प्रेगनेंसी से जुड़े 12 मिथक, जो गर्भवती को पता होने चाहिए
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‘शुरुआती महीनों में अपनी प्रेगनेंसी की खबर सबको मत बताना’, ‘अरे बेटा, इस दौरान एक तरफ करवट लेकर मत सोया करो’, ‘प्रेगनेंसी में चाय-कॉफी मत पी बच्चे का रंग गहरा हो सकता है’ और न जाने क्या-क्या सुनने को मिलता है एक गर्भवती महिला को। होने वाले बच्चे के लिंग से लेकर रंग तक के कयास लगा लिए जाते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग होने वाली मां को तरह-तरह की कहानियां और बातें समझाने-सिखाने लगते हैं। इन्हीं सब के बीच कब तरह-तरह के मिथक शुरू हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। मजे की बात तो यह है कि इन मिथकों को गर्भवती महिलाएं सच भी समझने लगती हैं। खासतौर पर वो महिलाएं, जो पहली बार मां बन रही होती हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही मिथक लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आपको हंसी भी आ सकती है। हो सकता है आर्टिकल खत्म होते-होते आप बोल पड़ें ‘हां, मुझे भी ऐसा कहा गया था।’
मिथक 1 : ‘बेटा, अब तुम गर्भवती हो, इसलिए अब थोड़ा ज्यादा खाना खाओ। बेबी को भी तो भूख लगती है न।’ यह सच है कि प्रेगनेंसी में कैलोरी ज्यादा लेनी होती है। गर्भवती महिला को लगभग एक दिन में एक्स्ट्रा 300 कैलोरी की जरूरत हो सकती है (1)। इस बारे में डॉक्टर आपको डाइट चार्ट दे देंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप जरूरत से ज्यादा खाने लगें। ओवरइट करना आपके और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
मिथक 2 : ‘ऐसे समय में एक्सरसाइज मत करो।’ ऐसा बिल्कुल नहीं है। हां, शुरुआती प्रेगनेंसी में या अगर किसी की प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन हो, तो उसे भारी सामान उठाने या एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए। वहीं, जिनकी प्रेगनेंसी सामान्य है, वो हल्के-फुल्के एक्सरसाइज कर सकती है (2)। चाहे तो डॉक्टर की सलाह पर भी एक्सरसाइज कर सकती हैं।
मिथक 3: मॉर्निंग सिकनेस सिर्फ मॉर्निंग में होती है। वाह, अगर किसी शब्द के साथ मॉर्निंग जुड़ा है, तो क्या वो सिर्फ मॉर्निंग में ही होगी? बिलकुल नहीं, मॉर्निंग सिकनेस में मतली या उल्टी होती है और दिनभर में कभी भी हो सकते हैं। इसलिए, यह जरूरी नहीं कि मॉर्निंग सिकनेस सिर्फ मॉर्निंग में ही हो।
मिथक 4 : प्रेगनेंसी में घी खाने से डिलीवरी आसानी से हो सकती है। यह सिर्फ एक मिथक है। बेशक, घी और मक्खन अच्छे ल्युब्रिकेन्ट्स के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका कनेक्शन प्रेगनेंसी से हो।
मिथक 5 : सीने में जलन के कारण, होने वाले बच्चे के बाल ज्यादा और अच्छे हो सकते हैं। यह भी पूरी तरह से मिथक है। हार्ट बर्न गर्भावस्था के आम लक्षणों में से एक है (3)। इसका बेबी के रंग-रूप या बालों के साथ कोई कनेक्शन नहीं है।
मिथक 6 : दूध में केसर डालकर पीने से बच्चा गोरा हो सकता है या फिर सफेद रंग के खाद्य पदार्थ के सेवन से बच्चा गोरा हो सकता है। यह भी पूरी तरह से सिर्फ अफवाह है। बच्चे का रंग पूरी तरह से माता-पिता के जीन पर निर्भर करता है (4)। वैसे भी बच्चा जैसा भी हो, अपनी मां को प्यारा होता है।
मिथक 7: मिर्च-मसाले वाली चीजें खाने से बच्चे की आंखों में जलन हो सकती है और बेबी की आंखों की रोशनी जा सकती है। इसके अलावा, मसाले वाले खाने से गर्भपात भी हो सकता है। नहीं, यह सच नहीं है, हां स्पाइसी फूड से एसिडिटी और हार्ट बर्न जैसी परेशानी जरूर हो सकती है। इसलिए, गर्भावस्था में ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
मिथक 8: पेट के आकार से बच्चे के लिंग का पता किया जा सकता है। पेट का आकार नीचे की तरफ है, तो लड़का है और ऊंचा है तो लड़की। यह भी बिल्कुल गलत है और वैसे भी जानना ही क्यों है कि लड़का है या लड़की। हां, यह जानना आपका हक है कि बेबी हेल्दी है या नहीं। इसलिए, इस मिथक को बढ़ावा न दें।
मिथक 9 : गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए या बालों को कलर नहीं करना चाहिए। वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है। गर्भावस्था के दौरान गुनगुने पानी से नहाया जा सकता है और हेयर कलर करना भी सेफ है, लेकिन ध्यान रहे कि हेयर कलर ज्यादा केमिकल युक्त न हो (5)। नैचुरल पदार्थ युक्त हेयर कलर का उपयोग किया जा सकता है। चाहे तो मेहंदी से ही बालों को कलर कर लें।
मिथक 10 : प्रेगनेंसी में और उसके बाद स्ट्रेच मार्क्स होना नॉर्मल है। अगर आपको कोई यह कह रहा है कि स्ट्रेच मार्क्स क्रीम इन्हें होने से रोक सकती है या दाग को पूरी तरह ठीक कर सकती है, तो यह एक मिथक है। स्ट्रेच मार्क्स के दाग कम हो सकते हैं, लेकिन पूरी तरह गायब हो जाएं, इसका कोई प्रूफ नहीं है (6) (7)।
मिथक 11 : प्रेगनेंसी में शारीरिक संबंध बनाना सेफ नहीं होता है। ऐसा बिलकुल नहीं है, प्रेगनेंसी अगर सामान्य हो और कोई कॉम्प्लिकेशन न हो, तो ऐसा किया जा सकता है (8)। साथ ही यह पोजीशन पर भी निर्भर करता है। इसलिए, बेहतर है कि इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
मिथक 12 : अगर आपकी मां की डिलीवरी नॉर्मल हुई है और गर्भावस्था बिना किसी परेशानी के सामान्य रही है, तो आपकी डिलीवरी में भी कोई समस्या नहीं होगी। ऐसा नहीं है, क्योंकि हर महिला का शरीर और गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है, इसलिए यह बात पूरी तरह से सही नहीं है।
ये थे कुछ मिथ्स, जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सुनने पड़ सकते हैं। हो सकता है कि इनमें से कुछ मिथक इत्तेफाक से सच हो जाएं, लेकिन यह सिर्फ एक संयोग ही हो सकता है। बड़े-बुजुर्गों की कहानियों को कहानी ही रहने देना अच्छा है।
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