Shivani Aswal Sharma, CDE
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

सेहत से ज्यादा अन्य चीजों पर ध्यान देने की वजह बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। इसी वजह से कहा जाता है कि अगर समय रहते सेहत पर ध्यान दिया जाए, तो बीमारियों से बचा जा सकता है। वहीं, इससे बचने के लिए कई तरह की आयुर्वेदिक औषधि काम आ सकती है, जिसमें से एक त्रिफला चूर्ण भी है। सालों से ही स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए त्रिफला चूर्ण के सेवन को फायदेमंद माना गया है। इसी वजह से हम इस लेख में त्रिफला चूर्ण के फायदे के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही यहां हम त्रिफला चूर्ण के उपयोग, इसे घर पर बनाने की विधि के साथ त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।

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त्रिफला के गुण से पहले हम बता रहे हैं कि त्रिफला व त्रिफला चूर्ण क्या है।

त्रिफला चूर्ण क्या है – What is Triphala Churna in Hindi

त्रिफला संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, त्रि यानी तीन और फला मतलब फल। इसका मतलब यह है कि त्रिफला कोई फल या जड़ी-बूटी नहीं है, बल्कि तीन चीजें से बना मिश्रण है, जो चूर्ण के रूप में मिलता है। नीचे हम उन तीन फलों के बारे में बता रहे हैं, जिनके मिश्रण से त्रिफला चूर्ण बना है (1)

  1. आंवला संस्कृत में इसे अमृतफल व आमलकी के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। लोग इसे फल, जूस, अचार और चूर्ण के रूप में सेवन करते हैं। आंवला में प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसे पाचन शक्ति के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा, ये निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में भी फायदेमंद साबित हो सकता है (2)
  • इसमें मौजूद विटामिन-सी एनीमिया के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है।
  • यह शरीर को डिटॉक्सीफाई कर सकता है।
  • शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकता है।
  • दस्त में भी फायदेमंद माना जाता है।
  • यह लिवर, हृदय व फेफड़ों के लिए भी अच्छा हो सकता है।
  • त्वचा में चमक ला सकता है।
  1. बहेड़ा इसे भी औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। बहेड़ा को बिभीतकी और  विभिता नाम से भी जाना जाता है। इसके सेवन से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं (3)
  • बहेड़ा में दर्दनिवारक गुण होते हैं।
  • डायरिया में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।
  • हेयर टॉनिक के रूप में जाना जाता है।
  • बुखार को कम करने और घाव को भरने में मदद कर सकता है।
  • इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर सकता है।
  1. हरड़इसे संस्कृत में हरितकी के नाम से जाना जाता है। यह अखरोट जैसा फल होता है। इसे तब तोड़ा जाता है, जब यह पककर पीले रंग का हो जाता है। इसे आमतौर पर ‘हर्रे’ भी कहते हैं। हरड़ किस प्रकार स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, आइए नीचे जानते हैं – (4)
  • यह पेट दर्द के लिए फायदेमंद माना जाता है।
  • आंखों में होने वाली सूजन (Opthalmia) को भी कम कर सकता है।
  • ब्लीडिंग गम यानी मसूड़ों से बहते खून को कम कर सकता है।
  • दर्दनिवारक।
  • घावों को भरने की क्षमता।
  • भूख बढ़ाने।
  • पाचन को बेहतर करने।
  • लिवर को स्वस्थ रखने।

इन तीनों फलों को विभिन्न शारीरिक समस्याओं के लिए अलग-अलग उपयोग भी किया जाता है। वहीं, जब इन तीनों का मिश्रण त्रिफला के रूप में बनता है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं। त्रिफला चूर्ण किस तरह स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है, यह हम आगे बता रहे हैं।

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त्रिफला चूर्ण क्या है, यह तो आप जान गए हैं। चलिए, अब हम सीधे त्रिफला चूर्ण के फायदे जान लेते हैं।

त्रिफला चूर्ण के फायदे – Triphala Churna Benefits in Hindi

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर मौजूद एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, वजन घटाने से लेकर डायबिटीज जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण को कम करने में त्रिफला चूर्ण फायदेमंद साबित हो सकता है। इसी वजह से आगे हम त्रिफला चूर्ण के गुण व फायदों के बारे में बता रहे हैं (1)। बस ख्याल रखें कि किसी भी गंभीर रोग को पूर्ण रूप से ठीक करने के लिए त्रिफला पर निर्भर न रहें, बीमारी के संबंध में उपचार के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

1. पाचन के लिए त्रिफला के फायदे

गलत खान-पान या ज्यादा बाहर का तैलीय खाना खाने से पेट और पाचन संबंधी परेशानियां हो सकती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। त्रिफला के औषधीय गुण पाचन शक्ति में सुधार कर पेट से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। खाने को अच्छे से पचाने के साथ ही त्रिफला शरीर में खाने को अवशोषित करने में भी मदद कर सकता है  (1)। यह पेट से संबंधित अन्य समस्याओं जैसे – कब्ज और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को भी ठीक कर सकता है (5)

2. आंखों के लिए त्रिफला के फायदे

शरीर के अन्य अंगों की तरह आंखों का ध्यान रखना भी जरूरी है। त्रिफला आंखों के स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का काम कर सकता है। यह आंख के लेंस में ग्लूटाथिओन (एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट) के स्तर को बढ़ा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक अध्ययन ने भी इस बात की पुष्टि की है। इसके अलावा, त्रिफला मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में भी कुछ हद तक मददगार हो सकता है (1)। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

त्रिफला चूर्ण के सेवन के साथ ही इससे आंख को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण को रातभर पानी में भिगोकर इसके पानी को छानने के बाद आंखों को धोने में इस्तेमाल किया जाता है। यह आंखों की लालीमा और मोतियाबिंद दोनों के लिए फायदेमंद माना गया है (6)। आंखों से बहते चिपचिपे पदार्थ (आई डिस्चार्ज) को भी ठीक करने के लिए त्रिफला का इस्तेमाल किया जा सकता है (7)

3. वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे

कुछ लोग मोटापा कम करने के लिए डाइटिंग या जिम का सहारा लेते हैं, लेकिन कुछ खास असर नहीं होता। ऐसे में अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो कुछ हद तक फायदा हो सकता है। त्रिफला चिकित्सीय एजेंट की तरह काम कर सकता है। यह न सिर्फ वजन को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि शरीर का फैट भी कम कर सकता है। पशुओं पर किए हुए एक अध्ययन के मुताबिक अधिक खाना खाने की वजह से हुए मोटापे पर 10 हफ्ते तक त्रिफला का सेवन करने से वजन और वसा दोनों में कमी दर्ज की गई है (1)

जिम, व्यायाम या योग के साथ-साथ अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो फर्क नजर आ सकता है। वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर दिनभर में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं।

4. कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे

कब्ज के कारण पेट में गैस व दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन कुछ हद तक इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि इसके सेवन से गैस, कब्ज और अन्य पेट संबंधी परेशानियों से राहत मिल सकती है (1) इसमें मौजूद टैनिक और गैलिक एसिड कब्ज की समस्या को कम करने में लाभकारी माने गए हैं (5)

कब्ज की समस्या से बचने के लिए रोज रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे पीने के बाद किसी और चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।

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5. रक्तचाप और स्वस्थ हृदय के लिए

त्रिफला चूर्ण को रक्तचाप नियंत्रित रखने और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। एक रिसर्च में कहा गया है कि उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है (8) (9)। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोगों से बचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को हृदय रोग के मुख्य जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। त्रिफला चूर्ण, इन जोखिमों को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है (10) (1) (8)

6. वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के लिए त्रिफला के फायदे

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। सालों से आयुर्वेद में त्रिफला को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से शरीर को बचाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण में  एंटीबैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीपायरेटिक (Antipyretic – बुखार कम करने वाला) गुण होते हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुण एक ओर जीवाणुओं से शरीर को बचाने में मदद करता है, तो दूसरी ओर एंटीपाएरेटिक गुण बुखार से शरीर को बचाने में मदद कर सकता है (1) (11)। इसके साथ ही त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण भी होते हैं, जो शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है (6)

7. रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए त्रिफला के फायदे

जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण होते हैं। दरअसल, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होते ही शरीर को तरह-तरह की बीमारी जकड़ लेती है। ऐसे में त्रिफला में मौजूद विभिन्न एक्टिव कंपाउंड जैसे – गैलिक एसिड (Gallic acid) और एलेजिक एसिड (Ellagic acid) एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार का काम कर सकते हैं (6)

8. डायबिटीज के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे

त्रिफला चूर्ण डायबिटीज के रोगियों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है। इसके नियमित सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल कम हो सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-डायबिटिक और हाइपोग्लिसेमिक प्रभाव होते हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते है (1)

9. घाव भरने के लिए त्रिफला के फायदे

लोगों को अगर कहीं हल्की चोट या घाव लगे, तो त्रिफला घाव को भरने में मदद कर सकता है। दरअसल, त्रिफला में वुंड हिलिंग गुण होते हैं, जो घाव को भरने में मदद कर सकते हैं  (1)। इंडियन जर्नल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन में पेट्रोलियम जैली और तिल के तेल से भी अधिक प्रभावी त्रिफला को माना गया है (12)। अन्य वैज्ञानिक शोध में यह भी जिक्र है कि त्रिफल संक्रमित घाव को भी ठीक करने में मदद कर सकता है (13)

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10. रक्त प्रवाह के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे

त्रिफला चूर्ण में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने के भी गुण पाए जाते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में भी कहा गया है कि रक्त को ठीक तरह से प्रवाहित करने में त्रिफला मदद कर सकता है। हालांकि, रिसर्च में यह स्पष्ट नहीं है कि त्रिफला का कौन सा गुण इसमें मदद करता है (11)। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने से शरीर के हर हिस्से तक खून और ऑक्सीजन पहुंचता है। सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचने के साथ ही रक्त प्रवाह बेहतर होने से शरीर में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड भी बाहर निकलता है (14)

11. डिटॉक्सिफिकेशन के लिए त्रिफला

शरीर में जमा टॉक्सिक यानी विषैले तत्व को बाहर निकालने को डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं। प्राचीन काल से ही त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल डिटॉक्सीफिकेशन के लिए किया जाता रहा है (15)। पर्यावरण, दूषित भोजन और कॉस्मेटिक्स की वजह से शरीर के अंदर पहुंचे वाले टॉक्सीन विभिन्न अंग जैसे कि किडनी, लंग्स और लिवर के कार्य को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से समय-समय पर शरीर को डिटॉक्सीफाई करना जरूरी होता है, जिसमें त्रिफला चूर्ण मदद कर सकता है (16)

12. बोन हेल्थ – जोड़ों के दर्द या गठिया के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियां कमजोर होने लगती है। कई लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत होने लगती है। आगे चलकर यह गठिया बीमारी का रूप ले सकता है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन लाभकारी हो सकता है। त्रिफला चूर्ण हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो गठिया के सूजन को कम करने में मदद कर सकता है (1) (17)गठिया के लक्षण को कम करने के लिए एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

13. ओरल हेल्थ (दांत और मुंह की दुर्गंध) के लिए त्रिफला

शरीर के अन्य अंगों की तरह मुंह का ध्यान रखना भी जरूरी है। ओरल हेल्थ की तरफ ध्यान न देने से दांतों से जुड़ी परेशानी, मसूड़ों में दर्द और मुंह से बदबू आने जैसी समस्या हो सकती है। इस परेशानी से राहत पाने के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिफला में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, त्रिफला चूर्ण में एंटीकैरीज गतिविधि होती है, जो दातों को कैरीज (दंत क्षय) से बचाने का काम कर सकता है। इसके अलावा, मसूड़ों से निकलने वाले खून की समस्या को भी कम करने में इसे फायदेमंद माना जाता है। ओरल हेल्थ के लिए त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर इससे कुल्ला किया जा सकता है (18)। माउथ वॉश की तरह इसका उपयोग करने से मसूड़ों में संक्रमण व दर्द की समस्या कम हो सकती है (19) (20)

14. तनाव और चिंता को कम करने के लिए

तनाव और चिंता जैसी मानसिक समस्या को दूर करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, त्रिफला में एंटीस्ट्रेस प्रभाव पाए जाते हैं, जो तनाव को कम करने का काम कर सकता है। तनाव को कम करके यह इसकी वजह से होने वाली चिंता से भी राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है (1)

15. इंफ्लामेशन व सूजन कम करने के लिए त्रिफला

त्रिफला चूर्ण के फायदे में सूजन यानी इंफ्लामेशन की समस्या को कम करना भी शामिल है। इससे गठिया, डायबिटिज, कैंसर और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है (21)। इससे बचाव के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो इंफ्लामेशन व सूजन की समस्या को कम कर सकता है (1)। एक अध्ययन में कहा गया है कि इसमें मौजूद मेथनॉल एक्सट्रैक्ट से सूजन और दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है (22)

16. हार्मोनल असंतुलन – कैंसर से बचाव करे त्रिफला

त्रिफला चूर्ण का सेवन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकता है। दरअसल, त्रिफला में एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं। माउथवॉश की तरह इस्तेमाल करने से त्रिफला युवा वयस्कों में तंबाकू की वजह से होने वाले कैंसर के सेल्स को मुंह में पनपने से रोक सकता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि त्रिफला में एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं। यह एंटीनोप्लास्टिक गुण ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। यह गुण ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलन और अग्न्याशय सहित कई कैंसर सेल्स पर प्रभाव दिखा सकता है (1)। माना जाता है कि यह हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक करने में मदद कर सकता है, हालांकि इससे संबंधित कोई शोध उपलब्ध नहीं है।

17. चक्कर या मोशन सिकनेस के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ

कभी-कभी लोगों को चक्कर आने की समस्या या फिर बस व गाड़ी में उल्टी आने की परेशानी होती है। उल्टी आने के साथ ही सिरदर्द की समस्या भी हो जाती है। इस स्थिति में त्रिफला का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इस मोशन सिकनेस को कम करने में विटामिन-सी एक अहम भूमिका निभाता है। जैसा कि हमने बताया कि त्रिफला में आंवला होता है, जो कि विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसी वजह से मोशन सिकनेस से राहत पाने के लिए त्रिफला को फायदेमंद माना जाता है (23)। इसके अलावा, बहेड़ी में मौजूद गैलिक और टैनिक एसिड उल्टी की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं (5)

18 . त्वचा को जवां बनाने के लिए त्रिफला चूर्ण

त्वचा को सेहतमंद और जवां रखने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण न सिर्फ त्वचा की कोशिकाओं के लिए रक्षक का काम कर सकते हैं, बल्कि त्वचा की देखभाल कर उसे स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। साथ ही माना जाता है कि यह एजिंग के लक्षण को भी कम कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट स्किन एजिंग को रोकने में मदद करने के साथ ही त्वचा को बीमारियों से बचाए रखने में सहायक हो सकता है (24)। इसके अलावा, खुजली व जलन जैसी परेशानी से छुटकारा दिलाने में भी त्रिफला चूर्ण सहायक साबित हो सकता है (25)। इसी वजह से माना जाता है कि त्रिफला चूर्ण त्वचा को जवां बनाने में मददगार हो सकता है।

19. बालों के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ

लंबे, घने व चमकदार बाल पाना लगभग हर महिला की इच्छा होती है। इस इच्छा को त्रिफला चूर्ण पूरा कर सकता है। माना जाता है कि यह बालों की ग्रोथ में मदद कर सकता है। ऐसा इसमें मौजूद आंवले की वजह से हो सकता है (26)। बालों के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के साथ ही बालों को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला पाउडर को गुनगुने पानी में मिलाकर उससे बाल धोने से डैंड्रफ कम हो सकता है (27)

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ऊपर हमने त्रिफला के गुण और फायदे बताएं। अब जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

त्रिफला चूर्ण का उपयोग – खाने का सही समय और सही तरीका

त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे जानने के बाद त्रिफला चूर्ण खाने की विधि भी जानना जरूरी है। इसी वजह से हम आगे त्रिफला चूर्ण खाने का तरीका बता रहे हैं।

नींबू के साथ त्रिफलाइस चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अगर इसका स्वाद पसंद न आए, तो इसका रस बनाकर भी पी सकते हैं। त्रिफला रस के फायदे भी चूर्ण जैसे ही होते हैं। त्रिफला रस बनाने के लिए पानी में त्रिफला चूर्ण, थोड़ा शहद और नींबू का रस मिला लें। ध्यान रहे कि इन सामग्रियों को हल्का उपयोग करें, ताकि त्रिफला के स्वाद में थोड़ा बदलाव आए। इसे रात में सोने से पहले ले सकते हैं।

त्रिफला चाय त्रिफला चूर्ण का उपयोग चाय के रूप में भी कर सकते हैं। त्रिफला चूर्ण को पानी में उबालकर इसमें थोड़ा शहद मिला लें। सुबह-शाम इसका सेवन सामान्य चाय की जगह किया जा सकता है।

त्रिफला कैप्सूल या टैबलेट त्रिफला चूर्ण का स्वाद पसंद न आने पर इसे टैबलेट या कैप्सूल के रूप में भी ले सकते हैं। बाजार में ये आसानी से उपलब्ध है। इसका सेवन करते समय त्रिफला के कैप्सूल के डब्बे पर दी गई सलाह का पालन जरूर करें या चाहें तो विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

आंखों के लिए त्रिफला का उपयोगत्रिफला चूर्ण से आंखों को धो भी सकते हैं। बस एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें और फिर सुबह इसे छान लें। फिर इस मिश्रण से आंखों को धोएं (7)। इसे त्रिफला रस के फायदे में गिना जाता है।

चेहरे के लिए त्रिफला मास्क त्रिफला चूर्ण का उपयोग फेस पैक की तरह भी हो सकता है। त्वचा को निखारने और बेदाग बनाने के लिए इसे फेस मास्क व पैक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

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त्रिफला चूर्ण खाने का तरीका बताने के बाद, घर में त्रिफला चूर्ण कैसे बनाया जाता है हम इस पर प्रकाश डालेंगे।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि

त्रिफला पाउडर आसानी से बाजार में उपलब्ध है, लेकिन इसे घर पर बनाना भी आसान है। इसी वजह से हम नीचे घर में ही त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि बता रहे हैं।

नोट खरीदने से पहले, ध्यान रखें कि त्रिफला चूर्ण में पड़ने वाली सामग्रियां (हरड़, बहेडा और आंवला) 1: 2: 4 के अनुपात में होनी चाहिए।

सामग्री :

  • हरड़ – 20 ग्राम
  • बहेड़ा -40 ग्राम
  • आंवला – 80 ग्राम

बनाने की विधि :

  • सबसे पहले सभी कच्ची सामग्रियों को एक-एक करके ओखली में डालें और पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
  • फिर सभी को छान लें।
  • अब इन चूर्ण को मिला लें।
  • इस मिश्रण को एक जार में डाल लें।
  • बस तैयार है त्रिफला चूर्ण, जिसका उपयोग रोजाना किया जा सकता है।

बने रहें हमारे साथ

चलिए, जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण की खुराक क्या होनी चाहिए।

त्रिफला चूर्ण की खुराक – Triphala Churna Dosage in Hindi

त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे तभी हो सकते हैं, जब इसे संयमित मात्रा में खाया जाए। वैसे त्रिफला चूर्ण की खुराक की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि इसका सेवन किस स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जा रहा है। जैसे कि त्रिफला के औषधीय गुण की वजह से डायबिटीज के लिए 45 दिन तक पांच ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है (1)। वहीं, त्वचा संबंधी समस्या को कम करने के लिए खाने से पहले दो बार 5-5 ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है (25)। समस्या अनुसार इसके सेवन की मात्रा जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

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आगे हम त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में बताएंगे।

त्रिफला चूर्ण के नुकसान – Side Effects of Triphala Churna in Hindi

वैसे तो त्रिफला को सुरक्षित माना गया है और रिसर्च में भी इसके साइड इफेक्ट न के बराबर होते हैं, ऐसा जिक्र मिलता है (8)। वहीं, इसके अधिक सेवन से त्रिफला चूर्ण के फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। नीचे हम संभावित त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।

  1. त्रिफला लिवर कोशिकाओं में पाए जाने वाले एंजाइम (साइटोक्रोम P450) की गतिविधि को बाधित कर सकता है (28)। दरअसल, यह एंजाइम कई दवाओं के चयापचय के लिए आवश्यक होता है (29)। इसी वजह से एंजाइम से संबंधित दवा के साथ त्रिफला का सेवन करने से पहले डॉक्टरी परामर्श आवश्यक है।
  2. डिप्रेशन की दवा के प्रभाव को कम कर सकता है। त्रिफला में मौजूद हरड़ को इसका जिम्मेदार माना जा सकता है (30)
  3. गर्भावस्था में त्रिफला में मौजूद हरड़ को सुरक्षित नहीं माना जाता है (31)
  4. जैसा कि हम बता चुके हैं कि त्रिफला चूर्ण में एंटीडायबीटिक गुण होते हैं। ऐसे में लो शुगर के मरीजों में इसका अधिक सेवन शुगर के स्तर को और कम कर सकता है।
  5. त्रिफला में मौजूद हरड़ की मात्रा अधिक होने पर डायरिया भी हो सकता है (32)

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आगे, हम बेस्ट त्रिफला चूर्ण के बारे में बता रहे हैं।

3 सबसे अच्छे त्रिफला चूर्ण ब्रांड – Best Triphala Churna Brands in Hindi

बेस्ट त्रिफला चूर्ण के रूप में बाजार में कई सारे त्रिफला पाउडर मौजूद हैं। हम आगे लोगों द्वारा सबसे अधिक खरीदे जाने वाले कुछ त्रिफला चूर्ण ब्रांड के बारे में बता रहे हैं।

डाबर त्रिफला चूर्ण

Dabur Triphala Churna

कंपनी का दावा है कि डाबर त्रिफला चूर्ण के फायदे में पेट को साफ करना और पाचन संबंधी विकार को दूर करना शामिल है। इसके अलावा, डाबर त्रिफला चूर्ण के फायदे में शरीर से विषाकत पदार्थ को निकालना भी शामिल है। कंपनी ने इसे दो बार खाने की सलाह दी है।

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बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण

Baidyanath Triphala Churna

कंपनी का दावा है कि बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण के फायदे शरीर को कई तरह से हो सकते हैं, जिसमें गैस और कब्ज की समस्या भी शामिल हैं। इस ब्रांड के मुताबिक बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण के फायदे हर उम्र में उठाए जा सकते हैं।

यहां खरीदें

झंडू त्रिफला चूर्ण

Zandu Triphala Churna

ऊपर बताए गए त्रिफला प्रोडक्ट के अलावा झंडू त्रिफला चूर्ण के फायदे भी लिए जा सकते हैं। यह भी एक चर्चित ब्रांड है, इस वजह से इसका भी चयन किया जा सकता है।

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अब तो यह स्पष्ट हो गया होगा कि त्रिफला एक बहुत ही उपयोगी औषधि है। यह कई शारीरिक समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। त्रिफला चूर्ण कैसे खाएं, इस सवाल का जवाब भी हम लेख में दे चुके हैं। बस इसका नियमित सेवन करने से पहले, गंभीर समस्या से जूझ रहे व्यक्ति एक बार डॉक्टरी परामर्श जरूर लें। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इस लेख को अपने मित्रों और परिवार के सदस्य के साथ भी साझा कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

त्रिफला चूर्ण की तासीर कैसी होती है?

त्रिफला चूर्ण की तासीर गर्म होती है। ऐसे में गर्मी के समय इसका अधिक सेवन करने से बचना चाहिए।

क्या त्रिफला चूर्ण को खाली पेट लिया जा सकता है?

जी हां,  खाली पेट त्रिफला खाने के फायदे अनेक हैं। इसलिए, इसका सेवन सुबह खाली पेट किया जा सकता है।

क्या त्रिफला चूर्ण और शहद साथ में ले सकते हैं?

जी हां, हमने ऊपर त्रिफला के उपयोग वाले भाग में भी बताया है कि त्रिफला चूर्ण और शहद को साथ में लिया जा सकता है। शहद के साथ खाली पेट त्रिफला खाने के फायदे भी कई हो सकते हैं।

क्या त्रिफला चूर्ण और गुड़ साथ में ले सकते हैं?

जी हां, इसका सेवन गुड के साथ किया जा सकता है।

References

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  1. Therapeutic Uses of Triphala in Ayurvedic Medicine
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5567597/
  2. Therapeutic effects of amla in medicine and dentistry: A review
    http://www.jorr.org/article.asp?issn=2249-4987;year=2015;volume=7;issue=2;spage=65;epage=68;aulast=Grover
  3. Pharmacological activities of Baheda (Terminalia bellerica): A review
    http://www.phytojournal.com/archives/2016/vol5issue1/PartC/4-4-28.pdf
  4. The development of Terminalia chebula Retz. (Combretaceae) in clinical research
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3631759/
  5. Triphala: current applications and new perspectives on the treatment of functional gastrointestinal disorders
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6052535/
  6. Immunomodulatory Effects of Triphala and its Individual Constituents: A Review
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4293677/
  7. Traditional Herbal Remedies for Primary Health Care
    https://apps.who.int/medicinedocs/documents/s22298en/s22298en.pdf
  8. Clinical Study of ‘Triphala’ – A Well Known Phytomedicine from India
    http://www.bioline.org.br/pdf?pt06008
  9. TRIPHALA: A comprehensive Review
    https://ijrap.net/admin/php/uploads/1074_pdf.pdf
  10. Know Your Risk for Heart Disease
    https://www.cdc.gov/heartdisease/risk_factors.htm
  11. Phytochemical analysis and In-vitro Biochemical Characterization of aqueous and methanolic extract of Triphala, a conventional herbal remedy
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5881245/
  12. Evaluation of wound healing activity of Triphala in incision wound model in rats
    https://ijbamr.com/pdf/December%202016%20395-401.pdf.pdf
  13. Triphala Promotes Healing of Infected Full-Thickness Dermal Wound
    https://www.journalofsurgicalresearch.com/article/S0022-4804(07)00166-7/abstract
  14. How does the blood circulatory system work?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK279250/
  15. Protective effect of Triphala Rasayana against paracetamol-induced hepato–renal toxicity in mice
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4630692/
  16. Combined Toxic Exposures and Human Health: Biomarkers of Exposure and Effect
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3083662/
  17. Triphala exhibits anti-arthritic effect by ameliorating bone and cartilage degradation in adjuvant-induced arthritic rats
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/25942351
  18. Role of Triphala in dentistry
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4033874/
  19. The effect of Triphala and Chlorhexidine mouthwash on dental plaque, gingival inflammation, and microbial growth.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/21897640
  20. Efficacy of triphala extract and chlorhexidine mouth rinse against plaque accumulation and gingival inflammation among female undergraduates: A randomized controlled trial.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/28393817
  21. Inflammatory responses and inflammation-associated diseases in organs
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5805548/
  22. Anti-inflammatory and analgesic activities of methanol extract of Triphala – a poly herbal formulation
    https://www.researchgate.net/publication/239326177_Anti-inflammatory_and_analgesic_activities_of_methanol_extract_of_Triphala_-_a_poly_herbal_formulation
  23. The Neurophysiology and Treatment of Motion Sickness
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6241144/
  24. Protective Effects of Triphala on Dermal Fibroblasts and Human Keratinocytes
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4711708/
  25. Urushiol-induced contact dermatitis caused during Shodhana (purificatory measures) of Bhallataka (Semecarpus anacardium Linn.) fruit
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23559802
  26. Triphala:  Envisioning its role in Dentistry
    https://irjponline.com/admin/php/uploads/2350_pdf.pdf
  27. Role of Nasya and Shiroabhyanga in the management of Arunshika
    https://irjponline.com/admin/php/uploads/2219_pdf.pdf
  28. Cytochrome P450 inhibitory potential of Triphala—A Rasayana from Ayurveda
    https://www.academia.edu/5491899/Cytochrome_P450_inhibitory_potential_of_Triphala_A_Rasayana_from_Ayurveda
  29. The effect of cytochrome P450 metabolism on drug response, interactions, and adverse effects
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/17708140
  30. Recurrent relapses of depression in a patient established on sertraline after taking herbal medicinal mixtures–a herb-drug interaction?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/18515463
  31. Herbal medicine use by pregnant women in Bangladesh: a cross-sectional study
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6293557/?report=classic

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Shivani Aswal Sharma, a post-graduate in HR, is a Nutritionist, Diabetes Educator, and Yoga Trainer. She has a Diploma in Nutrition and Health Education from IGNOU and has obtained certificates in different aspects of nutrition from various institutes.

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Puja Kumari
Puja Kumariहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
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