क्या आप जानते हैं शिशु की नींद से जुड़ी ये बातें?
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घर में नन्हे मेहमान के आते ही खुशी का माहौल बन जाता है। जहां एक तरफ घर के सदस्य जश्न मना रहे होते हैं, वहीं दूसरी तरफ शिशु बेफिक्र होकर चैन की नींद सोता है। क्या आपने कभी सोचा है कि नन्हा-सा बालक इतना कैसे सो लेता है। अधिकतर बच्चे दिन में ज्यादा सोते हैं और रात भर बीच-बीच में उठते रहते हैं। बेशक, यह स्वाभाविक है, लेकिन पहली बार मां बनी महिलाएं इस सोच में पड़ जाती हैं कि वह रात को बार-बार क्यों उठता है? वह कब से पूरी रात ठीक तरह से सोना शुरू करेगा? बच्चे की नींद से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक सवालों के जवाब हम इस लेख में लेकर आए हैं। तो आइए, इन नन्हे-मुन्ने बच्चों की नींद से जुड़ी प्रक्रिया को समझते हैं।
1. एक माह के शिशु की सोने की प्रक्रिया
जन्म से लेकर एक माह तक के बच्चे अपना अधिकतर समय सोने में गुजारते हैं। उनकी सोने की प्रक्रिया कुछ इस तरह की होती है:
- एक महीने या उससे कम उम्र के बच्चे 24 घंटे में करीब 18 घंटे तक की नींद ले सकते हैं। ये ज्यादातर लंबी नींद दिन के समय लेते हैं।
- ये तीन से चार घंटे के अंतराल पर भूख, पॉटी या पेशाब के कारण जागते रहते हैं। उनकी यही प्रक्रिया रात में भी जारी रह सकती है।
- एक महीने तक के बच्चों को दिन और रात का अंतर समझ नहीं आता। इसलिए, उनके सोने और जागने का कोई नियत समय नहीं होता है।
- इतने छोटे शिशु की नींद कच्ची होती है। जरा-सी आवाज भी उन्हें नींद से जगा सकती है। इसलिए, ध्यान रखना चाहिए कि शिशु के सोते समय शोर न हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चों की नींद उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास में मदद कर सकती है।
2. दो माह के बच्चे की सोने की प्रक्रिया
शिशु के दो माह के होने पर उसके नींद लेने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव दिख सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- छह से आठ हफ्ते की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बच्चे के नींद लेने के अंतराल में वृद्धि देखी जा सकती हैं। इसका मतलब यह है कि एक बार में ली जाने वाली नींद का समय पहले महीने के मुकाबले कुछ बढ़ सकता है।
- इस दौरान दिन में बच्चे के सोने की प्रक्रिया में भी बदलाव देखा सकता है। मुमकिन है कि इस दौरान बच्चा रात के मुकाबले दिन में कम सोए। यह भी संभव है कि बच्चा रात में लगातार करीब चार से पांच घंटे तक सोता रहे।
- नींद खुलने के बाद शिशु अधिक देर तक जाग सकता है।
- पहले महीने के मुकाबले दो महीने का बच्चा अधिक गहरी नींद ले सकता है।
3. तीन महीने के बच्चे की सोने की प्रक्रिया
तीन महीने के बच्चे की नींद की प्रक्रिया में काफी बदलाव देखे जा सकते हैं, लेकिन अभी भी उनकी नींद नियमित नहीं हो पाती है। फिर भी इतने समय में मां अपने बच्चे की नींद लेने की प्रक्रिया को कुछ हद तक समझ जाती है। आप निम्न बिन्दुओं के माध्यम से तीन माह के शिशु की नींद लेने की प्रक्रिया को अच्छे से समझ सकते हैं:
- तीन माह के शिशु का पाचन तंत्र पहले के मुकाबले थोड़ा बेहतर हो जाता है। इस कारण रात में उनकी नींद लेने का समय बढ़ सकता है और नियमित हो सकता है।
- तीन महीने की उम्र में एक स्वस्थ शिशु 24 घंटे में से करीब 15 घंटे तक की नींद ले सकता है। ऐसा शिशु दिन में करीब चार से पांच घंटे की नींद ले सकता है। वहीं, रात में औसतन 10 घंटे तक की नींद ले सकता है। इस दौरान वह दो से तीन बार आहार लेने के लिए जाग सकता है।
- इतनी उम्र के शिशुओं को रात में पर्याप्त रूप से सोन की आदत पड़ सकती हैं। ऐसे में अगर आपका तीन महीने का बच्चा रात को एक बार भी नहीं जागता, तो चिंता का विषय नहीं है।
शिशु को दिन व रात का अंतर समझाने का करें प्रयास
अगर आप चाहते हैं कि आपका शिशु रात में बार-बार न जागे, तो उसे दिन और रात में अंतर बताने का प्रयास करें। हालांकि, इतने छोटे शिशु को यह सब समझाना मुश्किल है, लेकिन आपके कुछ व्यवहार से वह जरूर थोड़ा-बहुत समझ ही जाता है। इसके लिए आपको कुछ उपाय करने होंगे, जो इस प्रकार है:
- जब सुबह शिशु उठे, तो उसे अच्छे से तैयार करें। वहीं, रात को उसे सोने से पहले कपड़े बदल कर सुलाएं। इससे उसे दिन और रात का फर्क को समझने में मदद मिल सकती है।
- दिन में बच्चे को अधिक रोशनी में रखें। वहीं, रात को कम रोशनी करके उसे सोने के लिए प्रेरित करें।
- दिन के समय बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और खेलें। वहीं, रात होते-होते खेल प्रक्रिया को कम करते जाएं।
- दिन के वक्त जब शिशु जाग रहा हो, तो उसे विभिन्न तरह की आवाजों व गतिविधियों के बीच रखें, ताकि वह दिन को अच्छे से समझ सके। वहीं, रात को उसे शांत माहौल में रखें।
बच्चे को सोने के लिए प्रेरित करने के लिए आसान टिप्स
- हर दो से तीन घंटे पर बच्चे को दूध पिलाते रहें, इससे बच्चा आराम से सोने के लिए प्रेरित हो सकेगा।
- बच्चे की थकान और नींद की स्थिति को समझने का प्रयास करें। जम्हाई लेना और बार-बार पलके झपकाना बच्चे को नींद आने के संकेत हो सकते हैं।
- बच्चे को गोद में लेकर उसे आभास कराएं कि आप उसके पास हैं। इससे बच्चे को सुरक्षा का एहसास होगा और वह सोने के लिए प्रेरित होगा।
तो ये थी बच्चों की नींद से जुड़ी कुछ काम की बातें। अब तो आप भी यही कहेंगे कि शिशु को सुलाना और दिन-रात के बीच फर्क समझाना इतना भी मुश्किल नहीं है। अगर आपका शिशु भी दिन को ज्यादा सोता है और रात को कम, तो आज से ही इन टिप्स को फॉलो करके देखिए, जरूर फर्क महसूस होगा।
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