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बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। छोटी-सी बात को भी दिल से लगा सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स उसे खुश रखने के चक्कर में उसकी सारी बातें मानते चले जाते हैं। ऐसे में बच्चा इतना जिद्दी हो जाता है कि उसकी किसी भी बात पर न कहने पर गुस्सा दिखाने लगता है। ऐसे में माता-पिता का तनाव में आना समझ में आता है। अब सवाल यह है कि ऐसे बिगड़े बच्चों को कैसे समझाया जाए? मॉमजंक्शन का यह आर्टिकल इसी विषय पर है। हम यह भी जानेंगे कि बच्चे को बिगड़ने से कैसे रोका जा सकता है। साथ ही कई अन्य पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे।

आर्टिकल की शुरुआत में जानते हैं कि बच्चों के बिगड़ने के पीछे क्या कारण हैं।

बच्चे क्यों बिगड़ जाते हैं?

आत्म-केंद्रित, आक्रामक, अपमानजनक और अपरिपक्व व्यवहार करने वाले बच्चे को बिगड़ैल कहा जाता है। बच्चे के बिगड़ने के पीछे एक नहीं कई कारण जिम्मेदार होते हैं, जिन्हें समझना पेरेंट्स के लिए जरूरी हो जाता है (2)। कुछ ऐसे ही कारणों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं-

  1. इकलौता होना : घर में इकलौता होने की वजह से बच्चे को लाड़-दुलार ज्यादा मिलता है, जिससे बच्चा जिद्दी हो जाता है और अपनी हर बात मनवाना चाहता है।
  1. कम बातचीत : कई बार देखा जाता है कि जिस घर के सदस्यों के बीच कम बातचीत होती है, उस घर में बच्चे जिद्दी हो जाते हैं और बिगड़ने लगते हैं। उनके अंदर असुरक्षा की भावना पनपने लगती है।
  1. बार-बार प्रशंसा करना : जब बच्चे की बार-बार तारीफ होती है, तो उसे लगने लगता है कि वह सही है। कई बार अपनी बात सही साबित करने के लिए बदतमीजी पर उतर जाते हैं।
  1. घर में अनुशासन की कमी : परिवार में अनुशासन की कमी के चलते भी बच्चे जिद्दी और बिगड़ैल बन सकते हैं। जब घर के सभी सदस्य अपनी मनमानी करते हैं, तो बच्चे को लगता है कि वह भी अपने मन की कर सकता है।

आगे जानते हैं कि बिगड़े हुए बच्चों के लक्षण क्या होते हैं।

बिगड़ैल बच्चे के क्या लक्षण होते हैं?

एकल परिवार में माता-पिता दोनों के कामकाजी होने से बच्चे पर कम ध्यान देना भी उनके बिगड़ने की आशंका बढ़ा देती है। बच्चे को सही निर्देश और देखरेख की जरूरत होती है। यहां हम कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में चर्चा करेंगे, जिससे माता-पिता के लिए समस्या को समझने में आसानी हो (00)

  1. दूसरों का अनादर करना : कुछ वैज्ञानिक रिसर्च में सामने आया है कि बिगड़े हुए बच्चे अपने टीचर, दोस्त और आसपास के लोगों की इज्जत नहीं करते। दूसरों को परेशान करना उन्हें अच्छा लगता है। उन्हें लगता है सब उसकी ओर ध्यान दें (3)
  1. नजरअंदाज करना : ऐसे बच्चे वही करते हैं, जो उन्हें पसंद होता है। उन्हें कोई बात करने के लिए मना करो, तो उसका उल्टा करते हैं। वो खाना खाने, अपना सामान दूसरों को देने और समय पर सोने से इनकार कर सकते हैं (4)
  1. हमेशा चिढ़े रहना : कभी किसी से ठीक तरह से बात न करना उसके बिगड़े होने के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में आदत होती है कि वे किसी से जल्दी नहीं मिलते और न ही किसी से बात करते हैं (5)
  1. लालची होना : माता-पिता बच्चे को खुश करने के लिए तरह-तरह के खिलौने औ कपड़े लाते हैं, लेकिन ऐसे बच्चे कभी खुश नहीं होते। दूसरों से तुलना करके हमेशा निराश रहते हैं। उनमें और पाने की लालच के लक्षण देखे जा सकते हैं।
  1. माता-पिता का ध्यान खींचना : जब बच्चे को पेरेंट्स का जरूरत से ज्यादा ध्यान मिलता है, तो उनमें खास होने की भावना आ जाती है। उन्हें लगता है कि पेरेंट्स सिर्फ उसकी सुनेंगे। कभी-कभी तो उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए वे कुछ भी कर जाते हैं। ऐसे बच्चे अपने भाई-बहनों से भी जलन की भावना रखने लगते हैं।
  1. दया भाव की कमी: बिगड़े हुए बच्चों में संवेदनहीनता के लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसे बच्चों में बेजुबान जानवरों और पक्षियों के लिए दया भाव नहीं होता। वे उन्हें सताते की कोशिश कर सकते हैं (5)

जब बच्चा बिगड़ जाए, तो क्या होता है? आइए जानते हैं।

बच्चे के बिगड़ने पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हर माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे को बेहतर परवरिश और माहौल मिले, ताकि उसका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो सके। समाज में उसका नाम हो, लेकिन जब बच्चा बिगड़ने के रास्ते पर जाने लगता है, तो उसके विकास पर निम्न प्रभाव पड़ सकता है।

  1. दोस्तों की कमी : बच्चा समाज में कैसे सामंजस्य बिठाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके दोस्त कैसे हैं। बिगड़े हुए बच्चों के दोस्त कम होते हैं। इससे उनमें आत्म-सम्मान कमी, स्कूल में खराब प्रदर्शन, स्कूल छोड़ने व अपराधी व्यवहार में शामिल होने की आशंका अधिक हो सकती है।
  1. गलत रास्ता चुनना : बच्चे की इच्छाएं जब पूरी नहीं होती, तो उसमें असंतोष और जलन की भावना घर करने की आशंका बढ़ सकती है। जब बच्चे को लगता है कि कोई समझ नहीं रहा, तो वह गलत रास्ता अपनाने की कोशिश करने लग सकता है।
  1. झगड़ा करना : ऐसे बच्चे सभी का ध्यान आकर्षित करना और अपनी बात मनवाना चाहते हैं। अगर कोई उनकी बात से सहमत न हो, तो अनावश्यक झगड़ा कर सकते हैं। यहां तक कि दूसरों के साथ मारपीट तक करना शुरू कर सकते हैं।
  1. घर का माहौल खराब करना : ऐसे बच्चे अपने अड़ियल व्यवहार से घर का माहौल अशांत करने की कोशिश कर सकते हैं। उन्हें अपने आसपास के लोगों के साथ तालमेल बिठाने और सहयोग करने में मुश्किल हो सकती है।

लेख के इस अहम भाग में जानें बिगड़ैल बच्चों को ठीक करने के टिप्स।

माता-पिता अपने बच्चे को बिगड़ने से कैसे रोक सकते हैं? | Bigrail bacche ko sambhalne ke tips

बच्चे वही सीखते हैं, जो आसपास देखते हैं। कई बार जरूरत से ज्यादा ध्यान देना भी पेरेंट्स के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए, बच्चों के साथ संतुलित व्यवहार करने की जरूरत होती हैं। यहां जानते हैं कुछ ऐसे ही टिप्स, जिन्हें अपनाकर बच्चे को बिगड़ने से रोका जा सकता है (8) (9)

  1. सकारात्मक माहौल देना : बच्चों में भावनात्मक, व्यवहारिक और सामाजिक क्षमता का समुचित विकास हो, इसके लिए जरूरी है कि सकारात्मक माहौल दिया जाए। यह उन्हें बुनियादी चिंताओं, भय और माहौल की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद करता है।
  1. सामाजिक बनाएं : माता-पिता अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाकर उन्हें समाज में तालमेल बिठाने में मदद कर सकते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को समाज में हिस्सेदारी और उचित व्यवहार को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जो उन्हें सामाजिक रूप से सक्षम होने और समाज में अच्छे इंसान की तरह भागेदारी देने में मदद कर सकता है।
  1. बच्चों के शिक्षक बनें : माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक माने जाते हैं। माता-पिता खुद बच्चों को पढ़ाते हैं, तो आगे चलकर बच्चों को स्कूल और समाज में सामंजस्य बिठाने में मदद मिल सकती है।
  1. सोच समझकर दें प्रतिक्रिया : माता-पिता की प्रतिक्रिया बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होती है। पेरेंट्स जैसी प्रतिक्रिया देंगे बच्चे भी वही सीखेंगे। साथ ही वैसे ही संबंध भी बनेंगे। माता-पिता और बच्चों के बीच होने वाली बातचीत स्वस्थ संबंध का मूलभूत आधार हो सकती है।
  1. घर का माहौल : बच्चे के बेहतर विकास के लिए जरूरी है कि घर का माहौल शांतिपूर्ण होना चाहिए। जितना संभव हो माता-पिता को बच्चे के सामने ऊंची आवाज में बात नहीं करनी चाहिए या फिर झगड़ना नहीं चाहिए।
  1. अनुशासित व्यवहार : बच्चों के प्रति माता-पिता का अनुशासित व्यवहार उनमें आत्म नियंत्रण, दूसरों की देखभाल और बुरे व्यवहार पर लगाम लगाने की आदत को विकसित करने में मदद करता हैं। माना जाता है कि अच्छा इंसान बनने के लिए अनुशासन जरूरी है।
  1. गलत आदतों पर बात : ड्रग्स, शराब, धूम्रपान व तंबाकू आदि गलत आदतों के बारे में बच्चे से खुलकर बात करें। उसे बताएं कि इन्हें लेने से किस प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही उनके साथ यौन संबंध के बारे में भी खुलकर बात करें, ताकि वो किस तरह का गलत कदम न उठा सकें।
  1. दोस्तों से मिलें : दोस्त का व्यक्तित्व के विकास पर गहरा योगदान होता है। इसलिए, जरूरी हो जाता है कि अपने बच्चे के दोस्तों से मिलें और जानें कि उसके दोस्त कैसे हैं। अगर लगे कि दोस्तों की संगत अच्छी नहीं है, तो इस बारे में बच्चे से बात करें। उसे समझाएं कि अच्छे दोस्तों का जीवन में होना कितना जरूरी है।
  1. स्कूल गतिविधियों में रुचि दिखाएं : बच्चे के स्कूली जीवन में रुचि रखने से बच्चा आपसे जुड़ाव महसूस करेगा और अपनी बात शेयर करेगा। बच्चे की स्कूली प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए उसके साथ तैयारी करें और उसे टिप्स भी दें।
  1. निर्णय लेने दें : बच्चे को अपने निर्णय खुद लेने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर वो फैसला लेने में कुछ भी गलती करे, तो उसे प्यार से समझाएं। इससे उसमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा और सही-गलत की पहचान करने में मदद मिलेगी।
  1. बच्चे की राय : अपने बच्चे की राय का सम्मान करें। घर के महत्वपूर्ण विषयों पर राय लें और उसके विचारों और भावनाओं को सम्मान दें। ऐसा करने से उसे लगेगा कि आप उसकी बात सुन रहे हैं, जिससे उसे जिम्मेदारी का अहसास होगा।
  1. रास्ता दिखाएं: बच्चे को आत्मनिर्भर होकर काम करने दें। साथ ही उसे बताएं कि काम को कैसे किया, ताकि उसमें सफलता मिलने की संभावना ज्यादा रहे। उसे अपने लक्ष्यों को लेकर स्पष्ट रहने को कहें, लेकिन उन लक्ष्यों तक पहुंचने के तरीके के बारे में जानकारी जरूर दें।
  1. भागीदार बनाएं : बच्चे को शारीरिक रूप से सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित करें। घर के छोटे-मोटे काम में उसकी मदद लें, जैसे – लॉन की घास काटना, घर की सफाई करना या कार धोने जैसे काम में शामिल करें।
  1. इकट्ठे भोजन करें : परिवार के लिए भोजन का समय महत्वपूर्ण होता है। एक साथ भोजन करने से सकारात्मक असर देखने को मिल सकते हैं। इस दौरान एक-दूसरे से बात करने का समय मिलता है। ऐसे समय में आप बच्चे से पूछ सकते हैं कि उसका दिन कैसा रहा। अगर उसे कोई समस्या है, तो उससे खुलकर बात कर सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे अपने पेरेंट्स के करीब आते हैं।
  1. बेडरूम में न रखें टीवी : टेलीविजन सेट को हमेशा बच्चे के बेडरूम से बाहर रखें। मोबाइल, कंप्यूटर, वीडियो गेम व अन्य उपकरणों के लिए समय सीमा निर्धारित करें।
  1. पूरी नींद : सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को हर रात पर्याप्त मात्रा में नींद मिले। रिसर्च में सामने आया है कि 13-18 साल के बच्चों के लिए 24 घंटे में 8-10 घंटे की नींद लेना जरूरी है। इससे बच्चा हमेशा तरोताजा रहता है और अपनी पढ़ाई मन लगाकर कर सकता है।
  1. आपात स्थिति से निपटना : बच्चों को घर में सुरक्षित रहना या आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग जरूर देनी चाहिए। उन्हें शांति से बैठकर समझाएं कि ऐसी स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है। उन्हें घर के जिम्मेदार सदस्यों के फोन नंबर और इमरजेंसी नंबर याद कराएं और समझाएं कि खतरनाक स्थिति में कॉल करके मदद मांगें।

बिगड़े बच्चे की मनोस्थिति को समझकर उन्हें सही रास्ता दिखाना मुश्किल जरूरी सही, लेकिन नामुमकिन नहीं होता। अगर ऐसे बच्चों को सही मार्गदर्शन दिया जाए, तो वो भी अन्य बच्चों की तरह अच्छे नागरिक बन सकते हैं। साथ ही पढ़ाई-लिखाई में मन लगाकर अपना करियर बना सकते हैं। बच्चों के स्वास्थ्य व स्वभाव से जुड़ी ऐसी और जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

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