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कुछ लोगों को चलते-चलते या अचानक खड़े होने पर सिर का चक्कर आने लगता है और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में समस्या भी होती है। ऐसे में लगता है, जैसे आस-पास की सारी चीजें घूम रही हैं। हो सकता है कि ये वर्टिगो के लक्षण हो (1)। हालांकि, कई लोगों को वर्टिगो के बारे में पता नहीं होगा। बता दें कि वर्टिगो के कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति अपना संतुलन खोकर गिर तक जाता है, जिसे ‘ड्रॉप अटैक’ कहते हैं (2)। ऐसे में स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम वर्टिगो के लक्षण से जुड़ी जानकारी देने के साथ-साथ वर्टिगो के घरेलू उपचार व इलाज से जुड़ी जरूरी जानकारियां भी दे रहे हैं। तो वर्टिगो से जुड़ी हर जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।
शुरू करते हैं लेख
लेख के सबसे पहले भाग में हम वर्टिगो कितने तरह के होते हैं, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
वर्टिगो के प्रकार – Types of Vertigo in hindi
इससे पहले कि वर्टिगो के लक्षण व इसके घरेलू उपचार से जुड़ी जानकारी हासिल करें, उससे पहले वर्टिगो के प्रकार के बारे में जानना जरूरी है। तो वर्टिगो दो प्रकार के होते है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1):
- पेरिफेरल वर्टिगो (Peripheral vertigo): यह वेस्टिबुलर लेबीरिंथ या सेमीसर्कुलर कैनल्स (कान का आंतरिक हिस्सा, जो शरीर के संतुलन को नियंत्रित करता है) से जुड़ी समस्या की वजह से होता है। इसे पेरिफेरल वर्टिगो कहा जाता है। ऐसे में, व्यक्ति को अपना संतुलन बनाने में परेशानी हो सकती है।
- सेंट्रल वर्टिगो (Central Vertigo): सेंट्रल वर्टिगो मस्तिष्क में किसी तरह की समस्या के कारण हो सकता है। आमतौर पर, ब्रेन स्टेम या मस्तिष्क के पिछले हिस्से (सेरिबैलम) में किसी प्रकार की परेशानी होने से यह हो सकता है।
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आइए अब लेख के इस भाग में जानते हैं कि वर्टिगो के कारण क्या हैं।
वर्टिगो के कारण – What Causes Vertigo in Hindi
जैसा की लेख में बताया गया है कि वर्टिगो दो प्रकार के होते हैं। ऐसे में इनके कारणों को भी दो अलग-अलग भागों में बांटा गया है। तो सबसे पहले पेरिफेरल वर्टिगो के कारण जानते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (1):
- बेनाइन पैरॉक्सिज्मल पोजिशनल वर्टिगो (Benign Paroxysmal Positional Vertigo – BPPV): इस दौरान कैल्शियम के छोटे-छोटे कण कान के आतंरिक हिस्से में इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे कान से दिमाग को भेजे जाने वाले संदेश प्रभावित हो सकते है और संतुलन बनाए रखने में समस्या हो सकती है। इसे वर्टिगो का सबसे सामान्य प्रकार माना जा सकता है (3)। यह पेरिफेरल वर्टिगो से जुड़ा होता है, क्योंकि यह वेस्टिबुलर से जुड़े विकार के कारण हो सकता है (4)।
- सिर पर चोट लागना।
- वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन।
- भीतरी कान की सूजन और जलन।
- मेनिएरे रोग (कान के भीतरी हिस्से से जुड़ा विकार)।
- वेस्टिब्युलर तंत्रिका पर दबाव।
सेंट्रल वर्टिगो के निम्न कारण हो सकते हैं (1):
- रक्त वाहिका संबंधी रोग।
- कुछ दवाएं, जैसे एंटीकंवल्जेंट, एस्पिरिन का दुष्प्रभाव।
- शराब का सेवन।
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है)।
- स्ट्रोक।
- ट्यूमर (कैंसर या गैर-कैंसर)।
- माइग्रेन।
आगे है और जानकारी
वर्टिगो के कारण के बाद आइये अब जानते हैं, वर्टिगो के लक्षण के बारे में।
वर्टिगो के लक्षण – Symptoms of Vertigo in Hindi
सिर घूमना और सिर का चक्कर आना वर्टिगो के आम लक्षण हैं। इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं, जिनसे आप वर्टिगो का पता लगा सकते हैं (1) (5)।
- ठीक से सुनाई न देना
- टिनीटस – किसी एक कान में सीटी जैसी आवाज आना
- भोजन निगलने में समस्या
- धुंधला दिखना
- मोशन सिकनेस
- सिरदर्द की समस्या
- आंखों को नियंत्रित करने में समस्या
- चेहरे का पैरालाइसिस
- बोलने में परेशानी या हकलाना
- थकावट लगना
- जी मिचलाना
- कुछ भी निगलने में परेशानी
- मतली व उल्टी की समस्या
- वेस्टिबुलर माइग्रेन, एक प्रकार का माइग्रेन सिरदर्द।
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लेख के अगले भाग में हम वर्टिगो के घरेलू इलाज के बारे में जानेंगे।
वर्टिगो के 5 घरेलू इलाज – 5 Home Remedies To Cure Vertigo in Hindi
सिर घूमना या सिर चकराने जैसे वर्टिगो के हल्के-फुल्के लक्षणों के लिए वर्टिगो के घरेलू उपचार किए जा सकते हैं। ध्यान रखें यहां बताए गए घरेलू उपाय वर्टिगो से बचाव या उसके लक्षणों को कम कर सकते हैं, इन्हें पूरी तरह से डॉक्टरी इलाज ना समझें। तो अब पढ़ें वर्टिगो के घरेलू उपचार, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. वर्टिगो के लिए एसेंशियल ऑयल
वर्टिगो के लिए कुछ एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल घरेलू तौर पर किए जा सकते हैं, जिनके बारे में हमें नीचे बता रहे हैं:
क) वर्टिगो के लिए पेपरमिंट ऑयल
सामग्री:
- दो-तीन बूंद पेपरमिंट ऑयल
- एक चम्मच बादाम का तेल
उपयोग का तरीका:
- दोनों तेलों को मिला लें।
- अब इसे अपने माथे पर और गर्दन के पीछे लगाएं।
कैसे फायदेमंद है:
जैसे कि हमने लेख की शुरुआत में ही जानकारी दी है कि सिरदर्द वर्टिगो के लक्षणों में से एक है। वहीं, पेपरमिंट ऑयल से जुड़ी जानकारी में इस बात का जिक्र मिलता है कि पेपरमिंट तेल वर्टिगो के लक्षण, जैसे सिरदर्द से आराम दिला सकता है । ऐसे में माना जा सकता है कि वर्टिगो के लक्षण को कम करने के लिए पेपरमिंट ऑयल का उपयोग लाभकारी हो सकता है।
ख) अदरक का तेल
सामग्री:
- अदरक का तेल
उपयोग का तरीका:
- अदरक के तेल की एक-दो बूंद अपनी गर्दन, कानों के पीछे और तलवों पर लगाएं।
कैसे फायदेमंद है:
वर्टिगो की समस्या में पेपरमिंट तेल के अलावा, अदरक के तेल का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, अदरक के तेल के उपयोग से सिर चकराने की समस्या से तो राहत मिल ही सकती है। इसके साथ ही यह तनाव या वर्टिगो के लक्षण जैसे, उल्टी और सिरदर्द से भी आराम दिला सकता है।
ग) ग्रेपफ्रूट ऑयल
सामग्री:
- दो से तीन बूंद ग्रेपफ्रूट ऑयल
- डीफ्युजर
उपयोग का तरीका:
- ग्रेपफ्रूट ऑयल को डीफ्युजर में डालकर कमरे के किसी कोने में रख दें।
कैसे फायदेमंद है:
इसमें कोई शक नहीं है कि ग्रेपफ्रूट के फायदे कई सारे हैं। ग्रेपफ्रूट की तरह ही ग्रेपफ्रूट ऑयल भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। ग्रेपफ्रूट ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने की पुष्टि हुई है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन की समस्या में राहत प्रदान करने में लाभकारी माना जा सकता है (7)। वहीं, हमने पहले ही जानकारी दी है कि वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन भी वर्टिगो के कारणों में से एक है। ऐसे में सूजन से बचाव के लिए ग्रेपफ्रूट ऑयल का उपयोग लाभकारी हो सकता है। हालांकि, इस पर अभी ठोस वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है, लेकिन वर्टिगो के हल्के-फुल्के लक्षणों के लिए ग्रेपफ्रूट ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
घ) तुलसी और साइप्रस का तेल
सामग्री:
- तुलसी के तेल की दो से तीन बूंद
- एक से दो बूंद साइप्रस का तेल
- डिफ्यूजर
उपयोग का तरीका:
- दोनों एसेंशियल ऑयल को मिला लें।
- ऑयल को डीफ्युजर में डालकर कमरे में रख दें।
कैसे फायदेमंद है:
तुलसी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। बुखार, सर्दी-जुकाम, मतली की समस्या, उल्टी, पेट संबंधी समस्याओं के लिए तुलसी एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है (8)। वैसे ही तुलसी एसेंशियल ऑयल भी लाभकारी हो सकता है। सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन वर्टिगो के लक्षण, माइग्रेन के लिए तुलसी का तेल लाभकारी हो सकता है। शोध में पाया गया है कि तुलसी का तेल माइग्रेन की तीव्रता को कम करने में उपयोगी हो सकता है (9)। ऐसे में डीफ्युजर में डालने के अलावा, वर्टिगो के दौरान तुलसी तेल को लगा भी सकते हैं। वहीं, सिरदर्द जैसी समस्या, जो वर्टिगो के लक्षणों में से एक है, उसमें साइप्रस का तेल कुछ हद कर राहत प्रदान कर सकता है (10)।
च) लोबान तेल वर्टिगो के लिए
सामग्री:
- चार से पांच बूंद लोबान तेल
उपयोग का तरीका:
- लोबान तेल की कुछ बूंद से कंधों की मसाज करें।
कैसे फायदेमंद है:
लोबान एंटी इंफ्लेमेटरी और दर्दनिवारक (Analgesic) गुणों से समृद्ध होता है। इसमें मौजूद गुण सूजन को कम करने में कारगर हो सकते हैं (11)। यह वर्टिगो के एक कारण जो कि कानों में होने वाली सूजन है, उसे कम करनें में सकारात्मक असर दिख सकता है (1)। हालांकि, यह वर्टिगो के लिए कितना प्रभावकारी होगा, इस पर अभी वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है।
छ) वर्टिगो के लिए क्लारी सेज ऑयल
सामग्री:
- क्लारी सेज ऑयल की कुछ बूंदें
- डीफ्युजर
उपयोग का तरीका:
- क्लारी सेज की कुछ बूंद डीफ्युजर में डालकर कमरे में रख दें।
कैसे फायदेमंद है:
क्लारी सेज ऑयल में एंटी इंफ्लामेटरी प्रभाव पाया होता है। एक शोध के मुताबिक एंटीइंफ्लेमेटरी गतिविधि के कारण ये शरीर में होने वाली सूजन की समस्या को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकता है (12)। वहीं, वर्टिगो का एक कारण कानों में सूजन होना भी है (1)। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि क्लारी सेज ऑयल का उपयोग वर्टिगो से बचाव के लिए मददगार हो सकता है।
2. वर्टिगो के लिए अदरक
सामग्री:
- अदरक का टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
- एक कप दूध
- आधा चम्मच चाय पत्ती
- शक्कर (स्वादानुसार)
उपयोग का तरीका:
- एक पैन में दूध को उबालें।
- उबाल आ जाने के बाद उसमें चाय पत्ती और कद्दुकस किया हुआ अदरक डाल दें।
- अब शक्कर डालकर चाय को अच्छी तरह उबालें।
- अच्छी तरह उबल जाने पर, चाय को छन्नी से कप में छानकर पिएं।
- अदरक के टुकड़े को छिलकर, उसे साबुत भी चबा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
स्वास्थ्य के लिए अदरक के फायदे कई सारे हैं। इन्हीं में वर्टिगो के लक्षणों से राहत भी शामिल है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि अदरक वर्टिगो के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। हालांकि, अदरक का कौन सा गुण वर्टिगो के लिए प्रभावकारी है, इस विषय में शोध की आवश्यकता है (13)। इसके अलावा, अदरक में एंटी नौसिआ गुण है, जो वर्टिगो के लक्षण उल्टी व मतली की समस्या से राहत दिला सकता है (14)।
3. वर्टिगो के लिए गिंको बाइलोबा (Ginkgo Biloba)
सामग्री:
- गिंको बाइलोबा टैबलेट
उपयोग का तरीका:
- डॉक्टर के निर्देशानुसार टैबलेट का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है:
गिंको बाइलोबा (जिन्कगो) एक औषधीय पौधा है, जिसे वर्टिगो का उपचार करने में बहुत लाभदायक माना गया है। इसकी टैबलेट बाजार में उपलब्ध है, जिसे डॉक्टर के निर्देशानुसार, वर्टिगो के इलाज के लिए सेवन किया जा सकता है (15)। तो वर्टिगो की समस्या के लिए गिंको बाइलोबा के उपयोग से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
4. खुद को हाइड्रेटेड रखें
कई बार लो ब्लड प्रेशर या निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन की समस्या भी वर्टिगो का कारण बन सकती है (16)। ऐसे में इससे बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, जूस का सेवन करें (17)। व्यायाम करने के बाद स्पोर्ट्स ड्रिंक्स का भी सेवन कर सकते हैं (18)। वहीं, अगर स्वास्थ्य संबंधी किसी तरह की परेशानी हो तो स्पोर्ट्स ड्रिंक्स के सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह लें।
5. विटामिन डी
कई बार पोषक तत्वों की कमी भी वर्टिगो का कारण बन सकती है (19)। इससे जुड़े शोध के अनुसार विटामिन डी की कमी भी वर्टिगो के लक्षणों को बढ़ा सकती है (20)। ऐसे में वर्टिगो से बचाव या इसके लक्षणों को कम करने के लिए डाइट में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – मशरूम, मछली, अंडा, चीज़, डेयरी प्रोडक्ट का सेवन कर सकते हैं (21)।
पढ़ते रहें लेख
लेख के अगले भाग में हम जानेंगे कि वर्टिगो के दौरान खान-पान कैसा होना चाहिए।
वर्टिगो के लिए आहार – Diet For Vertigo in Hindi
वर्टिगो के मरीजों को फैट और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही, आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने की सलाह दी जाती है (18)। ऐसे में वर्टिगो से बचाव या कुछ हद तक राहत के लिए आहार में नीचे दिए गए खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं:
- सेब, केला, नाशपाती, आड़ू आदि फल फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही होल ग्रेन ब्रेड, ब्राउन राइस और ओटमील भी खा सकते हैं (20)
- वर्टिगो के लिए आहार में गाजर, पालक, उबले हुए आलू, मशरूम और कद्दू भी खा सकते हैं (21)।
- विटामिन बी-12 की कमी से टिनीटस होने की आशंका बढ़ जाती है (22)। ऐसे में विटामिन बी-12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – दूध, केला, राजमा को डाइट में शामिल करें (23)।
- आहार में नमक की मात्रा कम करें (25)। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जिनमे नमक (सोडियम) की मात्रा ज्यादा हो, जैसे हेम, बेकन, सलामी, बोलोंगा, आदि। वहीं, भारतीय आहार में पापड़, अचार, ढोकला और बेक किए हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
- मेनियर्स रोग में भी वर्टिगो की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह कान से जुड़ी समस्या है, जिसमें चक्कर आने जैसी परेशानी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचाव या लक्षणों को कम करने के लिए आहार में नमक की मात्रा कम करें (25)।
- कैफीन और शराब का सेवन भी न करें (26)।
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लेख के इस भाग में एक्सरसाइज फॉर वर्टिगो दिए गए हैं।
वर्टिगो के लिए एक्सरसाइज – Exercises For Vertigo in Hindi
वर्टिगो से बचाव के लिए या समस्या से राहत पाने के लिए डॉक्टर कुछ खास प्रकार के एक्सरसाइज करने की सलाह भी दे सकते हैं। तो ये एक्सरसाइज फॉर वर्टिगो कुछ इस प्रकार हैं (27) (28):
- स्टैंडिंग अपराइट (Standing Upright) – इसे रोमबर्ग एक्सरसाइज भी कहते हैं। इसे करने के लिए आप दीवार पर पीठ लगाकर सीधे खड़े हो जाएं और अपने आगे सहारे के लिए कुर्सी रखें। आपके हाथ नीचे की ओर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। इस अवस्था में आप करीब 30 सेकंड तक खड़े रहें और इसे करीब 5 बार करें। जब आप इसमें अभ्यस्त हो जाएं, तो इसी एक्सरसाइज को आंखें बंद करके करें।
- सामने और पीछे की ओर झूलना (Swaying back and forth) – स्टैंडिंग अपराइट की तरह इसमें भी दीवार के सहारे सीधे खड़े रहें। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई के बराबर खोल लें और हाथों को सीधा नीचे की ओर रखें। अब अपने शरीर को आगे-पीछे करते हुए बारी-बारी से पूरे शरीर के भार को पहले एड़ियों से पंजों पर और फिर पंजों से एड़ियों पर लेकर आएं। इस दौरान आपके कूल्हे सीधे रहने चाहिए। इसे व्यक्ति अपनी सहूलियत के अनुसार कई बार दोहरा सकते हैं।
- बाएं से दाएं झुकना (Toe Touching exercise) – अब फिर से इसी स्थिति में अपने पैरों को फर्श से हटाए बिना पहले बाएं हाथ से दाएं पैर की उंगली को झुककर छुएं, फिर दाएं से बाईं ओर झुकें और बाईं पैर की उंगली को छुएं। ध्यान रहे इस दौरान दूसरा हाथ सीधे ऊपर की ओर रहना चाहिए। इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से दोहराएं।
इन एक्सरसाइज को दिन में दो बार किया जा सकता है। वहीं, जब हल्का वर्टिगो का अटैक आए, तो नीचे दिया गया एक्सरसाइज उपयोगी हो सकता है।
द ब्रांट-डारॉफ एक्सरसाइज (Brandt-Daroff exercises) – इस अभ्यास को सिर घूमने के लक्षणों से जल्दी राहत दिलाने के लिए किया जा सकता है (29)। इसे कुछ इस प्रकार किया जा सकता है:
- सबसे पहले पलंग या सोफे के किनारे पैर लटकाकर बैठ जाएं।
- अब बाईं तरफ झुकना शुरू करें और दो-तीन सेकंड के लिए लेट जाएं।
- यह करते हुए आपका सिर 45 डिग्री एंगल पर ऊपर की ओर उठा होना चाहिए।
- इसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं और 30 सेकंड के लिए बैठें।
- फिर दाईं तरफ झुकना शुरू करें और दो-तीन सेकंड के लिए लेट जाएं।
- एक बार फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं और 30 सेकंड के लिए बैठें।
- यह प्रक्रिया एक बार में पांच बार दोहराएं।
नोट- अगर वर्टिगो की समस्या गंभीर हो तो एक्सरसाइज की बजाय डॉक्टर से सलाह लें और उसी अनुसार एक्सरसाइज करें। इसके अलावा, एक्सरसाइज की शुरुआत एक्स्पर्ट की देखरेख में ही करें। गर्भवती या अगर कोई किसी तरह के स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है तो वे एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टरी सलाह लें।
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लेख में आगे वर्टिगो के निदान की जानकारी दी गई है।
वर्टिगो का निदान – Vertigo Diagnosis in hindi
डॉक्टर वर्टिगो की पहचान नीचे बताए गए तरीकों से कर सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं: (1)
- रक्त की जांच – बल्ड टेस्ट के द्वारा वर्टिगो का निदान किया जा सकता है।
- बीएईपी- डॉक्टर बीएईपी (Brainstem Auditory Evoked Potentials) टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं (30)। इस टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर रोगी के स्कैल्प और कानों के निचले हिस्से पर छोटे इलेक्ट्रोड (तार से जुड़े पैच) लगाते हैं। ये तार एक ऐसी मशीन से जुड़े होते हैं, जो मस्तिष्क की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं। साथ ही इस दौरान ईयरफोन या हेडफोन भी दिए जाते हैं। फिर इसमें कुछ आवाजें सुनाई जाती हैं। इसमें सुनी जाने वाली आवाज को दिमाग कैसे प्रोसेस करता है इसकी जांच की जाती है।
- कैलॉरीक स्टिम्युलेशन – कैलॉरीक स्टिम्युलेशन (Caloric stimulation) द्वारा भी वर्टिगो का निदान किया जा सकता है। इस टेस्ट में गुनगुने व ठंडे पानी को कान में डालकर जांच की जाती है। इससे एकॉस्टिक नर्व से जुड़ी समस्या का पता लगाया जा सकता है। यह तंत्रिका सुनने और संतुलन बनाने के लिए होती है। इस परीक्षण को ब्रेन स्टेम के क्षति का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है (31)।
- ईईजी – वहीं, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर ईईजी (Electroencephalogram) टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट में मरीज को आराम से लेटने को कहा जाता है और इस दौरान उनके सिर पर एलेक्ट्रोड तार लगाए जाते हैं, जो एक मशीन से जुड़े होते हैं। इसी मशीन में रीडिंग ली जाती है (32)।
- इलेक्ट्रोनिस्टाग्मोग्राफी – इलेक्ट्रोनिस्टाग्मोग्राफी (Electronystagmography) करके भी डॉक्टर इसकी जांच कर सकते हैं। यह आई मूवमेंट से जुड़ी जांच होती है।
- सीटी स्कैन – वर्टिगो के निदान के लिए सिर का सीटी स्कैन कराने की सलाह भी दी जा सकती है।
- लंबर पंचर – डॉक्टर लंबर पंचर प्रक्रिया भी अपना सकते हैं। इसमें मिस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र से जुड़े अन्य भागों को प्रभावित करने का कारण जानने के लिए रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में एक सुई डाली जाती है। इसके बाद सूई के माध्यम से रीढ़ के अंदर से द्रव का नमूना लिया जाता है (33)।
- एमआरआई – कुछ मामलों में वर्टिगो का निदान करने के लिए सिर का एमआरआई स्कैन भी किया जा सकता है।
- वॉक टेस्ट – डॉक्टर व्यक्ति के चलने के तरीकों की भी जांच कर सकते हैं।
- हेड थ्रेस्ट – हेड थ्रेस्ट के जरिए भी वर्टिगो का पता लगाया जा सकता है। इस जांच के माध्यम से डॉक्टर पेरिफेरल वर्टिगो और सेंट्रल वर्टिगो की जांच कर सकते हैं। इस टेस्ट को करने के लिए रोगी की आंखों को किसी केंद्रित बिन्दु (जैसे- डॉक्टर की नाक) को देखने के लिए कहा जा सकता है। इसके बाद रोगी के सिर को दोनों हाथों से पकड़कर दाएं-बाएं हल्के-हल्के से घुमाया जाता है। इस दौरान रोगी की आंखों की गतिविधि की जांच की जाती है।
लेख को अंत तक पढ़ें
लेख के अंतिम भाग में वर्टिगो का इलाज जानने का प्रयास करेंगे।
वर्टिगो का इलाज – Vertigo Treatment in hindi
वर्टिगो की समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ तरीके अपना सकते हैं। इन्हीं तरीकों के बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (1):
- बेनिगिन पोजिशनल वर्टिगो के इलाज के लिए मरीज के सिर को खास पोजिशन में मूव किया जाता है।
- वर्टिगो के मुख्य लक्षण जैसे मतली और उल्टी के लिए डॉक्टर दवाईंयां दे सकते हैं।
- डॉक्टर वर्टिगो की समस्या से आराम के लिए कुछ शारीरिक व्यायाम करने की भी सलाह दे सकते हैं। यह व्यायाम संतुलन को सही करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक हो सकते हैं।
- वर्टिगो की समस्या अगर किसी बीमारी के कारण हो रही है, तो डॉक्टर उस बीमारी की जांच कर सकते हैं और उसी अनुसार आगे का इलाज कर सकते हैं।
- डॉक्टर वर्टिगो की समस्या से राहत दिलाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह भी दे सकते हैं।
- कुछ दुर्लभ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
इस लेख में बताए गए वर्टिगो के घरेलू उपचार से इस समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। अगर वर्टिगो की परेशानी लगातार बनी रहती है, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। इसके अलावा, अच्छा खान-पान और अनुशासित दिनचर्या अपनाने की कोशिश करें। हम उम्मीद करते हैं लेख में वर्टिगो की विस्तार से दी गई जानकारी पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक रही होगी। स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए स्टाइलक्रेज के अन्य लेख पढ़ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या वर्टिगो को रोका जा सकता है?
जी हां, वर्टिगो को रोका जा सकता है। इसके लक्षण नजर आने पर इन नीचे दिए गए बातों का ध्यान रखने से इसमें राहत पाई जा सकती है (1):
- लक्षण महसूस होने पर बैठ जाएं या लेट जाएं।
- तेज रोशनी से बचें।
- वर्टिगो के लक्षण दिखने के दौरान कुछ भी पढ़ने की कोशिश ना करें।
- अचानक उठने या बैठने से बचें।
- इसके लक्षण दिखने पर चलने में किसी की मदद की जरूरत हो सकती है।
- इसके अलावा, लक्षण नजर आने के एक हफ्ते बाद ड्राइविंग और चढ़ाई से बचें।
- वर्टिगो के अन्य उपचार चक्कर आने के कारणों पर निर्भर करते हैं। ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह पर किए गए इलाज में राहत मिल सकती है।
वर्टिगो कितने समय तक रहता है?
यह अटैक कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है। ज्यादातर मामलों में यह पूरे दिन या कुछ घंटों के बाद कम हो जाता है (26)।
वर्टिगो का देसी इलाज क्या है?
वर्टिगो की समस्या में अदरक का सेवन भी लाभकारी हो सकता है और इसे देसी इलाज माना जा सकता है (13)। इसका सेवन चाय या दूध के साथ किया सकता है। इसके अलावा शहद का सेवन भी वर्टिगो में उपयोगी माना जा सकता है (34)। वहीं डॉक्टरों द्वारा निर्देशित कुछ एक्सरसाइज भी कर सकते हैं, जो वर्टिगो के इलाज करने में मददगार साबित हो सकते हैं (27)।
क्या एक्यूपंक्चर वर्टिगो के लिए लाभदायक है?
एक्यूपंक्चर एक पारंपरिक चाइनीज उपचार है। वर्टिगो के इलाज के लिए पश्चिमी चिकित्सकों द्वारा इसकी सलाह दी जाती है। यह वर्टिगो के लक्षण जैसे सिर घूमना, सिर दर्द व थकान आदि से आराम दिला सकता है और रक्त प्रवाह को बेहतर कर सकता है (35)। हालांकि, इसे हमेशा एक्स्पर्ट कि सलाह व देखरेख में ही कराएं। एक्यूपंक्चर का उपचार स्वयं न करें। यह उपचार करवाने के लिए किसी एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ की मदद लें। साथ में डॉक्टरी परामर्श भी जरूरी है।
References
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