न्यू पैरेंट्स के लिए शिशु से जुड़ी ये 6 बातें जानना है जरूरी
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नन्हे को पहली बार गोद में उठाने से लेकर उसकी नैप्पी बदलने तक की ट्रेनिंग हर माता-पिता को लेनी पड़ती है। साथ ही उसकी हर बात को समझना भी जरूरी है। माना कि छोटा बेबी बोल नहीं सकता, लेकिन वह अपनी बात को कुछ इशारों के जरिए समझा देता है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि बेबी के किस इशारे का मतलब क्या है, तो आपकी इस दुविधा को हम दूर किए देते हैं। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप काफी हद तक अपने बेबी को समझ पाएंगे।
1. बॉडी लैंग्वेज
अगर शिशु जंभाई ले रहा हो और अपनी आंखें रगड़ रहा हो, तो इसका मतलब यह है कि वह थका हुआ और उसे नींद आ रही है। वहीं, नैपी के गीला होने पर वह रोने और चिड़चिड़ाने लगता है। ऐसे में अगर आपका बच्चा भी इस तरह का कोई संकेत दे, तो आप उसका डाइपर जरूर चेक करें।
2. खाने की चिंता
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अक्सर मां को चिंता होती है कि वह अपने बच्चे को पूरी तरह से फीड करा रही है या नहीं? अगर बच्चा थोड़ा-बहुत ठोस आहार ले रहा है, तो क्या उसका पेट पूरी तरह से भर रहा है या नहीं? यहां हम बता दें कि बच्चे अपनी भूख से संबंधित भी कुछ संकेत देते हैं। अगर बच्चा खाने को देखकर या मां की तरफ देखकर रोता है और मां के गोद में लेने के बाद भी रो रहा है, तो संभव है कि उसे भूख लगी है। इसके अलावा, अगर वह दूध की बोतल को हटा देता है या खाने को देखकर मुंह फेर या बंद कर लेता है, तो इसका मतलब है यह है कि उसका पेट भर चुका है (1)। इसलिए, अगर बच्चा खाने से इंकार करता है, तो उसे जबरदस्ती न खिलाएं।
3. बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में
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पैरेंट्स अपने बच्चे की सेहत को लेकर भी चिंतित रहते हैं। माता-पिता के लिए अपने बच्चे की तकलीफ को समझना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसे भी कुछ संकेतों के जरिए समझा जा सकता है। अगर बेबी दूध पिलाने या पेट भरा होने व नैपी बदलने के बाद भी लगातार रो रहा है, तो समझ जाएं कि उसे कोई तकलीफ हो रही है। ऐसे में बेहतर है कि आप उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं, क्योंकि हो सकता है कि उसे पेट में दर्द या अन्य कोई समस्या हो।
4. बच्चे को गोद में लेने और जगाने का तरीका
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हर मां-बाप के लिए पहली बार अपने नन्हे को गोद में लेना खूबसूरत अनुभव होता है। साथ ही उनके लिए मुश्किल भरा काम भी है। इसलिए, जब भी आप अपने शिशु को गोद में लें, तो सारी सावधानियों का ध्यान रखें। जब तक शिशु अपनी गर्दन को संभालने के काबिल न हो जाए, तब तक उनके सिर को सहारा देकर ही गोद में लें। इसके अलावा, अगर आपको किसी कारण से बच्चे को नींद से जगाना है, तो शिशु के गाल पर अपना गाल लगाकर हल्के-हल्के से जगाएं। इतना ही नहीं बच्चे को झटके से या खेलते वक्त भी शेक न करें। ऐसा करने से बच्चे के मस्तिष्क में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है और उसकी जान को खतरा तक हो सकता है (2)।
5. ओरल हाइजीन
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अगर आप सोच रहे हैं कि ये पॉइंट क्यों, जबकि शिशुओं को तो दांत नहीं होते हैं। बेशक, नवजात शिशुओं के दांत नहीं होते, लेकिन उनके ओरल हाइजीन का ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसे में शिशु के मसूड़ों और मुंह की सफाई के लिए अपनी इंडेक्स फिंगर में साफ-मुलायम कपड़े को साफ पानी से गीला कर हल्के-हल्के से शिशु की मुंह की सफाई करें। ध्यान रहे कि अगर मुंह की सफाई ठीक से न की जाए, तो उसके आने वाले नए दांतों में कैविटी लगने का जोखिम हो सकता है।
6. बच्चे को सुलाने का तरीका
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शिशु की नींद से जुड़ी आदतें भी पैरेंट्स के लिए चिंता का कारण हो सकता है। कई बार वो शिशु के सोने के बाद ही उसे बेड पर सुलाते हैं, जबकि सलाह यह दी जाती है कि बच्चे को बेड पर तब सुलाएं, जब वो आधे जगे और आधे नींद में हों। ऐसा करने से हो सकता है कि वो धीरे-धीरे अपने बेडटाइम रूटीन को समझने लगें। इसके साथ ही शिशु के कमरे में एक हल्की लाइट जलने दें और बीच-बीच में बच्चे के कमरे में जाकर चेक भी करें कि वो आराम से सो रहे हैं या नहीं।
माता-पिता बनने का अहसास जितना सुखद है, उतना ही जिम्मेदारी से भरा हुआ भी है। इसलिए, आप जितना समय अपने बच्चे के साथ बिताएंगे आप उन्हें उतना जल्दी समझ पाएंगे, क्योंकि आप उनके हर इशारे का अनुभव करने लगेंगे और अनुभव से अच्छा टीचर कोई भी नहीं है। बस हर रोज अपने शिशु के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं।
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