दिवाली स्पेशल: जानिए कब है भाई दूज और क्या है भाई दूज की कथा

Written by , MA (Mass Communication) Anuj Joshi MA (Mass Communication)
Last Updated on

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां हर पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों के साथ ही रिश्तों को मजबूती मिलती है। भाई दूज भी ऐसे ही त्योहारों की सूची में शामिल है। रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है। इसमें कोई शक नहीं कि भाई-बहन के बीच प्यार और नोंक-झोंक साल भर चलती रहती है। बस भाई दूज इसी अनोखे प्यार को जताने का खास दिन है। हमारे इस आर्टिकल का विषय भी भाई दूज ही है। तो, भाई दूज क्या होता है, क्यों मनाया जाता, इन्हीं सवालों के जवाब इस लेख में शामिल हैं।

भाई दूज कब मनाया जाता है?

भाई दूज का त्योहार हर वर्ष दीपावली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस साल भाई दूज का त्योहार 16 नवंबर को मनाया जाने वाला है। भाई दूज को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। भाई दूज को भाई टिका, भाई फोंटा, भाऊ बीज भी कहा जाता है।

आइए, अब भाई दूज से जुड़ी प्रचलित लोक कथा के बारे में जानते हैं।

क्या है भाई दूज की कथा?

ऐसा माना जाता है कि यमराज और यमुना दोनों सूर्य देव व छाया के संतान थे। यमराज और यमुना भाई-बहन थे। यमुना कई बार अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन करने के लिए बुलाती थी, लेकिन अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमराज, यमुना से मिलने नहीं जा पाते थे। एक दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तारीख पर अचानक यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए। अपने भाई यमराज को अपने घर के दरवाजे पर खड़ा देखकर यमुना बहुत खुश हुई। यमुना ने अपने भाई का स्वागत बहुत अच्छी तरह से किया।

यमुना ने अपने भाई यमराज को बहुत ही आदर-सत्कार के साथ भोजन कराया। अपनी बहन यमुना के सम्मान से यमराज बहुत खुश हुए और उसे मनचाहा वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने यमराज से कहा “आप हर साल इसी दिन मेरे घर आकर भोजन करना। मेरी तरह ही, जो बहन आज के दिन अपने भाई का सम्मान के साथ स्वागत करेगी, उसे टीका लगाएगी और उसे भोजन कराएगी, उस भाई-बहन को आपका डर न हो।” यमुना की इच्छा मानकर यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा और यमपुरी वापस लौट गए।

भाई दूज से जुड़ी मान्यता

भाई दूज से जुड़ी यह मान्यता है कि भाई दूज मनाने से न सिर्फ भाई-बहन का प्यार बढ़ता है, बल्कि भाई के ऊपर से संकट दूर हो सकता है। भाई को सम्मान पूर्वक तिलक कर बहन के भोजन कराने से भाई की उम्र भी लंबी होती है।

अब जानते हैं कि भाई-दूज की पूजा कैसे की जाती है।

भाई दूज में पूजा की विधि:

  • माना जाता है कि इस दिन भाई और बहन को यमुना नदी में स्नान करना चाहिए, क्योंकि मान्यताओं के आधार पर यमुना, यमराज की बहन थीं। वहीं, आज के वक्त में यमुना में स्नान कर पाना संभव नहीं है इसलिए, इस दिन घर में ही सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
  • फिर बहन और भाई दोनों यम व चित्रगुप्त की पूजा करें।
  • उसके बाद बहन, भाई को घी में मिले चावल का टिका लगाएं।
  • फिर बहन, भाई के हाथों में पान, सुपारी, सिंदूर और सूखा नारियल रखें।
  • उसके बाद बहन अपने भाई के हाथ में कलावा बांधकर उसे मिठाई खिलाए।
  • फिर भाई-बहन एक दूसरे को तोहफा दे सकते हैं।

भले ही मान्यताएं कई सारी हों, लेकिन इस त्योहार का एक ही निष्कर्ष है, वो है भाई-बहन का एक दूसरे के प्रति स्नेह। भाई-बहन के रिश्ते में तकरार और प्यार दोनों है। भले ही पूरे साल वे एक दूसरे से लड़ते हों, लेकिन मन ही मन उन्हें इस दिन का इंतजार भी रहता है। उम्मीद करते हैं कि हर साल की तरह इस साल भी सभी भाई-बहनों के लिए यह त्योहार खास हो।

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown

Community Experiences

Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.

Anuj Joshi
Anuj Joshiचीफ एडिटर
.

Read full bio of Anuj Joshi
Latest Articles