नटखट बचपन – क्या आपने भी की थी ऐसी शरारतें?

Written by Arpita Biswas, BA (Mass Communication) Arpita Biswas BA (Mass Communication)
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‘बचपन’ भला कौन भूल सकता है। खेलना, गिरना-पड़ना, डांट खाना, रूठना-मान जाना और पता नहीं क्या-क्या। ये सब बचपन का ही तो हिस्सा है। क्या है बचपन? अजीबो-गरीब मिस्ट्रीज, मन में जिज्ञासाओं का समंदर और इन्हीं को ढूढंते-ढूढंते कुछ गड़बड़। भले ही बचपन की सारी बातें याद न हों, लेकिन हर किसी को बचपन से जुड़ी कुछ न कुछ बातें या कोई न कोई वाक्या जरूर याद रहता होगा। कुछ ऐसी ही यादों का पिटारा हम इस आर्टिकल में लेकर आए हैं। इसे पढ़ें और थोड़ी देर के लिए सोचें कि क्या आपने भी बचपन में ऐसी शरारतें की हैं या आपके बच्चे भी कुछ ऐसी हरकतें करते हैं या नहीं।

  1. बेड जंपिंग – खुशी हो, गुस्सा हो या कोई भी मौका हो, बच्चों के उछलने के लिए बेड और सोफे से अच्छी चीज शायद ही कुछ होगी। आपने भी अपने स्कूल टाइम में ऐसा जरूर किया होगा।
  1. खाने को न – पौष्टिक खाना और बच्चे एक-दूसरे से उल्ट हैं। हमेशा बच्चों को खुद से खाना खाने के लिए देकर उन पर नजर जरूर रखें। कई बार बच्चे खाना ऐसी जगह फेंकते हैं, जहां किसी का ध्यान नहीं जाता है। कुछ बच्चे तो तकिये या गद्दे के नीचे तक छुपा देते हैं।
  1. भाई-बहन की लड़ाई – भाई-बहन में लड़ाई तो आम बात हो चुकी है। ऐसा लगता है मानों सिब्लिंग्स का मतलब ही लड़ाई है। कभी जाने-अनजाने में तो कभी जानबूझकर, एक-दूसरे के बाल नोचे बिना तो मानों दिन ही पूरा नहीं होता है।
Naughty childhood - Did you also do such mischief
Image: Shutterstock
  1. दोपहर की डोरबेल – गर्मियों की भरी दोपहरी में जब सब सो रहे हों, तो घंटी बजाकर भाग जाना लगभग हर बच्चे के बचपन का हिस्सा है। इसके अलावा, शहर हो या गांव, जब तक दूसरों के बगीचों से आम या फूल न चुराओ तो लगता है दिन ही पूरा नहीं हुआ।
  1. कोल्डड्रिंक या पानी – अगर फ्रिज में किसी बच्चे की फेवरेट चीज रखी हो, तो जाहिर सी बात है कि वो चोरी-चुपके टेस्ट कर ही लेते हैं। कई बच्चे तो कोल्ड ड्रिंक को आधा खत्म करके उसमें पानी मिलाकर रख देते हैं। इसलिए, अगर किसी दिन आपको कोल्ड ड्रिंक का टेस्ट थोड़ा बदला हुआ लगे, तो समझ जाइए कि आपके बच्चे की शरारत है।
Naughty childhood - Did you also do such mischief
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  1. गुस्सा दिखाना – आपको क्या लगता है, सिर्फ बड़ों को ही गुस्सा आता है, नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है, गुस्सा बच्चों को भी आता है। कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें जब गुस्सा आता है, तो उस वक्त जहां भी रहेंगे वहीं सुसु कर देंगे। कई बार तो बच्चे जान-बूझकर बेड, सोफा या ऐसी किसी जगह सुसु कर देंगे, जहां उन्हें नहीं करना चाहिए।
  1. घर से निकल जाना – बच्चों को बाहरी दुनिया काफी आकर्षित करती हैं। ऐसे में कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनपर हर वक्त ध्यान देना होता है। खासतौर पर तब जब गेट खुला हो। कई बच्चों की आदत होती है घर से निकल जाने की। कुछ मामलों में बच्चों का आत्म सम्मान इतना ज्यादा होता है कि अगर उन्हें मजाक-मजाक में घर से निकल जाने को कहें तो वो गुस्सा में घर से निकल तक जाते हैं या ऐसी जगह छुप जाते हैं, जहां उन्हें ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता ही। हालांकि, वो इंतजार भी करते हैं कि उनके पीछे आ रहे है या नहीं या उन्हें लोग ढूंढ रहे हैं या नहीं । 
  1. खाना या खिलौना – खाने को लेकर बच्चों के नखरे तो आम हैं, लेकिन कई बार वो खाने को ही खिलौना बना देते हैं। मुंह में खाना भरकर बोलने की कोशिश करते हैं या भागने लगते हैं।
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  1. मेकअप टाइम – बच्चों को बड़ों की चीजों से खास लगाव होता है। खासतौर पर अगर कोई चीज रंगबिरंगी हो तो बात ही कुछ और है। बच्चे कई बार कलर्स से खुद पर ड्रॉइंग कर लेते हैं। वहीं, अगर मम्मी की मेकअप किट गलती से हाथ लग जाए, तब तो कहना ही क्या। लिपस्टिक या नेल पॉलिश से खुद को रंगने की शरारत कई बच्चों ने जरूर की होगी।
  1. सोने का नाटक – बच्चों को सुलाना किसी टास्क से कम नहीं। अगर बच्चा एक्टिंग करने में उस्ताद हो, तो मुकाबला टक्कर का हो जाता है। कई बच्चों को दोपहर में सोना पसंद नहीं होता है। ऐसे में कई बच्चे सोने की एक्टिंग करते हैं और जैसे ही कोई वहां से हटता है, तो फिर चुपके-चुपके बदमाशी शुरू। ऐसा ही कुछ वो रात के समय भी करते हैं।
  1. स्कूल न जाने के बहाने – ये बहुत ही कॉमन शरारत है, जो लगभग हर किसी ने अपने बचपन में की होगी। स्कूल न जाने का नखरा और इसको लेकर तरह-तरह के बहाने कोई भी बच्चा कर सकता है। सबसे आम बहाना पेट पकड़ कर बैठ जाना।
  1. लॉक-लॉक – कई बार बच्चे शैतानी करते-करते अपने माता-पिता को दूसरे कमरे में बंद तक कर देते हैं। कुछ बच्चे तो इतने शरारती होते हैं कि मॉल जाकर ट्रायल रूम में खुद को बंद कर लेते हैं। इसलिए, जब भी मॉल या शॉपिंग सेंटर जाएं, तो अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखें।

तो कैसी लगी ये शरारतें। शरारतें बचपन का हिस्सा हैं, इसलिए डांट-फटकार कर बच्चों से उनका बचपन न छीनें। अगर बच्चों को शांत रखना है, तो बड़ों को धैर्य के साथ उनके साथ डील करना जरूरी है। साथ ही याद रखें कि शरारतें तब तक ही अच्छी हैं, जब तक कि उनसे बच्चों या किसी और को कोई खतरा न हो।

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Arpita Biswasब्यूटी एंड लाइफस्टाइल राइटर
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