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सेहतमंद रहने के लिए हमेशा से ही हरी सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। यह शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचाकर स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करती हैं। ऐसी ही एक हरी सब्जी है तुरई। कई लोग इसे खाना पसंद नहीं करते, पर बहुत से लोगों को इसका स्वाद बहुत भाता है। पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से यह शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। यह एक ऐसी बेल है, जिसका फल, पत्ते, जड़ और बीज सभी लाभकारी हैं (1)। इसी वजह से हम इस लेख में तुरई के बारे में बता रहे हैं। यहां हम तुरई के फायदे के साथ ही अन्य जरूरी जानकारी देंगे। साथ ही अंत में तुरई के उपयोग और संभावित नुकसान के बारे में भी बताएंगे। एक बात का ध्यान रखें कि तुरई लेख में दी गईं बीमारियां का इलाज नहीं है, यह केवल इनके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
चलिए, सबसे पहले तुरई के फायदे के बारे में जान लेते हैं।
तुरई के फायदे – Benefits of Ridge Gourd (Turai) in Hindi
1. एंटी-इंफ्लामेटरी
एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव तुरई के सूखे पत्तों के इथेनॉल अर्क में पाया जाता है। इस प्रभाव को एडिमा (शरीर के ऊतकों में तरल जमने की वजह से सूजन) और ग्रेन्युलोमा (इंफ्लामेशन) प्रभावित व्यक्तियों पर जांचा गया। शोध में पाया गया कि इथेनॉल अर्क एडिमा को कम करने में मदद कर सकता है। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि तुरई एंटी-इंफ्लामेटरी की तरह भी कार्य कर सकती है (1)। माना जाता है कि तुरई के अर्क में पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स जैसे फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और टरपेनोइड्स की वजह से होता है (2)।
2. सिरदर्द के लिए तुरई के फायदे
माना जाता है कि तुरई सिर दर्द को भी ठीक करने में मदद कर सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध के मुताबिक तुरई के पत्ते और इसके बीज के एथनॉलिक अर्क दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार इसमें एनाल्जेसिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यह दोनों गुण दर्द को कम करने और राहत दिलाने के लिए जाने जाते हैं। रिसर्च में कहा गया है कि लूफा एकटंगुला (तुरई) के दर्द कम करने के उपयोग का समर्थन तो किया जा सकता है, लेकिन मनुष्यों पर अधिक अध्ययन की आवश्यकता है (1)।
3. एंटी-अल्सर
तुरई को पेट के अल्सर यानी ग्रेस्ट्रिक अल्सर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें मौजूद गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव कुछ हद तक अल्सर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव सूखे तुरई के गूदे के अर्क के मेथोनॉलिक और पानी के अर्क में पाया जाता है। यह प्रभाव गैस्ट्रिक म्यूकोसा (पेट की एक झिल्ली) के म्यूकोसल ग्लाइकोप्रोटीन के स्तर को ठीक करने में मदद करके अल्सर के लक्षण को कुछ हद तक कम कर सकता है। शोध में पानी के अर्क के मुकाबले तुरई के मेथनॉलिक अर्क को गैस्ट्रिक अल्सर के ठीक होने के प्रक्रिया में ज्यादा मददगार पाया गया है (1)।
4. डायबिटीज के लिए तुरई के फायदे
तुरई को पुराने समय से ही डायबिटीज को नियंत्रित करने वाली सब्जी के रूप में जाना जाता है। प्राचीन समय से चली आ रही इस मान्यता को लेकर चूहों पर शोध भी किया गया। इसी संबंध में एनसीबीआई की वेबसाइट पर भी भी एक अध्ययन उपलब्ध है। शोध में कहा गया है कि तुरई के एथनॉलिक अर्क में ग्लूकोज के स्तर को कम करने वाला हाइपोग्लाइमिक प्रभाव पाया जाता है। इसी प्रभाव की वजह से तुरई को डायबिटीज नियंत्रित करने के लिए लाभकारी माना जाता है। अलग-अलग अध्ययन में तुरई के एथनॉलिक, मेथेनॉलिक अर्क और हाइड्रो-अल्कोहलिक को लेकर हुए अध्ययन में यह डायबिटीज को कम करने में प्रभावकारी पाया गया। तुरई को लेकर किए गये शोध ने एंटीडायबिटिक गतिविधि के पारंपरिक उपयोग का समर्थन तो किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि इसका प्रभाव मनुष्यों में कितना हो सकता है, इसे जांचने के लिए मनुष्यों पर बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जाना चाहिए (1)।
5. पेचिश में तुरई के फायदे
पेचिश को रोकने में भी तुरई को लाभदायक माना गया है। सालों से तुरई के बीज में मौजूद नरम खाद्य हिस्से को पेचिश से राहत पाने के तरीके के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता रहा है (1)। साथ ही इसके पत्तों को भी पेचिश के लिए लाभकारी माना जाता है (3)। दरअसल, दस्त का गंभीर रूप पेचिश होने की वजह पैरासाइट और बैक्टीरियल इन्फेक्शन होती है। अधिकतर यह समस्या शिगेला (Shigella) नामक ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया (बैक्टीरिया का एक प्रकार) की वजह से होती है (4)। वहीं, तुरई में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण ग्राम नेगेटिव बैक्टिरिया को कुछ हद तक पनपने से रोकने में मदद कर सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि तुरई, पेचिश को कम करने में कुछ हद तक मदद कर सकती है (1)।
6. पीलिया में तुरई के फायदे
पीलिया से बचाव के लिए भी तुरई को इस्तेमाल में लाया जाता है। यह स्वास्थ्य समस्या, शरीर में सिरम बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक कंपाउंड के बढ़ने की वजह से होती है। साथ ही इसके इलाज के लिए दुनियाभर में तुरई की पत्तियां, तना और बीज को कुचलकर पीलिया के रोगियों को सुंघाया जाता है (5)। इसके साथ ही तुरई और उसके पत्ते के पाउडर का भी उपयोग किया जाता है। दरअसल, इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो लिवर को क्षति से बचाता है। यही गुण शरीर में बढ़े हुए सिरम बिलीरुबिन (Serum bilirubin) को कम करने का काम करता है, जिसके कारण पीलिया होता है। तुरई सब्जी के अल्कोहोलिक अर्क से यह कम होता है (1)। इसी वजह से माना जाता है कि पीलिया से राहत पाने में तुरई मदद कर सकता है (6)।
7. एंटी-कैंसर
वैसे तो कैंसर का ट्रीटमेंट डॉक्टर ही कर सकता है, परंतु इससे बचाव के कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है। माना जाता है कि तुरई भी उन्हीं तरीकों में से एक है, जो कैंसर से बचाव में मदद कर सकती है। एनसीबीआई में मौजूद चूहों पर किए गए एक शोध में तुरई के मेथानॉलिक और पानी से बने अर्क से ट्यूमर के बनने की गति में कमी दर्ज की गई। वहीं, मनुष्यों पर किए गये शोध के मुताबिक लंग्स कैंसर प्रभावितों पर शोध करने पर भी तुरई में एंटी-कैंसर गुण पाए गये। हालांकि, शोध में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि तुरई में एंटी-कैंसर गतिविधि है, यह जानने के लिए पर्याप्त अध्ययन नहीं किए गये हैं, जिस वजह से किसी निष्कर्ष में पहुंचना जल्दबाजी होगी। ऐसे में एंटीकैंसर प्रभाव को लेकर अधिक अध्ययन किए जाने जरूरी है (1)। पाठक ध्यान दें कि तुरई कैंसर का उपचार नहीं है। कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टरी ट्रीटमेंट जरूर करवाएं।
8. कुष्ठ रोग
कुष्ठरोग के इलाज के लिए भी तुरई का इस्तेमाल पुराने समय में किया जाता रहा है। माना जाता है कि इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह में लगाने से कुष्ठ रोग को कम करने में मदद मिल सकती है (1)। यह एक तरह का संक्रामक रोग है, जो जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री की वजह से होता है (7)। इस रोग में तुरई का कौन सा गुण मदद करता है यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही यह भी ध्यान दें कि इस तरह के रोग के लिए घरेलू उपचार करना चाहें तो जरूर करें, लेकिन डॉक्टर से ट्रीटमेंट भी जरूर करवाएं।
9. दाद में तुरई के फायदे
रिंगवॉर्म (दाद) में भी तुरई को लाभदायक माना जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर, दाद प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलने की बात कही जाती है। दरअसल, रिंगवॉर्म फंगस की वजह से होता है और तुरई में और इसके पत्तों के पानी से बने अर्क में एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि दाद से राहत दिलाने में तुरई मदद कर सकता है (1) (8)। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह कितना प्रभावशाली होता है।
10. अस्थमा के लिए तुरई के फायदे
अगर किसी व्यक्ति को अस्थमा या सांस संबंधी समस्या है, तो वह तुरई का सेवन कर सकते हैं। अस्थमा प्रभावित लोग जूस के तौर पर तुरई का सेवन जूस के तौर पर आधा कप कर सकते हैं।यह जूस दिन में दो बार लिया जा सकता है (6)। वहीं, हमारी सलाह यही है कि तुरई के जूस के साथ डॉक्टरी सलाह पर दमा की दवा भी लेते रहें।
तुरई के फायदे के बाद हम इसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दे रहे हैं। आगे हम तुरई के उपयोग पर भी चर्चा करेंगे।
तुरई के पोषक तत्व – Ridge Gourd Nutritional Value in Hindi
इसमें कोई शक नहीं कि तुरई पौष्टिक सब्जियों में से एक हैं। तुरई के स्वास्थ्य लाभ के बारे में हम ऊपर बता ही चुके हैं। अब हम इसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं (9)।
पोषक तत्व | मात्रा प्रति 100 ग्राम |
---|---|
जल | 93.85 g |
ऊर्जा | 20 kcal |
प्रोटीन | 1.2 g |
कुल फैट | 0.2 g |
कार्बोहाइड्रेट | 4.35 g |
फाइबर | 1.1 g |
शुगर | 2.02 g |
मिनरल | |
कैल्शियम | 20 mg |
आयरन | 0.36 mg |
मैग्नीशियम | 14 mg |
फास्फोरस | 32 mg |
पोटेशियम | 139 mg |
सोडियम | 3 mg |
जिंक | 0.07 mg |
कॉपर | 0.035 mg |
मैंगनीज | 0.092 mg |
सेलेनियम | 0.2 µg |
विटामिन | |
विटामिन सी | 12 mg |
थियामिन | 0.05 mg |
राइबोफ्लेविन | 0.06 mg |
नियासिन | 0.4 mg |
पैंटोथेनिक एसिड | 0.218 mg |
विटामिन बी -6 | 0.043 mg |
फोलेट, टोटल | 7 µg |
विटामिन ए, IU | 410 IU |
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) | 0.1 mg |
विटामिन के (फाइलोक्विनोन) | 0.7 g |
अब हम तुरई का उपयोग किस-किस तरह से किया जा सकता है, यह बता रहे हैं। इसके बाद तुरई खाने के नुकसान के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
तुरई का उपयोग – How to Use Ridge Gourd in Hindi
तुरई के फायदे जानने के बाद इसके उपयोग के तरीकों को जान लेना भी जरूरी है। तुरई के स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए तुरई का उपयोग कुछ इस तरह से किया जा सकता है:
- तुरई की सब्जी बनाकर रात या दोपहर के समय खा सकते हैं।
- इसका आचार भी बनाया जा सकता है।
- तुरई की बेल में लगने वाले फूल के पकौड़े बनाकर शाम के समय भी खाए जाते हैं।
- तुरई के सूखे पत्तों के पाउडर का सेवन किया जा सकता है।
- तुरई के बीज में मौजूद मुलायम गूदा भी खाया जाता है।
- कुछ लोग तुरई को सूप और कढ़ी में भी इस्तेमाल करते हैं।
- पूरी तरह से सूख जाने के बाद तुरई का उपयोग लूफा की तरह किया जाता है।
तुरई और तुरई के अर्क को लेकर अधिकतर शोध जानवरों पर ही हुए हैं, इसलिए इसके सेवन की सटीक मात्रा स्पष्ट नहीं है। हां, अस्थमा प्रभावित लोग जूस के तौर पर तुरई का सेवन आधा कप दिन दो बार कर सकते हैं (6)।
तुरई का उपयोग जानने के बाद इसके नुकसान के बारे में जानना भी जरूरी है। चलिए, अब तुरई के नुकसान पर एक नजर डाल लेते हैं।
तुरई के नुकसान – Side Effects of Ridge Gourd (Turai) in Hindi
तुरई के नुकसान से ज्यादा शरीर को फायदे ही होते हैं और आमतौर पर इसे सुरक्षित ही माना जाता है। सब्जी के रूप में खाए जाने वाली तुरई को लेकर अधिकतर शोध चूहों पर हुए हैं, जिसकी वजह से इसके नुकसान स्पष्ट नहीं हैं। वहीं, कुछ संभावित तुरई के नुकसान के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1):
- ऐसे तो तुरई सुरक्षित ही है, लेकिन कुछ मामलों में इसे गर्भावस्था में इसे सुरक्षित नहीं माना जाता है। तुरई से बनी चाय में गर्भपात (Abortifacient) प्रभाव पाया जाता है। ऐसे में बेहतर है गर्भावस्था में इसके सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह लें।
- इसके सेवन से लोगों को एलर्जी भी हो सकती है।
तुरई स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी है, यह तो आप जान ही गए हैं। सीमित मात्रा में इसके नुकसान स्वास्थ्य के लिए न के बराबर हैं। ऐसे में भले ही इसका स्वाद ज्यादा पसंद न हो, लेकिन स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए इसे अपने आहार में शामिल करने के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए। तुरई की सब्जी खाना पसंद न हो तो इसके जूस का सेवन कर सकते हैं। वहीं, तुरई से किसी भी तरह की एलर्जी हो, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
References
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- Therapeutic Potential of Luffa acutangula: A Review on Its Traditional Uses, Phytochemistry, Pharmacology and Toxicological Aspects
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6232903/ - Evaluation of Analgesic, Antipyretic and Antiinflammatory Effects of Ethanolic Leaves Extract of Luffa Acutangula (L.) Roxb
http://repository-tnmgrmu.ac.in/5312/ - Review on Luffa acutangula L.: Ethnobotany, Phytochemistry, Nutritional Value and Pharmacological Properties
http://impactfactor.org/PDF/IJCPR/7/IJCPR,Vol7,Issue3,Article3.pdf - Dysentery
https://www.researchgate.net/publication/268447338_4_Dysentery - Ethnopharmacological Approaches for Therapy of Jaundice: Part I
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5559545/ - Review on Luffa acutangula L.: Ethnobotany, Phytochemistry, Nutritional Value and Pharmacological Properties
https://www.researchgate.net/publication/304379555_Review_on_Luffa_acutangula_L_Ethnobotany_Phytochemistry_Nutritional_Value_and_Pharmacological_Properties - Leprosy
https://medlineplus.gov/ency/article/001347.htm - Ringworm
https://www.cdc.gov/fungal/diseases/ringworm/index.html - Gourd, dishcloth (towelgourd), raw
https://fdc.nal.usda.gov/fdc-app.html#/food-details/168414/nutrients
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