क्यों डाला जाता है मायके में ही डिलीवरी पर जोर?

Written by , BA (Mass Communication) Arpita Biswas BA (Mass Communication)
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मायके जाने की “परमिशन”। अब सास से ये “परमिशन” मांगना कितना मुश्किल भरा होता है, यह एक बहू ही जानती है। वहीं, जब बात बहू के प्रेग्नेंट होने की हो, तो सास मायके जाने की “परमिशन” सामने से देती है। इस तरह के सीन लगभग हर भारतीय परिवारों में नजर आते हैं, लेकिन पहली बार मां बन रहीं कुछ महिलाएं सास का यह बदला रवैया देखकर हैरान हो जाती है। फिर उनके दिल-ओ-दिमाग में कई तरह के सवाल घूमने लगते हैं कि डिलीवरी के वक्त ही क्यों मायके जाने को कहा? इतने दिनों से मायके जाना चाह रही थी तब क्यों नहीं? आखिर ऐसा क्यों होता है और यह कितना सही व कितना गलत है? आइए, इस उलझन को सुलझाने का कुछ प्रयास करते हैं।

डिलीवरी के लिए बहू को मायके भेजने का राज

  • कुछ लोगों का कहना है कि उनके यहां रिवाज चला आ रहा है कि डिलीवरी हमेशा मायके में ही होती है।
  • मायके जाने से बहू का मन लगा रहेगा।
  • डिलीवरी का खर्च बहू के घरवालों से कराने की सोच हो सकती है।
  • मेहनत और सेवा से बचना भी एक कारण हो सकता है। कई ससुराल वाले ऐसे होते हैं, जिन्हें बहू की सेवा करने में आत्मसम्मान में ठेस लग सकती है।

नोट : ऊपर बताई गई बातें सिर्फ अनुमान के तौर पर दी गई हैं। इससे हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।

मायके में डिलीवरी होने के सही कारण क्या होने चाहिए?

सबसे पहले हम स्पष्ट कर दें कि मायके में ही डिलीवरी हो, इस बात को लेकर बहू पर कभी दबाव नहीं डालना चाहिए। अगर बहू दिल से जाना चाहे, तो उसे रोके न। साथ ही बहू को मायके भेजने के कुछ सकारात्मक कारण इस प्रकार हैं:

  • मां के करीब – देखा जाए तो हर लड़की अपनी मां के करीब होती हैं। ऐसे में इस दौरान महिलाओं को अपनी मां के साथ वक्त बिताने की चाह हो सकती है। ऐसे में उनकी इस चाह को पूरा करने के लिए उन्हें मायके जाने दें।
  • आराम के लिए – कुछ महिलाएं इस बात से संकोच करती हैं कि ससुराल का कोई व्यक्ति उसका काम करे। इसलिए, वो प्रेगनेंसी के दौरान भी आराम न करके काम में लगी रहती हैं। ऐसे में ससुराल वालों को इस बात को समझने की आवश्यकता है। बहू की इस बात को ध्यान में रखते हुए ससुराल वालों को उसे मायके जाने की बात कहनी चाहिए।
  • खुशनुमा माहौल – ‘जहां चार बर्तन हो, वहां आवाज तो होती ही है’, यह कहावत तो कई लोगों ने सुनी होगी। कई बार ससुराल में कुछ ऐसी परिस्थितियां हो जाती है, जिससे घर का माहौल बदल-सा जाता है। ऐसे में सास-ससुर को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि गर्भवती पर किसी बात का बुरा प्रभाव न पड़े या उसे तनाव न हो। इसलिए, बहू को मायके जाने की सलाह दे सकते हैं। हां, अगर मायके में माहौल कुछ अच्छा न हो, तो बहू का ससुराल में रहना ही सही रहता है।
  • अगर घर में कोई न हो – अब ज्यादातर लोग एकल परिवार का हिस्सा हैं। इसके अलावा, कई बार ऐसा भी होता है कि सास-ससुर अधिक उम्र-दराज होते हैं। ऐसे में महिला की डिलीवरी के वक्त उनके लिए भागादौड़ी करना मुश्किल हो। इस स्थिति में ससुराल वाले या पति महिला को मायके जाने की सलाह दें, ताकि इमरजेंसी के दौरान उसे सही वक्त पर डॉक्टर के पास ले जाया जा सके।

अब हम ससुराल में ही डिलीवरी होने के कुछ वास्तविक कारणों पर प्रकाश डालेंगे।

क्यों हो ससुराल में डिलीवरी?

maayke mein hi kyun ho bahu ki delivery
Image: Shutterstock

अगर मायके में डिलीवरी होना सही है, तो ससुराल में डिलीवरी होने में भी कोई गलत बात नहीं है। यहां जानिए क्यों हो ससुराल में डिलीवरी :

  • ससुराल है घर – हर महिला ससुराल को अपनाकर उसे अपना घर मानती है। ऐसे में ससुराल वालों का भी यह फर्ज है कि महिला के इतने महत्वपूर्ण वक्त में हमेशा उसके साथ रहे।
  • पति का साथ – महिला को इस खूबसूरत वक्त में अपने पति की हर पल जरूरत होती है। गर्भ में बच्चे की हर हरकत के बारे में वो अपने पति को बताना चाहती है। ऐसे में बच्चे की पहली किक के वक्त अगर पति साथ हो, तो इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है। साथ ही वह अपने मन की हर बात अपने पति के साथ साझा कर सकती है।
  • ससुराल का प्यार – जैसे ससुराल के लिए आने वाला नया मेहमान प्यारा है, वैसे ही उनके लिए बहू भी प्यारी होनी चाहिए। उन्हें यह बात समझना चाहिए कि बहू को भी उसके बच्चे की तरह ही स्नेह की जरूरत है।
  • शिशु की पहली झलक – महिला और पति दोनों की इच्छा होती है कि शिशु को पहली बार पिता देखे। इसलिए, महिला की डिलीवरी ससुराल में ही हो, तो ज्यादा अच्छा है, ताकि जब शिशु आंखें खोले, तो वह अपने माता-पिता और पूरे परिवार को एक साथ देख सके।

डिलीवरी के समय बहू को मायके बस इसलिए भेज देना कि सदियों से यह रिवाज चला आ रहा है, तो यह ठीक नहीं है। हो सकता है कि उस समय किसी परिस्थितिवश यह निर्णय लिया गया हो, जो आज के समय में किसी भी तरह से प्रासंगिक नहीं लगता। हम बस यही कहते हैं कि बहू की इच्छा और बहू के घरवालों की परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लिया जाए कि डिलीवरी कहां होगी। वक्त बदल रहा और कुछ अच्छे बदलावों को अपनाने में कोई बुराई नहीं है। वैसे भी डिलीवरी ससुराल में हो या मायके में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अहम मुद्दा मां और शिशु का अच्छा स्वास्थ्य है।

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Arpita Biswasब्यूटी एंड लाइफस्टाइल राइटर
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