पैरेंट्स बनने से पहले जानें पैरेंटिंग से जुड़े ये 10 सच
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‘अब तुम एक बच्चे के मां-बाप हो और तुम्हारी पूरी जिंदगी उसके ही नाम है’, ‘हमने भी तो अपनी सारी खुशियां तुम्हारे लिए छोड़ दी थीं।’ नए-नए माता-पिता बने हर कपल को ऐसी बातें सुनने को मिल सकती हैं। शुरुआत में उन्हें ये सब थोड़ा लेक्चर लग सकता है और खुद को नए दौर के माता-पिता समझकर सोचते हैं कि वो सबकुछ मैनेज कर सकते हैं। बस, यहीं हो जाती है गलती और धीरे-धीरे ही सही, लेकिन जीवन की सच्चाई उनके सामने आने लगती है कि माता-पिता बनना इतना आसान नहीं है। इसलिए, बेहतर यही है कि पैरेंट्स बनने से पहले पैरेंटिंग से जुड़ी वास्तविकता को आप जान लें। बेशक, ये जीवन से जुड़ी सच्चाई है, लेकिन इन्हें समझना और पालन करना इतना भी मुश्किल नहीं है।
1. सपनों का त्याग
सपने हर किसी के होते हैं, कुछ पूरे हो जाते हैं और कुछ को पूरा करना बस सपना बनकर रह जाता है। माता-पिता बनने के बाद हर कपल के साथ ऐसा ही होता है। ऐसे कई सपने, जिन्हें आप पूरा करने चाहते थे या जीना चाहते थे, वो पैरेंट्स बनने के बाद हमेशा के लिए अधूरे रह जाते हैं। फिर चाहे, ड्रीम हॉलिडे पर जाना हो या फिर बस एक दिन के लिए लग्जरी लाइफ का मजा लेना हो, लेकिन बच्चे के आते ही उसके सपने ही पैरेंट्स के सपने हो जाते हैं। कुछ महिलाएं तो अपने बच्चे के लिए अपनी ड्रीम जॉब तक छोड़ देती हैं। सब कुछ बच्चे के इर्द-गिर्द घूमने लगता है। वो जो बनना चाहता है, वही आपका सपना बन जाता है।
2. अधूरी हॉबीज
क्या हो आप आराम से बैठकर कोई पेंटिंग बना रही हों और आपका नन्हा नींद से जाग जाए। पेंटिंग जितनी बनी है उसे अधूरा छोड़ बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी आ जाती है। फिर पूरे दिन की थकान के बाद हिम्मत ही नहीं रहती, उस पेंटिंग को पूरी करने की। बस ऐसे ही एक-एक करके जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं और वो पेंटिंग अधूरी रह जाती है। ऐसे ही और भी कई शौक होते हैं, जो पैरेंट्स बनने के बाद धीरे-धीरे कब खत्म हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता।
3. नींद का बलिदान
माता-पिता बनने के बाद नींद की कुर्बानी देने के लिए तैयार होना भी जरूरी है। खासतौर पर जब आपका बच्चा बहुत छोटा हो। हो सकता है उसके जागने और सोने का वक्त आपके टाइम से बिल्कुल उल्टा हो। इसलिए, बेहतर है कि आप दिनभर में छोटे-छोटे पॉवर नैप लेने की आदत डाल लें, ताकि मौका मिलते ही अपनी थोड़ी नींद पूरी कर सकें।
4. अपनी पैरेंटिंग को जज करना
अगर आप हर काम में अपने आप से ज्यादा उम्मीदें रखता हैं, तो हो सकता है कि पैरेंटिंग के मामले में खुद से निराश हो जाएं। हर किसी की परवरिश का तरीका एक जैसा नहीं होता है। ऐसे में आप बार-बार खुद की तुलना दूसरों से करके अपने आप को ही दुखी करेंगे। यह भी हो सकता है घर के बड़े-बुजुर्ग आपकी पैरेंटिंग की तुलना किसी और से करें। अगर ऐसा होता है, तो यह स्वाभाविक है, इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
5. बच्चों से झड़प
जब बच्चे बड़े होने लगते हैं और नई-नई चीजों को सीखने लगते हैं, तो हो सकता है वो आपसे हर छाेटी-छोटी बात पर तर्क-वितर्क करने लगें। ऐसे में उस दौरान आपको काफी धैर्य से काम करना होगा, नहीं तो तैयार हो जाएं आपके बच्चों से रिजेक्शन सुनने के लिए। हो सकता है, आपको तब अपने माता-पिता की याद आए और उनके मन की स्थिति का एहसास हो, जब आप उनकी किसी बात को मानने से इंकार करते थे। वहीं, इसका एक प्लस पॅाइंट भी है। संभव है कि आपको यह एहसास होगा कि पैरेंट्स होने के नाते आपके माता-पिता भी कुछ गलतियां करते थे, जो आप नहीं करना चाहेंगे।
6. बच्चों का पलट जवाब
‘पापा आप भी तो ऐसे बोलते हो’, ‘मम्मी आप भी तो टीवी देखते हो।’ आपको इस तरह की बातों की आदत डालनी पड़ सकती है। अगर आप बच्चे को किसी चीज के लिए मना करना चाहते हैं, तो ध्यान रहे कि आप भी वो काम न करें। कई बार बच्चे वही करते हैं और बोलते हैं, जो वो बड़ों को करते और कहते सुनते हैं। इसलिए या तो आप बच्चे से खुद की तुलना करवाने के लिए तैयार रहें या फिर खुद भी सावधानी और संयम से काम लें।
7. प्राइवेसी न के बराबर
आराम से बालकनी में एक-दूसरे के साथ बैठकर क्वॉलिटी टाइम को एन्जॉय करते हुए चाय पीना भूल जाएं। इस बात से कोई इनकार नहीं करेगा कि बच्चे के आने के बाद प्राइवेसी न के बराबर हो जाती है, क्योंकि आपको हर वक्त उसका ध्यान रखना पड़ जाता है। कई बार तो मां शॉवर लेते वक्त भी बच्चों को अपने साथ बाथरूम ले जाती है।
8. पसंद-नापसंद में बदलाव
‘कितनी खूबसूरत ड्रेस है, लेकिन अभी बेटी के लिए कपड़े लेने हैं।’ जी हां, जाने-अनजाने में ही सही माता-पिता अपने बच्चों के लिए अपनी इच्छाओं और पसंद-नापसंद के साथ कब समझौता कर लेते हैं, ये उन्हें भी नहीं पता चलता। जो आइसक्रीम फ्लेवर आपको पसंद हो, शायद वो आइसक्रीम आपके बच्चे को अच्छी न लगे। नतीजा, बच्चे के पसंद की फ्लेवर आइसक्रीम आपकी पसंद बन जाती है। यही छोटे-छोटे बदलाव माता-पिता बनने के बाद आपके जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।
9. बच्चे मासूम नहीं होते
‘किसने कहा बच्चे मासूम होते हैं, बच्चे बहुत स्मार्ट होते हैं’ अंत में आप यही कहेंगे। या तो बच्चे आपकी सोच से ज्यादा चालाक हैं और या तो आप अपने बच्चों जैसे इंटेलिजेंट नहीं है। कभी-कभी यही सोचने पर आप मजबूर हो जाएंगे, क्योंकि जितनी कोशिश कर लें आप उनसे अपनी सारी बात मनवाने में शायद ही पूरी तरह सफल हो पाएंगे।
ये सब सच्चाई बताकर हम आपको डराना नहीं चाहते, बल्कि आपको बताना चाहते हैं कि बच्चे की प्लानिंग से पहले आप इन बातों से अवगत हो जाएं। बेशक, बच्चे किसी वरदान से कम नहीं, लेकिन उनकी परवरिश करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। बच्चे की प्लानिंग तभी करें, जब आप माता-पिता बनने के लिए मानसिक रूप से तैयार हों, न कि परिवार या रिश्तेदारों के गुड न्यूज की इच्छा के दवाब में आकर ऐसा निर्णय लें।
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