हमेशा महका करेगी सुरों की मधुर लता

Written by Neha Sajwan
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ब्लैक एंड व्हाइट के दौर से रंगीन पर्दे तक की दुनिया के इस सफर में सुरों की मलिका कही जाने वालीं गायिका लता मंगेशकर ने अनगिनत गीत दिए हैं। “हवा में उड़ता जाए, मेरा लाल दुपट्टा मलमल का…” से लोगों को थिरकने पर मजबूर करने से लेकर “लुक्का छिप्पी…” जैसे गीत से उन्होंने लोगों की आंखों को नम भी किया है। स्वर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर 91 वर्ष की हो गई हैं। अपने जीवन के इस लंबे सफर में उन्होंने न केवल कई बेहतरीन गीतों को गाया है, बल्कि उन्हें जिया भी है। तभी तो उनकी आवाज का जादू आज भी लोगों को मदहोश कर देता है, लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने इस सफर में कई उतार और चढ़ाव का सामना किया है। आइए, जानते हैं लता मंगेशकर से जुड़ी ऐसी कुछ बातें जिनसे कम ही लोग वाकिफ हैं।

पिता ने ऐसे पहचानी काबिलियत

भारत की प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर का गायक बनने का सफर 5 वर्ष की उम्र से शुरू हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर ग्वालियर घराने से थे। कहते हैं कि एक बार जब उनका एक शिष्य रियाज कर रहा था, तब लता मंगेशकर ने उसे गाते हुए सुना और वह अपने पिता के शिष्य को सही मुरखी लगाना सिखाने लगी। उन्हें ऐसा करते हुए पंडित दीनानाथ मंगेशकर ने देख लिया। लता मंगेशकर को गाते हुए देख उनके पिता हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि मुझे तो पता ही नहीं था कि हमारे घर में इतना तगड़ा गवइया छिपा हुआ है। उसके बाद अगले दिन से उनके पिता ने उन्हें रियाज करवाना शुरू किया।

पहली बार पूछा गया गायक का नाम

पहले के दौर में गायकों पर लोगों का ध्यान कम ही जाता था। गाने के रिकॉर्ड इंडेक्स में भी गायकों के नाम नहीं हुआ करते थे और इस बात की कोई परवाह भी नहीं करता था। गायकों ने भी कभी इस बात पर गौर किया। ऐसा ही कुछ फिल्म ‘महल’ में भी हुआ। इसका गीत ‘आएगा आएगा…’ काफी प्रसिद्ध हुआ। पहले तो केवल रेडियो पर इस गाने की फरमाइशों के लिए खत आ रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे खतों की संख्या बढ़ने लगी और लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि इस गाने की गायिका कौन है। कुछ ऐसा जादू चला था लोगों पर, हमारी लता दीदी के आवाज का।

ऐसे बनीं स्टार

जब खत आने लगे, तो शुरुआत में ऑल इंडिया रेडियो ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब खतों का अंबार लगने लगा, तब ऑल इंडिया रेडियो ने गाने की म्यूजिक कंपनी एचएमवी से पूछा कि इस गाने की गायिका कौन है। इसके बाद एचएमवी ने उनके साथ इस जानकारी को साझा किया। उन्होंने कहा कि इस गीत को गाने वाली गायिका लता मंगेशकर हैं। जब इस जानकारी को ऑल इंडिया रेडियो ने अपने श्रोताओं के साथ साझा किया, तब लता मंगेशकर देखते ही देखते स्टार बन गईं और फिर भारत रत्न।

जब लता को दिया गया जहर

1962 की एक फिल्म ‘बीस साल बाद’ के एक गीत को रिकॉर्ड करने से पहले लगा मंगेशकर बीमार हो गईं। फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर हेमंत रिकॉर्डिंग के लिए तैयार थे, लेकिन सुबह से ही लता दीदी के पेट में तेज दर्द होने लगा। थोड़ी देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हुईं, जिसमें हरे रंग की कोई चीज थी। डॉक्टर को तुरंत घर बुलाया गया, जब टेस्ट किया गया, तो सब हैरान हो गए। डॉक्टर ने बताया कि रिपोर्ट से पता चलता है कि लता मंगेशकर को खाने में स्लो पॉइजन दिया जा रहा है। इसके बाद उनकी बहन उषा मंगेशकर ने लता दीदी के लिए खाना बनाने वाले सभी लोगों को हटा दिया। साथ ही निर्णय लिया कि अब वह खुद बहन के लिए खाना बनाएगी।

बीमारी में मजरूह सुलतानपुरी ने दिया साथ

पहले जो कुक उनके लिए खाना बनाता था उसका कहीं अता-पता नहीं था। बहुत ढूंढा, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। सभी ने यही कयास लगाया कि लता जी को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी ने उस कुक को पैसे दिए होंगे। इस बीमारी से उबरने में लता जी को 3 महीने का समय लग गया। उस समय उनके मित्र गीतकार और शायर मजरूह सुलतानपुरी ने उनका बहुत साथ दिया। वह रोज शाम 6 बजे उनके घर पहुंच जाते और उन्हें शेर व गज़लें सुनाते थे। वह लगातार 3 महीने तक रोज लता दीदी से मिलने आते थे। उसके बाद जब लता मंगेशकर ठीक हुईं, तो उन्होंने जो पहला गीत गाया वह था फिल्म “बीस साल बाद” का “कहीं दीप जले कहीं…।”

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