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गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए अहम समय होता है। इस दौरान महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। यही कारण है कि महिला और गर्भ में पल रहे शिशु में होने वाले हर बदलाव पर डॉक्टर नजर रखते हैं। ऐसे में कई तरह की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इन्हीं में से एक है ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट से जुड़ी ऐसी ही कई जानकारियां आपको देने वाले हैं।
आइए, सबसे पहले ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के बारे में जानते हैं।
ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट क्या है?
ट्रिपल मार्कर टेस्ट गर्भावस्था के दौरान दूसरी तिमाही में किया जाने वाला एक स्क्रीन टेस्ट है। इसे ट्रिपल टेस्ट, केटरिंग टेस्ट या बार्ट्स टेस्ट भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है। ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि गर्भस्थ शिशु को डाउन सिंड्रोम, रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क विकार जैसी जन्म दोष से संबंधित कोई बीमारी तो नहीं है। बता दें कि कई लोगों को क्वाडरपल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट को लेकर संशय होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि क्वाडरपल में इनहिबिन ए (inhibin A) के स्तर को मापा जाता है, जबकि ट्रिपल मार्कर टेस्ट में यह नहीं होता है (1)।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान यह टेस्ट क्यों जरूरी होता है।
गर्भावस्था में ट्रिपल स्क्रीनिंग टेस्ट की आवश्यकता किसे है?
12 वें हफ्ते में सभी गर्भवती महिलाओं को डबल मार्कर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। जो गर्भवती महिला डबल मार्कर नहीं करा पाती, उन्हें ट्रिपल मार्कर की सलाह दी जाती है।
अब जानते हैं कि ट्रिपल र्माकर स्क्रीन टेस्ट का क्या काम होता है।
ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट क्या करता है?
ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट में खून के नमूने की जांच की जाती है। इसमें एएफपी (अल्फा-फेटोप्रोटीन), एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) और एस्ट्रिऑल के स्तर का पता लगाया जाता है। आइए इन तीनों के संबंध में विस्तार से जानते हैं (1) :
- एएफपी (अल्फा-फेटोप्रोटीन): यह भ्रूण द्वारा निर्मित एक प्रोटीन होता है। इस प्रोटीन के ज्यादा होने से भ्रूण को न्यूरल ट्यूब दोष, पेट संबंधी समस्या या फिर गर्भ में ही उसकी मृत्यु हो सकती है। उच्च एएफपी का मतलब यह भी हो सकता है कि आपके गर्भ में एक से अधिक भ्रूण हैं।
- एचसीजी ( ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन): यह प्लेसेंटा द्वारा निर्मित एक हार्मोन है। एचसीजी का उच्च स्तर डाउन सिंड्रोम व एडवर्ड्स सिंड्रोम (गुणसूत्र यानी क्रोमोसोम संबंधी विकार) की समस्या का कारण बन सकता है।
- एस्ट्रिऑल: यह एक एस्ट्रोजन है, जो भ्रूण और प्लेसेंटा दोनों से संबंधित है। निम्न एस्ट्रिऑल स्तर के कारण शिशु को डाउन सिंड्रोम होने का खतरा हो सकता है। खासकर, जब टेस्ट में एएफपी और एचजीसी का स्तर भी असामान्य हो।
लेख के आगे के भाग में हम जानेंगे कि ट्रिपल र्माकर स्क्रीन टेस्ट के लिए तैयारी कैसे करें।
परीक्षण की तैयारी कैसे करें?
यह ब्लड टेस्ट के द्वारा किया जाने वाला एक सामान्य स्क्रीनिंग टेस्ट है। इसलिए, इसके पहले किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है (1)। सामान्यत: डबल मार्कर के बाद इसकी जरूरत नहीं होती है।
जानते हैं कि कैसे होता है ट्रिपल र्माकर स्क्रीन टेस्ट।
ट्रिपल मार्कर परीक्षण कैसे किया जाता है? | Triple Marker Test Kaise Hota Hai
ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट किसी भी अन्य रक्त परीक्षण के जैसे ही किया जाता है। यह परीक्षण अस्पताल, क्लिनिक, डॉक्टर के ऑफिस या लैब में किया जाता है। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ बांह से ब्लड सैंपल लेकर परीक्षण के लिए भेजते हैं (2)। लैब में टेस्ट के दौरान अल्फा-फेटोप्रोटीन, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन और एस्ट्रिऑल के स्तर को मापा जाता है (1)।
आर्टिकल के इस हिस्से में हम बता रहे हैं कि ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के क्या परिणाम हो सकते हैं।
ट्रिपल मार्कर परीक्षण के परिणाम क्या हैं? | Triple Marker Test Report Analysis In Hindi
अगर टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो इसका मतलब यह है कि आपके शिशु को जन्म दोष होने की आशंका अधिक है। वहीं, नेगेटिव रिपोर्ट का मतलब यह है कि गर्भ में पल रहा शिशु सुरक्षित है।
ट्रिपल मार्कर टेस्ट के लिए सामान्य परिणाम (3) :
ट्रिपल मार्कर परीक्षण के परिणाम टेस्ट से प्राप्त एएफपी, एचसीजी और एस्ट्रिऑल के स्तर पर निर्भर करते हैं। इनमें 18 से 47 वर्ष की महिलाओं से प्राप्त सामान्य परिणाम इस प्रकार हाे सकते हैं, एएफपी के लिए 1.38 से 187.00 आईयू/एमएल, एचसीजी के लिए 1.06 से 315 एनजी/एमएल और एस्ट्रिऑल के लिए 0.25 से 28.5 एनएमएल/एल। यहां हम स्पष्ट कर दें कि यह स्तर गर्भावस्था के प्रत्येक दिन के साथ बदल सकता है।
लेख के आगे के भाग में जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के परिणाम कितने सही साबित हो सकते हैं।
गर्भावस्था में ट्रिपल टेस्ट कितना सही है?
ट्रिपल मार्कर स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणामों की सटीकता को हम कुछ इस तरह से समझ सकते हैं (4) :
- इस टेस्ट के जरिए 100 में से 80 भ्रूणों में सटीक रूप से पता किया जा सकता है कि उसे स्पाइना बिफिडा है या नहीं। 20 भ्रूणों में पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- इसी तरह 100 में से 90 भ्रूणों में पता लगाया जा सकता है कि अनसेफ है या नहीं। अनसेफ की स्थिति में गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग और रीढ़ की हड्डी का पूरी तरह विकास नहीं होता है।
- इसके अलावा, 100 में से 69 भ्रूणों में डाउन सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है। वहीं, 31 भ्रूणों में यह पता करना मुश्किल हो जाता है।
आगे जानते हैं कि इस टेस्ट को करवाने से क्या फायदे हो सकते हैं।
ट्रिपल मार्कर परीक्षण के क्या लाभ हैं? | Triple Marker Test Ke Labh
ट्रिपल मार्कर टेस्ट से शिशु के डाउन सिंड्रोम (आनुवंशिक विकार) या स्पाइना बिफिडा का पता चल सकता है। इसके अलावा, यह परीक्षण गर्भावस्था में कई भ्रूणों की उपस्थिति के संकेत भी दे सकता है। अगर सभी परीक्षण के परिणाम सामान्य हैं, तो आनुवंशिक विकार वाले बच्चे होने की संभावना कम हो सकती है और बच्चे का जन्म बिना किसी बीमारी के हो सकता है। ट्रिपल मार्कर परीक्षण के द्वारा हमें संबंधित बीमारियों का पता चल जाता है, जिसका हम समय रहते उपचार कर सकते हैं (2)।
यहां हम जानेंगे कि क्या ट्रिपल मार्कर परीक्षण से कुछ जोखिम हो सकते हैं।
क्या ट्रिपल टेस्ट से जुड़े कोई जोखिम हैं?
ट्रिपल मार्कर टेस्ट की प्रक्रिया में शिशु व मां दोनों के लिए कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। चूंकि, ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट खून के परीक्षण से किया जाता है, इसलिए खून को निकालते समय आपको सिर्फ सुई चुभने का एहसास हो सकता है। हां, अगर सुई संक्रमित है, तो इससे मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, सामान्य रूप से ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट से जुड़ा कोई भी जोखिम नहीं है (5)।
आगे जानते हैं कि ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट करवाने में कितना खर्चा आता है।
परीक्षण की लागत क्या है? | Triple Marker Test Cost In Hindi
इसकी अनुमानित लागत लगभग 1250 से 4200 रुपये तक हो सकती है। यह लागत शहर, डॉक्टर व अस्पताल के आधार पर कम या ज्यादा भी हो सकती है।
आपने इस लेख के माध्यम से जान ही लिया होगा कि ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए कितना आवश्यक है। साथ ही यह भी जाना कि इस टेस्ट से गर्भस्थ शिशु को होने वाले जन्म दोषों काे जानकर उसका समय पर उपचार किया जा सकता है। अगर आप एक गर्भवती महिला हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
References
1. Quadruple screen test By Medlineplus
2. The triple test as a screening technique for Down syndrome: reliability and relevance By Ncbi
3. Maternal serum median levels of alpha-foetoprotein, human chorionic gonadotropin & unconjugated estriol in second trimester in pregnant women from north-west India By Ncbi
4. Accurate Triple Test In Pregnancy By Google Books
5. Down Syndrome Tests By Medlineplus
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