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वैक्सीन चिकित्सा जगत की सबसे बड़ी खोज मानी जाती है। इसके विकसित होने से आज गंभीर और घातक बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है। खासकर जन्म के बाद शिशुओं के लिए यह काफी जरूरी हो गया है। भारत की बात करें, तो यहां चलाया जा रहा यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) दुनिया में सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है। इस योजना के तहत सालाना 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 90 लाख से अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं। यूआईपी के तहत, भारत सरकार देशभर में 12 जरूरी वैक्सीन निशुल्क प्रदान कर रही है, जिसमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो व खसरा आदि शामिल हैं (1)

मॉमजंक्शन के इस खास लेख में हम बताएंगे कि बच्चों के लिए टीकाकरण क्यों जरूरी है। साथ ही इससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी आपके साथ साझा करेंगे।

लेख में सबसे पहले जानिए क्या है टीकाकरण?

क्या है टीकाकरण

घातक बीमारी के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए दी जाने वाली दवा की प्रक्रिया को टीकाकरण (वैक्सीनेशन) कहते हैं। इसे इंजेक्शन के रूप में या मुंह में सीधा डालकर दिया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पिलाई जाने वाली पल्स पोलियो की दो बूंद दवा और 13 साल से कम उम्र के बच्चों को दिए जाने वाले चेचक के टीके हैं (2), (3)

स्क्रॉल करके पढ़ें टीका कैसे काम करता है।

टीका (वैक्सीन) कैसे काम करता है?

टीका इमिटेशन इंफेक्शन (प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करने के लिए संक्रमण की नकल करना) के जरिए प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, इस प्रकार के संक्रमण बीमारी का कारण नहीं बनते, लेकिन ये इम्यून सिस्टम द्वारा टी-लिम्फोसाइटों और एंटीबॉडी के उत्पादन का कारण बन सकते हैं। ऐसे मामूली लक्षण सामान्य होते हैं, क्योंकि शरीर प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करता है।

आमतौर पर टीकाकरण के बाद शरीर को टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइटों (श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार) का उत्पादन करने में कुछ सप्ताह का समय लगता है। इसलिए, यह संभव है कि अगर कोई वैक्सीनेशन से पहले किसी संक्रमण से प्रभावित है, तो वैक्सीनेशन के तुरंत बाद भी उसमें संक्रमण से जुड़े लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वैक्सीन का असर दिखने में समय लगता है (4)

अब जानिए टीकाकरण के महत्व के बारे में।

बच्चों के लिए टीकाकरण का महत्व

माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारियों में शामिल है, बच्चों का टीकाकरण, जो उनके जन्म के समय से ही लगना शुरू हो जाता है। वैक्सीनेशन भविष्य की घातक बीमारियों से बच्चों को शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाने का काम करता है। नीचे दिए जा रहे बिंदुओं के माध्यम से जानिए शिशुओं के लिए इसके महत्व के बारे में (5)

1. बचा सकते हैं बच्चे की जान

चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के कारण आप अपने बच्चों की शारीरिक सुरक्षा पहले से ज्यादा घातक बीमारियों से कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आज भारत पोलियो वायरस से पूर्ण रूप से मुक्त है। 1990 तक भारत में हर रोज 500 से 1000 बच्चे लकवे का शिकार हो रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से ऐसा कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया है (6)

2. सुरक्षित और प्रभावी

वैज्ञानिक, डॉक्टर और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा सावधानीपूर्वक समीक्षा किए जाने के बाद ही बच्चों को टीके दिए जाते हैं। टीके लगने की वजह से थोड़ा दर्द या जिस स्थान पर इंजेक्शन लगाया गया है, वहां की त्वचा लाल हो सकती है, लेकिन ये बीमारियों के गंभीर परिणामों से कहीं ज्यादा कम हैं। टीके लगवाने के लाभ लगभग सभी बच्चों के लिए अनुमानित दुष्प्रभावों से बहुत अधिक हैं।

3. भविष्य की पीढ़ी की सुरक्षा

टीकाकरण की प्रक्रिया ने कुछ घातक बीमारियों को पूरी तरह खत्म कर दिया और कई के असर को काफी कम कर दिया है। कुछ वर्ष पहले तक ये बीमारियों लोगों को मार देती थीं या गंभीर रूप से अक्षम कर देती थीं। उदाहरण के तौर पर वैक्सीनेशन ने चेचक को पूरी दुनिया से खत्म कर दिया है।

4. समय और पैसों की बचत

सही समय पर बच्चों का टीकाकरण परिवार के समय और पैसों दोनों की बचत करता है। वैक्सीनेशन के अभाव में आपका बच्चा गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। स्कूल के अटेंडेंस से लेकर रोजाना किया जाने वाला उपचार आप पर भारी आर्थिक और मानसिक दबाव बना सकता है। सही समय पर टीकाकरण शिशु के स्वास्थ्य के प्रति एक आदर्श निवेश है।

नीचे हम शिशु टीकाकरण चार्ट साझा कर रहे हैं।

शिशु टीकाकरण चार्ट 2021 | Sihsu Tikakaran Chart

नवजात और बच्चों के लिए टीकाकरण की प्रक्रिया को आईएपी (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) की सिफारिश पर बनाई गई तालिका के माध्यम से समझा जा सकता है (7)भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सभी बच्चों का टीकाकरण करने के लिए एक विस्तृत तंत्र सुनिश्चित किया गया है। टीकों को न केवल मुफ्त दिया जाता है, बल्कि परिधीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सहायक नर्स/ग्राम स्वास्थ्य नर्सों के माध्यम से समुदाय के पास पहुंचाया भी जाता है (8)। अगर आप ये टीके प्राइवेट अस्पताल में लगवाते हैं, तो उसके लिए अलग से भुगतान करना पड़ेगा। इनकी अनुमानित कीमत नीचे दी जा रही है।

स्क्रॉल करके पढ़ें टीकों के प्रकार के बारे में।

shishu vaccination chart

शिशुओं को लगने वाले टीकों के प्रकार

वैक्सिन पांच प्रकार की होते हैं, जिनमें अटेन्यूऐटेड टीके, इनएक्टिवेटेड टीके, टॉक्साइड टीके, सबयूनिट टीके और कॉन्जुगेट टीके शामिल हैं। जानिए, इन टीकों के प्रकारों के अंतर्गत कौन-कौन से वैक्सिन आते हैं (9).।

अटेन्यूऐटेड टीकेइनएक्टिवेटेड टीकेटॉक्साइड टीकेसबयूनिट कॉन्जुगेट टीके
चेचकपोलियो (आईपीवी)डिप्थीरियाहेपेटाइटिस-बी
खसरा,  मम्प्स, रूबेला (एमएमआर वैक्सिन)हेपेटाइटिस-एटेटनसइंफ्लुएंजा
चिकन पॉक्सरेबीजहेमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप-बी
इंफ्लुएंजाकाली खांसी
रोटावायरसन्यूमोकोकल
जोस्टरमेनिंगोकोक्सल
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस

नीचे हम टीकाकरण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां बता रहे हैं।

टीकाकरण के दौरान सावधानियां

बच्चों को जहां टीका लगाया जाता है, वहां अक्सर उन्हें दर्द होता है, दाना बन जाता है या फिर बुखार आ जाता है। अगर ऐसा होता है, तो इससे घबराने की जरूरत नहीं हैं, ये जल्दी ही ठीक हो जाते हैं। टीके के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आप निम्नलिखित सावधानियां बरत सकते हैं (10)

  • डॉक्टर के द्वारा शॉट्स के बारे में दी गई जानकारी की समीक्षा करें। साथ ही वैक्सीन से जुड़ी कोई किताब या ऑनलाइन सर्च कर सकते हैं।
  • शॉट्स के स्थान पर लाल निशान और दर्द और सूजन को कम करने के लिए ठंडे कपड़े से सिकाई करें।
  • बुखार को कम करने के लिए कूल स्पंज बाथ दें। डॉक्टर की सलाह पर आप नॉन एस्पिरिन पेन रिलीवर भी दे सकते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह पर अपने बच्चे को बहुत सारा तरल पिलाएं। टीका लगने के बाद 24 घंटे के दौरान बच्चों का कम भोजन कराना सामान्य बात है।
  • टीके के बाद कुछ दिनों तक अपने बच्चे पर अतिरिक्त ध्यान दें। यदि आप कुछ ऐसा देखते हैं, जो आपको चिंतित करता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

अब आगे जानिए टीकाकरण के दुष्प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं।

टीकाकरण के दुष्प्रभाव

अन्य दवाइयों की भांति वैक्सिन के भी कई दुष्प्रभाव हैं, जो टीकाकरण की प्रक्रिया के बाद दिखाई दे सकते हैं, जैसे (11)

1. रोटावायरस

  • टीकाकरण के सात दिन बाद उल्टी और दस्त हो सकते हैं। इसलिए, बच्चे को उठाते समय या कुछ भी खिलाने से पहले हाथ जरूर धोएं। खासकर, लंगोट बदलने के बाद और दवा देने से पहले।
  • अंत्रावेष्‍टांश (Intussusception) – यह दुर्लभ स्थिति होती है, जिसमें आंत का एक भाग दूसरे में चला जाता है (12)
  • हल्का तापमान

2. न्यूमोकोकल

  • हल्का तापमान
  • जहां इंजेक्शन लगा, वहां दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द

3. डिप्थीरिया टेटनस काली खांसी

  • हल्का तापमान
  • चिड़चिड़ापन या रोना
  • थकान

4. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस

  • हल्का सिरदर्द
  • मतली

5. मेनिंगोकोकल सी

  • चिड़चिड़ापन, रोना
  • भूख में कमी
  • सिरदर्द

6. खसरा मम्पस रूबेला

टीकाकरण के पांच से दस दिन बाद निम्न प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं:

  • 98.6°F से अधिक दो से तीन दिन तक तेज बुखार
  • लाल चकत्ते (संक्रामक नहीं)
  • बहती नाक, खांसी या फूली हुई आंखें
  • लार ग्रंथियों की सूजन
  • थकान
  • थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (कम प्लेटलेट – 30,000 में लगभग 1) और एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन – 3 मिलियन में लगभग 1) दो दुर्लभ दुष्प्रभाव हैं।

7. वैरिकाला (चिकन पॉक्स )

  • 98.6°F से अधिक बुखार

टीकाकरण के 5 से 26 दिन बाद निम्न प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं:

  • इंजेक्शन की जगह पर हल्के चिकनपॉक्स जैसे दाने (दो-पांच धब्बे) शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखाई दे सकते हैं।
  • यदि टीका लगाने के बाद दाने निकलते हैं, तो उन्हें ढकना चाहिए।

8. छोटी चेचक

टीकाकरण के 5 से 26 दिन बाद निम्न प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं:

  • 98.6°F से अधिक 2 से 3 दिनों तक तेज बुखार
  • लाल चकत्ते (संक्रामक नहीं)
  • बहती नाक, खांसी या फूली हुई आंखें
  • लार ग्रंथियों की सूजन
  • थकान
  • हल्के चेचक जैसे दाने (दो-पांच धब्बे) आमतौर पर इंजेक्शन की जगह पर या शरीर के अन्य हिस्सों पर दिखाई दे सकते हैं।
  • यदि टीका लगाने के बाद दाने निकलते हैं, तो उन्हें ढकना चाहिए।

9. हेपेटाइटिस बी

  • चक्कर आना
  • पसीना आना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • अनिद्रा और कान का दर्द

10. इंफ्लुएंजा

  • थकान
  • मांसपेशियों में दर्द

11. पोलियो

  • चकत्ते

12. बीसीजी वैक्सीन

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • लिम्प नोड्स में सूजन
  • फोड़ा और हड्डी में सूजन (गंभीर दुष्प्रभाव)

टीकाकरण के अन्य दुष्प्रभाव – 

  • इंजेक्शन वाली जगह पर एक छोटे स्पॉट का बनना।
  • यह छोटा स्पॉट फफोले में भी तब्दील हो सकता है। इसके लिए प्रभावित जगह को खुला रखें और हवा लगने दें। इससे घाव को जल्दी भरने में मदद मिलेगी।
  • त्वचा पर छोटा सा दाग छूट सकता है।
  • इंजेक्शन वाली जगह पर जलन भी हो सकती है।

टीकाकरण से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए स्क्रॉल करें।

टीकाकरण न होने के नकारात्मक प्रभाव

खतरनाक और घातक बीमारियों से बचाने के लिए टीके विकसित किए गए थे। टीके सुरक्षित होते हैं और इनका असर प्रभावशाली होता है। टीकाकरण नवजात और निर्धारित उम्र के बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। इनके अभाव में शिशुओं को निम्नलिखित शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है (13).।

  • इंफ्लुएंजा या फ्लू एक गंभीर श्वसन रोग है, जो जानलेवा भी हो सकता है। यह नवजात और बच्चे को आसानी से हो सकता है। हर साल संयुक्त राज्य अमेरिका में बच्चे इंफ्लुएंजा से मर जाते हैं। इंफ्लुएंजा की जटिलताओं से बचने के लिए बच्चों का टीकाकरण बहुत जरूरी है।
  • काली खांसी खतरनाक बीमारी है, जो आसानी से बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है। अगर सही समय पर इलाज न करवाया गया, तो इसके गलत परिणाम भी सामने आ सकते हैं।
  • खसरा एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो आगे बढ़ सकती है और इसका घातक परिणाम मौत भी हो सकती है।
  • चिकनपॉक्स बहुत संक्रामक है। टीके के विकास से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकनपॉक्स से लगभग 100 लोगों की मौत हर साल होती थी (13)। चिकनपॉक्स से ग्रसित बच्चे की घर में देखभाल करनी चाहिए, वरना इसका संक्रमण दूसरों में भी फैल सकता है।
  • जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है, वो स्कूल और समाज में बीमारियों को प्रसारित कर सकते हैं।
  • जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें बीमारी के दौरान स्कूल या बाल देखभाल केंद्र से निकाला जा सकता है। ये बच्चे और माता-पिता के लिए कठिनाई का कारण बन सकता है।

मानसिक व शारीरिक विकास के लिए बच्चों को निर्धारित समय पर टीके लगाना बेहद जरूरी है। टीकाकरण के प्रति बरती गई कोई भी लापरवाही आपके शिशु के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए, समय-समय पर शिशु को टीका जरूर लगवाएं।

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