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किशोरावस्था ऐसा पड़ाव है, जिसमें बच्चा अपने आस-पास के माहौल से बहुत कुछ सीखता है। वहीं, अगर इस दौरान बच्चा अपने किसी दोस्त या सेलिब्रिटी की तरह बनने और उनके जैसे बर्ताव करने लगे, तो यह बच्चे में पीयर प्रेशर के लक्षण हो सकते हैं। ‘पीयर प्रेशर’, हो सकता है कई माता-पिता को इस बारे में ज्यादा जानकारी न हो। ऐसे में मॉमजंक्शन के इस लेख में हम टीनएजर्स में ‘पीयर प्रेशर’ की जानकारी दे रहे हैं। साथ ही बच्चों व टीनएजर्स में पीयर प्रेशर के लक्षण और इसके सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव दोनों के बारे में बताएंगे।

सबसे पहले पढ़ें कि पीयर प्रेशर क्या है।

पीयर प्रेशर क्या है?

पीयर शब्द लैटिन शब्द के ‘पर’ (Par) से बना है जिसका अर्थ है ‘बराबरी’ करना। सरल शब्दों में इसका अर्थ है कि बच्चे का अपने किसी दोस्त, परिवार के सदस्य या किसी भी चर्चित व्यक्ति की बराबरी करना या उन्हीं की तरह दिखने का प्रयास करना। इस वजह से बच्चा उन्हीं की तरह कपड़े पहनने से लेकर, उनके व्यवहार की भी नकल कर सकता है। इसे एक तरह से दिखावापन भी कह सकते हैं (1)। उदाहरण के लिए, बच्चे के दोस्तों में अगर कुछ अच्छी या बुरी आदतें हैं, तो बच्चा उनके दबाव में आकर या उनकी इन आदतों से प्रभावित होकर, उन्हीं की तरह बनने या व्यवहार करने की नकल कर सकता है (2)। शायद यही वजह है कि पीयर प्रेशर का टीनएजर्स पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों ही हो सकता है।

आगे पढ़ें किशोरावस्था में होने वाले पीयर प्रेशर के प्रकार।

टीनएजर्स में पीयर प्रेशर के प्रकार

पीयर प्रेशर का टीनएजर्स पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों ही तरह से हो सकता है। यही वजह है कि टीनएजर्स में पीयर प्रेशर के प्रकार कई हो सकते हैं, जिन्हें अलग-अलग श्रेणियों में समझा जा सकता है। जानने के लिए इस भाग को अंत तक पढ़ें (1)।

1. पॉजिटिव पीयर प्रेशर – अगर साथी कुछ अच्छा करे और बच्चा इससे प्रभावित होता है, तो इसे सकारात्मक पीयर प्रेशर के रूप में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए :

2. नेगेटिव पीयर प्रेशर – नेगेटिव या नकारात्मक पीयर प्रेशर तब होता है, जब बच्चा किसी बुरे कार्य में संग्लन न हो, लेकिन उसके दोस्त उसे ऐसा करने के लिए दबाव दें या वह मित्रों की बुरी आदतों के प्रति प्रभावित हो जाए। उदाहरण के लिए :

  • बच्चे का मादक पदार्थों का सेवन करना।
  • आत्महत्या करने का प्रयास करना।
  • जातिवाद भेदभाव करना।
  • दूसरों को परेशान करना।
  • धोखा देना।
  • स्कूल न जाना।
  • नकारात्मक पीयर प्रेशर बच्चे को कम उम्र में ही यौन संबंध के प्रति आकर्षित कर सकता है। एनसीबीआई की शोध के अनुसार, 11 से 18 साल के किशोर यौन संबंधों के बारे में अपने दोस्तों से अधिक जानकारी पा सकते हैं। इस वजह से बिना किसी परिणाम को सोचे बगैर उनका रूझान यौन संबंध के प्रति भी अधिक हो सकता है (2)।

3. एक्टिव पीयर प्रेशर – अगर बच्चे का कोई दोस्त बच्चे को किसी एक्टीविटी में शामिल होने या उसके जैसा करने के लिए दबाव बनाएं, तो उसे एक्टिव पीयर प्रेशर कहा जा सकता है। जैसे :

  • खेल-खेल में शराब पीने का दबाव बनाना।
  • तेज गति से वाहन चलाना आदि।

4. पैसिव पीयर प्रेशर – इस प्रकार का पीयर प्रेशर तब होता है, जब बच्चा दोस्त के व्यवहार से प्रभावित होकर, खुद ही उसके जैसा दिखावे का प्रयास करने लगे। बच्चा खुद को उस काम में उससे बेहतर होने का भी दावा कर सकता है। इसके अलावा, दोस्त के साथ किसी समूह का हिस्सा बनने के लिए उस ग्रूप के दोस्तों जैसी आदतों को अपनाना। जैसे :

  • किसी ग्रूप में फिट होने के लिए पीयर प्रेशर में आकर बच्चे का जबरन शराब पीना।
  • किसी कार्य को करना, जिसमें उसके दोस्त का पर्दशन अच्छा हो, लेकिन बच्चे का नहीं।

टीनएजर्स में साथियों का दबाव कैसे बच्चे को प्रभावित कर सकता है, अब यह पढ़ें।

क्यों टीन्स अपने साथियों से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं?

टीनएजर्स में साथियों का दबाव काफी अहम देखा जा सकता है। इस उम्र में बच्चे अक्सर अपने दोस्तों से ज्यादा करीब रहते हैं। यही वजह है कि बच्चे अपने साथियों से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं, जिसके पीछे कई कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

मित्र की राय की अहमियत – उम्र के इस पड़ाव में अधिकतर बच्चे एक से अधिक दोस्त बनाते हैं। जिस वजह से किशोरावस्था में दोस्तों की राय बच्चे के लिए काफी अहमियत रख सकती है। ऐसे में जब बच्चा अपने किसी मुद्दे पर दोस्त के विचार सुनता है, तो वह उसकी बातों से प्रभावित हो सकता है और पीयर प्रेशर के प्रभाव में आ सकता है।

किशोरावस्था का परिवर्तन – 12 से 18 साल में किशोरावस्था के दौरान बच्चे कई मानसिक और शारीरिक परिवर्तनों से गुजरते हैं। भावनात्मक रूप से इस उम्र में उनके दोस्त भी कई बनते हैं। वे खुद से अपने फैसले लेने का विचार भी रखने लगते हैं। साथ ही वे दोस्तों से खुद की तुलना भी करने लगते हैं। ऐसे में वे एक जैसे ही कपड़े पहनने से लेकर, एक ही जैसी गतिविधियां और अन्य कार्य करना भी पसंद कर सकते हैं (3)। इस वजह से किशोरावस्था का पड़ाव भी पीयर प्रेशर के प्रति बच्चे के प्रभावित होने का कारण माना जा सकता है।

जोखिम उठाने की आदत – विभिन्न बदलावों के कारण बच्चे को लगने लगता है कि वह भी अपने दोस्तों के जैसा या उनसे भी बेहतर उस गतिविधि को कर सकते हैं। इस वजह से बच्चा जोखिम भरे फैसले भी ले सकता है। रिसर्च के अनुसार, दोस्तों के साथ होने पर बच्चे में जोखिम भरे फैसले लेने की क्षमता बढ़ सकती है (4)।

इसके अलावा, ऐसे भी कई अन्य कारक हैं, जो बच्चे को पीयर प्रेशर के प्रति आकर्षण को कम या ज्यादा भी कर सकते हैं। अगर बच्चे में निम्नलिखित बाते हैं, तो वह पीयर प्रेशर के प्रति आकर्षित हो सकते हैं, जैसे (1) :

  • बच्चे का बढ़ा हुआ आत्म-सम्मान।
  • भविष्य के प्रति उसका सकारात्मक विचार।
  • अच्छा सामाजिक कौशल।
  • लोगों के साथ बातचीत करने की क्षमता।
  • परिवार व रिश्तेदारों से मजबूत संबंध।

वहीं, अगर बच्चे मेंं के सामने निम्नलिखित परिस्थितियां होंगी, तो वह खुद के बजाय अपने साथियों से अत्यधिक प्रभावित हो सकता है, जैसे:

  • कमजोर आत्मविश्वास।
  • पारिवारिक समस्याएं, जैसे – माता-पिता का तलाक, घर में किसी का शराब पीना या अन्य मादक पादर्थ लेना।
  • कमजोर आर्थिक स्थिति।
  • परिवार के सदस्यों के खुलकर आपस में बातचीत न करना।
  • परिवार में जातिय भेदभाव की सोच होना।
  • स्कूल और सामुदायिक गतिविधियों से दूर रहना।
  • खुद को किसी स्थिति में सहज न कर पाने का डर होना।

किशोरावस्था में पीयर प्रेशर के लक्षण क्या हैं, यह पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें।

किशोरावस्था में पीयर प्रेशर के लक्षण

किशोरावस्था में पीयर प्रेशर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं, ये लक्षण बच्चे में होने वाले मानसिक, शारीरिक व सामाजिक बदलाव के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे हमने इसके लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया है, जो कुछ इस प्रकार हैं (5) (6):

  • बच्चे में अपनेपन की भावना आना और खुद को महत्वपूर्ण महसूस करना।
  • दूसरों लोगों के साथ मिलने में दिलचस्पी दिखाना।
  • नए दोस्त बनाना।
  • लेन-देन जैसा अभ्यास करना।
  • शरीर की छवि, रूप और कपड़ों के बारे में अधिक चिंतित होना।
  • बच्चे का स्वंय पर अधिक ध्यान देना।
  • उम्मीदें रखना और आत्मविश्वास में कमी होना।
  • मनोदशा का बदलते रहना।
  • पीयर वाले व्यक्ति की तरफ अधिक रूझान रखना।
  • माता-पिता के साथ कभी स्नेह, तो कभी कठोर व्यवहार करना।
  • स्कूल के कठिन कामों को लेकर तनाव महसूस करना।
  • खाने से जुड़ी समस्याएं होना
  • उदासी या अवसाद महसूस करना, जिसके कारण बच्चा धूम्रपान या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर सकता है।
  • बच्चे की भावना में सकारात्मक या नकारात्मक बदलाव होना (1)
  • कम उम्र में यौन संबंध बनाना। इसके कारण बच्चे में यौन संक्रमित रोग, जैसे – एचआईवी/एआईडीएस जैसे संक्रामक रोग भी हो सकते हैं (2)।
  • बच्चे का आक्रामक व्यवहार होना करना (7)।
  • स्कूल न जाना (8)।
  • नींद से जुड़ी समस्याएं होना (9)

पीयर प्रेशर का टीनएजर्स पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हो सकते हैं, यह आगे पढ़ें।

पीयर प्रेशर का टीनएजर्स पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

टीनएजर्स पर पीयर प्रेशर का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के प्रभाव हो सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं:

पीयर प्रेशर का सकारात्मक प्रभाव (1) (2) (5) :

1. बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन – अगर बच्चा अपने किसी पढ़ने में अच्छे मित्र से प्रभावित होगा, तो उस पर पीयर प्रेशर का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। वह अपने दोस्त की तरह पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर हो सकता है। इससे बच्चे का पढ़ाई-लिखाई व शैक्षणिक स्तर अच्छा हो सकता है।

2. खेल जैसे अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेना – पीयर प्रेशर के कारण बच्चे का मन खेल जैसी गतिविधियों में भी लग सकता है। वह स्कूल में आयोजित होने वाली खेल व अन्य विभिन्न गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सकता है।

3. नए दोस्त बनाना – पीयर प्रेशर से बच्चा आसानी से नए दोस्त बना सकता है। उसके साथ वह अपनी बातें, इच्छाएं व अनुभव भी साझा कर सकता है। अच्छे दोस्तों की संगति मिलने से बच्चे को और नए अच्छे लोगों व दोस्तों से मिलने का मौका मिल सकता है।

4. बेहतर सामाजिक स्तर – सकारात्मक पीयर प्रेशर से बच्चा नए लोगों से मेल-जोल बढ़ा सकता है। इससे बच्चे का सामाजिक स्तर अच्छा हो सकता है। साथ ही यह उनमें टीम की भावना को भी बढ़ा सकता है। यह बच्चे में शेयरिंग की अच्छी आदत भी विकसित कर सकता है। इसके अलावा, बच्चे में लोगों से अपने अनुभवों को साझा करने और मुश्किल परिस्थितियों को सुलझाने की बेहतर क्षमता भी विकसित हो सकती है।

5. भावनात्मक विकास अच्छा होना – सकारात्मक पीयर प्रेशर बच्चे के भावनात्मक विकास में भी अहम भूमिका निभा सकता है। अगर बच्चे के मित्रों का समूह अच्छी भावना रखता है, तो बच्चे पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा। यह बच्चे के आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकता है।

6. प्रोत्साहन मिलना – पीयर प्रेशर बच्चे को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। ऐसे में जीवन में आगे बढ़ने व उज्जवल भविष्य के लिए अच्छी प्रेरणा भी मिल सकती है।

7. नए अनुभव मिलना – पीयर प्रेशर साथी न सिर्फ खेल व पढ़ाई के प्रति आकर्षित कर सकते हैं, बल्कि विभिन्न धार्मिक समूहों में शामिल होने अन्य अच्छी गतिविधियां करने, जैसे सिंगिंग और डांसिंग के लिए भी प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके साथ ही खुद की जिम्मेदारियों को समझने का अनुभव भी मिल सकता है।

8. मुश्किलों से लड़ना सीखना – अगर बच्चा किसी विषय या किसी खेल में कमजोर है और उसके कुछ दोस्त भी इसी तरह की परेशानी में है। हालांकि, वे इससे बाहर आकर बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं, तो बच्चा प्रोत्साहित हो सकता है और मन में सुरक्षा का भाव रख सकता है कि यह समस्या सिर्फ उसके साथ नहीं है। साथ ही वह भी अन्य बच्चों की तरह आगे बढ़ सकता है और उनकी मदद ले सकता है।

पीयर प्रेशर का नकारात्मक प्रभाव (1) (2) (5) (8):

1. शैक्षणिक गतिविधि प्रभावित होना – अगर बच्चे की संगति सही नहीं है तो पीयर प्रेशर के कारण बच्चा स्कूल जाने से मना कर सकता है। उसका ध्यान पढ़ाई से हट सकता है। शैक्षणिक गतिविधियों से उसका मन हटकर फैशन, दिखावे व अन्य गतिविधियों की तरफ आधिक आकर्षित हो सकता है।

2. मानसिक समस्या – पीयर प्रेशर का नकारात्मक प्रभाव बच्चे में एंग्जाइटी का कारण भी बन सकता है। बच्चा बहुत उदास रह सकता है या वह गुस्सैल भी हो सकता है। इसके अलावा, मन में अपराधबोध की भावना भी हो सकती है (7)।

3. आक्रमक व्यवहार – नकारात्मक प्रभाव होने पर बच्चे में लड़ाई-झगड़े की आदत भी हो सकती है। वह बिना वजह अन्य लोगों, सहपाठियों या मित्रों को परेशान कर सकता है। उसके बोलने या बातचीत करने का व्यवहार भी नकारात्मक हो सकता है। यहां तक कि बच्चे का परिवार के साथ व्यवहारिक स्तर भी कम हो सकता है। इसके अलावा, वह उम्र के अनुसार अधिक जोखिम भरे फैसले लेना शुरू कर सकता है (8)।

4. गलत आदतें – पीयर प्रेशर का नकारात्मक प्रभाव बच्चे में गलत आदतों और व्यवहार को विकसित कर सकता है। बच्चे में कम उम्र से ही धूम्रपान करने, शराब पीने या अन्य नशीले पदार्थों की लत शुरू हो सकती है। गलत तरीके से यौन व्यवहार में संलग्न हो सकता है। इसके अलावा, वह अपने कपड़े पहनने और शारीरिक आकर्षण के प्रति अधिक चिंताजनक हो सकता है।

5. नींद से जुड़ी समस्याएं – नकारात्मक पीयर प्रेशर बच्चे की नींद को प्रभावित कर सकता है (9)। इस वजह से उसके सोने व जागने के समय में परिवर्तन हो सकता है। साथ ही वह चिड़चिड़ा भी हो सकता है।

6. जलन की भावना – पीयर प्रेशर के कारण बच्चे के स्वभाव में जलन की भावना हो सकती है। रिसर्च के अनुसार, पीयर प्रेशर में जलन होने पर बच्चा अपने ही सच्चे मित्र तक को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ मामलों में इस तरह का पीयर प्रेशर बढ़ती उम्र में भी बच्चे में बरकरार रह सकता है (10)।

टीनएजर्स साथियों के पीयर प्रेशर से कैसे बचाव करें, इससे जुड़ें कुछ उपाय पढ़ें।

टीनएजर्स अपने आप को साथियों के दबाव (Peer Pressure) से कैसे बचा सकते हैं?

ऐसे कुछ तरीके हैं, जिनका ध्यान रखकर किशोर अपने साथियों के पीयर प्रेशर से खुद को बचा सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (1) :

दूरी बनाकर रखें – पीयर प्रेशर या दबाव महसूस कराने वाले दोस्तों से दूरी बनाकर रखें। ऐसा करने से पीयर बनाने वाले मित्रों को नजरअंदाज करने में आसानी हो सकती है।

खुद की अहमियत समझें – दूसरे के बजाय खुद की अहमित समझें और खुद का आत्मविश्वास बनाए रखें। अपना दोस्त खुद बनें।

मना करना सीखें – अगर कोई मित्र गलत गतिविधियों के लिए प्रेरित करे या दबाव बनाने का प्रयास करे, तो उससे बचने के लिए बहाने न बनाएं। इसके लिए उन्हें सीधा ‘ना’ बोलें और आगे से भी उन्हें इसके लिए मना करना सीखें।

अच्छे मित्र बनाएं – ऐसे मित्र बनाएं, जो जीवन में सही राह चुनने के प्रति प्रेरित करे। अगर किसी दोस्त के साथ रहने में असहज महसूस हो या उनकी गलत विधियों से पीयर प्रेशर महसूस हो रहा है, तो उनसे मित्रता न रखें। ऐसे दोस्तों व सहपाठियों का चुनाव करें, जो सकारात्मक स्थितियों के लिए प्रेरित करते हों।

बड़ों से बात करें – अगर किसी मित्र द्वारा पीयर प्रेशर बढ़ता ही जा रहा हो, तो इस बारे में बिना डरे माता-पिता, शिक्षक या काउंसलर से बात करें व उचित सलाह लें।

योजना बनाएं – कौन से मित्र या किस तरह की गतिविधियों से पीयर प्रेशर होता है, उससे निपटने के लिए योजना बनाएं। इसमें अच्छे मित्रों व परिवारजनों की भी मदद ले सकते हैं।

लेख के आखिरी भाग में पढ़ें पैरेंट्स अपने बच्चे को पीयर प्रेशर से कैसे बचाएं, इससे जुड़े कुछ सुझाव।

माता-पिता के लिए बच्चों के पीयर प्रेशर से निपटने के लिए टिप्स

किशोरावस्था के चरण में बच्चे माता-पिता से ज्यादा अपने दोस्तों के अधिक करीब हो जाते हैं। वे उनके साथ अपनी बातें और स्थितियां साझा करने में अधिक सहज महसूस करते हैं (3)। ऐसे में माता-पिता के लिए बच्चे में पीयर प्रेशर का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, अगर लेख में बताए गए लक्षण बच्चे में नजर आते हैं, तो माता-पिता नीचे बताए गए तरिकों को आजमाकर बच्चे को इस स्थिति से निकाल सकते हैं। तो बच्चों के पीयर प्रेशर से निपटने के लिए टिप्स कुछ इस प्रकार हैं (11)।

1. बच्चे से बातचीत करें – हर दिन अपने बच्चे के लिए थोड़ा समय निकालकर उससे बात करें। बच्चे की पढ़ाई कैसी चल रही है या उसे किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इस बारे में हर दिन बच्चे से अवश्य पूछें। साथ ही उसे यह भी भरोसा दिलाएं कि वो अपने किसी भी परेशानी के लिए मदद के लिए पूछ सकता है। ऐसा करने से अगर बच्चा किसी तरह का मानसिक दबाव महसूस कर रहा होगा, तो उसका पता लगाने में आसानी हो सकती है।

2. गलत आदतों के बारे में बताएं – समय-समय पर गलत आदतों व उनके कारण जीवन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में बच्चे को उचित सलाह व जानकारी देते रहें। अधिकतर माता-पिता यौन संबंध, नशे की आदतों, दिखावे जैसे विषयों के बारे में बच्चों से बात नहीं करते हैं। यही वजह है कि बच्चे का ज्ञान इस विषयों को लेकर भ्रमित हो सकता है। इसलिए, किशोरावस्था में आते ही जरूरत अनुसार बच्चे को यौन संबंधों व नशे जैसी गलत आदतों के बारे में बताएं और उन्हें जागरूक करें।

3. भरोसा दिलाएं – अपने बच्चे को भरोसा दिलाएं कि हर स्थिति में माता-पिता उसका भरपूर साथ देंगे। ऐसा करने से बच्चा बिना डरे अपनी बातें व परेशानियां माता-पिता से कह सकता है और उसका आत्मविश्वास भी बढ़ सकता है।

4. शांत रहें – अगर बच्चा पीयर प्रेशर में कोई गलत कदम उठाता है और वह इस बारे में माता-पिता को बताता है, तो माता-पिता को शांत होकर उसकी पूरी बात सुननी चाहिए। बच्चे पर गुस्सा होने के बजाय उन्हें बच्चे की स्थिति को समझना चाहिए और सच्चाई बताने के लिए उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए। साथ ही पीयर प्रेशर से बाहर आने में बच्चे की मदद भी करनी चाहिए।

5. ना कहना सिखाएं – वैसे तो सभी अपने बच्चे को हर किसी की बात मानने की शिक्षा देते हैं, लेकिन कब और किन-किन स्थितियों में बच्चे को ना बोलना चाहिए, इस विषय में भी उन्हें समझाना चाहिए। बच्चे को बताएं कि सिर्फ अपने दोस्तों को खुश करने लिए, उसे उनकी हर बात नहीं माननी चाहिए। अगर वह किसी कार्य को करने में असहज है या उन्हें वह कार्य अच्छा नहीं लगता है, तो वह उसे करने से मना भी कर सकता है।

6. आत्मविश्वास बढ़ाएं – अगर बच्चे में आत्मविश्वास की कमी है, तो इसके कारणों को समझें और उसका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करें। बच्चे का मनोबल बेहतर होगा, तो वह खुद पर पीयर प्रेशर का प्रभाव पड़ने से रोक सकता है।

7. ओवररिएक्ट न करें – जब भी बच्चा अपने किसी दोस्त की नकारात्मक बातें माता-पिता के साथ शेयर करे, तो उसे सुनकर पैरेंट्स को ओवररिएक्ट नहीं करना चाहिए। उन्हें बच्चे से इसके नकारात्मक प्रभावों और दोस्त के अन्य लक्षणों के बारे में बात करनी चाहिए, ताकि वो अन्य बातों को भी साझा करे। साथ ही माता-पिता उसे सही गाइड करे, ताकि इस मुद्दे पर वह उस दोस्त की भी मदद कर सके।

8. अच्छे दोस्त बनाने में मदद करें – बच्चे के दोस्तों व सहपाठियों से मिलते रहें, ताकि उनमें से अच्छे दोस्तों की पहचान कर सकें और उसके साथ बच्चे की दोस्ती बढ़ाने में भी मदद कर सकें। साथ ही बच्चे को अच्छे व सच्चे मित्रों की पहचान करने के तरीके भी बताएं।

9. फैसलों में शामिल करें – किशोरावस्था में बच्चे अपने अधिकतर फैसले खुद से ही लेना पसंद करते हैं। ऐसे में उन्हें उनके मन की करने के लिए मना न करें, बल्कि अपने या पारिवारिक फैसलों में बच्चे को शामिल करें। इससे माता-पिता के प्रति बच्चे का भरोसा बढ़ सकता है और वह भी अपने हर फैसले में माता-पिता को शामिल कर सकता है।

10. अनुसाशन है जरूरी – बच्चे को उसकी उम्र व व्यवहार के अनुसार ही आजादी दें। उसे किस तरह की आदतों या व्यवहार से दूर रहना चाहिए, इस बारे में भी बताएं। उदाहरण के लिए, बच्चे को बताएं कि 18 साल का होने पर और ड्राइविंग सीखने के बाद ही उसे वाहन चलाना चाहिए, आदि। हालांकि, बच्चे को कड़े शब्दों में नहीं, बल्कि अच्छे से समझाकर इस बारे में बताएं। साथ ही साथ अनुशासन भी एक सीमित तरीके से ही लगाएं।

11. उनकी इच्छाएं पूछें – हर बार सिर्फ बच्चे से पढ़ाई या भविष्य के बारे में ही बात न करें। जब भी समय मिले बच्चे के साथ शॉपिंग करने, फिल्म देखने या धूमने भी जाएं। साथ ही जीवन के प्रति उनकी इच्छाएं व रुचि क्या हैं, इस बारे में भी उनसे पूछें। माता-पिता बच्चे के दोस्त बनें।

12. नए लोगों से मिलवाएं – बच्चे को सिर्फ दोस्तों व सहपाठियों तक ही सीमित न रखें। समय-समय पर उसे पड़ोसियों, रिश्तेदारों व अन्य परिचितों सें भी मिलाएं। ऐसा करने से बच्चा विभिन्न तरह के लोगों से मेलजोल बढ़ा सकता है और उनकी विशेष बातों व आदतों को समझ सकता है। इससे बच्चे का सामाजिक व्यवहार भी बेहतर होगा, साथ ही उसके सोचने व समझने का स्तर पर भी बेहतर हो सकता है।

टीनएजर्स में साथियों का दबाव काफी होता है। ऐसे में बच्चों में पीयर प्रेशर होने की संभावान भी बढ़ जाती है। इसलिए, जरूरी है कि माता-पिता को मानसिक रूप से बच्चे के साथ अपना मेलजोल बढ़ाना चाहिए, ताकि बच्चा किसी भी तरह के मानसिक दबाव को बिना किसी उलझन के आपके साथ शेयर कर सके। साथ ही अगर कभी बच्चे के व्यवहार में बदलाव नजर आए, तो यहां बताए गए बच्‍चों को पीयर प्रेशर से बचाने के उपाय अपना सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं। अब इस लेख को अन्य लोगों के साथ शेयर करके सभी को बच्चों को पीयर प्रेशर के इस महत्वपूर्ण विषय से जागरूक कराएं।

संदर्भ:

  1. Dealing with Peer Pressure
    https://www.researchgate.net/publication/332318821_Dealing_with_Peer_Pressure
  2. Peer pressure and home environment as predictors of disruptive and risky sexual behaviours of secondary school adolescents
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6306969/
  3. Adolescent development
    https://medlineplus.gov/ency/article/002003.htm
  4. Peers increase adolescent risk taking by enhancing activity in the brain’s reward circuitry
    https://onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/j.1467-7687.2010.01035.x
  5. Peer pressure
    https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/healthyliving/peer-pressure
  6. Young Teens (12-14 years of age)
    https://www.cdc.gov/ncbddd/childdevelopment/positiveparenting/adolescence.html
  7. The Role of Peer Pressure
    Automatic Thoughts and Self-Esteem on Adolescents’ Aggression
  8. UNIT 2 PEER INFLUENCE
    https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/43376/1/Unit-2.pdf
  9. The role of sleep problems in the relationship between peer victimization and antisocial behavior: A five-year longitudinal study
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/27939105/
  10. Friendship Jealousy in Young Adolescents: Individual Differences and Links to Sex Self-Esteem Aggression and Social Adjustment.
    https://www.researchgate.net/publication/8074199_Friendship_Jealousy_in_Young_Adolescents_Individual_Differences_and_Links_to_Sex_Self-Esteem_Aggression_and_Social_Adjustment
  11. Help your teen cope with stress
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000814.htm
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