुओं को जम्हाई आना आम है। दरअसल, जम्हाई को विकास का एक हिस्सा माना गया है (1)। एक अन्य शोध में यह भी बताया गया है कि सामान्य तौर पर नींद से जुड़ी परेशानी जैसे कि अनिद्रा और स्लीप ऑब्सट्रक्टिव एपनिया वालों को अधिक जम्हाई आती है। जम्हाई को रिसर्च में बच्चों के साथ -साथ युवा वयस्कों में आम बताया गया है (2)।
स्क्रॉल करके आगे जानिए कि शिशुओं को जम्हाई आखिर क्यों आती है।
शिशुओं में जम्हाई के कारण
शिशुओं को जम्हाई कई कारण से आ सकती है। इनमें से कुछ कारण सामान्य हैं, तो कुछ शारीरिक समस्याओं से जुड़ी। आगे हम इन सभी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
1. थकान लगना : शिशुओं को जम्हाई आने का एक कारण थकान को माना जा सकता है, क्योंकि यह थकान का एक लक्षण है। कहा जाता है कि शिशु जब अधिक थक जाते हैं, तो वो जम्हाई लेते हैं (3)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि थके होने के कारण शिशु जम्हाई लेते हैं।
2. नींद की कमी : नींद पूरी न होने के कारण भी बच्चे जम्हाई ले सकते हैं (4)। इससे जुड़े एक शोध में बताया गया है कि बच्चों और युवा वयस्कों में बार-बार जम्हाई लेने का सबसे आम कारण नींद की कमी है (5)। ऐसे में नींद की कमी को भी बच्चों में जम्हाई का कारण माना जा सकता है।
3. दिन के समय अधिक सोना : अगर शिशु को दिन में सोने की आदत है, तो भी उसे दिन के समय जम्हाई आ सकती है (6)। उदाहरण के लिए, अगर बच्चा रोजाना दिन में 11 से 12 बजे के बीच सोता है और किसी दिन वो अपने निर्धारित समय पर नहीं सो पाया, तो इस दौरान उसे अधिक जम्हाई आ सकती है।
4. मस्तिष्क की समस्याएं : अत्यधिक जम्हाई आने के पीछे कुछ मस्तिष्क समस्याएं जैसे कि ट्यूमर, स्ट्रोक, या मिर्गी भी हो सकती है। इसके अलावा, मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण भी अधिक उबासी आ सकती है (6)। मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है (7)।
5. कुछ दवाओं का सेवन : कुछ मामलों में अत्यधिक जम्हाई आने का कारण दवाइयों का सेवन भी हो सकता है। कभी-कभी डॉक्टर बच्चों को सर्दी खांसी या अन्य समस्या के लिए सिरप के सेवन की सलाह देते हैं, जिस वजह से उन्हें अधिक उबासी आ सकती है। हालांकि, ऐसा दुर्लभ स्थितियों में ही होता है (6)।
6. शरीर के तापमान बदलाव : कुछ दुर्लभ स्थितियों में शरीर के तापमान में बदलाव के कारण भी जम्हाई आ सकती है। खासकर, जब मस्तिष्क के तापमान को बढ़ाने वाली दवाइयों से अधिक जम्हाई आती हैं, जबकि हाइपोथर्मिया यानी तापमान को कम करने वाली वाली दवाएं जम्हाई को रोकती हैं (8)। वैसे ऐसा बहुत कम मामलों में होता है।
लेख के इस हिस्से में हम बताएंगे कि शिशुओं में जम्हाई को कब सामान्य माना जाता है।
शिशुओं में उबासी आना कब सामान्य होता है?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, 12 वर्ष की आयु तक बच्चे प्रतिदिन 9 बार जम्हाई लेते हैं (9)। इसके अलावा, सुबह या दोपहर को सोकर उठने के बाद जम्हाई आना सबसे सामान्य माना गया है (10)। ऐसे में अगर सुबह या दोपहर में सोकर उठने के बाद शिशु उबासी लेता है, तो उसे सामान्य माना जा सकता है।
अब समझिए कि बच्चों में अधिक जम्हाई आना किसी गंभीर समस्या का संकेत हैं या नहीं।
क्या शिशुओं को जम्हाई आना संक्रामक है?
नहीं, शिशुओं को जम्हाई आना संक्रामक नहीं माना जाता (1)। दरअसल, शिशु एक महीने से 3 साल की उम्र तक के बच्चे को कहते हैं। इस विषय से संबंधित एक शोध से जानकारी मिलती है कि 3 साल की उम्र के बाद से बच्चों को संक्रामक जम्हाई आती है। शोध में यह भी बताया गया है कि 4 या 5 साल की उम्र से पहले बच्चों को संक्रामक जम्हाई आना असामान्य है (11)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जम्हाई संक्रामक होती है, लेकिन यह शिशुओं में नहीं देखी जाती।
लेख के अंत जानें बच्चों में अत्यधिक जम्हाई को रोकने के उपाय।
छोटे बच्चे में अत्यधिक जम्हाई को नियंत्रित करने के टिप्स
बच्चों में अत्यधिक उबासी को रोकने के लिए नीचे बताए गए उपायों को अपनाया जा सकता है।
- बच्चों की नींद पूरी हो इस बात का ध्यान रखें।
- सोने के लिए सही बिस्तर का चुनाव करें, ताकि वह चैन से सो सके।
- बच्चा दिन में अधिक न थके इस बात का भी ख्याल रखें।
- बच्चे के सोने के लिए टाइम टेबल बनाएं और उसका सही से पालन करें।
- जन्म से लेकर पहले 6 महीने तक शिशु को स्तनपान जरूर कराएं।
आमतौर पर बच्चे का जम्हाई लेना किसी गंभीर चिंता का विषय नहीं है। इससे बच्चे के दिनचर्या में थोड़े बहुत बदलाव कर कम किया जा सकता है। हां, अगर शिशु लगातार उबासी ले रहा है और उसमें कमी नहीं आ रही है, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें। बच्चों से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
- Yawning throughout Life
https://www.karger.com/Article/PDF/307072 - Yawning in neurology: A review
https://www.researchgate.net/publication/326664612_Yawning_in_neurology_A_review - Sleep 0 – 3 months
https://www.healthywa.wa.gov.au/Articles/S_T/Sleep-0-3-months - Yawning in Diseases
https://www.karger.com/Article/FullText/228262 - Yawning in diseases
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19602891/ - Yawning – excessive
https://medlineplus.gov/ency/article/003096.htm - Multiple sclerosis
https://medlineplus.gov/ency/article/000737.htm - Yawning and Stretching Predict Brain Temperature Changes in Rats: Support for the Thermoregulatory Hypothesis
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2965053/ - Neither infants nor toddlers catch yawns from their mothers
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3097853/ - Yawning and its physiological significance
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3678674/ - Young Children Display Contagious Yawning When Looking at the Eyes
https://www.researchgate.net/publication/312874872_Young_Children_Display_Contagious_Yawning_When_Looking_at_the_Eyes
Community Experiences
Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.